दशा माता की पहली कहानी

  1. सुभद्रा: महादेवी वर्मा का रेखाचित्र
  2. दशा माता व्रत है आज, जानिए व्रत की सरल विधि और पौराणिक कथा
  3. दशा माता व्रत 2023 कथा कहानी पूजा विधि डेट महत्व
  4. दशा माता की पौराणिक कथा


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सुभद्रा: महादेवी वर्मा का रेखाचित्र

लेखिका: महादेवी वर्मा हमारे शैशवकालीन अतीत और प्रत्यक्ष वर्तमान के बीच में समय-प्रवाह का पाट ज्यों-ज्यों चौड़ा होता जाता है त्यों-त्यों हमारी स्मृति में अनजाने ही एक परिवर्तन लक्षित होने लगता है. शैशव की चित्रशाला के जिन चित्रों से हमारा रागात्मक संबंध गहरा होता है, उनकी रेखाएं और रंग इतने स्पष्ट और चटकीले होते चलते हैं कि हम वार्धक्य की धुंधली आंखों से भी उन्हें प्रत्यक्ष देखते रह सकते हैं. पर जिनसे ऐसा संबंध नहीं होता वे फीके होते-होते इस प्रकार स्मृति से धुल जाते हैं कि दूसरों के स्मरण दिलाने पर भी उनका स्मरण कठिन हो जाता है. मेरे अतीत की चित्रशाला में बहिन सुभद्रा से मेरे सखय का चित्र, पहली कोटि में रखा जा सकता है, क्योंकि इतने वर्षों के उपरांत भी उसकी सब रंग-रेखाएं अपनी सजीवता में स्पष्ट हैँ. एक सातवीं कक्षा की विद्यार्थिनी, एक पांचवीं कक्षा की विद्यार्थिनी से प्रश्न करती है, ‘क्या तुम कविता लिखती हो?’ दूसरी ने सिर हिलाकर ऐसी अस्वीकृति दी जिसमें हां और नहीं तरल हो कर एक हो गए थे. प्रश्न करने वाली ने इस स्वीकृति-अस्वीकृति की संधि से खीझ कर कहा, ‘तुम्हारी क्लास की लड़कियां तो कहती हैं कि तुम गणित की कापी तक में कविता लिखती हो. दिखायो अपनी कापी’ और उत्तर की प्रतीक्षा में समय नष्ट न कर वह कविता लिखने की अपराधिनी को हाथ पकड़ कर खींचती हुई उसके कमरे में डेस्क के पास ले गई. नित्य व्यवहार में आने वाली गणित की कापी को छिपाना संभव नहीं था, अत: उसके साथ अंकों के बीच में अनधिकार सिकुड़ कर बैठी हुई तुकबन्दियां अनायास पकड़ में आ गईं. इतना दंड ही पर्याप्त था. पर इससे संतुष्ट न होकर अपराध की अन्वेषिका ने एक हाथ में चित्र-विचित्र कापी थामी और दूसरे में अभियुक्ता की उंगलियां कस कर पकड़ीं और...

दशा माता व्रत है आज, जानिए व्रत की सरल विधि और पौराणिक कथा

Dasha Mata Vrat: 27 मार्च 2022, रविवार को रखा जाएगा दशा माता का व्रत। यह व्रत चैत्र (चेत) माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने घर की दशा सुधारने के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं पूजा और व्रत करके गले में एक खास डोरा (पूजा का धागा) पहनती है ताकि परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और धन संपत्ति बनी रहे। ग्रंथों के अनुसार, ये व्रत करने से सभी तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। आओ जानते हैं व्रत की सरल विधि और दशा माता की पौराणिक कथा। एक दिन की बात है कि उस दिन होली दसा थी। एक ब्राह्मणी राजमहल में आई और रानी से कहा- दशा का डोरा ले लो। बीच में दासी बोली- हां रानी साहिबा, आज के दिन सभी सुहागिन महिलाएं दशा माता की पूजन और व्रत करती हैं तथा इस डोरे की पूजा करके गले में बांधती हैं जिससे अपने घर में सुख-समृद्धि आती है। अत: रानी ने ब्राह्मणी से डोरा ले लिया और विधि अनुसार पूजन करके गले में बांध दिया। कुछ दिनों के बाद राजा नल ने दमयंती के गले में डोरा बंधा हुआ देखा। राजा ने पूछा- इतने सोने के गहने पहनने के बाद भी आपने यह डोरा क्यों पहना? रानी कुछ कहती, इसके पहले ही राजा ने डोरे को तोड़कर जमीन पर फेंक दिया। रानी ने उस डोरे को जमीन से उठा लिया और राजा से कहा- यह तो दशा माता का डोरा था, आपने उनका अपमान करके अच्‍छा नहीं किया। चलते-चलते रास्ते में भील राजा का महल दिखाई दिया। वहां राजा ने अपने दोनों बच्चों को अमानत के तौर पर छोड़ दिया। आगे चले तो रास्ते में राजा के मित्र का गांव आया। राजा ने रानी से कहा- चलो, हमारे मित्र के घर चलें। मित्र के घर पहुंचने पर उनका खूब आदर-सत्कार हुआ और पकवान बनाकर भोजन कराया। मित्र ने अपने शयन कक्ष में सुलाया। उसी कम...

दशा माता व्रत 2023 कथा कहानी पूजा विधि डेट महत्व

Table of Contents • • • • • • • • दशा माता 2023 का व्रत : 17 मार्च 2023, शुक्रवार को किया जाएगा। • प्रारंभ तिथि 16 मार्च 2023, शाम 4 बजे से • समाप्ति तिथिि 17 मार्च 2023, दोपहर 2 बजे तक दशा माता व्रत 2023 कथा कहानी पूजा विधि डेट महत्व – Dasha Mata 2023 Ki Vrat Katha In Hindi : आप सभी को द शा माता व्रत 2023 की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. 2023 में व्रत की डेट. कौन है दशामाता– होली के दसवें दिन हिंदू धर्म में विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सलामती और सुखमय जीवन के लिए चैत्र कृष्ण दशमी के दिन दशामाता का व्रत रखती हैं. दशा माता व्रत 2023 कथा कहानी पूजा विधि डेट महत्व – Dasha Mata 2023 Ki Vrat Katha In Hindi dasha mata 2023 vart सनातन धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार विवाहि महिलाएं पति और परिवार की सलामती के लिए दशा माता का व्रत धारण करती हैं. नियमानुसार इस दिन Dasha Mata 2023 Ki Vrat Katha In Hindi दशामाता की कथा प्राचीन समय के एक राजा नल और रानी दमयंती से जुड़ी हुई हैं। बताते चले कि एक समय की बात हैं राजा नल का राज्य सुख सम्पन्न था। प्रजा राज्य में सुख से जीवन जी रही थी। एक बार की बात है कि, होली के दिन, राजब्राह्मणी महल में आई। उन्होंने रानी को दशामाता का डोरा दिया। जिसके बाद उन्होंने रानी से कहा कि, आज के दिन से सभी स्त्रियाँ दशा माता का व्रत रखकर डोरा धारण कर रही हैं। ऐसा करने से कष्टों का नाश होता है तथा सुख संपदा आती हैं। रानी ने उस धागे को विधि के अनुसार अपने गले में बांध लिया तथा दशामाता का व्रत रखने का निर्णय कर लिया। अचानक कुछ ही दिन बाद राजा की नजर रानी दमयंती के उस गले के डोरे पर पड़ी तो उन्होंने पूछा। आप महारानी हो, हीरे जवाहरात आपके किसकी कमी हैं फिर से गले में डोरा...

दशा माता की पौराणिक कथा

नमस्कार दोस्तों, कहानी की श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए आज हम आपको दशा माता की कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं। इस कहानी में दशा माता जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। आप इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़िएगा। बहुत समय पहले एक राज्य में एक बहुत बड़ा राजा रहा करता था, जिसका नाम नल था। बहुत ही सुंदर बलवान और बुद्धिमान था। प्रजा उसके शासनकाल में बहुत खुश थी। वह अपने राजा के कार्य से बहुत प्रसन्न थे और राजा नल के राज्य में सभी लोग एक दूसरे के साथ मिलकर रहा करते थे। राजा का विवाह एक बहुत ही अमीर राजा की बेटी के हुआ था, जिसका नाम दमयंती था। शादी करने के कुछ समय बाद ही राजा को दो बेटों की प्राप्ति हुई थी। राजा अपने दोनो बेटों से बहुत प्यार करता था। एक दिन जब दशा माता की पूजा करने का दिन था। यह पूजा होली के दस दिन बाद चैत्र कृष्ण की दशमी तिथि पर की जाती है तो उस दिन एक महिला राजा के महल में दशा का डोरा बेचने के लिए आई। उसने रानी से कहा कि रानी साहिबा आप यह दशा का डोरा ले लीजिए और आप भी दशा माता की पूजा विधि विधान से कीजिए। तभी महल की सारी नौकरानियों ने रानी को इस पूजा के बारे में बताया कि आज के दिन सभी शादीशुदा औरतें दशा माता की पूजा करती है और उनके डोरे को अपने गले में धारण करती हैं। जिसके बाद रानी ने भी दशा माता की पूजा पूरी विधि विधान से किया और डोरे को अपने गले में धारण कर लिया। जब एक दिन रानी अपने कमरे में बैठी थी तब राजा नल की नजर उस डोरे पर पड़ी, जिसके बाद राजा नल ने बिना कुछ सोचे समझे रानी के गले से उस दशा माता के डोरे को तोड़कर जमीन में फेंक दिया। जिसके बाद रानी ने राजा नल से कहा कि यह आपने क्या कर दिया। यह तो बहुत बड़ा अपराध कर दिया है, आपने दशा माता का अपमान किया...