एकादशी फरवरी 2023

  1. Vijaya Ekadashi 2023:विजया एकादशी आज, जानिए महत्व, पूजाविधि, व्रत के नियम और शुभ मुहूर्त
  2. Vijaya Ekadashi 2023: कार्य सफलता के लिए आज विजया एकादशी पर रखें व्रत, प्रभु श्रीराम ने भी किया था एकादशी पूजन
  3. Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी, जानिए कथा और महत्व
  4. Vijaya Ekadashi 2023: इस दिन है फाल्गुन की पहली एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
  5. साल 2023 में एकादशी कब
  6. Festival Calendar 2023:साल 2023 में कब होली, दिवाली और नवरात्रि, जानिए साल के प्रमुख व्रत
  7. जया एकादशी 2023: भूत


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Vijaya Ekadashi 2023:विजया एकादशी आज, जानिए महत्व, पूजाविधि, व्रत के नियम और शुभ मुहूर्त

Vijaya Ekadashi 2023: आज ( 16 फरवरी 2023) विजया एकादशी का व्रत है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व माना गया है। भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने इस तिथि को स्वयं के समान ही माना है। मान्यता है कि इस पावन तिथि को विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु के निमित्त पूजा और जितेन्द्रिय होकर व्रत करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी, गुरुवार को रखा जा रहा है। व्रत की महिमा पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए इसी एकादशी का व्रत किया था। मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से विपरीत परिस्थितियां व्यक्ति के लिए अनुकूल होने लगती हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।विजया एकादशी व्रत के बारे में शास्त्रों में लिखा है कि यह व्रत करने से स्वर्णणदान,भूमि दान,अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और अंततः प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है।यह भी मान्यता है कि इस महानपुण्यदायक व्रत को करने से व्रती को वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है एवं सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि आपका कोई शत्रु आपको परेशान करता है तो उसे परास्त करने के लिए ये व्रत करना अच्छा रहता है। व्रत की पूजाविधि विजया एकादशी पर शेषनाग की शैया पर विराजमान व लक्ष्मीजी जिनके चरण दबा रही हों उन भगवान श्री नारायण की पूजा का विधान है। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाएं और उस पर सप्तधान रखें और यहां जल से भरा एक कलश स्थापित करें। कलश में आम या अशोक के ताजे ...

Vijaya Ekadashi 2023: कार्य सफलता के लिए आज विजया एकादशी पर रखें व्रत, प्रभु श्रीराम ने भी किया था एकादशी पूजन

डीएनए हिंदी: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशी (Ekadashi) तिथि होती हैं. पंचांग के अनुसार, हर माह में दो एकादशी तिथि होती है. एकादशी (Ekadashi) तिथि पर पूजा और व्रत (Ekadashi Puja Or Vrat) का विशेष महत्व होता है. एकादशी (Ekadashi) पर भगवान विष्णु की पूजा के लिए व्रत रखा जाता है. अब फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि आने वाली है. फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष एकादशी (Ekadashi) पर विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) का व्रत रखा जाता है. विजया एकादशी पर व्रत करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है और शत्रुओं पर विजया प्राप्त होती है. तो चलिए विजया एकादशी की तारीख, पूजन और व्रत के बारे में जानते हैं. विजया एकादशी 2023 व्रत मुहूर्त (Vijaya Ekadashi 2023 Vrat Muhurat) विजया एकादशी तिथि की शुरूआत 16 फरवरी 2023 को यानीआज सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर होगी. एकादशी तिथि का समापन अगले दिन 17 फरवरी को रात्रि 2 बजकर 49 मिनट पर होगा. विजया एकादशी का व्रत पारण समय 17 फरवरी को सुबह 8 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 13 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. इस मुहूर्त में पारण करना शुभ होगा. यह भी पढ़ें - विजया एकादशी महत्व (Vijaya Ekadashi 2023 Significance) विजया एकादशी का व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. आज भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने स्वयं इस व्रत के बारे में युधिष्ठिर को बताया था. विजया एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है यानी जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. भगवान श्रीराम ने भी रखा था विजया एकादशी का व्रत एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. इस साल का विजया एकादशी व्रत गुरुवार के दिन पड़...

Yogini Ekadashi 2023: आज है योगिनी एकादशी, जानिए कथा और महत्व

जो जातक इस एकादशी का व्रत करता है वह सन्मार्ग पर चलने लगता है। उसकी आध्यात्मिक प्रवृत्तियां जागृत हो जाती है। इस व्रत में ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को दान देने से अक्षय पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन भगवान नारायण को गंगाजल से स्नान करवाकर, पीले पुष्पों से आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। देसी घी से बने पदार्थों का नैवेद्य लगाकर व्रत की कथा सुनी जाती है। प्राचीनकाल में कुबेर के यहां हेम नाम का एक माली कार्य करता था। उसका नित्यकर्म था कि वह प्रतिदिन कुबेर के लिए भगवान शंकर की पूजा के लिए मानसरोवर से फूल लाता था। एक दिन वह अपनी स्त्री के साथ कामोन्मत होकर विहार कर रहा था और इस कार्य में उसे काफी देर हो गई। इस कारण उसे पूजा के लिए फूल लाने में देरी हो गई। इस पर कुबेर को क्रोध आ गया और उन्होंने माली को कोढ़ी हो जाने का श्राप दे दिया। कुबेर के श्राप से हेम की काया कोढ़ी हो गई। इस रूप में वह घूमता हुआ मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। उसे ऋषि से पाप मुक्त होने का उपाय पूछा। मार्कण्डेय ऋषि ने योगिनी एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया। हेम ने ऋषि की बताई विधि अनुसार व्रत किया और स्वस्थ होकर आनंदपूर्वक रहने लगा। एकादशी कब से कब तक

Vijaya Ekadashi 2023: इस दिन है फाल्गुन की पहली एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

डीएनए हिंदी: पंचांग के अनुसार आने वाली एकादशी तिथि को हिंदू धर्म में बहुत अधिक मान्यता दी जाती है. एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat 2023) भगवान विष्णु को समर्पित होता है. धार्मिक दृष्टि से एकादशी तिथि को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है. एकादशी (Ekadashi 2023) के दिन व्रत (Ekadashi Vrat 2023) करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी संकट दूर हो जाते हैं. साल में 24 एकादशी तिथि आती हैं. प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी तिथि (Ekadashi Vrat 2023) आती है. सभी एकादशी (Ekadashi 2023) अलग-अलग नामों से जानी जाती है. अब पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी आने वाली है. इस एकादशी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) का व्रत रखा जाता है. इस साल विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) 16 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) पर व्रत और पूजा करने से सभी कामों में विजया प्राप्त होती है इसलिए इसे विजया एकादशी कहते हैं. चलिए विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2023) के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में जानते हैं. विजया एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Vijaya Ekadashi 2023 Shubh Muhurat) विजया एकादशी तिथि की शुरूआत 16 फरवरी 2023 को सुबह 4 बजकर 2 मिनट पर होगी. एकादशी तिथि का समापन अगले दिन 17 फरवरी को रात्रि 1 बजकर 19 मिनट पर होगा. विजया एकादशी पर गोधूलि मुहूर्त सुबह 6 बजकर 45 मिनट से सुबह 7 बजकर 8 मिनट तक होगा. विजया एकादशी का व्रत पारण समय 17 फरवरी को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 35 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. यह भी पढ़ें - विजया एकादशी महत्व (Vijaya Ekadashi 2023 Significance) विजया एकादशी का व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती ...

साल 2023 में एकादशी कब

Halharini amavasya 2023 : आषाढ़ माह की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। किसानों के लिए यह शुभ दिन है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ में पड़ने वाली इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है। Vidur Niti : भारत में कई महान नीतिज्ञ हुए। जैसे भीष्म, विदुर, मनु, चर्वाक, शुक्राचार्य, बृहस्पति, परशुराम, गर्ग, चाणक्य, भर्तृहरि, हर्षवर्धन, बाणभट्ट आदि अनेकों नीतिज्ञ हुए हैं। इन्हें में एक थे महात्मा विदुर। विदुर धृतराष्ट्र के सौतेले भाई थे जो एक दासी के पुत्र थे। आओ जानते हैं कि विदुरजी ने कौनसी 5 ऐसी आदतों का जिक्र किया है जिसके चलते जीवन अंधकार में हो जाता है। Amarnaath Yatra: इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की ऑनलाइन बुकिंग सेवा शुरू हो गई है। यह सेवा श्रीनगर, बालटाल और पहलगाम से मिलेगी। इस सेवा के शुरू होने से बुजुर्ग लोगों को विशेष तौर पर राहत मिलेगी। इसके अलावा जिनके पास समय कम है, वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं। हालांकि इस बार देरी से ऑनलाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग सेवा शुरू हो रही है। Astrology : पंचांग में तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार ये पांच अंग महत्व पूर्ण होते हैं, परंतु इसी के साथ ही मास, मुहूर्त, आनन्दादि योग और सम्वत्सर को भी बहुत महत्वपूर्ण मानया गया है जिन्हें मिलाकर ही संपूर्ण फलादेश निकलता है। आओ जानते हैं कि योग कितने होते हैं और आनन्दादि योग क्या हैं एवं ये कितने होते हैं। गुरु अर्जुन देव जी की निर्मल प्रवृत्ति, सहृदयता, कर्तव्यनिष्ठता तथा धार्मिक एवं मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पण भावना को देखते हुए गुरु रामदास जी ...

Festival Calendar 2023:साल 2023 में कब होली, दिवाली और नवरात्रि, जानिए साल के प्रमुख व्रत

Calendar 2023 Festivals And Holidays List In 2023 : 01 जनवरी 2023 से अंग्रेजी कैलेंडर का नया वर्ष प्रारंभ हो गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार अंग्रेजी कैलेंडर के नववर्ष का शुभारंभ पौष माह के शुक्ल पक्ष दशमी तिथि, अश्विनी नक्षत्र, सिद्ध योग और रविवार के दिन शुरू हुआ। साल के पहले महीने में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश होने पर मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। फिर इस महीने की 26 जनवरी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। 18 फरवरी को महाशिवरात्रि, 08 मार्च को होली, 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होगा, 30 मार्च राम नवमी का पर्व आएगा। फिर 21 अगस्त को नाग पंचमी, 30 अगस्त को रक्षाबंधन, 7 सितंबर को जन्माष्टमी का पर्व आएगा। 15 अक्तूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि और नया हिंदू नवर्ष आरंभ हो जाएगा। 24 अक्तूबर को दशहरा और 12 नवंबर 2023 को दीपावली का त्योहार आएगा और 19 नवंबर को छठ पूजा मनाई जाएगी। साल 2023 में चार ग्रहण भी लगेगा। ग्रह गोचर की बात करें तो साल के शुरुआत में ही शनि कुंभ राशि में आ जाएंगे। फिर अप्रैल में गुरु का राशि परिवर्तन होगा और अक्टूबर के महीने में राहु-केतु भी राशि परिवर्तन करेंगे। आइए विस्तार से जानते हैं जनवरी से लेकर दिसंबर 2023 तक कब-कब कौन-कौन से त्योहार और व्रत रखें जाएंगे। साल 2023 के प्रमुख त्योहार और तारीखें 15 जनवरी मकर संक्रंति/ पोंगल 26 जनवरी बसंत पंचमी 18 फरवरी महाशिवरात्रि 08 मार्च होली 22 मार्च चैत्र नवरात्रि 30 मार्च राम नवमी 22 अप्रैल अक्षय तृतीया 21 अगस्त नाग पंचमी 30 अगस्त रक्षा बंधन 07 सितंबर जन्माष्टमी 19 सितंबर गणेश चतुर्थी 15 अक्टूबर शरद नवरात्रि 24 अक्टूबर दशहरा 01 नवंबर करवा चौथ 10 नवंबर धनतेरस 12 नवंबर दिवाली 19 नवंबर छठ पूजा

जया एकादशी 2023: भूत

Jaya Ekadashi Vrat Katha : जया एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्‍णु और भगवान शिव दोनों की कृपा बरसती है. जया एकादशी व्रत इतना अहम है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्‍ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को यह व्रत रखने के लिए कहा था और खुद इसकी महिमा बताते हुए कथा भी सुनाई थी. जया एकादशी व्रत कथा में अप्सरा पुष्पवती और माल्यवान की कथा का वर्णन किया गया है. पद्म पुराण में यह कथा बताई गई है. इस साल जया एकादशी व्रत 1 फरवरी 2023, बुधवार को रखा जाएगा. जया एकादशी व्रत रखने से आत्‍माओं को भूत-पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है. लिहाजा दुर्भाग्‍य से कोई पितर या पूर्वज भूत-पिशाच योनि में धरती पर भटक रहा हो तो किसी परिजन द्वारा जया एकादशी व्रत रखने, विधि-विधान से पूजा करने से और कथा सुनने से उसे भूत-पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है. इससे परिवार में सुख-शांति आती है और कई तरह के कष्‍टों से मुक्ति मिलती है. वरना पितरों की भटकती आत्‍माएं बहुत कष्‍ट देती हैं. जया एकादशी व्रत कथा पद्म पुराण की प्रसिद्ध कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत की महिमा को बताई थी. इसके अनुसार स्‍वर्ग में देवराज इंद्र समेत सभी देवता सुखपूर्वक रहते थे. एक दिन इंद्र देव अप्‍सराओं के साथ सुंदरवन में विहार कर रहे थे, उनके साथ अप्सरा पुष्पवती और गंधर्व माल्यवान भी थे. तभी अप्‍सरा पुष्‍पवती गंधर्व माल्यवान को देख कर उन पर मोहित हो गई. माल्यवान भी मंत्रमुग्ध हो गए. हालांकि वे दोनों इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए नृत्य और गायन कर रहे थे. लेकिन वे दोनों एक-दूसरे में खो गए और नृत्‍य-गायन पर ध्‍यान नहीं दे पाए. तब इंद्र देव ने इसे अपना समझकर उन्‍हें पिशाच योनि में धरती पर रहने का श्राप दे दिया. श्राप के कार...