एड्स से संबंधित जानकारी के लिए किस नंबर पर डायल कर सकते हैं?

  1. UPI Customer Care:यूपीआई ग्राहक सेवा नंबर, शिकायत कैसे दर्ज करें
  2. Aadhar Card Me Mobile Number Kaise Check Kare?
  3. एड्स होने की वजह
  4. भारत का एड्स विरोधी अभियान : भारत को एड्स से मुक्त करने की दिशा में एक प्रयास
  5. 10 Myths About HIV/AIDS: HIV And AIDS Myths, Misconceptions, Rumors
  6. EPF इंडिया: EPF खाता कैसे खोलें, कितना ब्याज मिलेगा, अकाउंट से पैसे कैसे निकालें
  7. एचआईवी एड्स के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज


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UPI Customer Care:यूपीआई ग्राहक सेवा नंबर, शिकायत कैसे दर्ज करें

UPI ग्राहकों को VPA (वर्चुअल पेमेंट एड्रेस) और UPI-पिन की मदद से तुरंत पैसे ट्रान्सफर/ प्राप्त करने की सुविधा देता है । साथ ही, जो लोग UPI पेमेंट की बुनियादी बातों से परिचित नहीं हैं और मदद लेना चाहते हैं, उनके लिए 24*7 UPI ग्राहक सेवा (UPI Customer Care) उपलब्ध कराई गई है जो विभिन्न स्थितियों में यूज़र्स की सहायता करती है। आप UPI कस्टमर केयर नंबर, डेडिकेटेड पोर्टल आदि की मदद से कस्टमर केयर सेंटर तक पहुंच सकते हैं। Read in English Updated: 08-06-2023 12:36:54 PM UPI कस्टमर केयर भारत इंटरफेस फॉर मनी ( BHIM) नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( NPCI) द्वारा विकसित एक आधिकारिक भारतीय मोबाइल भुगतान ऐप है , जो यूज़र्स को एक विशेष ग्राहक शिकायत/ क्वेरी/फीडबैक पोर्टल- ‘Get in Touch’ के साथ सुविधा प्रदान करता है। यूपीआई कस्टमर केयर हेल्पलाइन (UPI Customer Care Helpline) की जानकारी निम्नलिखित है , जिसके उपयोग से कोई भी व्यक्ति UPI से संबंधित सभी प्रकार की सहायता प्राप्त कर सकता है UPI कस्टमर केयर नंबर UPI यूज़र्स UPI कस्टमर केयर नंबर (UPI Customer Care Number) डायल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। डिजिटल भुगतान से संबंधित प्रश्नों और समस्याओं के लिए सरकार द्वारा एक टोल-फ्री नंबर शुरू किया गया है। टोल-फ्री UPI कस्टमर केयर हेल्पलाइन नंबर निम्नलिखित है: 1800-1201-740, 022-45414740 FD पर कमाना चाहते हैं ज़्यादा ब्याज? घर बैठे FD खोलें और हर साल @6.5% ब्याज कमाएं और साथ में लाइफ़टाइम-फ़्री क्रेडिट कार्ड पाएं • ₹5 लाख तक की FD पर मिलेगा आरबीआई का इंश्योरेंस • सेविंग अकाउंट खोलने की ज़रूरत नहीं • कोई कागज़ी कार्यवाही नहीं भीम UPI ‘Get in Touch’ सर्विस क्या है? भीम UPI ‘Get in Touch’ एक व...

Aadhar Card Me Mobile Number Kaise Check Kare?

इस पोस्ट में, हमने बताया है कि Aadhar card me mobile aadhar card me mobile number kaise check kare का मतलब है कि aadhar card me mobile number linked है या नहीं ये kaise check kare. इस पोस्ट में हम adhhar card से जुड़ी सभी संबंधित जानकारी देने वाले हैं। Aadhar card me mobile number kaise check kare मतलब aadhar card मे मोबाइल नंबर लिंक है या नहीं ये कैसे चेक करें पहले आपको बता दे कि अपने आधार कार्ड को अपने मोबाइल नंबर से लिंक क्यों इतना महत्वपूर्ण है। आधार एक 12-अंकीय अद्वितीय संख्या (12- digits Unique number) है जो भारतीय नागरिकों के लिए पहचान प्रमाण है। आधार कार्ड को अपने मोबाइल नंबर से लिंक करना आजकल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके कार्ड से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे आधार कार्ड एक ऐसा document है जो लगभग हर सरकारी और सरकारी काम के लिए जरूरी होता है। यदि आप एक नया bank account खोलना चाहते हैं, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना चाहते हैं, ऊपर दिए गए उदाहरणों से, आप दस्तावेज़ की गंभीरता और अपने आधार कार्ड को अपने मोबाइल नंबर से लिंक करना कितना महत्वपूर्ण है, समझ गए होंगे। यदि आप इस बात से अनजान हैं कि aadhar card me mobile number kaise check kare या आपका फ़ोन नंबर आपके आधार कार्ड से जुड़ा है या नहीं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आ गए हैं। इस पोस्ट में हमने बताया है कि aadhar card me mobile आधार कार्ड मे मोबाइल नंबर कैसे चेक करें? UIDAI की official website के अनुसार, “आप अपना ईमेल पता और मोबाइल नंबर verified कर सकते हैं जो Enrollment के समय या latest aadhar details update के दौरान घोषित (declared) किया गया है।” Aadhar card me mobile number kaise check kare के बारे में ...

एड्स होने की वजह

एड्स होने की वजह : बहुत से लोग एड्स से डरते है। उनके पास डरने की वजह भी है। लेकिन जहाँ डर होता है, वहां उस डर से जुडी कई गलतफहमियां भी प्रचलित हो जाती हैं। हम यहाँ उन् गलतफहमियों को दूर करने का प्रयास करेंगे, और साथ ही इस सम्बन्ध में आपकी जानकारी और आत्मविश्वास को बढ़ाने की भी। आज हम आपको बताने वाले हैं वह तीन कारण जिसकी वजह से लोगों में एड्स फैलती है और यह इतनी खतरनाक बीमारी है कि लोगों की जान लेना इसके लिए आम बात है इसलिए पूरा आर्टिकल जरूर पढ़ें क्योंकि अधूरी जानकारी खतरनाक होती है । मिथ्या 1: आलिंगन और चुम्बन से एड्स फैलता है जी नहीं। यह सच नहीं है। खून,वीर्य, योनि या गुदा द्रव्य और स्तन के दूध इसके फैलने के कारण हैं। ये सच है की थूक में भी ये वायरस होता है, लेकिन इन्फेक्शन के फैलने के लिए कई बाल्टियां भर कर थूक इकठ्ठा करना पड़ेगा। और हम उम्मीद करते हैं की किसी को चुम्बन के दौरान इतने थूक का आदान-प्रदान ना करना पड़े! लेकिन ये ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है की आपके या उस व्यक्ति के मुह में कोई ऐसा घाव नहीं हो जहाँ से खून निकल रहा हो, क्यूंकि ऐसा हुआ तो इन्फेक्शन हो सकता है। मिथ्या 2: कई लोगों के साथ सेक्स करके आप एड्स का उपचार कर सकते हैं किसी भी असंक्रमित व्यक्ति, बच्चे, बूढ़े, विकलांग या कई सारे लोगों के साथ सेक्स करके एड्स का इलाज नहीं हो सकता। ये बात पूरी तरह से बकवास है। इसके बारे में सोचना भी मूर्खता होगी। मिथ्या 3: मच्छर एड्स फैलाते हैं गलत! मच्छर आपको कई तरह के बीमारियां दे सकता है लेकिन एड्स उनमे से नहीं है। क्यूंकि जब कोई कीड़ा आपको काटता है तो वो उस व्यक्ति के वायरस आपके शरीर में नहीं डाल सकता जिसे उसने आपसे पहले काटा हो। मिथ्या 4: आपको चाहकर भी अपनी एड्स से रक्षा नहीं क...

भारत का एड्स विरोधी अभियान : भारत को एड्स से मुक्त करने की दिशा में एक प्रयास

भारत एचआईवी/एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार कठिन प्रयास कर रहा है। एड्स नामक इस भयानक बीमारी ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है। एचआईवी से संबंधित मामलों को पूर्ण रूप से ख़त्म किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं एवं पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस प्रयास में अंशतः सफलता भी पाई है। भारत को “पूर्णतः एड्स मुक्त” होने में अभी काफी समय लगेगा क्योंकि अभी भी देश में 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 25 लाख लोग एड्स से प्रभावित हैं। यह आँकड़ा विश्व में एड्स प्रभावित लोगों की सूची में तीसरे स्थान पर आता है। एचआईवी आकलन 2012 के अनुसार भारतीय युवाओं में वार्षिक आधार पर एड्स के नए मामलों में 57% की कमी आई है। भारत ने एचआईवी संबंधी आँकड़े देने वाले इन व्यापक स्रोतों का इस्तेमाल एड्स संबंधी कार्यक्रमों के निर्धारण में किया है ताकि एचआईवी की रोकथाम एवं इसके उपचार के उपायों से होने वाले प्रभावों की जानकारी प्राप्त की जा सके। एचआईवी/एड्स पर एचआईवी/एड्स से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस) शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को संक्रमित कर देता है। एचआईवी कई तरीकों से फैल सकता है। पूरे विश्व में लगभग 3.53 करोड़ लोग एचआईवी से प्रभावित हैं। एचआईवी दुनिया की प्रमुख संक्रामक एवं जानलेवा बीमारी है। एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) शरीर में एचआईवी वायरस को फैलने से रोकता है। वर्ष 2012 के अंत तक निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के लगभग 1 करोड़ एचआईवी पॉजिटिव लोगों को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) उपलब्ध करवाई जा चुकी है। विश्व के लगभग 33.4 लाख बच्चे एचआईवी से प्रभावित हैं। मां से बच्चे में एचआईवी के संक्रमण को रोका जा सकता है। एचआईवी प्रभावित लोगों मे...

10 Myths About HIV/AIDS: HIV And AIDS Myths, Misconceptions, Rumors

आम तौर पर एचवीआई के नाम से पुकारा जाने वाला ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस एक ऐसा वायरस है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है और उसकी विभिन्न संक्रमणों से लड़ने की क्षमता को नष्ट कर देता है. जबकि एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम) एचआईवी का बाद वाला चरण है, जिसमें एचआईवी के चलते प्रतिरक्षा प्रणाली गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है. एड्स का निदान होते समय इम्यून सेल या सीडी4 सेल की संख्या दयनीय स्थिति (200 से भी कम) में पहुंच जाती है. अगर किसी संक्रमित व्यक्ति की हालत लगातार बिगड़ती रहे और वह एड्स के अगले चरण तक पहुंच जाए, तो उसे कुछ किस्म के कैंसर और ट्यूबरक्लोसिस हो सकते हैं तथा उसके फेफड़े/त्वचा/मस्तिष्क में भी संक्रमण फैल सकता है. आम तौर पर यह गलत धारणा फैली हुई है कि एचआईवी तथा एड्स एक ही बीमारी है और एचआईवी से संक्रमित होने पर लोगों को एड्स हो ही जाएगा! जबकि सच्चाई यह है कि एचआईवी के संक्रमण से एड्स होना जरूरी नहीं होता. तथ्य तो यह है कि एचआईवी से संक्रमित अनेक लोग बिना एड्स के सालोंसाल जिंदा रहते हैं, शर्त बस यही है कि उनको लगातार उचित व सुझाया गया चिकित्सकीय इलाज कराते रहना चाहिए. वर्तमान में एचआईवी के लिए एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) नामक इलाज सुझाया जाता है. यह एक बेहद प्रभावी थेरेपी है और खून में वायरस के स्तर को एकदम निचले स्तर पर ले आती है. इसका नतीजा यह होता है कि एचआईवी न तो संक्रमित व्यक्ति की दिनचर्या को प्रभावित कर पाता और न ही उसकी जिंदगी कम कर पाता है. एचआईवी के साथ सामाजिक कलंक जैसी ढेरों चीजें भी जुड़ी हुई हैं, क्योंकि लोगों के बीच इस बीमारी से संबंधित जागरूकता और जानकारियों का नितांत अभाव है. एचआईवी से संक्रमित लोगों के साथ समाज...

EPF इंडिया: EPF खाता कैसे खोलें, कितना ब्याज मिलेगा, अकाउंट से पैसे कैसे निकालें

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) एक रिटायर्मेंट प्लान है जिसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) मैनेज करता है। ईपीएफ योजना में कर्मचारी और उसका नियोक्ता/ कंपनी हर महीने बराबर राशि का योगदान करते हैं जो मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12% होता है। कंपनी के योगदान का 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लिए जाता है। क्या आप जानते हैं? 1 जून 2021 से अपने आधार कार्ड को अपने ईपीएफ अकाउंट से लिंक करना अनिवार्य है। यदि आपने नहीं किया है, तो कंपनी की तरफ से की गई योगदान राशि आपके खाते में जमा नहीं होगी। EPF ब्याज दर EPF पर लागू ब्याज दर की सालाना समीक्षा की जाती है। फाइनेंशियल वर्ष, 2022-23 के लिए EPF ब्याज दर 8.15% है। EPFO एक वित्तीय वर्ष के लिए ब्याज दर निर्धारित करता है और हर महीने EPF अकाउंट में मौजूदा बैलेंस पर ये ब्याज लगाया जाता है, लेकिन अकाउंट में ब्याज वर्ष के अंत में ट्रान्सफर होता है। जिस वर्ष नई ब्याज दरों की घोषणा की जाती है वह अगले फाइनेंशियल वर्ष के लिए वैलिड रहती हैं अर्थात् 1 अप्रैल से 31 मार्च तक। EPF ब्याज दर के बारे में जानने के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:: • ब्याज दर 8.15% है और यह केवल अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के दौरान किए गए EPF डिपॉज़िट पर लागू होगी • ब्याज की कैल्कुलेशन हालाँकि हर महीने की जाती है, लेकिन इसके बावजूद, ब्याज को EPF खाते में हर महीने ट्रांसफर न कर मौज़ूदा फाइनेंशियल वर्ष के मार्च महीने की 31 तारीख को ही ट्रान्सफर किया जाता है • ट्रान्सफर की गई ब्याज को अगले महीने यानी अप्रैल की शेष राशि के साथ मिला लिया जाता है और फिर कुल राशि पर ब्याज की कैल्कुलेशन की जाती है • यदि लगातार छत्तीस महीनों तक EPF अकाउंट में योगदान न किया जाये, तो अका...

एचआईवी एड्स के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

एचआईवी क्या है? ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी; HIV) एक लेन्टिवायरस (रेट्रोवायरस का एक उपसमूह) है जिससे एचआईवी संक्रमण होता है और समय के साथ इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) बन जाता है। एड्स क्या है? एड्स (अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिन्ड्रोम; AIDS) एक बीमारी है जो ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआईवी (HIV) के कारण होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा को गंभीर नुकसान पहुँचता है। एचआईवी/एड्स के कारण किसी व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। सीडी 4+टी सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एचआईवी इन कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम सेंटर (सीडीसी) के अनुसार, स्वस्थ लोगों के खून में हर क्यूबिक मिलीमीटर में लगभग 1,000 सीडी 4+टी कोशिकाएं होती हैं और एड्स से ग्रस्त रोगियों में इसकी संख्या 200 या उससे कम हो जाती हैं। एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि आपको एड्स है। एड्स, एचआईवी संक्रमण का तीसरा औरअंतिम चरण है। हालांकि, अनुपचारित एचआईवी संक्रमण समय के साथ एड्स बन सकता है। भारत मेंएचआईवी/एड्स की वर्तमान स्थिति​ 2015 की जानकारी के अनुसार, भारत में 21 लाख लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं और दुनिया में एचआईवी से प्रभावित देशों में भारत तीसरे स्थान पर आता है। इसी वर्ष, एड्स संबंधी बीमारियों से लगभग 68,000 लोग मारे गए थे। यौन कर्मी और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में हाल ही में एचआईवी प्रसार में गिरावट आई है। दवाइयों को इंजेक्ट करने वाले लोगों में पहलेएचआईवी काफैलावस्थिर था लेकिन हाल के वर्षों में यह बढ़ रहा है। कुल मिलाकर, भारत में एचआईवी महामारी के नए संक...