दुर्गा कवच पाठ हिंदी में

  1. Durga kavach Durga Saptsati kavach in hindi दुर्गा कवच दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में indian states indianstates.in A news magazine
  2. श्री दुर्गा कवच अर्थ सहित
  3. [PDF] श्री दुर्गा देवी कवच
  4. Durga Kavach in Hindi : देवी दुर्गा कवच के पाठ से मिलता है आरोग्य का शुभ वरदान
  5. दुर्गा कवच हिंदी में यहां मिलेगा, देवी को प्रिय है यह चमत्कारी पाठ, मिलते हैं कई लाभ
  6. दुर्गा कवच हिन्दी में ➜ Durga Kavach in Hindi Text


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Durga kavach Durga Saptsati kavach in hindi दुर्गा कवच दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी में indian states indianstates.in A news magazine

दुर्गा सप्तशती कवच दुर्गा सप्तशती कवच (संस्कृत) का हिंदी अनुवाद एक साथ कवच (संस्कृत) के अंत में दिया गया है ताकि हिंदी भाषी साधक सहजता से पाठ कर सकें। अथ देव्याः कवचम् ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, चामुण्डा देवता, अङ्गन्यासोक्तमातरो बीजम्, दिग्बन्धदेवतास्तत्त्वम्, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थ सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः । ॐ नमश्चण्डिकायै ॥ मार्कण्डेय उवाच – ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम् । यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह ॥ १ ॥ ब्रह्मोवाच- अस्ति विप्र सर्वभूतोपकारकम् । देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने ॥ २ ॥ प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी । तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥ ३॥ पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च । सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ॥ ४॥ नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥ ५॥ अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे । विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः ॥ ६ ॥ न तेषां जायते किंचिदशुभं रणसंकटे । नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि ॥ ७ ॥ यैस्तु भक्त्या स्मृता नूनं तेषां वृद्धिः प्रजायते । ये त्वां स्मरन्ति देवेशि रक्षसे तान्न संशयः ॥ ८ ॥ प्रेतसंस्था तु चामुण्डा वाराही महिषासना। ऐन्द्री गजसमारूढा वैष्णवी गरुडासना ॥ ९ ॥ माहेश्वरी वृषारूढा कौमारी शिखिवाहना। लक्ष्मी: पद्मासना देवी पद्महस्ता हरिप्रिया ॥ १० ॥ श्वेतरूपधरा देवी ईश्वरी वृषवाहना । ब्राह्मी हंससमारूढा सर्वाभरणभूषिता ॥ ११ ॥ इत्येता मातरः सर्वाः सर्वयोगसमन्विताः । नानाभरणशोभाढ्या नानारत्नोपशोभिताः ॥ १२॥ दृश्यन्ते रथमारूढा देव्यः क्रोधसमाकुलाः । शङ्खं चक्रं गदां शक्तिं हलं च मुसलायुधम...

श्री दुर्गा कवच अर्थ सहित

दुर्गा कवच को भगवान ब्रह्मदेव ने ऋषि मार्कंडेय सुनाया था. इसका पूर्ण उल्लेख अठारह पुराणों में से एक मार्कंडेय पुराण मौजूद है. इस कवच के माध्यम से स्वयमं ब्रह्मदेव ने माँ देवी दुर्गा के नौ विभिन्न शक्तिशाली रूपों में स्तुति की है. दुर्गा कवच अपने आप में एक सिद्ध कवच है. इसके पठन से साधक को दुर्गा देवी का अखंड आशीर्वाद प्राप्त होता है. durga kavach lyrics in hindi इस लेख में हम अर्थ सहित यह भी पढे – 3.2 शुक्रवार के दिन करे दुर्गा कवच का पाठ| durga kavach lyrics in hindi दुर्गा कवच अर्थ सहित | Durga kavach lyrics in hindi ॐ नमश्चण्डिकायै। ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्। यन्न कस्य चिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥1॥ ॥मार्कण्डेय उवाच॥ अर्थ : मार्कण्डेय जी ने कहा हे पितामह! जो इस संसार में परम गोपनीय तथा मनुष्यों की सब प्रकार से रक्षा करने वाला है और जो अब तक आपने दूसरे किसी के सामने प्रकट नहीं किया हो, ऐसा कोई साधन मुझे बताइए। ॥ब्रह्मोवाच॥ अस्ति गुह्यतमं विप्रा सर्वभूतोपकारकम्। दिव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्वा महामुने॥2॥ अर्थ : ब्रह्मन्! ऐसा साधन तो एक देवी का कवच ही है, जो गोपनीय से भी परम गोपनीय, पवित्र तथा सम्पूर्ण प्राणियों का उपकार करनेवाला है। महामुने! उसे श्रवण करो। प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्॥3॥ अर्थ : प्रथम नाम शैलपुत्री है, दूसरी मूर्तिका नाम ब्रह्मचारिणी है। तीसरा स्वरूप चन्द्रघण्टा के नामसे प्रसिद्ध है। चौथी मूर्ति को कूष्माण्डा कहते हैं। पचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्॥4॥ अर्थ : पाँचवीं दुर्गा का नाम स्कन्दमाता है। देवी के छठे रूप को कात्यायनी कहते हैं। ...

[PDF] श्री दुर्गा देवी कवच

दुर्गा कवच संस्कृत महर्षि मार्कण्डेय ने ब्रह्मा से पूछा- हे पितामह, संसार में जो परम गुप्त हो, जिससे मनुष्यों की रक्षा हो और जो किसी से न कहा गया हो वह मुझसे कहिए । १ । दुर्गा कवच मार्कंडेय पुराण के विशेष श्लोकों का एक संग्रह है और दुर्गा सप्तशी का हिस्सा भी है । नवरात्र के दिनों में जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक अपनी और अपने परिवार की विभिन्न बाधाओं से रक्षा के लिए पाठ करता माँ दुर्गा उन भक्तों की परिवार सहित रक्षा करने के साथ उनका मंगल भी करती है। देवी कवच में शरीर के समस्त अंगों का उल्लेख है। देवी कवच पढते जाइये, और भगवती से कामना करते रहें कि हम निरोगी रहें: संस्कृत दुर्गा देवी कवचम हिंदी अर्थ सहित ॐ नमश्चण्डिकायै। ॥मार्कण्डेय उवाच॥ ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्। यन्न कस्य चिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥1॥ मार्कण्डेय जी ने कहा हे पितामह! जो इस संसार में परम गोपनीय तथा मनुष्यों की सब प्रकार से रक्षा करने वाला है और जो अब तक आपने दूसरे किसी के सामने प्रकट नहीं किया हो, ऐसा कोई साधन मुझे बताइये। ॥ब्रह्मोवाच॥ अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम्‌। देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने॥2॥ ब्रह्मन्! ऐसा साधन तो एक देवी का कवच ही है, जो गोपनीय से भी परम गोपनीय, पवित्र तथा सम्पूर्ण प्राणियों का उपकार करनेवाला है. हे महामुने! आप उसे श्रवण करें. प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्‌॥3॥ प्रथम नाम शैलपुत्री है, दूसरी मूर्तिका नाम ब्रह्मचारिणी है। तीसरा स्वरूप चन्द्रघण्टा के नामसे प्रसिद्ध है। चौथी मूर्ति को कूष्माण्डा कहते हैं। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्‌॥4॥ पाँचवीं दुर्...

Durga Kavach in Hindi : देवी दुर्गा कवच के पाठ से मिलता है आरोग्य का शुभ वरदान

ॐ नमश्चण्डिकायै। ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्। यन्न कस्य चिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥1॥ ॥मार्कण्डेय उवाच॥ मार्कण्डेय जी ने कहा हे पितामह! जो इस संसार में परम गोपनीय तथा मनुष्यों की सब प्रकार से रक्षा करने वाला है और जो अब तक आपने दूसरे किसी के सामने प्रकट नहीं किया हो, ऐसा कोई साधन मुझे बताइए। ॥ब्रह्मोवाच॥ अस्ति गुह्यतमं विप्रा सर्वभूतोपकारकम्। दिव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्वा महामुने॥2॥ ब्रह्मन्! ऐसा साधन तो एक देवी का कवच ही है, जो गोपनीय से भी परम गोपनीय, पवित्र तथा सम्पूर्ण प्राणियों का उपकार करनेवाला है। महामुने! उसे श्रवण करो। प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्॥3॥ प्रथम नाम शैलपुत्री है, दूसरी मूर्तिका नाम ब्रह्मचारिणी है। तीसरा स्वरूप चन्द्रघण्टा के नामसे प्रसिद्ध है। चौथी मूर्ति को कूष्माण्डा कहते हैं। पचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्॥4॥ पाँचवीं दुर्गा का नाम स्कन्दमाता है। देवी के छठे रूप को कात्यायनी कहते हैं। सातवाँ कालरात्रि और आठवाँ स्वरूप महागौरी के नाम से प्रसिद्ध है। नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गाः प्रकीर्तिताः। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना॥5॥ नवीं दुर्गा का नाम सिद्धिदात्री है। ये सब नाम सर्वज्ञ महात्मा वेदभगवान् के द्वारा ही प्रतिपादित हुए हैं। ये सब नाम सर्वज्ञ महात्मा वेदभगवान् के द्वारा ही प्रतिपादित हुए हैं अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे। विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः॥6॥ जो मनुष्य अग्नि में जल रहा हो, रणभूमि में शत्रुओं से घिर गया हो, विषम संकट में फँस गया हो तथा इस प्रकार भय से आतुर होकर जो भगवती दुर्गा की शरण में प...

दुर्गा कवच हिंदी में यहां मिलेगा, देवी को प्रिय है यह चमत्कारी पाठ, मिलते हैं कई लाभ

देवी दुर्गा कवच का पाठ नवरात्रि के शुभ अवसर पर हर उम्र और वर्ग के व्यक्ति को करना चाहिए....यह पाठ हिन्दी में प्रस्तुत है। इस पाठ को करने से यश, सुख, सफलता, समृद्धि, वैभव, कीर्ति, पराक्रम, सेहत सहित खुशियां और उन्नति मिलती है। यह कवच हर संकट से रक्षा करने में समर्थ है और हर तरह के रोगों से बचाता है... यह पाठ सम्पूर्ण आरोग्य का शुभ वरदान देता है...यह अत्यंत गोपनीय पाठ है इसे पूरी पवित्रता से किया जाना चाहिए... ये सम्पूर्ण देवियाँ क्रोध में भरी हुई हैं और भक्तों की रक्षा के लिए रथ पर बैठी दिखाई देती हैं। ये शंख, चक्र, गदा, शक्ति, हल और मूसल, खेटक और तोमर, परशु तथा पाश, कुन्त औ त्रिशूल एवं उत्तम शार्ङ्गधनुष आदि अस्त्र-शस्त्र अपने हाथ में धारण करती हैं। दैत्यों के शरीर का नाश करना,भक्तों को अभयदान देना और देवताओं का तुम्हारी और देखना भी कठिन है। शत्रुओं का भय बढ़ाने वाली जगदम्बिक मेरी रक्षा करो। पूर्व दिशा में ऐन्द्री इन्द्रशक्ति)मेरी रक्षा करे। अग्निकोण में अग्निशक्ति,दक्षिण दिशा में वाराही तथा नैर्ऋत्यकोण में खड्गधारिणी मेरी रक्षा करे। पश्चिम दिशा में वारुणी और वायव्यकोण में मृग पर सवारी करने वाली देवी मेरी रक्षा करे। पार्वती देवी रक्त, मज्जा, वसा, माँस, हड्डी और मेद की रक्षा करे। आँतों की कालरात्रि और पित्त की मुकुटेश्वरी रक्षा करे। मूलाधार आदि कमल-कोशों में पद्मावती देवी और कफ में चूड़ामणि देवी स्थित होकर रक्षा करे। नख के तेज की ज्वालामुखी रक्षा करे। जिसका किसी भी अस्त्र से भेदन नहीं हो सकता, वह अभेद्या देवी शरीर की समस्त संधियों में रहकर रक्षा करे। यदि अपने शरीर का भला चाहे तो मनुष्य बिना कवच के कहीं एक पग भी न जाए। कवच का पाठ करके ही यात्रा करे। कवच के द्वारा सब ओर से सुर...

दुर्गा कवच हिन्दी में ➜ Durga Kavach in Hindi Text

• दुर्गा कवच • ॐइस श्री चण्डी क्वच के ब्रह्मा ऋषि, अनुष्टुप् छन्द, चामुण्डा देवता, अङ्गन्यास में कही गयी माताएँ बीज, दिग्बन्ध देवता तत्त्व हैं, श्रीजगदम्बा की प्रीति के लिए सप्तशती पाठाङ्गभूत जप में इसका विनियोग किया जाता है। • ॐ चण्डिका देवी को नमस्कार है • मार्कण्डेय जी ने कहा – पितामह! जो इस संसार में परम गोपनीय तथा मनुष्यों की सब प्रकार से रक्षा करने वाला है और जो अब तक आपने दूसरे किसी के सामने प्रकट नहीं किया हो, ऐसा कोई साधन मुझे बताइये ।। 1 ।। • ब्रह्माजी बोले – ब्रह्मन्! ऐसा साधन तो एक देवी का कवच ही है, जो गोपनीय से भी परम गोपनीय, पवित्र तथा सम्पूर्ण प्राणियों का उपकार करनेवाला है। महामुने! उसे श्रवण करो ।। 2 ।। • देवी की नौ मूर्तियाँ हैं, जिन्हें ‘नवदुर्गा’ कहते हैं। उनके पृथक्-पृथक् नाम बतलाऐ जाते हैं। प्रथम नाम शैलपुत्री है, दूसरी मूर्तिका नाम ब्रह्मचारिणी है। तीसरा स्वरूप चन्द्रघण्टा के नामसे प्रसिद्ध है। चौथी मूर्ति को कूष्माण्डा कहते हैं। पाँचवीं दुर्गा का नाम स्कन्दमाता है। देवी के छठे रूप को कात्यायनी कहते हैं। सातवाँ कालरात्रि और आठवाँ स्वरूप महागौरी के नाम से प्रसिद्ध है। नवीं दुर्गा का नाम सिद्धिदात्री है। ये सब नाम सर्वज्ञ महात्मा वेदभगवान् के द्वारा ही प्रतिपादित हुए हैं ।। 3-5 ।। • जो मनुष्य अग्नि में जल रहा हो, रणभूमि में शत्रुओं से घिर गया हो, विषम संकट में फँस गया हो तथा इस प्रकार भय से आतुर होकर जो भगवती दुर्गा की शरण में प्राप्त हुए हों, उनका कभी कोई अमङ्गल नहीं होता। युद्ध समय संकट में पड़ने पर भी उनके ऊपर कोई विपत्ति नहीं दिखाई देती। उनके शोक, दु:ख और भय की प्राप्ति नहीं होती ।। 6-7 ।। • जिन्होंने भक्तिपूर्वक देवी का स्मरण किया है, उनका निश्चय...