Parivartan kis kavi ki rachna hai

  1. कबीर दास जी की रचनाएं
  2. Kedarnath Singh ka Jivan Parichay ? Kedarnath Singh Kaun Hai ?
  3. Vidyapati
  4. कीर्तिलता
  5. रामचरितमानस के रचयिता कौन है
  6. Parivartan meaning in hindi
  7. विद्यापति किस काल के कवि थे
  8. रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ, उपाधि और पूरी जीवनी


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कबीर दास जी की रचनाएं

Kabir Das Ki Rachnaye in Hindi कबीर दास जी की रचनाएं – Kabir Das Ki Rachnaye in Hindi कबीरदास जी ने अपनी अनूठी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया, साथ ही अपने दोहों से समाज में फैली तमाम तरह की कुरोतियों को भी दूर करने की कोशिश की है। कबीरदास जी कर्मकांड, पाखंड, मूर्ति पूजा आदि के घोर विरोधी थे, जिन्हें कई अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान था। वे अक्सर ही अपने अनुभवों को व्यक्त करने के लिए लोकल भाषा का इस्तेमाल करते थे। हिन्दी साहित्य के महाज्ञानी कबीरदास जी की वाणी को साखी, सबद और रमैनी तीन अलग-अलग रुपों में लिखा गया है, जो कि बीजक नाम से मशहूर है। वहीं कबीर ग्रंथावली में उनकी रचनाओं का संग्रह देखने को मिलता है। यह राजस्थानी, पंजाबी, पूरबी, अवधी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली समेत कई अलग-अलग भाषाओं का मिश्रण है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में कबीर बीजक, सुखनिधन, होली अगम, शब्द, वसंत, साखी और रक्त शामिल हैं। हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कवि कबीरदास जी ने अपनी रचनाओं को बेहद सरल और आसान भाषा में लिखा है, उन्होंने अपनी कृतियों में बेबाकी से धर्म, संस्कृति एवं जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी है। उनकी रचनाओं में उनकी सहजता का भाव स्पाष्ट दिखाई देता है। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से भी लोगों को संसार का नियम एवं जीवन जीने का तरीके के बारे में बताया है जो कि अतुलनीय और अद्भुत है। कबीर दास जी की मुख्य रचनाएं – Kabir Poems in Hindi कबीर की साखियाँ ( Kabir ki Sakhiyan) – इसमें ज्यादातर कबीर दास जी की शिक्षाओं और सिद्धांतों का उल्लेख मिलता है। सबद -कबीर दास जी की यह सर्वोत्तम रचनाओं में से एक है, इसमें उन्होंने अपने प्रेम ...

Kedarnath Singh ka Jivan Parichay ? Kedarnath Singh Kaun Hai ?

Kedarnath Singh ka Jivan Parichay. Kedarnath Singh Kaun Hai. Dosto Aaj Ham aapke liye is article mein Kedarnath Singh ke bare mein Jankari Lekar Aaye Hai. Aaj ke is artical Mein Ham Kedarnath ji ke bare mein baat karenge, inke bare mein padenge. Jaise ki Kedarnath ji kaun hai. Kedarnath ji ka Jivan Parichay kya hai. Aur Kedarnath ji ka sahityik Parichay kya hai, Kedarnath ji ki Rachna ke naam kya kya hai, aur Kedarnath ji ka Janm kab hua tha. Kedarnath Ji Ki Maut kab hui thi. Aur iske sath mein Ham inke Mata – Pita Ke bare mein bhi padenge. Aur sabse Aakhir Mein Ham inki Bhasha – Shaili aur Janm Sthan aur yah kitne padhe likhe the yah Bhi janenge. To Chaliye padna start karte hai. Sabse pahle Ham padhenge Kedarnath ji kaun hai. Dosto agar aap student ho aur aap Aane Wale Samay Mein 12th year 10th class ke exam ki taiyari kar rahe ho aur aap paper Dene Wale ho, to yah article aapke liye bahut hi jaruri hai. Kyunki Aaj is article main aapko Kedarnath ji ke bare mein padhne ko Milega Kyunki Kedarnath ji ka Jivan Parichay Har Sal Hindi ke paper mein likhane ke liye kaha jata hai. Isliye is article Ko Ek Bar Dhyan se Jarur padhe. To Chaliye Padhna start Karte Hai. Kedarnath Singh Kedarnath Singhji kaun hai ? Sabse pahle Ham yah padhate Hai. Ki Kedarnath kaun hai, to main aapki Jankari ke liye bata du Kedarnath ji Itihaas ke Mahan rachnakar aur Kavi hai. Kedarnath ji ne apne Jivan mein bahut sari Rachna ka aavishkar Kiya Hai. Aur inhone sampadan Ka Bhi aavishkar Kiya Hai. To dos...

Vidyapati

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Vidyapati | विद्यापति का जीवन परिचय एवं रचनाएं Vidyapati | विद्यापति : भारतीय साहित्य की श्रृंगार परंपरा एवं भक्ति परंपरा में विद्यापति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यह मैथिली भाषा के सर्वोच्च कवि हैं। इसलिए इन्हें मैथिल कोकिल की संज्ञा दी गई है। विद्यापति का जन्म 1380 ईस्वी में बिहार के दरबंगा के विपसी गांव में हुआ था। इनकी मृत्यु 1460 ईस्वी में हुई। विद्यापति ने संस्कृत अवहट्ठ एवं मैथिली में कविताएं रची। Vidyapati | विद्यापति की रचनाएं Vidyapati Ki Rachnaye (विद्यापति की रचनाएं) : विद्यापति की रचनाएं इस प्रकार है :- • मैथिली में -पदावली • अवहट्ठ मे-कीर्तिलता • कीर्तिपताका Vidyapati Ki Rachnaye (विद्यापति की रचनाएं) : संस्कृत भाषा में लिखी रचनाएं :- • शैव सर्वस्वसार • लिखनावली • प्रमाणभूत प्रमाण संग्रह • वर्षकृत्य • दान पत्तलक • गया पत्तलक • दुर्गा भक्ति तरंगिणी • विभागसार • गंगावाक्यावली • भू परिक्रमा • पुरुष परीक्षा • गोरक्ष विजय नाटक पुरुष परीक्षा (Purush Pariksha) : यह रचना ज्योतिष शास्त्र से संबंधित है। इस रचना में कामशास्त्र, नीति शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र तीनों का समन्वय हुआ है। कीर्ति लता से महत्वपूर्ण तथ्य : विद्यापति की रचना “कीर्ति लता” से महत्वपूर्ण तथ्य इसप्रकार है :- • हरप्रसाद शास्त्री ने नेपाल के राजकीय पुस्तकालय से कीर्तिलता की खोज की । • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कीर्तिलता की भाषा को पूर्वी अपभ्रंश या टकसाली अपभ्रंश की संज्ञा दी है। • कीर्तिलता विद्यापति की ऐतिहासिक रचना है। • विद्यापति के आश्रयदाता राजा कीर्ति सिंह की वीरता व उदारता और गुण ग्राहकता का वर्णन कीर्तिलता में किया है। • कीर्तिलता विद्याप...

कीर्तिलता

… shroturjnaturvadanyasy kirtisianh mahipate:. karotu kavitu: kavyan bhavyan vidyapati: kavi:.. yah granth prachin kavy rudhiyoan ke anurup shuk-shuki-sanvad ke rup mean likha gaya hai. kathanak kirtisianh ke pita ram ganeshvar ki hatya asalan namak pavan saradar ne chhal se karake kavyakala is granth ki rachana tak mahakavi vidyapati thakur ka kavy kala praudh ho chuki thi. isi karan inhoanne atmagauravaparak panktiyaan likhi: balachand vijjav d bhasa, duhu nahian laggi dujjan hasa. o paramesar har sir sohi, ee nichchee naar man mohi.. • chaturth pallav ke ant mean mahakavi likhate haian: '…madhury prasavasthali guruyashovistar shikshasakhi. yavaddhishchamidanch khelatu kavervidyapaterbharati..' m.m. haraprasad shasri ne bhramavash ‘khelatu kave:’ ke sthan par ‘khelanakave:’ padh liya aur tab se d aau. babooram saksena, vimanavihari majumadar, d aau. jayakant mishr, rashtrakavi ve aise samay mean hue jab chintan ki bhasha sanskrit aur sahity ki bhasha apabhransh thi. vidyapati ne bhi apabhransh mean apani ‘kirtilata’ namak pustak ki rachana ki jisaki bhasha ko unhoanne avahatt kaha hai aur jis bhasha ke anusar unhoanne apana nam vidyapati nahian batakar, 'bijjabi' bataya hai - balachand bijjavi bhasha duhu nahi laggi dujjan hasa. kirtilata vidyapati ki arambhik rachana hai jise unhoanne, kadachith, solah varsh ki umr mean likha tha. praudh hone par unhoanne panne ki pragati avastha tika tippani aur sandarbh • abdul rahaman • arthath maharaj kirti sianh kavy sunane vale, d...

रामचरितमानस के रचयिता कौन है

रामचरितमानस के रचयिता कौन है रामचरितमानस के रचयिता कौन है गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस की भाषा क्या है बृजभाषा रामायण के रचयिता बाल्मीकि जी तुलसी की पत्नी का नाम रत्नावली तुलसी के गुरु नरहर्यानंद जी रामचरितमानस के रचयिता कौन है रामायण के रचयिता कौन है जय श्री राम पहले बात करते है की रामायण तुलसीदास जी कब और किसके कहने से लिखी जबकि रामायण की घटना तो राम के अवतार के समय की है! ramayan kisne likhi thi ये भी पढ़े! ramayan ki rachna kisne ki • • • ramayan ke rachyita kaun hai और जब रामायण सम्पूर्ण हुई तो हनुमानजी महाराज प्रकट हुए और सबसे पहले तुलसी दास द्वारा लिखित रामायण सुनने वाले स्वयं हनुमानजी महाराज थे ! और कहते है रामायण का पाठ या सुन्दरकाण्ड का पाठ जहा भी होता है वहा श्री हनुमानजी आज भी आते है और उन्होंने तुलसीदास को आशीर्वाद दिया की तुम्हारी यह कृति सम्पूर्ण संसार में अमर हो जाएगीतुलसीदासजीरामजीकेकलियुगमेंसबसेबड़ेभक्तथेयेबातसचहैकीहनुमानजीनेआज gita press ramcharitmanas price अगर आप रामचरितमानस घर में पढ़ने के लिए मंगवाना चाहते है तो निचे दी गयी बुक को आप ऑनलाइन घर बैठे मंगवा सकते है यो बिलकुल कम ना के बराबर मूल्य में क्योंकि रामचरितमानस एक ग्रंथ ही नहीं बल्कि जीवन को एक नई दिशा प्रदान करती है रामचरितमानस के रचयिता कौन है जाने रामचरितमानस ना केवल एक पुस्तक है बल्कि ये हमारे जीवन का आधार भी है इसमें बताया गया है की हमे किस तरह से अपने जीवन में रहना चाहिए अपने माता – पिता की आज्ञा हमारे लिए सबसे महत्व पूर्ण है हमे अपने व्यक्तिगत जीवन को नहीं बल्कि कर्तव्यों पर ध्यान देना चाहिए! तकरामकेभक्तोकोसबसेपहलेदर्शनदिएहैचाहेआप सालासरबालाजीमोहनदासजीमहाराजकोहीदेखलो सालासर बालाजी का इतिहास...

Parivartan meaning in hindi

[वि.] - 1. परिवर्तन करने वाला; जिसे परिवर्तन या नूतनता में विश्वास हो 2. इनकलाबी; क्रांतिकारी। [वि.] - 1. जिसमें परिवर्तन स्वाभाविक रूप से होता है; परिवर्ती 2. अनस्थिर; अनिश्चित। [सं-स्त्री.] - परिवर्तनशील होने की अवस्था। [वि.] - परिवर्तन के योग्य; वह जिसमें परिवर्तन किया जाने को हो; बदलने के योग्य। [सं-स्त्री.] - परिवर्तन होने की अवस्था, भाव या गुण। [सं-पु.] - पौधों तथा प्राणियों में होने वाला वह आकस्मिक परिवर्तन जिसमें उनमें अचानक ऐसे गुण उत्पन्न हो जाते हैं जिनका कोई संबंध उनके पूर्वजों से नहीं होता। [सं-पु.] - क्रम में पीछे से आगे अथवा आगे से पीछे होना; क्रम में बदलाव; विपर्यय; क्रमचय।

विद्यापति किस काल के कवि थे

विद्यापति ने अनेक ग्रंथो की रचना कि थी, वे अवहट्ट और मैथिली भाषा में भी ग्रंथो की रचना करते थे, खास कर वे संस्कृत का प्रयोग किया करते थे। क्या आप जानते है की विद्यापति किस काल के कवि थे (Vidyapati Kis Kaal Ke Kavi The) अगर नही तो आइये जानते हैं विद्यापति के बारें में कि उनका जन्म कब हुआ था? और वे किस काल के कवि थे? आदि । Table of Contents • • • • विद्यापति विद्यापति जी का जन्म 1352 में हुआ था। इनका जन्म उत्तरी बिहार के मिथिली के जिले मधुबन में हुआ था। इनके पिता का नाम गणपति ठाकुर था, यह शैव ब्राह्मण परिवार से थे। इनका पूरा परिवार शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। सन 1401 में सुल्तान अरसलान को हरा कर गणेश्वर के पुत्रों, वीरसिंह और कीर्तिसिंहने इतिहास रच दिया था, जिसमे विद्यापतिका अहम योगदान था। फिर विद्यापति नेमैथिलीमे राधा और कृष्ण के प्रेम के गीत रचना प्रारम्भ कर दी थी। विद्यापति शिव भक्त थे पर वह अधिकांश राधा और कृष्ण के प्रेम पर गीत लिखा करते थे। विद्यापति की मृत्यु सन 1448 में हुई थी। विद्यापति की रचनाएँ • शैवसर्वस्वसार.प्रमाणभूत संग्रह’ • गंगावाक्यावली • विभागसार • दानवाक्यावली • दुर्गाभक्तितरंगिणी • वर्षकृत्य • गोरक्ष विजय • मणिमंजरी नाटिका • पदावली • शैवसर्वस्वसार • गयापत्तालक • कीर्तिलता • कीर्तिपताका • भूपरिक्रमा • पुरुष परीक्षा • लिखनावली विद्यापति किस काल के कवि थे – Vidyapati Kis Kaal Ke Kavi The? विद्यापतिआदिकालके कविहै।उन्होंने अवहट्ट और मैथिली भाषाओं में ग्रंथों की रचना की है साथ ही संस्कृत भाषा में भी अनेक ग्रंथों की रचना की है जो ज्यादा प्रसिद्द है। FAQs

रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ, उपाधि और पूरी जीवनी

रामधारी सिंह दिनकर लेखक, कवि और निबंधकार | Ramdhari Singh Dinkar in Hindi रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के एक प्रमुख कवि, लेखक, निबंधकार और विद्वान् इंसान थे. रामधारी सिंह दिनकर आधुनिक काल के एक श्रेष्ठ वीर रस के कवि व देशभक्त थे. दिनकर जी एक ओजस्वी राष्ट्रीय कवि के रूप में माने जाते हैं. भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय उन्होंने अपनी कविताओं से ही स्वतंत्रता की जंग छेड़ दी थी. रामधारी सिंह दिनकर स्वतंत्रता के पूर्व एक विरोधी कवि के रूप में पहचाने जाते थे और स्वतंत्रता के बाद वे एक राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये. एक ओर उनकी कविताओं में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति दिखती हैं, वहीं दूसरी ओर कोमल श्रृंगार रूप की भावनाओं की अभिव्यक्ति मिलती हैं. इनकी इन्ही दो प्रवृतियों का समावेश इनकी उर्वशी और कुरुक्षेत्र नामक कृति में देखने को मिलता हैं. इनकी कृतियों के विषय खण्डकाव्य, निबंध, कविता और समीक्षा रहा हैं. रामधारी सिंह का जन्म| Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi रामधारी सिंह का जन्म 23 सितम्बर 1908 ई. में बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले के सिमरिया घाट गाँव में उनका जन्म हुआ था. इनके पिता एक किसान थे. इनके पिता का नाम रवि सिंह दिनकर तथा माता का नाम मनरूप सिंह दिनकर था. दिनकर जी जब 2 वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया. इस कारण दिनकर जी व उनके भाई-बहनों का पालन पोषण उनकी माता ने किया. इसे भी देखें: दिनकर जी का बचपन व किशोर अवस्था देहात (गाँव) में गुज़रा. हाई स्कूल के समय ही उनकी शादी हो गयी थी और वे एक पुत्र के पिता भी बन गये. शिक्षा | Ramdhari Singh Dinkar Study दिनकर जी ने अपनी प्राम्भिक शिक्षा संस्कृत के एक पंडित के पास प्रारम्भ करते हुए गाँव के एक प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त...