Dohe in hindi

  1. 121+ संत कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित
  2. 108+ Best Kabir Ke Dohe In English (With Meaning)
  3. Top 250+ Kabir Das Ke Dohe In Hindi~ संत कबीर के प्रसिद्द दोहे और उनके अर्थ
  4. महाकवि कालिदास जी के दोहे
  5. रहिमन धागा प्रेम का : रहिमन (रहीम) के 45 दोहे अर्थ सहित
  6. नीति के सर्वश्रेष्ठ दोहे


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121+ संत कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित

संतकबीरकेदोहेनेसभीधर्मों, पंथों, वर्गोंमेंप्रचलितकुरीतियोंपरउन्होंनेमर्मस्पर्शीप्रहारकियाहै।इसकेसाथहीकबीरदासजीनेधर्मकेवास्तविकस्वरुपकोभीउजागरकियाहैं।हिन्दीसाहित्यमेंउनकेयोगदानकोकभीभुलायानहींजासकता, कबीरकेदोहेऔरउनकीरचनाएंबहुतप्रसिद्धहैं। आपकोबतादेंकिमहानसंतकबीरदासजीअनपढ़थेलेकिनकबीरनेपूरीदुनियाकोअपनेजीवनकेअनुभवसेवोज्ञानदियाजिसपरअगरकोईमनुष्यअमलकरलेतोइंसानकाजीवनबदलसकताहै। कबीरजीकेदोहेकोपढ़करइंसानमेंसकारात्मकताआतीहैऔरप्रेरणात्मकविचारउत्पन्नहोतेहैं।आइएजानतेहैंकबीरदासजीकेदोहों– Kabir Ke Doheकेबारेमें– संतकबीरकेदोहेहिंदीअर्थसहित– Kabir Ke Dohe in Hindi with meaning Jin Khoja Tin Paiyan – Kabir ke Dohe संतकबीरदोहा–जिनखोजातिनपाइया (Jin Khoja Tin Paiyan) वर्तमानसमाजमेंकईऐसेलोगहैंजोसफलतातोहासिलकरनाचाहतेहैंलेकिनइसकेलिएप्रयासहीनहींकरतेयाफिरउन्हेंलक्ष्यकोनहींपापानेऔरअसफलहोजानाकाडररहताहै।ऐसेलोगोंकेलिएमहानसंतकबीरदासनेअपनेइसदोहेमेंबड़ीशिक्षादीहै– दोहा- “जिनखोजातिनपाइया, गहरेपानीपैठ, मैंबपुराबूडनडरा, रहाकिनारेबैठ।” अर्थ- जीवनमेंजोलोगहमेशाप्रयासकरतेहैंवोउन्हेंजोचाहेवोपालेतेहैंजैसेकोईगोताखोरगहरेपानीमेंजाताहैतोकुछनकुछपाहीलेताहैं।लेकिनकुछलोगगहरेपानीमेंडूबनेकेडरसेयानीअसफलहोनेकेडरसेकुछकरतेहीनहींऔरकिनारेपरहीबैठेरहतेहैं। क्यासीखमिलतीहै- महानसंतकबीरदासजीकेइसदोहेसेहमेंसीखमिलतीहैंतोहमेंअपनेलक्ष्यकोपानेकेलिएलगातारप्रयासकरतेरहनाचाहिए, क्योंकिकोशिशकरनेवालोंकीकभीहारनहींहोतीऔरएकदिनवेसफलजरूरहोतेहैं। संतकबीरदोहा–कहैंकबीरदेयतू आजकेजमानेमेंकईलोगऐसेहैंजिनकेपाससबकुछहोनेकेबादभीकुछदाननहींकरतेयाफिरलोगोंकीसहायतानहींकरतेऔरकईलोगोंमेंपरोपकारकीभावनाहीनहीहै, उनलोगोंकेलिएमहानसंतकबीरदासजीनेइसदोहेमेंबड़ीशिक्षादीहै– दोहा- “कह...

108+ Best Kabir Ke Dohe In English (With Meaning)

Some of the great writings of the Kabir Das are Bijak, Kabir Granthawali, Anurag Sagar, Sakhi Granth etc. It is clearly not known about his birth parents but it is noted that he has been grew up by the very poor family of Muslim weavers. He was very spiritual person and became a great Sadhu. He got fame all over the world because of his influential traditions and culture. The people in the community are called Kabir Panthis and are spread all over India. Kabir had written some epic Granths (books). Some of the writings include Sakhi Granth, Kabir Granthawali etc. Every year Kabir Das Jayanti is celebrated on different dates. It is basically the celebration of birthday of poet Kabirdas. Childhood It is said that the background of his family or parents is not clear, but Kabirdas grew up in very miserable conditions amongst desolated Muslim weavers. He was very spiritual person and became a great Sadhu. Though his birthdate is not known but he is supposed to have spent almost one hundred and twenty years on earth. He was born in the year 1398. Training Basically, he did not take any spiritual training, but received fundamentals from his Guru named, Ramananda, in his early childhood. But it was his inner voice that helped him seek the pathway. He used to write poetries on his own. He never went to acquire education. He was a self-made man and discovered everything on his own. It was his latent talent that made him create legendary writings. His writings changed the way Indians...

Top 250+ Kabir Das Ke Dohe In Hindi~ संत कबीर के प्रसिद्द दोहे और उनके अर्थ

भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि मैं सारा जीवन दूसरों की बुराइयां देखने में लगा रहा लेकिन जब मैंने खुद अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई इंसान नहीं है। मैं ही सबसे स्वार्थी और बुरा हूँ भावार्थात हम लोग दूसरों की बुराइयां बहुत देखते हैं लेकिन अगर आप खुद के अंदर झाँक कर देखें तो पाएंगे कि हमसे बुरा कोई इंसान नहीं है। भावार्थ: कमल जल में खिलता है और चन्द्रमा आकाश में रहता है। लेकिन चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब जब जल में चमकता है तो कबीर दास जी कहते हैं कि कमल और चन्द्रमा में इतनी दूरी होने के बावजूद भी दोनों कितने पास है। जल में चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब ऐसा लगता है जैसे चन्द्रमा खुद कमल के पास आ गया हो। वैसे ही जब कोई इंसान ईश्वर से प्रेम करता है वो ईश्वर स्वयं चलकर उसके पास आते हैं। भावार्थ: घर दूर है मार्ग लंबा है रास्ता भयंकर है और उसमें अनेक पातक चोर ठग हैं। हे सज्जनों ! कहो , भगवान् का दुर्लभ दर्शन कैसे प्राप्त हो?संसार में जीवन कठिन है– अनेक बाधाएं हैं विपत्तियां हैं– उनमें पड़कर हम भरमाए रहते हैं– बहुत से आकर्षण हमें अपनी ओर खींचते रहते हैं– हम अपना लक्ष्य भूलते रहते हैं– अपनी पूंजी गंवाते रहते हैं। भावार्थ: रखवाले के बिना बाहर से चिड़ियों ने खेत खा लिया। कुछ खेत अब भी बचा है– यदि सावधान हो सकते हो तो हो जाओ – उसे बचा लो ! जीवन में असावधानी के कारण इंसान बहुत कुछ गँवा देता है– उसे खबर भी नहीं लगती– नुक्सान हो चुका होता है– यदि हम सावधानी बरतें तो कितने नुक्सान से बच सकते हैं ! इसलिए जागरूक होना है हर इंसान को - जैसे पराली जलाने की सावधानी बरतते तो दिल्ली में भयंकर वायु प्रदूषण से बचते पर – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ! भावार्थ: यह शरीर लाख का बना मंदि...

महाकवि कालिदास जी के दोहे

विलक्षण प्रतिभा के महाकवि कालिदास जी ने अपनी रचनाओं में बेहद सरल और मधुर भाषा का इस्तेमाल किया है, जिससे उनकी रचनाएं हर किसी को आसानी से समझ आ सकें। इसके अलावा उन्होंने अपनी रचनाओं में ऋतुओं का भी बेहद खूबसूरत तरीके से वर्णन किया। कालिदास जी की प्रसिद्ध रचनाएं मेघदूत, कुमारसंभव, रघुवंश, श्रतुसंहारा और मशहूर नाटक इन कृतियों की वजह से ही उन्हें हिन्दी साहित्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त है और उनकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में आज भी है। कालिदास जी के दोहों में उनकी महान सोच, उत्तम विचार और दूरदर्शिता साफ दिखती है। इसके साथ ही वे अपने दोहे और रचनाओं में साहित्यिक सौंदर्य के साथ-साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का भी विशेष ख्याल रखते थे। वहीं अगर कोई भी व्यक्ति उनके दोहों और विचारों को वास्तव में अपनी जिंदगी में अमल कर ले वह निश्चय ही एक सफल व्यक्ति बन सकता है। उन्होंने अपनी महान रचनाओं और दोहों के माध्यम से मनुष्य को सच्चाई के रास्ते पर चलने की सीख दी है। वहीं आज हम इस पोस्ट में महाकवि कालिदास जी के कुछ प्रसिद्ध दोहों के बारे में बताएंगे। महाकवि कालिदास जी के दोहे – Kalidas Ke Dohe जिन्हें आप कालिदास जी के इन दोहों को सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, ट्वीटर आदि पर अपने परिवार वालों, दोस्तों और करीबियों के साथ शेयर कर सकते हैं और इन दोहों के माध्यम से लोगों को सही दिशा में जीवन जीने की प्रेरणा दे सकते हैं। इसके साथ ही आपको यह बता दें कि हिन्दी साहित्य के इतिहास में महाकवि कालिदास जी को मां काली का परम और सच्चा उपासक बताया गया है। ऐसा माना जाता है, कालिदास जी का नाम मां काली के नाम पर ही रखा गया है, जिसका अर्थ है –‘काली की सेवा करने वाला’। वहीं हिन्दी साहित्य ...

रहिमन धागा प्रेम का : रहिमन (रहीम) के 45 दोहे अर्थ सहित

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है रहिमन धागा प्रेम का – रहीम जी का एक बहुत ही प्रसिद्ध दोहा है। रहीम जी का पूरा नाम अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानाँ था। उन्होंने अपने दोहों की रचना में अपना नाम ” रहीम ” और ” रहिमन ” दोनों प्रयोग किया है। उनके कुछ दोहे रहीम के नाम से प्रसिद्ध है और कुछ दोहे रहिमन के नाम से प्रसिद्ध है। जैसेकी, रहिमनधागाप्रेमक्या, रहिमनपानीरखिये, आदि। इस दोहा संग्रह जिसको हमने नाम दिया है “रहिमन धागा प्रेम का” में हमसे रहीम जी के रहिमन नाम वाले 40 दोहों का सग्रह किया है जो आप पढ़ सकते है हिंदी अर्थ के साथ। उनके बारे में अधिक जानने के लिए रहिमन के दोहे अर्थ सहित अर्थ :- रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता। यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है। 2. ‘रहिमन’ पैड़ा प्रेम को, निपट सिलसिली गैल। बिलछत पांव पिपीलिको, लोग लदावत बैल॥ अर्थ :प्रेम की गली में कितनी ज्यादा फिसलन है! चींटी के भी पैर फिसल जाते हैं इस पर। और, हम लोगों को तो देखो, जो बैल लादकर चलने की सोचते है! 3. ‘रहिमन’ प्रीति सराहिये, मिले होत रंग दून। ज्यों जरदी हरदी तजै, तजै सफेदी चून॥ अर्थ :सराहना ऐसे ही प्रेम की की जाय जिसमें अन्तर न रह जाय। चूना और हल्दी मिलकर अपना-अपना रंग छोड़ देते है। 4. रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार।। अर्थ :- यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन ...

नीति के सर्वश्रेष्ठ दोहे

अर्थ : इस दोहे में कवि रहीम दास जी कहते हैं कि जो लोग अच्छे स्वभाव और दृढ-चरित्र वाले व्यक्ति होते हैं उन लोगों में बुरी संगत में रहने पर भी उनके चरित्र में कोई विकार उत्पन्न नहीं होता जिस तरह चन्दन के वृक्ष पर चाहे जितने विषैले सर्प लिपटे रहें, लेकिन उस वृक्ष पर सर्पों के विष का प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात चन्दन का वृक्ष अपनी सुगंध और शीतलता के गुण को छोड़कर जहरीला नहीं हो जाता। - 8 - रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय| सुनि इटलैहैं लोग सब, बाँट न लैहैं कोय। अर्थ : इस दोहे में कवि रहीम दास जी कहते हैं कि वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते हैं और तालाब भी अपना पानी खुद नहीं पीता है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के काम के लिए अपनी संपत्ति को संचित करते हैं। कबीर दास जी के नीति के दोहे अर्थ समेत – Kabir Ke Niti Ke Dohe - 10 - दोस पराए देख‍ि करि, चला हसंत हसंत। अपने या न आवई, जिनका आदि न अंत।। अर्थ : इस दोहे में संत कबीरदास जी कहते हैं कि गुरू और गोबिंद अर्थात शिक्षक और भगवान जब दोनों एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरू को अथवा गोबिन्द को ? कवि कहते हैं कि ऐसी स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है क्योंकि गुरु ने ही भगवान तक जाने का रास्ता बताया है अर्थात गुरु की कृपा से ही गोविंद के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। - 12 - निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।। अर्थ : इस दोहे में कवि कहते हैं कि न तो ज्यादा बोलना ही अच्छा है और न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। उदाहरण देते हुए कवि इस दोहे में समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे बहुत ज्यादा बारिश भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं...

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