एक वाक्य बतलाता हूं मैं मुल्के अरब का

  1. CBSE Class 8 Hindi Grammar वाक्य
  2. Upvaky (Clause) उपवाक्य
  3. Beti Ek Waqia Nazm Hindi Lyrics


Download: एक वाक्य बतलाता हूं मैं मुल्के अरब का
Size: 52.47 MB

CBSE Class 8 Hindi Grammar वाक्य

CBSE Class 8 Hindi Grammar वाक्य Pdf free download is part of CBSE Class 8 Hindi Grammar वाक्य शब्दों के सार्थक समूह को ‘वाक्य’ कहते हैं। वाक्य के दो अंग होते हैं- • उद्देश्य • विधेय 1. उद्देश्य – वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं; जैसे • नेहा खाना खाती है। • सर चंद्रशेखर वेंकटरमन को नोबेल पुरस्कार मिला 2. विधेय – वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए उसे ‘विधेय’ कहते हैं; जैसे • गजू व्यायाम कर रहा है। • अंशु पढ़ रही है। उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द विधेय है। वाक्य के भेद वाक्य के भेद दो आधारों पर किए जाते हैं – • रचना के आधार पर • अर्थ के आधार पर 1. रचना के आधार पर वाक्य के भेद – रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं • सरल वाक्य • संयुक्त वाक्य • मिश्रित वाक्य (i) सरलवाक्य – जिन वाक्यों में एक विधेय होता है, उन्हें सरल वाक्य कहते है; जैसे • कोमल नाच रही है। • बबीत और अक्षत विद्यालय गए। पहले वाक्य में एक उद्देश्य है, दूसरे वाक्य में दो उद्देश्य हैं। और इन दोनों वाक्यों में एक-एक विधेय है। इसलिए ये सब सरल वाक्य हैं। सरल वाक्यों में एक ही विधेय होता है। (ii) संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्य हैं तथा दोनों समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े हैं यानी यहाँ सरल वाक्य जुड़े हुए हैं। अतः यह संयुक्त वाक्य है; जैसे-नीता कहानी कहती है और गीत पिक्चर देखती है। (iii) मिश्र वाक्य – जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो और दूसरा गौण या आश्रित उपवाक्य हो, उसे मिश्रितवाक्य कहते हैं; जैसे नेता सुभाषचंद्र बोस ने कहा था कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। प्रधान उपवाक्य (आश्रित उपवाक्य) 2. अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ ...

Upvaky (Clause) उपवाक्य

Upvaky (Clause) उपवाक्य उपवाक्य (Clause) की परिभाषा ऐसा पदसमूह, जिसका अपना अर्थ हो, जो एक वाक्य का भाग हो और जिसमें उदेश्य और विधेय हों, उपवाक्य कहलाता हैं। सरल शब्दों में- जिन क्रिययुक्त पदों से आंशिक भाव व्यक्त होता है, उन्हें उपवाक्य कहते है। उपवाक्य किसी वाक्य का अंश होता है। इसमें कर्त्ता और क्रिया का होना आवश्यक है। जैसे- मंजू स्कूल नहीं गयी; क्योंकि पानी बरस रहा था। मैं नहीं जानता कि वह कहाँ रहता है। यह वही घड़ी है जिसे मैंने कलकत्ते में खरीदी थी। ऊपर के वाक्यों में 'क्योंकि पानी बरस रहा था', 'कि वह कहाँ रहता है' और 'जिसे मैंने कलकत्ते में खरीदी थी' - उपवाक्य हैं। उपवाक्यों के आरम्भ में अधिकतर कि, जिससे ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ इत्यादि होते हैं। उपवाक्य के प्रकार उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं- (1) संज्ञा उपवाक्य (Noun Clause) (2) विशेषण उपवाक्य (Adjective Clause) (3) क्रिया-विशेषण उपवाक्य (Adverb Clause) (1) संज्ञा उपवाक्य(Noun Clause)-वह उपवाक्य जो प्रधान या मुख्य (Principal) उपवाक्य की संज्ञा या कारक के रूप में सहायता करे, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में- जो गौण उपवाक्य प्रधान उपवाक्य का उद्देश्य (कर्ता), कर्म या पूरक बनकर संज्ञा अथवा सर्वनाम के स्थान पर प्रयुक्त हो, वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है। यह कर्म (सकर्मक क्रिया) या पूरक (अकर्मक क्रिया) का काम करता है, जैसा संज्ञा करती है। 'संज्ञा-उपवाक्य' की पहचान यह है कि इस उपवाक्य के पूर्व 'कि' होता है। जैसे- 'राम ने कहा कि मैं पढूँगा' यहाँ 'मैं पढूँगा' संज्ञा-उपवाक्य है। 'मैं नहीं जानता कि वह कहाँ है- इस वाक्य में 'वह कहाँ है' संज्ञा-उपवाक्य है। संज्ञा उपवाक्य संज...

Beti Ek Waqia Nazm Hindi Lyrics

Beti Ek Waqia Nazm Hindi Lyrics | बेटी, एक वाक़िया एक वाकिया बतलाता हूं मैं मुल्के अरब का वो दौर मदीने में था पैग़म्बरे रब का इक अदमी दरबारे नबुववत में था हाज़िर इमान की दौलत मिली वो पहले था काफिर उस शख्स ने आका से कहा ऐ मेरे आका जिस वक़्त मै काफ़िर था तब एक जुर्म किया था जो मेरा क़बीला कहे वो मानता था मैं बेटी की विलादत को बुरा जानता था मैं घर मे मेरे पैदा हुई इक फूल सी बच्ची पर मैंने उसे अपनी ही बे इज्ज़ती समझी नफ़रत थी मुझे उससे मैं बेज़ार था उससे लेकिन मेरी बीवी को बहुत प्यार था उससे उस बच्ची ने इज्ज़त मेरी हर सिम्त उछाली बेटी की विलादत पे मुझे मिलती थी गाली बांहों में झुलाया न तो काधों पे बिठाया मैंने न कभी बेटी को सीने से लगाया चाहत ही नहीं थी कोई उल्फत ही नहीं थी सीने में मेरे उसकी मुहब्बत ही नहीं थी मासूम वो करती थी मोहब्बत के इशारे और मैने इसी कर्ब मे कुछ साल गुज़रे मैं सोचता रहता था उसे मार ही डालूं खोइ हुई इज्जत को फिर एक बार मैं पा लूं एक रोज़ उसे ले के निकल आया मैं घर से वो बच्ची बहुत खुश थी मेरे साथ सफ़र से वो तोतले अंदाज़ में करती रही बातें सुनता रहा हंस हंस के मैं उस बच्ची की बातें फरमाईशें करती रही वो सारे सफ़र में जागी ना मुहब्बत ही मगर मेरे जिगर में सहरा मे चला आया मैं बस्ती से निकल कर बच्ची भी वहां पहुंची मेरे साथ ही चल कर सुनसान जगह देख कर सरशार हुआ मैं उस बच्ची की तद्फीन को तैयार हुआ मैं तब मैंने ये सोचा कि यहीं कब्र बना लूं और आज ही इस बच्ची से छुटकारा मैं पा लूं जब मैंने किया एक गढ़ा खोदना जारी उस वक़्त मेरे ज़ेहन पे शैतान था तारी गरमी थी बहुत चूर हुआ जब मैं थकन से उस वक़्त पसीना निकल आया था बदन से मासूम सी बच्ची को तरस आ गया मुझ पर हाथों ही से उस बच्ची ने सा...