एक मूढ़ व्यक्ति का वृत्त विवरण तैयार करें।

  1. व्यक्तिवाद
  2. परिसमापक का अंतिम विवरण (प्रारूप के साथ)
  3. 20 नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ: moral short stories in hindi, moral stories for children in hindi, class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10
  4. रिपोर्ट लिखें
  5. सामाजिक वर्ग
  6. सद्वृत्त का अर्थ, अवधारणा एवं महत्व
  7. अपने शिक्षक का एक वृत्त विवरण तैयार करें।


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व्यक्तिवाद

अनुक्रम • 1 विशेषताएं • 2 इतिहास • 3 सन्दर्भ • 4 इन्हें भी देखें • 5 बाहरी कड़ियाँ विशेषताएं [ ] व्यक्तिवाद का विचार समाज-विज्ञान के कई राजनीतिक सिद्धांतों और सामाजिक व्याख्याओं के मर्म में है। तत्त्व-चिंतन की दृष्टि से व्यक्तिवाद ब्रह्माण्ड को अलग-अलग की जा सकने वाली व्यक्तिगत इकाइयों से रचा हुआ मान कर चलता है। ईसाई तत्त्व-चिंतन में इसका संबंध प्रोटेस्टेंट आस्थाओं से जोड़ा जाता है जो पादरी या चर्च के हस्तक्षेप के बिना व्यक्ति और ईश्वर के बीच सीधे तादात्म्य की स्थिति देखती हैं। हालाँकि मनुष्य और भगवान के बीच निजी धरातल पर सीधे तादात्म्य का सिद्धांत हिंदू तत्त्व-चिंतन में भी प्रधान हैसियत रखता है, पर समाज-विज्ञान के हल्कों में इसकी शिनाख्त व्यक्तिवाद के स्रोत के तौर पर नहीं की जाती। मुख्यतः यह एक पश्चिमी विचार है और उदारतावाद जैसे महा-सिद्धांत के लिए इसका महत्त्व विधेयक माना जाता है। उदारतावादी चिंतक व्यक्ति के अविभाज्य अधिकारों के समर्थक हैं। सामाजिक समझौते का सिद्धांत राजनीतिक व्यक्तिवाद की पद्धति का इस्तेमाल करके ही रचा गया है। राज्य के अधिकार सीमित रखने के आग्रह, मुक्त बाज़ार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सम्पत्ति जैसी अवधारणाएँ व्यक्तिवाद के बिना नहीं पनप सकती थीं। इनके मुताबिक सरकार नागरिकों के रूप में व्यक्तियों की सहमति से बनती है और उसकी भूमिका उन्हीं नागरिकों के अधिकारों की रक्षा तक ही सीमित रहनी चाहिए। उन्नीसवीं सदी के अमेरिकी व्यक्तिवादी चिंतकों का मत तो यहाँ तक था कि व्यक्ति को किसी भी कीमत पर अपना अंतःकरण किसी निर्वाचित या किसी भी अन्य तरह के नेता के अधीन नहीं करना चाहिए। व्यक्तिवाद का यह आयाम उसे अराजकतावादी फलितार्थों के नज़दीक पहुँचा देता है। लेकिन...

परिसमापक का अंतिम विवरण (प्रारूप के साथ)

परिसमापक का अंतिम विवरण (प्रारूप के साथ) खाते के परिसमापक के अंतिम विवरण के बारे में जानने के लिए यह लेख पढ़ें! यह परिसमापक का कर्तव्य है कि वह परिसंपत्तियों को महसूस करे और जो उचित दावा है, उसी के बीच अवहेलना करें। वह एक बयान तैयार करना है जिसमें दिखाया गया है कि उसे कितना एहसास हुआ है और उसी को कैसे वितरित किया जाएगा। इस प्रयोजन के लिए उसे खाते का विवरण तैयार करना है जिसे लिक्विडेटर के अंतिम विवरण के रूप में जाना जाता है। यह खाता कैश खाता का रूप लेता है और खाते के डेबिट पक्ष पर निम्नलिखित रसीदें दिखाई जाती हैं: (ए) अचल संपत्तियों की बिक्री पर प्राप्त राशि; (बी) कंपनी के अपराधी निदेशकों और अधिकारियों से प्राप्त राशि; (c) अंशदानियों द्वारा किया गया योगदान। खाते का क्रेडिट पक्ष (यानी, भुगतान पक्ष) निम्नलिखित भुगतान दिखाता है: संख्या बताएं; यदि सभी लेनदारों को पूर्ण भुगतान किया गया है तो अधिमान्य लेनदारों को अलग से दिखाने की आवश्यकता नहीं है। राज्य अंकित मूल्य और शेयर की श्रेणी। (1) रु। के मूल्य का अनुमान लगाया गया निम्नलिखित परिसंपत्तियां .. अवास्तविक साबित हुई हैं: (उन संपत्तियों का ब्योरा दें जो अवास्तविक साबित हुई हैं)। (2) कंपनी के परिसमापन खाते में भुगतान की गई राशि: (क) लोन-अप रु। में लेनदारों को देय लावारिस लाभांश ... (बी) घुमावदार लोन में अन्य लावारिस वितरण ... (ग) कंपनी के सदस्य के रूप में किसी भी व्यक्ति को वाइंडिंग-अप शुरू होने से पहले लाभांश या अन्य राशि के संबंध में कंपनी द्वारा ट्रस्ट में रखा गया धन (3) यहाँ कोई टिप्पणी जोड़ें परिसमापक वांछनीय समझता है: यह दिनांक ………… का दिन ……… 20 एसडी / - परिसमापक मैं घोषित करता हूं कि उपर्युक्त कथन सत्य है और इसमें समापन से...

20 नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ: moral short stories in hindi, moral stories for children in hindi, class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10

By Jul 16, 2019 नैतिकशिक्षाकाछात्रोंकेजीवनमेंबहुतअहममहत्वहै।इसलेखमेंबच्चोंऔरबड़ोंकेलिए 20 नैतिकशिक्षाप्रदकहानियाँहै, जिससेआपकोबहुतकुछसिखनेकोमिलेगा। 1. ख़ुशीकेपीछेमतभागो, अपनेजीवनकाआनंदलो: गाँवमेंएकबूढ़ाव्यक्तिरहताथा।वहदुनियाकेसबसेदुर्भाग्यशालीलोगोंमेंसेएकथा।पूरागाँवउससेथकगयाथा; वहहमेशाउदासरहताथा, वहलगातारशिकायतकरताथाऔरहमेशाबुरेमूडमेंरहताथा। वहजितनाअधिकसमयतकजीवितरहताथा, वहउतनाहीअधिकपित्तबनताजारहाथाऔरउतनेहीजहरीलेउसकेशब्दथे।लोगउससेबचतेथे, क्योंकिउसकादुर्भाग्यसंक्रामकहोगयाथा।यहभीअस्वाभाविकथाऔरउसकेबगलमेंखुशहोनाअपमानजनकथा। उन्होंनेदूसरोंमेंनाखुशीकीभावनापैदाकी।लेकिनएकदिन, जबवहअस्सीसालकाहोगया, तोएकअविश्वसनीयबातहुई।तुरंतहरकोईअफवाहसुननेलगा: “एकबूढ़ाआदमीआजखुशहै, वहकिसीभीचीजकेबारेमेंशिकायतनहींकरताहै, मुस्कुराताहै, औरयहांतक​​किउसकाचेहराभीताजाहोजाताहै।” पूरागाँवइकट्ठाहोगया।बूढ़ेआदमीसेपूछागया: ग्रामीण: आपकोक्याहुआ? “कुछखासनहीं।अस्सीसालमैंखुशीकापीछाकररहाथा, औरयहबेकारथा।औरफिरमैंनेखुशीकेबिनाजीनेकाफैसलाकियाऔरबसजीवनकाआनंदलिया।इसलिएमैंअबखुशहूं। शिक्षा: ख़ुशीकेपीछेमतभागो, अपनेजीवनकाआनंदलो। 2. एकबुद्धिमानव्यक्ति: लोगहरबारउसीसमस्याओंकेबारेमेंशिकायतकरने, बुद्धिमानव्यक्तिकेपासआरहेहैं।एकदिनउसनेउन्हेंएकचुटकुलासुनायाऔरसभीलोगहंसीमेंझूमउठे। कुछमिनटोंकेबाद, उन्होंनेउन्हेंवहीचुटकुलासुनायाऔरउनमेंसेकुछहीमुस्कुराए। जबउसनेतीसरीबारवहीचुटकुलासुनायातोकोईभीनहींहंसा। बुद्धिमानव्यक्तिमुस्कुरायाऔरबोला: “आपएकहीमजाकमेंबार-बारहँसनहींसकते।तोआपहमेशाएकहीसमस्याकेबारेमेंक्योंरोरहेहैं? ” शिक्षा: चिंताकरनेसेआपकीसमस्याओंकासमाधाननहींहोगा, यहसिर्फआपकासमयऔरऊर्जाबर्बादकरेगा। 3. मूर्खगधा: एकनमकबेचनेवालाहरदिनअपनेगधेपरनमककीथैलीकोबाजारतक...

शोध

वह दस्तावेज जो किसी शोध-प्रबन्ध (dissertation या thesis) कहलाता है। इसके आधार पर शोधार्थी को कोई डिग्री या व्यावसायिक सर्टिफिकेट प्रदान की जाती है। यह सरल भाषा में कहें तो एम फिल अथवा पी एच डी की डिग्री के लिए किसी स्वीकृत विषय पर तैयार की गई किताब जिसमें तथ्य संग्रहित रहते हैं तथा उनके आधार पर किसी निष्कर्ष तक पहुँचने की कोशिश की जाती है। यह आलोचनात्मक तो होता है किंतु उससे थोड़ा भिन्न भी होता है। मनुष्य की आंतरिक जिज्ञासा सदा से ही अनुसंधान का कारण बनती रही है। अनुसंधान, खोज, अन्वेषण एवं शोध पर्यायवाची है। शोध में उपलब्ध विषय के तथ्यों में विद्यमान सत्य को नवरूपायित कर पुनरोपलब्ध किया जाता है। शोध में शोधार्थी के सामने तथ्य मौजूद होते है, उसे उसमें से अपनी सूझ व ज्ञान द्वारा नवीन सिद्धियों को उद्घाटित करना होता है। अनुक्रम • 1 विषय पसंदगी और स्वरूप • 2 इन्हें भी देखें • 3 सन्दर्भ • 4 बाहरी कड़ियाँ विषय पसंदगी और स्वरूप [ ] अनुसंधान कहें या शोध, बात वहीं से ही शुरू होती है कि कोई समस्या है जिसका समाधान या निष्कर्ष पाने हेतु वैज्ञानिक दृष्टिबिंदु से प्रयोग किए जाते हैं। संशोधनकर्ता समस्या या प्रश्न का विचार करता है। उपलब्ध साधनों को इकट्ठा करके उसे व्यवस्थित क्रमबद्ध करता है तथा विश्लेषण करके परिणाम प्राप्त करता है या निष्कर्ष तक पहुंचता है। यह शोध संशोधन या अनुसंधान जैसे सभी शब्दार्थ समानार्थी ही है। जिसका सीधा मतलब किसी चीज की किसी तथ्य की या किसी संशोद्ध्य विषय की खोज। शोध मतलब खोजना। व्युत्पत्ति अनुसार अनुसंधान शब्द अनु सम धा क्यूट (कआने) इस प्रकार से उपसर्ग धातु प्रत्यय की संयुक्त शक्ति से निर्मित है।किसी चीज को पुनः पुनः खोजना ही अनुसंधान है अंग्रेजी भाषा का रिसर्च ब...

रिपोर्ट लिखें

सौंपा गया कार्य समझें: यदि आपके शिक्षक, प्रोफेसर, या अधिकारी ने रिपोर्ट के लिए दिशा निर्देश दिए हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपने उन्हें पढ़ा है (और उन्हें फिर से पढ़ें)। सौंपा गया कार्य आप से क्या पूछ रहा है? क्या आपको अपने दर्शकों को रिपोर्ट के विषय के बारे में बताना चाहिए? यदि आप एक प्राथमिक, मध्यम या उच्च विद्यालय की कक्षा के लिए रिपोर्ट लिख रहे हैं तो आम तौर पर आपको अपनी राय डाले बिना किसी विषय को पेश करने के लिए कहा जाएगा। हो सकता है, अन्य कार्य आप से अपने दर्शकों को किसी विषय को समझने के लिए विशेष तरीके के लिए राज़ी करवाने को कहें। जितनी जल्दी हो सके आप किसी भी सवाल के बारे में अपने शिक्षक से पूछें। X रिसर्च सोर्स • याद रहे कि यदि आपका उद्देश्य केवल अपने दर्शकों को सूचित करने का है, तो आपको अपनी रिपोर्ट में अपनी राय नहीं रखना चाहिए या किसी भी प्रेरक तत्वों को नहीं जोड़ना चाहिए। अच्छा विषय चुनें, जिसे आप पसंद करते हैं: विषय के बारे में जोशीला महसूस करना आपको बाध्य करेगा कि आप काम को करने का बेहतरीन संभव प्रयास करें। बेशक, कभी-कभी आपके पास अपने विषय का चयन करने का विकल्प नहीं होगा। यदि यह मामला है, तो मिले हुए कार्य के बारे में कुछ पता करने की कोशिश करें, जिसके लिए आप जोशीला महसूस करते हों। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आपके विचार आपके शिक्षक द्वारा चलें रिपोर्ट के दृष्टिकोण से ठीक है। X रिसर्च सोर्स • यदि आपको अमेरिका की 1960 की किसी विशेष घटना पर एक रिपोर्ट देने का कार्य दिया हुआ है, और इतिहास आपको पसंद नहीं है, लेकिन आपको संगीत पसंद हैं, तो अपनी रिपोर्ट को उस समय के संगीत पर केंद्रित करें जो उस समय की घटना को बाँध सके। लेकिन सुनिश्चित करें विषय के अनुसार बहुत सारी अन्य च...

सामाजिक वर्ग

सामाजिक वर्ग शक्तिशाली और शक्तिहीन के बीच ही सबसे बुनियादी वर्ग भेद है। मार्क्सवाधी सिद्धांत में, दो मूलभूत वर्ग विभाजन कार्य और संपत्ति की बुनियादी आर्थिक संरचना की देन हैं: बुर्जुआ और सर्वहारा. राल्फ दह्रेंदोर्फ़ जैसे सिद्धांतकारों ने आधुनिक पश्चिमी समाज में विशेष रूप से तकनीकी अर्थव्यवस्थाओं में एक शैक्षिक कार्य बल की जरूरत के लिए एक विस्तृत मध्यम वर्ग की ओर झुकाव को उल्लिखित किया। अनुक्रम • 1 सामाजिक वर्ग के कारण और परिणाम • 1.1 वर्ग की स्थिति के अवधारक • 1.2 वर्ग की स्थिति के परिणाम • 2 सैद्धांतिक मॉडल • 2.1 सर्वहारावाद • 2.2 द्वंद्ववाद, या मार्क्सवादी वर्ग में ऐतिहासिक भौतिकवाद • 2.3 मार्क्सवाद में उद्देश्य और व्यक्तिपरक वर्ग में कारक • 2.4 मैक्स वेबर • 3 शैक्षिक मॉडल • 3.1 अमेरिकी मॉडल • 3.1.1 विलियम वॉर्नर लॉयड • 3.1.2 कोलमैन और रेनवाटर • 3.1.3 थॉमसन और हिक्की • 3.1.4 गिल्बर्ट और काल • 3.2 चीनी मॉडल • 3.3 ईरानी मॉडल • 4 मध्यम वर्ग • 5 विभिन्न समाजों में वर्ग संरचना • 5.1 पूर्व पूंजीवादी वर्ग संरचना • 5.1.1 प्राचीन रोम • 5.1.2 यूरोप का पुनर्जागरण • 5.1.3 एज़्टेक • 5.1.4 चीनी • 5.1.5 क्रांति-पूर्व फ्रांसीसी • 5.1.6 इंका भारतीय • 5.1.7 ईरानी • 5.1.8 जापानी • 5.1.9 कोरियन • 5.1.10 मलय • 5.2 पूंजीवादी वर्ग संरचना • 5.2.1 युनाइटेड किंगडम • 5.2.2 इटली • 5.2.3 लैटिन अमेरिकी • 5.2.4 न्यूज़ीलैंड • 5.2.5 संयुक्त राज्य अमेरिका • 6 वर्तमान मुद्दे • 6.1 वर्ग की प्रासंगिकता के खिलाफ तर्क • 6.2 वर्ग की प्रासंगिकता के लिए तर्क • 7 इन्हें भी देखें • 8 आगे पढ़ें • 9 बाहरी कड़ियाँ • 10 स्रोत • 11 सन्दर्भ सामाजिक वर्ग के कारण और परिणाम [ ] वर्ग की स्थिति के अवधारक [ ] तथाकथित गैर स्तरी...

सद्वृत्त का अर्थ, अवधारणा एवं महत्व

सद्वृत्त की उत्पत्ति दो शब्दों के मिलने से होती है। प्रथम शब्द सद् एवं द्वितीय शब्द वृत्त। सद् एक सत्य वाचक शब्द है जिसका प्रयोग सही, उपयुक्त, अनुकूल एवं धनात्मक रुप में होता है जबकि वृत्त से तात्पर्य घेरे से होता है अर्थात सद्वृत्त ऐसे सकारात्मक एवं सही नियमों का घेरा है जिनका पालन करने से मनुष्य का स्वास्थ्य उन्नत अवस्था में बना रहता है। वास्तव में सद्वृत्त मनुष्य के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारकों का समूह है जिनका पालन करने मनुष्य का स्वास्थ्य उन्नत अवस्था में बना रहता है जबकि इनका अपालन करने से मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य का स्तर कमजोर हो जाता है एवं वह मनुष्य नाना प्रकार की व्याधियों से ग्रस्त हो जाता है। सरल भाषा में सद्वृत्त को मानसचर्या की संज्ञा भी दी जाती है क्योकि इसके अन्र्तगत मनुष्य द्वारा किए जाने वाले करणीय कर्मों का समावेश होता है। सद्वृत्त मनुष्य द्वारा किए जाने वाले ऐसे करणीय कर्मों का समूह है जिससे उसका शारीरिक,मानसिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य का स्तर उन्नत अवस्था में बना रहता है। आधुनिक काल में चिकित्सा विज्ञान के अन्तर्गत स्वस्थवृत्त को हाइजीन (Hygine) के नाम से जाना जाता है। आधुनिक काल में स्वास्थ्य संर्वधन में हाइजीन के महत्व को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी स्वीकार किया गया है, इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) स्वास्थ्य के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक पक्ष को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य को इस प्रकार परिभाशित करता है - Health is a state of complete Physical, Mental, Spiritual and Social well being and not merely the absence of disease ...

अपने शिक्षक का एक वृत्त विवरण तैयार करें।

एक शिक्षक को सिर्फ अपने ही विषय का ज्ञान नहीं होना चाहिए उसे स्कूल में पढ़ाए जा रहे सभी विषयों का ज्ञान होने से साथ ही उसके सामान्य ज्ञान का स्तर ऊंचा होना चाहिए, क्योंकि आजकल के बच्चे शिक्षक से ज्यादा ज्ञान रखने लगे हैं ऐसे में अब शिक्षकों के सामने अपने विद्यार्थियों से ही चुनौती मिलने लगी है । एक अच्छा शिक्षक कभी भी अपने विद्यार्थियों से आदेशात्मक भाषा में बात नहीं करता बल्कि वह विनम्रता पूर्वक निर्देश देता है और जब जरूरत होती है तो वह गुस्सा भी प्यार से लगा देता है । उसके व्यवहार अपने विद्यार्थियों से मित्रता का होता है । एक अच्छा शिक्षक वही होता है जो अपने सभी विद्यार्थियों से एक समान व्यवहार करता है और सभी के आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य करता है । कई बच्चे हैं तो दूसरे बच्चों की भांति पढ़ने में तेज नहीं होते हैं । इसके कई कारण हो सकते हैं परंतु शिक्षक को उन कारणों के बारे में न सोचते हुए यह सोचना चाहिए कि आज यदि कमजोर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये बच्चे भविष्य में अपने जीवन में संघर्ष ही करते रहेंगे । माता पिता भले ही ध्यान दें या नहीं लेकिन शिक्षक को हर बच्चों को विशेष ध्यान देना चाहिए । शिक्षक का कार्य सिर्फ विषय की किताबें पढ़ाते रहना नहीं होता उसे अपने जीवन केअनुभव भी बांटना चाहिए । इससे आप उनके साथ बेहतर तालमेल बैठा पाएंगे । एक बेहतर शिक्षक वही होता है जो अपने विद्यार्थी को जीवन में अच्छे बुरे की पहचान, उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी बातें, व्यवहार और मानवता की सीख दे । अच्छा शिक्षक वह होता है जो अपनी बात को उदाहरण और कहानियों के साथ प्रस्तुत करें । इससे बच्चे जल्दी से सीख जाते हैं और लंबे समय तक याद भी रख लेते हैं । हमारे अन्य प्रश्न Recent Posts • • • • • •...