एंग्जायटी कब तक ठीक होता है?

  1. एंग्जायटी डिसऑर्डर की दवा
  2. Pregabalin in Hindi
  3. जानिए क्या होता है एंग्जायटी अटैक? कैसे इससे बचा जा सकता हैं?
  4. मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) के कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार
  5. Harpies Disease in Hindi
  6. छोटी आंत का कैंसर कब और कैसे होता है? जानिए
  7. कोलोनोस्कोपी क्या है, खर्च, कब, क्यों, कैसे होता है
  8. Learn from a psychiatrist what actually causes anxiety disorder.


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एंग्जायटी डिसऑर्डर की दवा

एंग्जायटी डिसऑर्डर का इलाज करने के लिए आप बेंजोडायजेपाइन दवा का सेवन कर सकते हैं. यह दवा मांसपेशियों को आराम देने का काम करती है. साथ ही दिमाग को भी शांत करने में मदद कर सकती है. दरअसल, बेंजोडायजेपाइन न्यूरोट्रांसमीटर के प्रभाव को बढ़ाने का काम करती है. यह केमिकल होता है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संदेशों को रिले करने का काम करती है. यह दवा पैनिक डिसऑर्डर का इलाज करने में मदद कर सकती है. (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Manamrit Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। बस्पिरॉन दवा एंग्जायटी डिसऑर्डर का इलाज कर सकती है. यह दवा सामान्य और गंभीर एंग्जाइटी को ठीक करने में मदद कर सकती है. यह दवा मस्तिष्क में रसायनों को प्रभावित करती है, जिससे मूड बेहतर होता है और तनाव कम होता है. एंग्जायटी डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए बस्पिरॉन को काफी प्रभावी माना जाता है. वहीं, इसे अधिक मात्रा में लेने पर सिरदर्द, (और पढ़ें - अगर किसी में एंग्जायटी डिसऑर्डर के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो बीटा ब्लॉकर्स दवा ले सकते हैं. इस दवा का उपयोग हृदय की समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है. एंग्जायटी डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर प्रोप्रेनोलॉल जैसे बीटा ब्लॉकर्स लिख सकते हैं. यह दवा सामान्य चिंता का इलाज करने में असरदार हो सकती है. वहीं, इसे अधिक मात्रा में लेने पर (और पढ़ें - अगर आपको एंग्जायटी डिसऑर्डर के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो इस स्थिति को बिल्कुल...

Pregabalin in Hindi

प्रेगबालिन (Pregabalin) एक एंटीकॉन्वेलसेंट दवा है। इसे न्यूरोटिक पेन, दाद, दौरे और फाइब्रोमायल्जिया (मांसपेशियों में दर्द) के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह दवा डायबिटिक नर्व पेन, मिर्गी, रीढ़ की हड्डी की चोट, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम और एंग्जायटी के उपचार में भी इस्तेमाल की जाती है। प्रेगबालिन (Pregabalin) , ब्रेन के एक निश्चित एरिया से जुड़कर डैमेज नर्व द्वारा बॉडी को भेजे जा रहे पेन सिग्नल्स को रोकने का काम करती है। किसी भी प्रकार की एलर्जी होने पर और गर्भावती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इस दवा का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है। इसके अलावा यदि आप पहले से एंजियोटेंसिन, बेंजोडायजेपाइन या नार्कोटिक, पेनकिलर और थियाजोलिडाइंडियन एंटीडायबिटिक एजेंट दवाएं ले रहे हैं तो प्रेगबालिन (Pregabalin) लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेना चाहिए। कुछ रोगों की स्थिति में भी इस दवा को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इनमें दिल से संबंधित बीमारियां, अनियमित दिल की धड़कन, डायबिटीज, ब्लीडिंग की समस्याएं, मांसपेशियों का दर्द, हाईब्लड प्रेशर, लो प्लेटलेट काउंट और किडनी की समस्या व डायलिसिस शामिल है। इसके अलावा यदि आप पूर्व में एंगियोडेमा से पीड़ित रहे हैं तो इस दवा का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। वहीं मनोरोग और आत्महत्या जैसे विचार आने पर भी इस दवा को इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है। यहां दी गई जानकारी दवा की सॉल्ट सामग्री पर आधारित है। दवा के उपयोग और प्रभाव एक से दूसरे व्यक्ति में अगल-अलग हो सकते हैं। इस स्थिति में दवा का उपयोग करने से पहले Neurologist से परामर्श करना उचित है। Also Read About: • इस दवा का प्रभाव कितनी देर तक रहता है? एक बार लेने के बाद इस दवा का प्रभाव 10 से...

जानिए क्या होता है एंग्जायटी अटैक? कैसे इससे बचा जा सकता हैं?

Share प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी घटना, स्थिति को लेकर भय या चिंता रहती है। लेकिन घबराहट या एंग्जायटी का स्तर लंबे समय तक बनी रहे और व्यक्ति इसे नजरअंदाज करता रहे, तो यह एंग्जायटी अटैक का रूप ले लेता है। एंग्जाइटी अटैक में व्यक्ति को हर समय चिंता, भय और बेचैनी का अनुभव होता है। उसका दिल तेजी से धड़कता है और दम घुटने, सांस फूलने जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं। एंग्जायटी के समय मन और शरीर थोड़ा अलग तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं। हालांकि चिंता के लक्षण देखने में बहुत आसान नहीं होते, लेकिन इन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए हम आपको कुछ ऐसे संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन पर अगर आप थोड़ा ध्यान दें तो एंग्जायटी अटैक से बच सकते हैं। एंग्जायटी के सामान्य लक्षण क्या है ? शोध बताते हैं कि एंग्जायटी को तनाव से जोड़ा गया है। हालांकि यह एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, पर इसके शारीरिक लक्षण भी हो सकते हैं। एंग्जायटी में दिखने वाले लक्षण कुछ इस प्रकार है – 1. अत्यधिक पसीना आना इंसान कभी न कभी किसी बात को लेकर नर्वस हो सकता है। लेकिन जब घबराहट बहुत अधिक हो और लंबे समय तक बनी रहे, तो आप एंग्जायटी अटैक में आ सकते हैं। याद रखें, चिंता का दौरा पड़ने से अत्यधिक पसीना आने या ठंड से कांपने की संभावना होती है। 2. ध्यान केंद्रित ना कर पाना जब मन शांत नहीं होता है तो बेचैनी का अहसास होता है, कुछ भी नियंत्रण में नहीं होता है। यदि आप चिंता के इन लक्षणों के साथ-साथ मन की भ्रमित स्थिति का अनुभव करते हैं, तो एंग्जायटी अटैक की संभावना बढ़ जाती है। 3. सांस लेने में परेशानी होना सांस की तकलीफ एक चिंता हमले का एक सामान्य संकेत हो सकता है। एंग्जायटी अटैक के दौरान शरीर कई तरह से प्रतिक्रिय...

मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) के कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार

भागदौड़ भरी जिंदगी और खराब जीवनशैली ने कई गंभीर बीमारियों को आम बनाकर रख दिया है, जिसमें एक नाम डायबिटीज का भी है। माना जाता है कि मधुमेह या शुगर की बीमारी अगर किसी को हो जाए, तो जिंदगी भर उसके साथ रह सकती है। इसके अलावा, अगर वक्त रहते शुगर के लक्षण पर ध्यान न दिया जाए, तो डायबिटीज की समस्या घातक परिणाम भी प्रदर्शित कर सकती है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम डायबिटीज क्या है? इस सवाल के जवाब के साथ ही डायबिटीज के कारण और इसके लक्षण बताने जा रहे हैं। साथ ही लेख में डायबिटीज का घरेलू उपचार भी बताया गया है, ताकि समय रहते इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके। वहीं, हमारी सलाह यह भी है कि अगर किसी को यह बीमारी हो गई है, तो इससे जुड़ा डॉक्टरी इलाज भी जरूर करवाएं। विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • डायबिटीज क्या है? रक्त में शुगर की अधिक मात्रा को ही डायबिटीज कहा जाता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब इंसुलिन का काम बाधित हो जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो पैंक्रियाज द्वारा बनाया जाता है। इंसुलिन, ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने में मदद करता है। वहीं, जब इसकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है, तब ग्लूकोज, उर्जा में परिवर्तित होने के बजाय रक्त में ठहर जाता है और जब ग्लूकोज का स्तर रक्त में बढ़ने लगता है, तब मधुमेह की समस्या उत्पन्न होती है ( अंत तक पढ़ें लेख के इस भाग में जानिए डायबिटीज के प्रकार से जुड़ी जानकारी। मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) के प्रकार – Types of Diabetes in Hindi मुख्य तौर पर मधुमेह तीन प्रकार के होते हैं। जिनके बारे में नीचे जानकारी दी गई है ( टाइप 1 : टाइप 1 डायबिटीज में इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इस वजह से इंसुलिन का ...

Harpies Disease in Hindi

हर्पीस लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है। यह हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह वायरस बाहरी जननांग, गुदा के क्षेत्र और शरीर के अन्य भागों की त्वचा को प्रभावित करता है। हर्पीस में जननांगो और शरीर के अन्य भागों में खुजली वाले दर्दनाक फफोले, दाद या घाव हो जाते हैं, जो कभी आते हैं तो कभी चले जाते हैं। अच्छी बात यह है कि आयुर्वेदिक तरीके से आप हर्पीस का घरेलू इलाज कर सकते हैं। जी हां, आयुर्वेदिक में कई तरह के उपाय बताए गए हैं जिनके द्वारा आप हर्पीस का इलाज कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए यहां अनेक उपाय बताए जा रहे हैं। Contents • 1 हर्पीस क्या है? (What is Herpes in Hindi?) • 2 हर्पीस के लक्षण (Herpes Symptoms) • 3 हर्पीस के कारण (Herpes Causes) • 4 हर्पीस का घरेलू इलाज करने के लिए उपाय (Home Remedies for Herpes Disease in Hindi) • 4.1 शहद से हर्पीस का घरेलू उपचार (Honey: Home Remedy for Herpes Disease in Hindi) • 4.2 बेकिंग सोडा से हर्पीस का इलाज (Baking Soda: Home Remedies to Treat Herpes in Hindi) • 4.3 चंदन से हर्पीस का उपचार (Chandan: Home Remedies to Treat Herpes Disease in Hindi) • 4.4 एलोवेरा जेल से हर्पीस का घरेलू इलाज (Aloe Vera: Home Remedy to Treat Herpes in Hindi) • 4.5 हर्पीस के घरेलू उपचार के लिए मुलेठी का प्रयोग (Mulethi: Home Remedy for Herpes in Hindi) • 4.6 पेट्रोलियम जेली से हर्पीस का इलाज (Petroleum jelly: Home Remedy for Herpes in Hindi) • 4.7 हर्पीस का घरेलू उपचार जैतून के तेल से (Olive Oil: Home Remedy for Herpes Disease in Hindi) • 4.8 हर्पीस का आयुर्वेदिक इलाज टी ट्री आयल (Tea Tree Oil: Home Remedy for Herpes in Hindi) • 4...

छोटी आंत का कैंसर कब और कैसे होता है? जानिए

छोटी आंत का कैंसर (Small intestine cancer) एक असामान्य प्रकार का कैंसर होता है, जो छोटी आंत में होता है। हमारी छोटी आंत को ‘‘small bowel’’ भी कहा जाता है, यह एक लंबी ट्यूब की तरह होती है जो पेट और हमारी बड़ी आंत (colon) को जोडती है और भोजन को पचाने का कार्य भी करती है। छोटी आंत हमारे द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से पोषक तत्वों को पचाने और अवशोषित करने के लिए होती है। इसकी सहायता से ही हार्मोन का उत्पादन होता है जो भोजन के पाचन में मदद करता है। छोटी आंत भी हमारे शरीर की रोगाणु-प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है, क्योंकि इसमें ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो बैक्टीरिया और वायरस से लड़ती हैं जो हमारे शरीर में मुँह के रास्ते प्रवेश करते हैं। छोटी आंत के कैंसर का प्रकार छोटी आंत का कैंसर (Small intestine cancer) कितने प्रकार का होता है ? छोटी आंत के कैंसर (Small intestine cancer) मुख्यतः 5 प्रकार के होते है, जो निम्न हैं- एडेनोकार्सिनोमस (Adenocarcinomas)- एडेनोकार्सिनोमा एक ऐसे प्रकार का कैंसर है, जो शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। आमतौर पर ये कैंसर पेट(छोटी आंत), ब्रेस्ट, एसोफैगस, पैंक्रियाज और फेफड़ों में पाया जाता है। भारत में ये कैंसर सबसे ज्यादा और पढ़ेंः कार्सिनॉइड ट्यूमर (Carcinoid tumors)- ये धीमी गति से बढ़ने वाले कैंसर होते हैं जो अक्सर छोटी आंत के निचले हिस्से में शुरू होते हैं। ये आपके परिशिष्ट या मलाशय को भी प्रभावित कर सकते हैं। ये ट्यूमर कुछ शरीर के रसायनों की बड़ी मात्रा को बंद कर देते हैं, जैसे सेरोटोनिन (serotonin) । कारण छोटी आंत के कैंसर (Small intestine cancer) का कारण और जोखिम क्या है? चिकित्सकों को अभी तक छोटी आंत के कैंसर...

कोलोनोस्कोपी क्या है, खर्च, कब, क्यों, कैसे होता है

कोलोनोस्कोपी एक ऐसा टेस्ट है जिसका इस्तेमाल बड़ी आंत या गुदा में किसी प्रकार की खराबी या अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। कोलोनोस्कोपी के दौरान मरीज की बड़ी आंत में गुदा के माध्यम से एक लंबी और लचीली ट्यूब डाली जाती है इस ट्यूब को कोलोनोस्कोप (Colonoscope) कहा जाता है। इस ट्यूब के अगले सिरे पर एक छोटा सा कैमरा लगा होता है जिसकी मदद से डॉक्टर गुदा के अंदर देख पाते हैं। यदि कोलन (बड़ी आंत) या गुदा में कोई असाधारण ऊतक या मांस बढ़ा हुआ है तो कोलोनोस्कोप की मदद से उसको हटाया जा सकता है। इसके अलावा कोलोनोस्कोपी के दौरान ऊतकों के सेंपल भी लिये जा सकते हैं। इन सेंपल को लेबोरेटरी में टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है। (और पढ़ें - • • • • • • कोलोनोस्कोपी किस लिए की जाता है? निम्न जांच करने के लिए डॉक्टर कोलोनोस्कोपी टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं: • आंत संबंधी लक्षण व संकेतों का पता लगाने के लिए- यदि आपको • • पोलीप्स (बढ़ा हुआ मांस) की जांच करने के लिए- यदि आपके कोलन में पहले भी मांस बढ़ चुका है, तो डॉक्टर कोलोनोस्कोपी टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं ताकि किसी नए पोलीप्स का पता लगाया जा सके और उसे निकाला जा सके। इससे कोलन (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। कोलोनोस्कोपी करने से पहले क्या किया जाता है? कोलोनोस्कोपी टेस्ट करवाने से पहले आपको अपनी बड़ी आंत को अच्छे से साफ करने के लिए कहा जाता है। यदि बड़ी आंत ठ...

Learn from a psychiatrist what actually causes anxiety disorder.

पर हम अपनी हर रोज की इन छोटी-बड़ी चिंताओं को एंग्जायटी डिसऑर्डर से कैसे अलग करते है। और हमें कब यह मान लेना चाहिए कि हम वाकई एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार हैं ? आइए जानते हैं यह सब विस्‍तार से। पहली बात जो हमें जान लेनी चाहिए वह यह कि एंग्जायटी डिसऑर्डर एक बहुत आम समस्या है। वास्तव में दुनिया भर में 200 मिलियन से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह की एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार हैं। इनमें जैव रासायनिक परिवर्तन शामिल हैं, जिन्हें हम कुछ न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में आए परिवर्तन के रूप में अनुभव करते हैं। एंग्जायटी : फलों और सब्जियों के कम सेवन का अर्थ है कि आपके एंग्जायटी से ग्रस्त होने के जोखिम ज्यादा हैं। चित्र: शटरस्टॉंक एंग्जायटी के लक्षणों और खास संकेतों पर बात करने से पहले, हमें इस बारे में अच्छी तरह जान लेना चाहिए कि किस एंग्जायटी को डिसऑर्डर का नाम दिया जाता है। जिसकी वजह से किसी के कार्यव्यवहार में परेशानी उत्पन्न होने लगती है। अर्थात जब एंग्जायटी किसी के सामाजिक, पर्सनल, प्रोफेशनल, शैक्षणिक/व्यवसायिक लाइफ को प्रभावित करने लगती है। क्या होता है एंग्जायटी डिसऑर्डर अगर आप एंग्जायटी डिसऑर्डर की शिकार हैं, तो आप खुद को परेशान और रिलैक्स होने में दिक्कत महसूस कर सकती हैं। आप आराम भी करना चाहें, तो भी आप मानसिक रूप से परेशान ही महसूस करेंगी। कुछ न कुछ हमेशा आपके दिमाग में चलता रहेगा। आप हमेशा खुद को बिजी, परेशान और चिंता में डूबा हुआ महसूस करेंगी। इसी के साथ एंग्जायटी के कारण कुछ व्यवहारगत दिक्कतें भी हो सकती हैं। कई बार आप खुद को संकोची महसूस करेंगी या कुछ परिस्थितियों से बचना चाहेंगी क्योंकि आपको ऐसा महसूस होगा कि आप में आत्मविश्वास नहीं है, इस सिचुएशन को फेस करने का, कि कहीं कुछ...