एकादशी कब है 2023

  1. Nirjala Ekadashi 2023 Know date shubh muhurat puja vidh importance
  2. निर्जला एकादशी कब है 2023? निर्जला एकादशी साल में कितनी बार आती है? जानिए महत्व और प्रामाणिक कथा
  3. Yogini Ekadashi 2023 Date Time Shubh Muhurat What To Do In This Fast Lord Vishnu
  4. Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व
  5. Yogini Ekadashi 2023 Vrat Paran Time And Date Know How To Do Vrat Paran
  6. yogini ekadashi 2023 date shubh muhurat puja vidhi niyam mahatv paran time tvi
  7. Devshayani Ekadashi 2023:कब है देवशयनी एकादशी? जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि
  8. Yogini Ekadashi 2023: कब है योगिनी एकादशी? जानें
  9. Devshayani Ekadashi Kab Hai 2023: कब है देवशयनी एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


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Nirjala Ekadashi 2023 Know date shubh muhurat puja vidh importance

Nirjala Ekadashi 2023: कब है निर्जला एकादशी? जानें क्यों कहा जाता है सबसे कठोर व्रत Nirjala Ekadashi Vrat 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और इनमें निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशियों के बराबर फल की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा भी मिलती है. Nirjala Ekadashi Vrat 2023 हिंदू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और इनमें निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशियों के बराबर फल की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा भी मिलती है. निर्जला एकादशी का व्रत मुख्य रूप से मोक्ष प्राप्ति और दीर्घायु के लिए किया जाता है. निर्जला एकादशी 2023 तिथि और मुहूर्त एकादशी तिथि 30 मई 2023 को दोपहर 1 बजकर 09 मिनट से प्रारंभ होकर 31 मई 2023 को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा. उदया तिथि के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई 2023 को रखा जाएगा. वहीं, इस व्रत के पारण का समय 1 जून 2023 को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से 8 बजकर 09 मिनट तक रहेगा. क्यों कठोर है यह व्रत? साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठोर माना जाता है. अगर आप वर्ष भर में किसी भी एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं तो इस एकादशी का व्रत करने से आपको सभी एकादशियों की कृपा प्राप्त होगी. यह व्रत एकादशी को सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी को सूर्योदय तक बिना जाल के उपवास रखा जाता है. निर्जला एकादशी पूजा विधि एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. पूजा करने के बाद भगवान विष्...

निर्जला एकादशी कब है 2023? निर्जला एकादशी साल में कितनी बार आती है? जानिए महत्व और प्रामाणिक कथा

इस वर्ष निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi 2023) 31 मई 2023, दिन बुधवार को रखा जाएगा। इस बार एकादशी तिथि का प्रारंभ 30 मई, मंगलवार को 01.07 पी एम से शुरू होकर 31 मई, दिन बुधवार को 01.45 पी एम पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। और इस एकादशी का पारण 01 जून को किया जाएगा। पारण यानी व्रत तोड़ने का सबसे उचित समय- 05.24 ए एम से 08.10 ए एम तक रहेगा। पारण तिथि के दिन 01.39 पी एम द्वादशी तिथि का समापन होगा। महत्व- शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन माना जाता है। इस व्रत में भोजन और पानी दोनों का ही त्याग करना होता है। निर्जला, यानी जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन जल ग्रहण न करके जल का संग्रहण किया जाता है और जल बचाने की यह हमारी परंपरा सदियों पुरानी है। इस व्रत को महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था, इसलिए इसे भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो एक वर्ष में 24 एकादशी पड़ती है, लेकिन इन 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौराणिक शास्त्रों में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। मान्यतानुसार इस दिन व्रत रखने से सभी तीर्थस्थानों पर स्नान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत की सबसे खास बात यह है कि साल भर में आने वाली सभी एकादशियों का फल केवल इस व्रत को रखने से मिल जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाए तो चल-अचल संपत्ति, यश, वैभव, धन-धान्य, कीर्ति, सफलता और सभी सांसारिक खुशियों की प्राप्ति भी होती है। श्री व्यासजी के अनुसार वृषभ और मिथुन की संक्रां‍‍ति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक...

Yogini Ekadashi 2023 Date Time Shubh Muhurat What To Do In This Fast Lord Vishnu

Yogini Ekadashi 2023: हर महिने 2 एकादशी पड़ती हैं. एक कष्ण पक्ष में एक शुक्ल पक्ष में, पूरे साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. जून माह में पड़ने वाले एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष के योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस साल ये व्रत 14 जून 2023 , बुधवार के दिन रखा जाएगा. ये व्रत हर साल जून-जुलाई में रखा जाता है. योगिनी एकादशी का व्रत श्री हरि विष्णु के लिए रखा जाता है.इस दिन श्री नारायण भगवान की पूजा अर्चना की जाती है. इस व्रत को रखने से सभी पापों का नाश होता है, दुख दर्द दूर होते हैं. शुभ मुहूर्त (Panchang 14 june 2023) एकादशी तिथि प्रारंभ 13 जून सुबह 09:28 मिनट एकादशी तिथि समाप्त 14 जून सुबह 08: 28 मिनट योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून, 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा. योगिनी ए कादशी पारण मुहूर्त 15 जून , गुरुवार सुबह 05:22 से 08:10 योगिनी एकादशी का व्रत रखने से जातक के सभी कष्टों का अंत होता और बीमारियों से मुक्ति मिलती है. अगर आप निरोग और स्वास्थ्य रहना चाहते है तो योगिनी एकादशी के व्रत को जरुर रखें. ऐसा माना जाता हि कि इस व्रत को रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही योगिनी एकादशी व्रत को रखने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है. इस दिन क्या करें (Ekadashi Par Kya Karen) • योगिनी एकादशी के दिन श्री हरि के भजन करें और नाम का जाप करें. • इस दिन भजन- कीर्तन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. • इस दिन व्रत रखने और साधना करने से सभी समस्याओं का अंत होता है. • इस दिन केवल जलीय आहार ग्रहण करें. • इस दिन अपने गुस्से पर कंट्रोल रखें. • जितना ज्यादा संभव हो विष्णु जी के साथ शिव जी की भी उपासना करें. Discl...

Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व

डीएनए हिंदीः प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि (Yogini Ekadashi 2023) का विशेष धार्मिक महत्व होता है. एकादशी तिथि का व्रत (Ekadashi Vrat 2023) पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. जून महीने में पंचांग के आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि (Yogini Ekadashi 2023) आने वाली है. आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष एकादशी योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2023) के रूप में मनाई जाती है. योगिनी एकादशी व्रत करने से समस्त पापों का अंत होता है. तो चलिए योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2023) व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व के बारे में बताते हैं. योगिनी एकादशी व्रत 2023 (Yogini Ekadashi 2023 Date) आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 13 जून को सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर होगी जिसका समापन अगले दिन 14 जून को सुबह 8 बजकर 48 मिनट पर होगा. पंचांग में तिथि के लिएसूर्य उदय तिथि को महत्व दिया जाता है. ऐसे में एकादशी व्रत 14 जून को रखा जाएगा. एकादशी व्रत करने से कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को लाभ होता है. यह व्रत करने से उसके रोग जल्द ही ठीक हो जाते हैं. एकादशी व्रत से सुखों की प्राप्ति होती है और श्रीहरि की कृपा मिलती है. योगिनी एकादशी के दिन लाल रंग के आसन के चारों कोनो पर एकमुखी दीपक जला दें. इसके बाद आसन पर बैठकर संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करें. यह उपाय करने से जल्द ही नौकरी के योग बनते हैं. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में

Yogini Ekadashi 2023 Vrat Paran Time And Date Know How To Do Vrat Paran

Yogini Ekadashi 2023: योगिनी एकादशी का व्रत आज यानि 14 जून 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है. इस दिन श्री हरि विष्णु भगवान की अराधना करने से मन चाहे फल की प्राप्ति होती है और सभी दुख दर्द दूर होते हैं. एकादशी तिथि की शुरुआत 13 जून को हो चुकी थी, आज सुबह यानि 14 जून 2023 को 8:28 मिनट पर एकादशी तिथि का समाप्त होगी. उदया तिथि होने की वजह से एकादशी का व्रत आज यानि 14 जून को रखा गया. देवश्यनी एकादशी से पहले जो एकादशी आती है उसे योगिनी एकादशी कहते है. साल में कुल 24 एकादशी होती हैं. हर माह 2 एकादशी तिथि पड़ती हैं. योगिनी एकादशी व्रत का पारण (Yogini Ekadashi 2023 Parana Time ) योगिनी एकादशी का पारण 15 जून को सुबह 05:23 बजे से सुबह 08:10 बजे के बीच किया जा सकता है. उस दिन द्वादशी तिथि सुबह 08:32 बजे तक ही है. व्रत का पारण हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. ऐसा करने आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है, और आपका व्रत उचित मायनों में पूरा होता है. एकादशी व्रत का पारण कैसे करें (How to do Ekadashi Vrat Paran?) • एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद किया जाता है. • एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले करना अवश्यक माना गया है. • अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाए तो सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण होता है. • द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना भी पाप के समान ही होता है. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.comकिसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधि...

yogini ekadashi 2023 date shubh muhurat puja vidhi niyam mahatv paran time tvi

Yogini Ekadashi 2023 Date: योगिनी एकादशी कब है? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय भगवान श्रीहरि विष्णु को एकादशी की तिथि अत्यंत प्रिय होती है. इसलिए जो भी भक्त किसी भी एकादशी का व्रत करते हैं, उसका फल उन्हें कई गुना अधिक मिलता है. एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है और सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जानें योगिनी एकादशी 2023 कब है? Yogini Ekadashi 2023 Date: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) कहते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है. पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्रीहरि विष्णु को एकादशी की तिथि अत्यंत प्रिय होती है. इसलिए जो भी भक्त किसी भी एकादशी का व्रत करते हैं, उसका फल उन्हें कई गुना अधिक मिलता है. एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है और सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. योगिनी एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इसलिए कहा जाता है कि सामर्थ्य के अनुसार इस दिन दान-पुण्य जरूर करना चाहिए. जानें योगिनी एकादशी 2023 कब है? पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, नियम, महत्व और पारण का समय क्या है? • योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें. • घर के मंदिर की सफाई अच्छी से करें. • इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं. • अब आप घी का दीपक जलाकर विष्णुसहस्त्र नाम स्त्रोत का पाठ करें. • इस दिन भगवान विष्णु को खीर या हलवे का भोग लगाएं. • ध्यान रहे भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें.

Devshayani Ekadashi 2023:कब है देवशयनी एकादशी? जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि

Devshayani Ekadashi 2023 Date: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी कहते हैं। इस साल देवशयनी एकादशी तिथि 29 जून 2023, गुरुवार के दिन है। वैसे तो साल की सभी एकादशियां भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए खास होती हैं, लेकिन देवशयनी एकादशी को सभी एकादशियों में विशेष माना गया है। मान्यता है कि इस दिन से सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु का चार महीनों के लिए निद्रा काल शुरू हो जाता है। देवशयनी एकादशी के दिन से ही विष्णु जी के निद्राकाल के साथ चतुर्मास शुरू हो जाता है। इसके बाद सारे शुभ और मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इसके बाद चार माह की निद्रा के बाद कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं। इसके बाद फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं देवशयनी एकादशी की शुभ और पूजा विधि के बारे में... देवशयनी एकादशी पूजा विधि • देवशयनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु का स्मरण कर उन्हें प्रणाम करें। • फिर मन ही मन 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। • इसके बाद पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें और हो सके तो पीले वस्त्र धारण करें। • इसके बाद चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु का चित्र स्थापित करें। • पूजा में फल, फूल, दूध, दही, पंचामृत का भोग लगाएं और श्री हरि विष्णु की आरती उतारें। • दिन भर उपवास रखें और शाम के समय एक बार फिर से भगवान की पूजा कर उनकी आरती करें। व्रत कथा जरूर सुनें। • भगवान को पीली वस्तुओं का भोग लगाएं। इसके बाद फलाहार करें।

Yogini Ekadashi 2023: कब है योगिनी एकादशी? जानें

Yogini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. हर महीने दो बार एकादशी आती है- पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और कई प्रकार के पापों का नाश होता है. योगिनी एकादशी का व्रत इस बार 14 जून, बुधवार को रखा जाएगा. आइए जानते हैं योगिनी एकादशी क्यों खास होती है और इसकी पूजन विधि क्या है. क्यों खास होती है योगिनी एकादशी योगिनी एकादशी के बाद देवशयनी एकादशी मनाई जाती है. देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इसके बाद शुभ कार्य पूरी तरह से वर्जित हो जाते हैं, इसलिए योगिनी एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके अलावा, निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी जैसी महत्वपूर्ण एकादशी के बीच योगिनी एकादशी आती है. इस वजह से भी इसका महत्व काफी बढ़ जाता है. योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2023 Shubh Muhurat) योगिनी एकादशी का व्रत बुधवार, 14 जून को रखा जाएगा. एकादशी तिथि प्रारंभ 13 जून, मंगलवार को सुबह 09 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो जाएगी और एकादशी तिथि का समापन 14 जून, बुधवार को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगा. योगिनी एकादशी का पारण 15 जून को सुबह 05 बजकर 32 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. योगिनी एकादशी पूजन विधि (Yogini Ekadashi Pujan Vidhi) योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. भगवान को फल-फूल अर्पित करें और सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी आरती करें. भगवान विष्णु की अनुकंपा से जहां आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा. वह...

Devshayani Ekadashi Kab Hai 2023: कब है देवशयनी एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

यह भी पढ़ें: देवशयनी एकादशी 2023 का शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi 2023 Shubh Muhurat) • देवशयनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त आरंभ: 29 जून, सुबह 4 बजकर 51 मिनट • देवशयनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त समापन: 29 जून, सुबह 6 बजकर 38 मिनट देवशयनी एकादशी 2023 की पूजा विधि (Devshayani Ekadashi 2023 Puja Vidhi) • सुबह जल्दी उठकर स्‍नान करें। फिर स्वच्छ वस्‍त्र धारण करें। • भगवान विष्णु का ध्यान करें और उन्हें जलाभिषेक कराएं। • भगवान विष्णु का श्रृंगार करें और नए वस्त्र धारण कराएं। • भगवान विष्णु को चंदन (चंदन के उपाय) लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें। • भगवान विष्णु को फल, फूल और अक्षत चढ़ाएं। • भगवन विष्णु को मिष्ठान आदि का भोग लगाएं। • भगवन विष्णु के भोग में तुलसी दल अवश्य डालें। • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। • भगवान विष्णु का स्तोत्र पाठ भी करें। • भगवान विष्णु की आरती उतारें। • पीपल के पेड़ की भी पूजा करें। • योगिनी एकादशी की व्रत कथा सुनें। • फिर प्रसाद में फल ग्रहण करें। यह भी पढ़ें: देवशयनी एकादशी 2023 का महत्व (Devshayani Ekadashi 2023 Mahatva) • देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है। • ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) के साथ-साथ सभी देवी-देवता पाताल में निवास करते हैं। • धरती को छोड़ पाताल में देवी-देवताओं के जाने की घटना को देवशयन के नाम से जाना जाता है। • इसलिए इस दौरान पड़ने वाली एकादशी देवशयानी कहलाती है। इसके बाद के 4 महीने अशुभ होते हैं। • इन चार महीनों की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। • शास्त्रों के अन्सुआर, इन चार महीनों तक भगवान शिव धरती का संचालना...