द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन

  1. सविनय अवज्ञा आन्दोलन
  2. Gandhi Yug
  3. सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930
  4. द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन(Second civil disobedience movement)
  5. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएं, भारत आजाद कैसे हुआ?
  6. [Solved] द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन में जुलूस का नेत�
  7. सविनय अवज्ञा आंदोलन से क्या समझते हैं?
  8. गुप्तेश्वर पाण्डे
  9. सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930
  10. द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन(Second civil disobedience movement)


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सविनय अवज्ञा आन्दोलन

सविनय अवज्ञा आंदोलन • सविनय अवज्ञा का तात्पर्य अंग्रेजी शासन के कानूनों की शान्तिपूर्ण ढंग से अवहेलना करना। • महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम की घोषणा करने का अधिकार 1 फरवरी 1930 ई. की कांग्रेस कार्यकारिणी से मिल चुका था। • 14-16 फरवरी 1930 ई. तक कांग्रेस कार्यकारिणी की एक बैठक में एक प्रस्ताव पारित करके गांधीजी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने के सम्पूर्ण अधिकार दे दिए गए। • गांधीजी ने अपने पत्र यंग इण्डिया के माध्यम से वायसरा लार्ड इरविन एवं ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड के सम्मुख 31 जनवरी 1930 ई. को 11 सूत्री मांगे रखी जो निम्नलिखित प्रकार की है- 1. पूर्ण नशाबन्दी (मद्यनिषेध) लागू किया जाय। 2. मुद्रा विनियम में एक रुपया एक शिलिंग चार पेंस के बराबर माना जाए। 3. मालगुजारी (भू-राजस्व) 1/2 किया जाए, उसे विधानमण्डल के अधीन रखा जाए। 4. नमक कर समाप्त किया जाए। 5. सैनिक व्यय में 50 प्रतिशत की कमी की जाए। 6. बड़े-बड़े अधिकारियों के वेतन कम से कम आधे हो। 7. विदेशी कपड़ों पर विशेष आयात कर लगाया जाए। 8. तटकर विधेयक लाया जाए। 9. हत्या या हत्या की चेष्टा में दण्डित व्यक्तियों को छोड़कर सभी राजनीतिक बन्दियों को रिहा कर दिया जाए एवं सभी मुकदमें वापस ले लिए जाये। 10. गुप्तचर विभाग को समाप्त किया जाए और 11. भारतीयों को आत्मरक्षा के लिए हथियान रखने का अधिकार प्रदान किया जाए। • वायसराय इरविन ‘मुझे दुःख है कि गांधीजी वह रास्ता अपना रहे हैं जिसमें कानून और सार्वजनिक शान्ति भंग होना आवश्यक है।’ • गांधीजी ने प्रत्युत्तर में कहा ‘मैंने घुटने टेककर रोटी मांगी थी परन्तु मुझे उसके स्थान पर पत्थर मिला। ब्रिटिश राष्ट्र केवल शक्ति के सामने झुकता है। इसलिए वायसराय के पत्र ...

Gandhi Yug

Gandhi Yug – दोस्तों, आज हम गांधी युग के संबंध में जानेंगे, इससे पिछले आर्टिकल में हमने कांग्रेस के संबंध में जाना की कैसे कांग्रेस द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। गांधी युग से हमारे यह कहने का मतलब है की वह समय काल जिसमें महात्मा गांधीजी द्वारा भारतीय स्वंतंत्रता संग्राम में ऐसी भूमिका निभाई गई जिससे भारत को आज़ादी प्राप्त होने में काफी महत्वपूर्ण योगदान मिला था। इस गांधी युग को 1917 से लेकर 1947 तक का माना जाता है। जैसे की 1857 की क्रांति के बाद भारत की सत्ता पूर्णतः ब्रिटिश क्राउन के हाथों में चली गई थी उसके बाद भारत में कई छोटे-छोटे दल बनने लगे, परंतु फिर 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद अंग्रेजी सत्ता को चुनौती देने के लिए एक बड़ा दल भी आ गया था और बाद में गांधी जी भी इस स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ गए थे, आइये जानें इस गांधी युग के संबंध में। 6.6 गांधी जी को महात्मा गांधी की पदवी देने वाले कौन थे? महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय– Gandhi Yug दोस्तों, गांधी युग को समझने से पहले हमें गांधी जी के जीवन परिचय की कुछ बुनियादें बातें तो पता ही होनी चाहिए और ये बातें तो आप सबने अपने स्कूलों में भी पढ़ी होंगी चलिए एक बार फिर से इन बिंदुओं पर दृष्टि डालें: महात्मा गांधी जी की जन्म तिथि 2 अक्टूबर, 1869 थी और जन्म स्थान पोरबंदर, गुजरात था, इसके साथ उनके पिता का नाम मोहनदास करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई गांधी था। उनका विवाह भी बहुत ही पूर्व हो गया था और मात्र 13 वर्ष के छात्र जीवन में उनका विवाह कस्तूरबा बाई गांधी के साथ हो गया था। महात्मा गांधी जी ने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन में रह कर की और वहां वे 1889 से लेकर 1891...

सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • • • सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930- 1931, 1932-1934) सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930- 1931, 1932-1934) –Hello दोस्तों आज आप सभी को हम प्रतियोगी परीक्षाओं में हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं| दोस्तों महात्मा गाँधी से सम्बंधित परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं| आज हम इन्हीं से सम्बंधित कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं इस Post में जितने भी प्रश्न है ये सभी पिछले विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जा चुका है| दोस्तों आज जिस topic पर हमने आप सभी के लिए यह पोस्ट तैयार किया है वह “ सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)” से सम्बंधित है| जो छात्र Competitive exams की तैयारी कर रहे हैं उन सभी के लिए हमारा यह पोस्ट बहुत ही Helpful होगा सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह) साइमन कमीशन की असफलता, ब्रिटिश सरकार द्वारा नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करना, कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन और पूर्ण स्वाधीनता के प्रस्ताव से घटनाक्रम और भी तेज होता गया |महात्मा गांधी ने वायसराय को पत्र लिखकर 11 मांगे प्रस्तुत की|जिन्हें अस्वीकार करने पर गांधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने का निश्चय किया गया |गांधी जी ने अहिंसात्मक आंदोलन करते हुए सरकार के प्रति असहयोग का रवैया अपनाया था इसे ही ‘ सविनय अवज्ञा आंदोलन‘ के नाम से पुकारते हैं | आन्दोलन की प्रगति गांधी जी ने नमक कानून तोड़कर इस आंदोलन का सूत्रपात किया |यहां से सारे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ हो गया |जिसका प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता गया |गांधी जी का अनुसरण करते हुए हजारों लोगों ने नमक कानून का उल्लंघन करते हुए स्थान स्थान पर...

द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन(Second civil disobedience movement)

द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन (Second civil disobedience movement) द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा-1 जनवरी 1932 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत-4 जनवरी 1932 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का कारण-गांधी इरविन पैक्ट समझौता की शर्तों को ना मानना ब्रिटिश सरकार द्वारा औपनिवेशिक स्वराज्य देने की बात स्वीकार नहीं करना द्वितीय अवज्ञा आंदोलन का प्रथम स्थगन-8 मई 1933 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन का अंतिम-स्थगन 7 अप्रैल 1934 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन को बंद करने की घोषणा-18 19 मई 1934 द्वित्तीय सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का कारण द्वितीय गोलमेज सम्मेलन से लौटकर वापस आने पर गांधी जी द्वारा पुन: सविनय अवज्ञा आंदोलन कब प्रारंभ किया गया जो की द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन कहलाया है द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने के दो प्रमुख कारण है 1. प्रथम-इरविन की जगह नियुक्त हुए गवर्नर जनरल वेलिगंटन द्वारा इरविन समझौते को लागू नहीं किया जाना और आंदोलन को कुचलने के लिए दमनात्मक कार्यवाही करना 2. दुसरा-महात्मा गांधी का द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में ब्रिटिश सरकार के व्यवहार से निराश होना और ब्रिटिश सरकार द्वारा औपनिवेशिक स्वराज्य की मांग को स्वीकार करना • महात्मा गांधी जी की इंग्लैंड प्रवास के समय इस आंदोलन को सरकार ने बर्बरता से दबाना चाहा • इस बीच देश के अनेक भागों में किसानों में असंतोष की लहर फेल चुकी थी • विश्वव्यापी मंदी के कारण खेतिहर पैदावार के दाम गिर गए थे और लगान व मालगुजारी का बोझ उनके लिए असहनीय हो गया था • दिसंबर 1930 में कांग्रेस ने “न लगाना न टैक्स देने” का अभियान चलाया था • फलस्वरूप 26 दिसंबर 1930 को जवाहर लाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया • पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत...

भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएं, भारत आजाद कैसे हुआ?

इस आर्टिकल की प्रमुख बातें • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • राष्ट्रीय आंदोलन, भारत की आज़ादी के लिए सबसे लम्बे समय तक चलने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था। भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की औपचारिक शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही हुई। जो 15 अगस्त, 1947 ई. तक लगातार जारी रहा। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन ब्रिटिश राज के विरुद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में स्वतन्त्रता हेतु ऐतिहासिक विद्रोह ( 1857-1947 ) भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका उद्देश्य, अंग्रेजी शासन से भारतीय उपमहाद्वीप को मुक्त करना था। इस आन्दोलन का आरम्भ 1857 में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है । जिसमें स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों की जान गई। • • भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाओं की पूरी लिस्ट.. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएं क्र. वर्ष महत्वपूर्ण घटनाएं 1 1904 भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित 2 1905 बंगाल का विभाजन 3 1906 मुस्लिम लीग की स्थापना 4 1907 सूरत अधिवेशन, कांग्रेस में फूट 5 1909 मार्ले-मिंटो सुधार 6 1911 ब्रिटिश सम्राट का दिल्ली दरबार 7 1916 होमरूल लीग का निर्माण 8 1916 मुस्लिम लीग-कांग्रेस समझौता (लखनऊ पैक्ट) 9 1917 महात्मा गाँधी द्वारा चंपारण में आंदोलन 10 1919 रौलेट अधिनियम 11 1919 जलियाँवाला बाग हत्याकांड 12 1919 मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार 13 1920 खिलाफत आंदोलन 14 1920 असहयोग आंदोलन 15 1922 चौरी-चौरा कांड 16 1927 साइमन कमीशन की नियुक्ति 17 1928 साइमन कमीशन का भारत आगमन 18 1929 भगतसिंह द्वारा केन्द्रीय असेंबली में बम विस्फोट 19 1929 कांग्रेस द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता की ...

[Solved] द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन में जुलूस का नेत�

सही उत्‍तर 13 जून 1932 है। Key Points • डॉ राधाबाई को दूसरे सविनय अवज्ञा आंदोलन में एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए 13 जून 1932 को गिरफ्तार किया गया था। • गांधीजी के सभी आंदोलनों में डॉ राधाबाई आगे रहीं। • राष्ट्रीय एकता, स्वदेशी, नारी जागरण, अस्पृश्यता विरोधी, शराबबंदी के इन सभी आंदोलनों में डॉ राधा बाई की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। • शराबबंदी का मोर्चा सबसे कठिन था। • शराबियों को शराब नीचे लाने के लिए, शराब बेचने वालों को शराब की भट्टी बंद कराने के लिए - इसमें धरना देने वाली महिलाओं को लाठियों से पीटा गया। • उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। डॉ राधाबाई के साथ केकती बाई, फूलकुंवर बाई, पोची बाई, रुखमिन बाई, पार्वती बाई थीं। • राधा बाई ने छुआछूत के खिलाफ बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया। • वह सफाई कर्मचारियों की बस्ती में जाती थी और बस्ती की सफाई करती थी। • वह अपने बच्चों को बड़े प्यार से नहलाती थी, उन बच्चों को पढ़ाती थी। • डॉ राधा बाई भेदभाव में विश्वास नहीं करती थीं, उनके घर सभी धर्मों के लोग आते थे। • वह भाई दूज के दिन मुस्लिम भाइयों की पूजा करती थीं और उन्हें खुद पकाकर खिलाती थीं। • राधा बाई का 85 वर्ष की आयु में 2 जनवरी 1950 को निधन हो गया। CGPSC State Service Admit Card has been released for the Mains exam scheduled from 15th to 18th June 2023. Earlier,the CGPSC State ServiceMains Notification (2022) was released. Candidates who qualifiedthe CGPSC State ServicePreliminary Exam could apply for the Mains. The prelims took place on 12th February 2023. The candidates who will be selected finally under CGPSCrecruitment will get a salary range between Rs. 25,300 to Rs. 56,100. Prepar...

सविनय अवज्ञा आंदोलन से क्या समझते हैं?

Table of Contents Show • • • • • • • सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil disobedience movement in Hindi)का प्रारंभ महात्मा गांधी जीके नेतृत्व में किया गया था। इस आंदोलन की शुरुआत गांधी जी के दांडी मार्च यात्रा से हुई थी। गांधीजी तथा साबरमती आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने 12 मार्च, 1930से अहमदाबाद से 241 मील की दूरी पर स्थित एक गांव के लिए यात्रा प्रारंभ कर दी। यात्रा प्रारंभ होने के बाद यह 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंच गए थे वहां पहुंचने के बाद उन्होंने नमक कानून को तोड़ा। इस समय नमक पर सरकार का एकाधिकार था तथा इसी वजह से किसी के द्वारा नमक बनाना गैर कानूनी माना जाता था। गांधी जी ने इस कानून की अवज्ञा करते हुए समुद्र के जल का वाष्पीकरण करके बने हुए इस नमक को अपनी मुट्ठी में उठा लिया तथा सरकार के बने हुए इस नमक कानून को तोड़ा। भारत में जमींदारी व्यवस्था के बारे में जानें। यहाँ पढ़ें : भारत में ब्रिटिश शासन में षड्यंत्र • सविनय अवज्ञा आंदोलन | Civil Disobedience Movement in Hindi • सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत | How Civil Disobedience Movement Started in Hindi • सविनय अवज्ञा आन्दोलन का महत्व | Importance of Civil Disobedience Movement in Hindi सविनय अवज्ञा आंदोलन | Civil Disobedience Movement in Hindi सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement in Hindi) प्रारंभ करने का उद्देश्य यह था कि गांधीजी चाहते थे कि, सरकार विनिमय की दर को घटाए, पूर्ण नशा बंदी लागू हो, नमक कर समाप्त हो, भू राजस्व कम हो, गुप्तचर विभाग पर नियंत्रण स्थापित हो, कपड़ों का आयात कम हो आदि। लेकिन वायसराय ने गांधीजी की इन मांगों को अस्वीकार कर दिया, इसी कारण गांधी जी ने योजनानुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारंभ कर दिया...

गुप्तेश्वर पाण्डे

पण्डित गुप्तेश्वर पाण्डे बिहार के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, सच्चे गाँधीवादी और भभुआ के प्रथम विधायक थे। उनका जन्म दिसम्बर 1898 में भभुआ से 10 किमी पर स्थित रतबार गांव में हुआ था। गुप्तेश्वर पाण्डेय को शाहाबाद की विभूतियो, खासकर सच्चिदानन्द सिन्हा एवं ज्वाला प्रसाद के जीवन से काफी प्रेरणा मिली थी। गुप्तेश्वर पाण्डेय को महात्मा गााँधी का प्रथम दर्शन 3 दिसम्बर, 1920 को हुआ तथा उनके आहवान पर गुप्तेश्वर पाण्डेय ने पढ़ाई छोड़ दी। वे अपने जिला शाहाबाद आ गए एवं असहयोग आंदोलन के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने लगे। उन्होनें आरा के हरनन्दन सिंह एवं चौगाई के हरिहर सिंह के साथ मिलकर 11 एवं 12 अप्रैल को भभुआ में दो आमसभा का आयोजन किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में गुप्तेश्वर पाण्डे ने वर्तमान कैमूर जिला में अग्रणी नेता की भूमिका अदा की। 26 जनवरी, 1930 को प्रथम स्वतंत्रता दिवस का सफल आयोजन करवाया। नमक सत्याग्रह का उन्होनें नेतृत्व किया और पिकेटिग एवं बायकाट अभियान में वे गिरफ्तार कर लिये गए। उन्हें 6 माह की सजा हुई। 1931 में वे शाहाबाद जिला कांग्रेस कमिटी के सेक्रेटरी बने। गुप्तेश्वर पाण्डे ने किसान आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका अदा की। द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन के विस्फोट के साथ ही 4 जनवरी, 1932 को शाहाबाद के जिलाधिकारी ने प्रमुख कांग्रेसी नेताओं के साथ गुप्तेश्वर पाण्डेय का नाम भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया। उन्हें चार माह की सजा भी हुई। दलितोद्धार की दिशा में भी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने सराहनीय कार्य किया। महात्मा गाँधी के आहवान पर व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में गुप्तेश्वर पाण्डे ने भभुआ अनुमंडल के प्रथम सत्याग्रही के रूप में भाग लिया। इन्हें एक वर्ष सश्रम कारावास की सजा हुई। 1942 की अगस्त क्रा...

सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • • • सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930- 1931, 1932-1934) सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)(1930- 1931, 1932-1934) –Hello दोस्तों आज आप सभी को हम प्रतियोगी परीक्षाओं में हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं| दोस्तों महात्मा गाँधी से सम्बंधित परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं| आज हम इन्हीं से सम्बंधित कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं इस Post में जितने भी प्रश्न है ये सभी पिछले विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जा चुका है| दोस्तों आज जिस topic पर हमने आप सभी के लिए यह पोस्ट तैयार किया है वह “ सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह)” से सम्बंधित है| जो छात्र Competitive exams की तैयारी कर रहे हैं उन सभी के लिए हमारा यह पोस्ट बहुत ही Helpful होगा सविनय अवज्ञा आंदोलन (नमक सत्याग्रह) साइमन कमीशन की असफलता, ब्रिटिश सरकार द्वारा नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करना, कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन और पूर्ण स्वाधीनता के प्रस्ताव से घटनाक्रम और भी तेज होता गया |महात्मा गांधी ने वायसराय को पत्र लिखकर 11 मांगे प्रस्तुत की|जिन्हें अस्वीकार करने पर गांधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने का निश्चय किया गया |गांधी जी ने अहिंसात्मक आंदोलन करते हुए सरकार के प्रति असहयोग का रवैया अपनाया था इसे ही ‘ सविनय अवज्ञा आंदोलन‘ के नाम से पुकारते हैं | आन्दोलन की प्रगति गांधी जी ने नमक कानून तोड़कर इस आंदोलन का सूत्रपात किया |यहां से सारे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ हो गया |जिसका प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता गया |गांधी जी का अनुसरण करते हुए हजारों लोगों ने नमक कानून का उल्लंघन करते हुए स्थान स्थान पर...

द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन(Second civil disobedience movement)

द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन (Second civil disobedience movement) द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा-1 जनवरी 1932 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत-4 जनवरी 1932 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का कारण-गांधी इरविन पैक्ट समझौता की शर्तों को ना मानना ब्रिटिश सरकार द्वारा औपनिवेशिक स्वराज्य देने की बात स्वीकार नहीं करना द्वितीय अवज्ञा आंदोलन का प्रथम स्थगन-8 मई 1933 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन का अंतिम-स्थगन 7 अप्रैल 1934 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन को बंद करने की घोषणा-18 19 मई 1934 द्वित्तीय सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का कारण द्वितीय गोलमेज सम्मेलन से लौटकर वापस आने पर गांधी जी द्वारा पुन: सविनय अवज्ञा आंदोलन कब प्रारंभ किया गया जो की द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन कहलाया है द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने के दो प्रमुख कारण है 1. प्रथम-इरविन की जगह नियुक्त हुए गवर्नर जनरल वेलिगंटन द्वारा इरविन समझौते को लागू नहीं किया जाना और आंदोलन को कुचलने के लिए दमनात्मक कार्यवाही करना 2. दुसरा-महात्मा गांधी का द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में ब्रिटिश सरकार के व्यवहार से निराश होना और ब्रिटिश सरकार द्वारा औपनिवेशिक स्वराज्य की मांग को स्वीकार करना • महात्मा गांधी जी की इंग्लैंड प्रवास के समय इस आंदोलन को सरकार ने बर्बरता से दबाना चाहा • इस बीच देश के अनेक भागों में किसानों में असंतोष की लहर फेल चुकी थी • विश्वव्यापी मंदी के कारण खेतिहर पैदावार के दाम गिर गए थे और लगान व मालगुजारी का बोझ उनके लिए असहनीय हो गया था • दिसंबर 1930 में कांग्रेस ने “न लगाना न टैक्स देने” का अभियान चलाया था • फलस्वरूप 26 दिसंबर 1930 को जवाहर लाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया • पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत...