एक पौराणिक चरित्र

  1. मदालसा
  2. महाभारत की एक साँझ (भारत भूषण अग्रवाल)
  3. मैथिलीशरण गुप्त की कालजयी रचना
  4. पौराणिक चरित्र पृथु
  5. पौराणिक कथा पर आधारित है भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र
  6. यक्ष
  7. 50 पौराणिक वाक्यांश जो इतिहास में नीचे चले गए हैं / वाक्यांश और प्रतिबिंब
  8. श्रवण कुमार


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मदालसा

मदालसा एक पौराणिक चरित्र है जो ऋतुध्वज की पटरानी थी और विश्वावसु गन्धर्वराज की पुत्री थी। शत्रुजित नामक एक राजा था। उसके यज्ञों में सोमपान करके कथा एक बार राजा शत्रुजित के पास गालब मुनि गये थे। उन्होंने राजा से कहा था, कि एक दैत्य उनकी तपस्या में विघ्न प्रस्तुत करता है। उसको मारने के साधनस्वरूप यह कुवलय नामक घोड़ा पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · ·...

महाभारत की एक साँझ (भारत भूषण अग्रवाल)

महाभारत की एक साँझ (Summary) प्रस्तुत एकांकी में भारत भूषण जी ने एक पौराणिक विषय वस्तु को सर्वथा नए ढंग से प्रस्तुत किया है। एकांकी में दिखाया गया है कि महाभारत के युद्ध के लिए दुर्योधन का हठ ही जिम्मेदार नहीं था बल्कि पांडवों की महत्वकांक्षा भी समान रूप से उत्तरदायी थी। महाभारत के युद्ध के अंत में जब दुर्योधन की समस्त सेना का विनाश हो गया, तो दुर्योधन द्वैतवन के जल स्तंभ में छिप गया। एक अहेरी द्वारा सूचना पाकर पांडव भी वहाँ पहुँचे तथा सरोवर के तट पर खड़े होकर दुर्योधन को ललकारने लगे। पहले तो दुर्योधन ने उनकी ललकार पर ध्यान नहीं दिया, पर बार-बार ललकारे जाने पर दुर्योधन द्वैतवन के जलाशय से बाहर आ गया और बोला कि उसे युद्ध से विरक्ति हो गई है, अतः अब वह युद्ध नहीं करना चाहता। आप चैन से राज्य का आनंद लें, परंतु पांडव दुर्योधन को जीवित नहीं छोड़ना चाहते थे इसलिए बोले कि वे निहत्थे दुर्योधन को मार कर पाप के भागी नहीं बनेंगे। इसलिए तुम जो चाहो हथियार ले लो और हममें से किसी एक से युद्ध करो। यदि तुम जीत गए, तो सारा राज्य तुम्हारा होगा। दुर्योधन ने एक गदा की माँग की तथा भीमसेन और दुर्योधन में भंयकर गदा-युद्ध छिड़ गया। ऐसा प्रतीत होता था कि इस युद्ध में की ही जीत होगी, पर तभी श्रीकृष्ण वहाँ आ गए और उन्होंने भीमसेन को दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करने का संकेत किया। जंघा पर किए गए। इस प्रहार से दुर्योधन चीखकर, आहत होकर गिर पड़ा और पांडव खुशी मनाते हुए चले गए। संध्या के समय अकेले युधिष्ठिर दुर्योधन के पास आए तथा उससे बातें करने लगे। बातचीत के दौरान युधिष्ठिर ने दुर्योधन को युद्ध के लिए जिम्मेदार बताया तथा कहा कि मैं तो तुम्हें शांति देने आया था, हो सकता है तुम्हें पश्चाताप हो रहा हो। दुर...

मैथिलीशरण गुप्त की कालजयी रचना

संपूर्ण रामायण में राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के त्याग का वर्णन मिलता है लेकिन उर्मिला के लिए बहुत कम पंक्तियाँ रची गई है जबकि उसका त्याग भी विलक्षण है। पति लक्ष्मण भाई राम के साथ वनवास चले गए तब 14 वर्ष उसने विरह की अग्नि में जलकर बिताए। गुप्त जी ने उस दर्द को महसूस करते हुए अपनी कल्पनाशीलता से यह मार्मिक रचना लिखी । पिता के महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए हर साल विश्वभर में फादर्स डे (father's day) मनाया जाता है। इस साल फादर्स डे 14 जून को मनाया जाएगा। अगर आपने अभी तक अपने पिता के लिए कोई भी गिफ्ट नहीं लिया है तो आप इन लास्ट मिनट गिफ्ट आईडिया की मदद से गिफ्ट चुन सकते हैं। चलिए जानते हैं क्या हैं ये गिफ्ट आईडिया... 21 June yoga day 2023 : शरीर में सर्वप्रथम गंदगी तीन जगह पर जमती है। पहला आहार नाल में और दूसरा पेट में और तीसरा आंतों में। इन तीनों जगह यदि गंदगी ज्यादा समय तक बनी रही तो यह फैलेगी। तब यह किडनी में, फेंफड़ों में और हृदय के आसपास भी जमने लगेगी। अंत में यह खून को गंदा कर देगी। अत: इस गंदगी को साफ करना जरूरी है। 'बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है' दंगल फिल्म का आपने यह गाना तो ज़रूर सुना होगा। साथ ही आपने कई बार 'पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा' गाना भी गाया होगा। आपके पापा कहे न कहे पर फिल्म देखना सबको बहुत पसंद होता है। फिल्म हमारे जीवन और दुनिया की सच्चाई को दर्शाती है।आप अपने पिता के साथ ये फादर स्पेशल फिल्म देख सकते हैं। Dato par jama kalapan kaise hataye : दांतों पर धीरे धीरे एक पीली परत जम जाती है। इस परत को प्लाक कहते हैं। यह प्लाक बैक्टीरिया की एक चिपचिपी परत होती है। बैक्टीरिया एसिड पैदा करते हैं। ये एसिड दांतों के इनेमल को नष्ट कर सकते हैं और कैविटी और मस...

पौराणिक चरित्र पृथु

पौराणिक चरित्र पृथु | पौराणिक कथा | Pauranik katha in hindi | Pauranik katha in hindi:- पृथु एक सूर्यवंशी राजा थे, जो वेन के पुत्र थे। वाल्मीकि रामायण में इन्हें अनरण्य का पुत्र तथा त्रिशंकु का पिता कहा गया है। ये भगवान विष्णु के अंशावतार थे। स्वयंभुव मनु के वंशज अंग नामक प्रजापति का विवाह मृत्यु की मानसी पुत्री सुनीथा से हुआ था। वेन उनका पुत्र हुआ। सिंहासन पर बैठते ही उसने यज्ञ-कर्मादि बंद कर दिये। त्र+षियों ने मंत्रपूत कुशों से उसे मार डाला। सुनिथा ने पुत्र का शव सुरक्षित रखा, जिसकी दाहिनी जंघा का मंथन करके त्र+षियों ने एक नाटा और छोटा मुखवाला पुरुष उत्पन्न किया। उसने ब्राह्मणों से पूछा, कि “मैं क्या करूं?” ब्राह्मणों ने “निषीद” (बैठ) कहा। इसलिए उसका नाम निषाद पड़ा। उस निषाद द्वारा वेन के सारे पाप कट गये। बाद में ब्राह्मणों ने वेन की भुजाओं का मंथन किया, जिसके फलस्वरूप स्त्री-पुरुष का जोड़ा प्रकट हुआ। पुरुष का नाम पृथु तथा स्त्री का नाम अर्चि हुआ। अर्चि पृथु की पत्नी हुई। यह लक्ष्मी का अवतार थी। पृथु का राज्याभिषेक हुआ। वेन के पापाचरणों से पृथ्वी धन-धान्यहीन हो गई थी। प्रजा का क्लेश मिटाने के लिए पृथु अपना अजगर लेकर पृथ्वी के पीछे पड़े तो वह कांप उठी और गौ-रूप धारण कर शरण के लिए भागी, पर कहीं भी उसे रक्षा नहीं मिली। उसने राजा से प्रार्थना की कि वह अपने उदर में पचे धन-धान्य को दूध के रूप में दे देगी, बशर्ते कि एक बछड़ा दें। स्वायंभुव मनु को बछड़ा बनाकर पृथ्वी दुही गयी। [ Pauranik katha in hindi ] अंत में राजा ने पृथ्वी को कन्या-रूप में ग्रहण किया। पृथु बड़े धर्मात्मा एवं भगवद्भक्त थे। इन्होंने ब्रह्मावर्त प्रदेश में पुण्यतोया सरस्वती के तट पर सौ यज्ञ किये। सौवां यज्ञ चलते...

पौराणिक कथा पर आधारित है भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र

भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र किसी भी सैनिक के लिये उसके जीवन का ख़्वाब होता है। इन वर्षों में जिन्हें भी ये पुरस्कार मिला है, वे कई भारतीयों के नायक रहे हैं, जो इससे प्रेरित होकर वे सेना में शामिल हुए हैं देश और बहादुरी की विरासत को आगे बढ़ाया है। इन वीरों की बहादुरी के कारण उनके नाम पर कई संस्थानों के नाम भी रखे गये हैं। इस पुरस्कार से सम्मानित लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल और कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे युवा सैनिक अपनी बहादुरी से युवाओं को प्रेरित करते रहते हैं, वहीं पुराने योद्धा ब्रिगेडियर होशियार सिंह दहिया, कर्नल धान सिंह थापा, और होनोरेरी कैप्टेन बाना सिंह ने समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपनी अदम्य भावना से इसके विकास में योगदान किया। परम वीर चक्र से सम्मानित सैनिक- होनौरारी कैप्टेन योगेन्द्र सिंह यादव, होनौरारी कैप्टेन (सेवानिवृत्त) बाना सिंह और सूबेदार संजय कुमार | शिव अरूर इसकी स्थापना के बाद से ये पदक यह थल, जल या वायु क्षेत्र में दुश्मनों के ख़िलाफ़ बहादुरी, साहस, वीरता या फिर आत्म-बलिदान के लिए सैनिकों को दिया जाता रहा है। दिलचस्प बात ये है कि इसकी स्थापना और इससे सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति की कहानी का सम्बंध, इस पदक को डिज़ायन करने वाले व्यक्ति से है! कांसे का बना परमवीर चक्र गोलाकार है, और इसका व्यास 1.375 इंच है। मध्य सतह पर एक उभरे हुए घेरे पर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सत्यमेव जयते मौजूद है, जो चारों तरफ़ से वज्र से घिरा हुआ है, जिसे भगवान इंद्र का हथियार माना जाता है। इसके पीछे हिन्दी और अंग्रेज़ी में लिखे ‘परमवीर चक्र’ के नाम के चारों ओर कमल के फूल हैं। यह पदक 1.3 इंच के बैंगनी रंग रिबन के साथ सीधी-घुमावदार पट्टी से लटका हुआ है। पिछले समय में,...

यक्ष

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50 पौराणिक वाक्यांश जो इतिहास में नीचे चले गए हैं / वाक्यांश और प्रतिबिंब

अपने पूरे जीवन में हमने अनगिनत वाक्यांशों को सुना है जो हमारी स्मृति में बने हुए हैं क्योंकि वे एक वास्तविक और पारगमन की स्मृति का हिस्सा हैं या क्योंकि उन्हें एक ऐतिहासिक क्षण में एक प्रतिष्ठित चरित्र द्वारा जारी किया गया है या यहां तक ​​कि एक फिल्म में सुना या पढ़ा गया है एक पुस्तक जिसे हम चिन्हित किया गया है. इस लेख में आप पाएंगे कुछ पौराणिक वाक्यांश जो कई लोगों के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं और वे इतिहास में नीचे चले गए हैं. • संबंधित लेख: "मनोविज्ञान के बारे में 55 सर्वश्रेष्ठ वाक्य ... और इसका अर्थ" पौराणिक वाक्यांशों का चयन आगे हम आपको प्रस्तुत करते हैं पौराणिक वाक्यांशों का एक संग्रह इतिहास के महान क्षणों में, महान हस्तियों द्वारा जारी किया गया है या जो फिल्मों या उच्च मान्यता प्राप्त पुस्तकों से उभरा है. 1. मैं केवल इतना जानता हूं कि मैं कुछ नहीं जानता (सुकरात) इस वाक्यांश का श्रेय सुकरात को दिया जाता है, जिन्होंने कहा कि बुद्धिमान वह नहीं है जो सोचता है कि वह बहुत कुछ जानता है बल्कि वह जो अपने ज्ञान की सीमा को पहचानता है. • संबंधित लेख: "सुकरात के 70 वाक्यांशों को उनके विचार को समझने के लिए" 2. मनुष्य के लिए एक छोटा कदम, मानवता के लिए एक बड़ी छलांग (नील आर्मस्ट्रांग) यह वाक्यांश नील आर्मस्ट्रांग द्वारा एक ऐतिहासिक क्षण में सुनाया गया था जो उन लोगों की याद में रहेगा जो इसे जीते थे: 21 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर मनुष्य का आगमन. 3. मेरा एक सपना है (मार्टिन लूथर किंग) मार्टिन लूथर किंग के सबसे पौराणिक और प्रतिनिधि वाक्यांशों में से एक ये तीन शब्द हैं जिनके साथ वह शुरू करेंगे सबसे भावनात्मक भाषणों में से एक और यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में नस्लीय अलगाव को समा...

श्रवण कुमार

श्रवण कुमार एक पौराणिक चरित्र है। ऐसा माना जाता है कि श्रवण कुमार के माता-पिता अंधे थे। श्रवण कुमार अत्यंत श्रद्धापूर्वक उनकी सेवा करते थे। एक बार उनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। श्रवण कुमार ने उल्लिखित संदर्भ • सरवन ( • श्रवण बाल्यकाल में शब्दभेदी वाण चलाने में नैपुष्य प्राप्त कर लेने के कारण राजा दशरथ को बहुत गर्व था। पावस ऋतु में सायंकाल वे धनुष- वाण लेकर सरयू के किनारे गये। उनका विचार रात के समय जल पीने के लिए आने वाले किसी वन्य पशु का शिकार करने का था। अचानक पानी की कुछ आवाज सुनकर उन्हें लगा कि हाथी चिंघाड़ रहा है। उन्होंने शिकार के लिए शब्दभेदी वाण का प्रयोग किया। आर्तनाद सुनकर उन्होंने जाना कि वाण किसी मनुष्य का प्राणघातक बना है। पास जाने पर उन्होंने एक तपस्वी को तड़पते देखा जिसने बतलाया कि वह ऋषि है जो सांसारिकता को त्याग कर अपने अंधे माता-पिता की सेवा में रत है तथा उन्हीं के लिए पानी लेने के निमित्त वहां आया था। ऋषि ने दशरथ को बतलाया कि वह वैश्य पिता तथा शूद्रा माता का पुत्र था। उसने दशरथ से तीर निकालने के लिए कहा तथा अपने निवासस्थान का मार्ग बतलाकर माता-पिता के लिए पानी ले जाने के लिए कहा। तदुपरांत उसने प्राण त्याग दिये। मरने से पूर्ण उसने यह भी बतलाया कि अपने अनजाने पाप की स्वयं स्वीकृति कर लेने पर उसके माता-पिता संभवत: दशरथ को शाप नहीं देंगे। दशरथ आश्रम में उसके माता पिता के पास गये। उन्हें संपूर्ण घटना बतलाकर पर उन्होंने अपना अपराध स्वीकर कर लिया। माता पिता की इच्छानुसार दशरथ उन्हें घटनास्थल पर शव के पास ले गये। वहाँ उनके विलाप करने पर इंद्र के साथ उनके पुत्र (श्रवण) ने विमान पर आकर कहा कि वे भी शीघ्र ही पुत्र के निकट पहुँचेंगे। श्रवण के चले ज...