एक्सएक्सएक्सटेंटेशन 2018 का इतिहास

  1. Hindi Sahitya Ka Doosara Itihas
  2. [2020*] IAS History Notes in Hindi Pdf
  3. History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास
  4. [2020*] IAS History Notes in Hindi Pdf
  5. Hindi Sahitya Ka Doosara Itihas
  6. History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास
  7. भारत का इतिहास
  8. History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास


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Hindi Sahitya Ka Doosara Itihas

हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास हिन्दी के मूर्द्धन्य आलोचक, चिन्तक डॉ. बच्चन सिंह की महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। उन्होंने भूमिका में लिखा है : ''न तो आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के 'हिन्दी साहित्य का इतिहास’ को लेकर दूसरा नया इतिहास लिखा जा सकता है और न उसे छोड़कर। नए इतिहास के लिए शुक्लजी का इतिहास एक चुनौती है...’’ किन्तु उन्होंने इस चुनौती को स्वीकारते हुए आगे लिखा : ''रचनात्मक साहित्य पुराने पैटर्न को तोड़कर नया बनता है, तो साहित्य के इतिहास पर वह क्यों न लागू हो?’’ हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास साहित्येतिहास के लेखन के परिप्रेक्ष्य में यही नया पैटर्न ईजाद करने का साहसिक प्रयास है। लेखक ने पुस्तक के पहले संस्करण की भूमिका में इस नए पैटर्न की ऐतिहासिक अनिवार्यता को स्पष्ट करते हुए लिखा : ''शुक्लजी के इतिहास का संशोधित और परिवर्द्धित संस्करण सन् 1940 में छपा था। उसके प्रकाशन के बाद 50 वर्ष से अधिक का समय निकल गया। इस अवधि में अनेकानेक शोध-ग्रन्थ छपे, नई पांडुलिपियाँ उपलब्ध हुईं, ढेर-सा साहित्य लिखा गया। नया इतिहास लिखने के लिए यह सामग्री कम पर्याप्त और कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। यह भी ध्यातव्य है कि शुक्लजी का इतिहास औपनिवेशिक भारत में लिखा गया। अब देश स्वतंत्र है। उसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था है। भारतीय लोकतंत्र की अपनी समस्याएँ हैं। सांस्कृतिक-सामाजिक संघर्ष हैं, इन्हें देखने-समझने का बदला हुआ नजरिया है। इस नए सन्दर्भ में यदि पिष्टपेषण नहीं करना है, तो नया इतिहास ही लिखा जाएगा।’’ यह 'दूसरा इतिहास’ इसी अर्थ में कुछ दूसरे ढंग से लिखा हुआ इतिहास है। शुक्लजी के बाद के इतिहासों में अद्यतन। लेखक ने आदिकाल को अपभ्रंश काल कहा है और काव्य के साथ गद्य पर भी बेबाकी से विचार किया है। हिन्दी के भ...

[2020*] IAS History Notes in Hindi Pdf

• • • • IAS History Notes in Hindi Pdf:- Hi students ज्ञान की दुनिया GKPAD पर आपका स्वागत है। आईएएस इतिहास नोट्स‘ यह नोट Hand Written है, जिसे आप पीडीऍफ़ फॉर्मेट में free में download कर सकते हैं। इस IAS History Notes को विपिन चंद्र की बुक से बनाया गया है। इस इतिहास नोट्स में आधुनिक भारत के इतिहास से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गयीं हैं। जोकि UPSC, IAS जैसी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है। IAS Exam की तैयारी कर रहे छात्रों को यह पीडीऍफ़ बुक अवश्य डाउनलोड चाहिए। यह आईएएस इतिहास नोट्स आईएएस परीक्षा के लिए भारतीय आधुनिक इतिहास के महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझने और याद रखने में मदद करेंगे। VISION IAS Current Affairs -> यह History Notes उन लोगों के लिए काफी मददगार साबित होगा, जो आईएएस की तैयारी तो करते हैं। लेकिन पैसों की कमीं के कारण महँगी किताबें नहीं खरीद सकते। ऐसे में यह नोट्स उनकी तैयारी के लिए काफी उपयोगी होगा। इस IAS History Notes में आधुनिक भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्यों को दिया गया हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं- • सन 1857 का विद्रोह • विरोध का कारण • विरोध की असफलता के कारण • नागरिक और आदिवासी विद्रोह • संथालों का विद्रोह • कोल, रम्पा और विरसा मुण्डा विद्रोह • सन 1859-60 का नील आंदोलन • सन 1875 का दक्कन उपद्रव • कांग्रेस की स्थापना का मिथक • राष्ट्रिय कार्यक्रम इसके अलावा भी इसमें बहुत सारे महत्वपूर्ण नोट्स दिए गए हैं। नीचे इस ebook का live preview दिया गया है, जिससे आप इस पीडीऍफ़ बुक में दिए गए अध्ययन सामग्री का अवलोकन कर सके। लाइव प्रीव्यू के नीचे इस बुक का डाउनलोड लिंक दिया गया है। IAS History Notes in Hindi Live Preview IAS History Notes in Hindi Free Downl...

मुअनजो

अनुक्रम • 1 मोहन जोदड़ो सभ्यता • 2 इतिहास • 3 विशेषताएँ • 4 प्रसिद्ध जल कुंड • 5 कृषि • 6 नगर नियोजन • 7 संग्रहालय • 8 कला • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियाँ मोहन जोदड़ो सभ्यता [ ] मोहन जोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है " मुर्दों का टीला "। यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह सिंघु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे इतिहास [ ] मोहन जोदड़ो- ( मोहन जोदड़ो- को 1922ए में बर्तानवी माहिर असारे क़दीमा विशेषताएँ [ ] मोहन जोदड़ो की खूबी यह है कि इस प्राचीन शहर की सड़कों और गलियों में आप आज भी घूम-फिर सकते हैं। यहाँ की सभ्यता और संस्कृति का सामान भले ही अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहें हों, यह शहर जहाँ था आज भी वहीं है। यहाँ की दीवारें आज भी मजबूत हैं, आप यहाँ पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं। वह एक खंडहर क्यों न हो, किसी घर की देहलीज़ पर पाँव रखकर आप सहसा-सहम सकतें हैं, रसोई की खिड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकतें है। या शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रून-झुन सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तसवीरो में मिट्टी के रंग में देखा है। सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जातीं; वे आकाश की तरफ़ अधुरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं; वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके वर्तमान पार झाँक रहें हैं। यह नागर भारत का सबसे पुराना थल चिह्न कहा गया है। मोहन जोदड़ो के सबसे खास हिस्से पर बौद्ध स्तूप हैं। प्रसिद्ध जल कुंड [ ] मोहन जोदड़ो की दैव-मार्ग (डिविनिटि स्ट्रीट) नामक गली में करीब चालीस फ़ुट लम्बा और प...

History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास

लेकिन वास्तव में सिनेमा का इतिहास तब बना, जब लोकप्रिय हरिश्चंद्र सखाराम भाटवडेकर को सावे दादा के रूप में जाना जाता था, ल्यूमेरे ब्रदर्स की फिल्म के प्रदर्शन से बहुत अधिक प्रभावित होकर उन्होंने इंग्लैंड से एक कैमरा मंगवाया था। मुंबई में उनकी पहली फिल्म हैंगिंग गार्डन में शूट की गई थी, जिसे ‘द रेसलर’ के रूप में जाना जाता था। यह एक कुश्ती मैच की सरल रिकॉर्डिंग थी, जिसे 1899 में प्रदर्शित किया गया था और भारतीय फिल्म उद्योग में यह पहला चलचित्र माना जाता है। बॉलीवुड की शुरुआत भारतीय सिनेमा के पिता दादासाहेब फाल्के ने भारत की पहली लंबी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी, जो सन् 1913 में प्रदर्शित हुई। मूक फिल्म (ध्वनिरहित) होने के बावजूद, इसे व्यावसायिक सफलता मिली। दादा साहब केवल निर्माता नहीं थे, बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कला निर्देशक भी थे। भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ थी, जिसे 1914 में लंदन में प्रदर्शित किया गया था। हालाँकि, भारतीय सिनेमा के सबसे पहले प्रभावशाली व्यक्तित्व दादासाहेब फाल्के ने 1913 से 1918 तक 23 फिल्मों का निर्माण और संचालन किया, भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धि हॉलीवुड की तुलना में तेज नहीं थी। 1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माण करने वाली कंपनियां उभरकर समाने आई। 20 के दशक में महाभारत और रामायण पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों और एपिसोड के आधार पर फिल्मों का बोलबाला रहा, लेकिन भारतीय दर्शकों ने हॉलीवुड की फिल्मों, विशेष रूप से एक्शन फिल्मों का स्वागत किया। टॉकीज की शुरुआत अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित ध्वनि सहित पहली ‘आलम आरा’ फिल्म थी, जो कि सन् 1931 में बाम्बे में प्रदर्शित हुई। यह भारत की पहली ध्वनि फ...

[2020*] IAS History Notes in Hindi Pdf

• • • • IAS History Notes in Hindi Pdf:- Hi students ज्ञान की दुनिया GKPAD पर आपका स्वागत है। आईएएस इतिहास नोट्स‘ यह नोट Hand Written है, जिसे आप पीडीऍफ़ फॉर्मेट में free में download कर सकते हैं। इस IAS History Notes को विपिन चंद्र की बुक से बनाया गया है। इस इतिहास नोट्स में आधुनिक भारत के इतिहास से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गयीं हैं। जोकि UPSC, IAS जैसी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है। IAS Exam की तैयारी कर रहे छात्रों को यह पीडीऍफ़ बुक अवश्य डाउनलोड चाहिए। यह आईएएस इतिहास नोट्स आईएएस परीक्षा के लिए भारतीय आधुनिक इतिहास के महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझने और याद रखने में मदद करेंगे। VISION IAS Current Affairs -> यह History Notes उन लोगों के लिए काफी मददगार साबित होगा, जो आईएएस की तैयारी तो करते हैं। लेकिन पैसों की कमीं के कारण महँगी किताबें नहीं खरीद सकते। ऐसे में यह नोट्स उनकी तैयारी के लिए काफी उपयोगी होगा। इस IAS History Notes में आधुनिक भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण तथ्यों को दिया गया हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं- • सन 1857 का विद्रोह • विरोध का कारण • विरोध की असफलता के कारण • नागरिक और आदिवासी विद्रोह • संथालों का विद्रोह • कोल, रम्पा और विरसा मुण्डा विद्रोह • सन 1859-60 का नील आंदोलन • सन 1875 का दक्कन उपद्रव • कांग्रेस की स्थापना का मिथक • राष्ट्रिय कार्यक्रम इसके अलावा भी इसमें बहुत सारे महत्वपूर्ण नोट्स दिए गए हैं। नीचे इस ebook का live preview दिया गया है, जिससे आप इस पीडीऍफ़ बुक में दिए गए अध्ययन सामग्री का अवलोकन कर सके। लाइव प्रीव्यू के नीचे इस बुक का डाउनलोड लिंक दिया गया है। IAS History Notes in Hindi Live Preview IAS History Notes in Hindi Free Downl...

मुअनजो

अनुक्रम • 1 मोहन जोदड़ो सभ्यता • 2 इतिहास • 3 विशेषताएँ • 4 प्रसिद्ध जल कुंड • 5 कृषि • 6 नगर नियोजन • 7 संग्रहालय • 8 कला • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियाँ मोहन जोदड़ो सभ्यता [ ] मोहन जोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है " मुर्दों का टीला "। यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह सिंघु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे इतिहास [ ] मोहन जोदड़ो- ( मोहन जोदड़ो- को 1922ए में बर्तानवी माहिर असारे क़दीमा विशेषताएँ [ ] मोहन जोदड़ो की खूबी यह है कि इस प्राचीन शहर की सड़कों और गलियों में आप आज भी घूम-फिर सकते हैं। यहाँ की सभ्यता और संस्कृति का सामान भले ही अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहें हों, यह शहर जहाँ था आज भी वहीं है। यहाँ की दीवारें आज भी मजबूत हैं, आप यहाँ पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं। वह एक खंडहर क्यों न हो, किसी घर की देहलीज़ पर पाँव रखकर आप सहसा-सहम सकतें हैं, रसोई की खिड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकतें है। या शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रून-झुन सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तसवीरो में मिट्टी के रंग में देखा है। सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जातीं; वे आकाश की तरफ़ अधुरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं; वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके वर्तमान पार झाँक रहें हैं। यह नागर भारत का सबसे पुराना थल चिह्न कहा गया है। मोहन जोदड़ो के सबसे खास हिस्से पर बौद्ध स्तूप हैं। प्रसिद्ध जल कुंड [ ] मोहन जोदड़ो की दैव-मार्ग (डिविनिटि स्ट्रीट) नामक गली में करीब चालीस फ़ुट लम्बा और प...

Hindi Sahitya Ka Doosara Itihas

हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास हिन्दी के मूर्द्धन्य आलोचक, चिन्तक डॉ. बच्चन सिंह की महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। उन्होंने भूमिका में लिखा है : ''न तो आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के 'हिन्दी साहित्य का इतिहास’ को लेकर दूसरा नया इतिहास लिखा जा सकता है और न उसे छोड़कर। नए इतिहास के लिए शुक्लजी का इतिहास एक चुनौती है...’’ किन्तु उन्होंने इस चुनौती को स्वीकारते हुए आगे लिखा : ''रचनात्मक साहित्य पुराने पैटर्न को तोड़कर नया बनता है, तो साहित्य के इतिहास पर वह क्यों न लागू हो?’’ हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास साहित्येतिहास के लेखन के परिप्रेक्ष्य में यही नया पैटर्न ईजाद करने का साहसिक प्रयास है। लेखक ने पुस्तक के पहले संस्करण की भूमिका में इस नए पैटर्न की ऐतिहासिक अनिवार्यता को स्पष्ट करते हुए लिखा : ''शुक्लजी के इतिहास का संशोधित और परिवर्द्धित संस्करण सन् 1940 में छपा था। उसके प्रकाशन के बाद 50 वर्ष से अधिक का समय निकल गया। इस अवधि में अनेकानेक शोध-ग्रन्थ छपे, नई पांडुलिपियाँ उपलब्ध हुईं, ढेर-सा साहित्य लिखा गया। नया इतिहास लिखने के लिए यह सामग्री कम पर्याप्त और कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। यह भी ध्यातव्य है कि शुक्लजी का इतिहास औपनिवेशिक भारत में लिखा गया। अब देश स्वतंत्र है। उसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था है। भारतीय लोकतंत्र की अपनी समस्याएँ हैं। सांस्कृतिक-सामाजिक संघर्ष हैं, इन्हें देखने-समझने का बदला हुआ नजरिया है। इस नए सन्दर्भ में यदि पिष्टपेषण नहीं करना है, तो नया इतिहास ही लिखा जाएगा।’’ यह 'दूसरा इतिहास’ इसी अर्थ में कुछ दूसरे ढंग से लिखा हुआ इतिहास है। शुक्लजी के बाद के इतिहासों में अद्यतन। लेखक ने आदिकाल को अपभ्रंश काल कहा है और काव्य के साथ गद्य पर भी बेबाकी से विचार किया है। हिन्दी के भ...

History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास

लेकिन वास्तव में सिनेमा का इतिहास तब बना, जब लोकप्रिय हरिश्चंद्र सखाराम भाटवडेकर को सावे दादा के रूप में जाना जाता था, ल्यूमेरे ब्रदर्स की फिल्म के प्रदर्शन से बहुत अधिक प्रभावित होकर उन्होंने इंग्लैंड से एक कैमरा मंगवाया था। मुंबई में उनकी पहली फिल्म हैंगिंग गार्डन में शूट की गई थी, जिसे ‘द रेसलर’ के रूप में जाना जाता था। यह एक कुश्ती मैच की सरल रिकॉर्डिंग थी, जिसे 1899 में प्रदर्शित किया गया था और भारतीय फिल्म उद्योग में यह पहला चलचित्र माना जाता है। बॉलीवुड की शुरुआत भारतीय सिनेमा के पिता दादासाहेब फाल्के ने भारत की पहली लंबी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी, जो सन् 1913 में प्रदर्शित हुई। मूक फिल्म (ध्वनिरहित) होने के बावजूद, इसे व्यावसायिक सफलता मिली। दादा साहब केवल निर्माता नहीं थे, बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कला निर्देशक भी थे। भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ थी, जिसे 1914 में लंदन में प्रदर्शित किया गया था। हालाँकि, भारतीय सिनेमा के सबसे पहले प्रभावशाली व्यक्तित्व दादासाहेब फाल्के ने 1913 से 1918 तक 23 फिल्मों का निर्माण और संचालन किया, भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धि हॉलीवुड की तुलना में तेज नहीं थी। 1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माण करने वाली कंपनियां उभरकर समाने आई। 20 के दशक में महाभारत और रामायण पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों और एपिसोड के आधार पर फिल्मों का बोलबाला रहा, लेकिन भारतीय दर्शकों ने हॉलीवुड की फिल्मों, विशेष रूप से एक्शन फिल्मों का स्वागत किया। टॉकीज की शुरुआत अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित ध्वनि सहित पहली ‘आलम आरा’ फिल्म थी, जो कि सन् 1931 में बाम्बे में प्रदर्शित हुई। यह भारत की पहली ध्वनि फ...

भारत का इतिहास

7000-3300 ई.पू 1700-1300 ई.पू 700–300 ई.पू 545–320 ई.पू 230 ई.पू-199 ई. 321–184 ई.पू 184–123 ई.पू 123 ई.पू–200 ई. 60–240 ई. पूर्व मध्यकालीन भारत- 240 ई.पू– 800 ई. 250 ई.पू- 1070 ई. 280–550 ई. 750–1174 ई. 830–963 ई. 900–1162 ई. 1206–1526 ई. 1206-1290 ई. 1290-1320 ई. 1320-1414 ई. 1414-1451 ई. 1451-1526 ई. 1526–1857 ई. 1490–1596 ई. 1358-1518 ई. 1490-1565 ई. 1040-1565 ई. 736-973 ई. 1040–1346 ई. 1083-1323 ई. 1326-1565 ई. 1674-1818 ई. सिख राज्यसंघ 1716-1849 ई. 1760-1947 ई. सत्तर हज़ार साल पुराना होने की संभावना है। इस व्यक्ति के गुणसूत्र अफ़्रीक़ा के प्राचीन मानव के जैविक गुणसूत्रों (जीन्स) से पूरी तरह मिलते हैं। प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत भारतीय इतिहास जानने के स्रोत को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैं- • साहित्यिक साक्ष्य • विदेशी यात्रियों का विवरण • पुरातत्त्व सम्बन्धी साक्ष्य साहित्यिक साक्ष्य साहित्यिक साक्ष्य के अन्तर्गत साहित्यिक ग्रन्थों से प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। साहित्यिक साक्ष्य को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य। धार्मिक साहित्य धार्मिक साहित्य के अन्तर्गत ब्राह्मण तथा ब्राह्मणेत्तर साहित्य की चर्चा की जाती है। • ब्राह्मण ग्रन्थों में- • ब्राह्मणेत्तर ग्रन्थों में लौकिक साहित्य लौकिक साहित्य के अन्तर्गत ऐतिहासिक ग्रन्थ, जीवनी, कल्पना-प्रधान तथा गल्प साहित्य का वर्णन किया जाता है। धर्म-ग्रन्थ प्राचीन काल से ही ब्राह्मण धर्म-ग्रंथ ब्राह्मण धर्म - ग्रंथ के अन्तर्गत वेद, उपनिषद्, महाकाव्य तथा स्मृति ग्रंथों को शामिल किया जाता है। वेद मुख्य लेख: आरयण्कों में दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों यथा, आत्म...

History of Indian Cinema in hindi, भारतीय सिनेमा का इतिहास

लेकिन वास्तव में सिनेमा का इतिहास तब बना, जब लोकप्रिय हरिश्चंद्र सखाराम भाटवडेकर को सावे दादा के रूप में जाना जाता था, ल्यूमेरे ब्रदर्स की फिल्म के प्रदर्शन से बहुत अधिक प्रभावित होकर उन्होंने इंग्लैंड से एक कैमरा मंगवाया था। मुंबई में उनकी पहली फिल्म हैंगिंग गार्डन में शूट की गई थी, जिसे ‘द रेसलर’ के रूप में जाना जाता था। यह एक कुश्ती मैच की सरल रिकॉर्डिंग थी, जिसे 1899 में प्रदर्शित किया गया था और भारतीय फिल्म उद्योग में यह पहला चलचित्र माना जाता है। बॉलीवुड की शुरुआत भारतीय सिनेमा के पिता दादासाहेब फाल्के ने भारत की पहली लंबी फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी, जो सन् 1913 में प्रदर्शित हुई। मूक फिल्म (ध्वनिरहित) होने के बावजूद, इसे व्यावसायिक सफलता मिली। दादा साहब केवल निर्माता नहीं थे, बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कला निर्देशक भी थे। भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ थी, जिसे 1914 में लंदन में प्रदर्शित किया गया था। हालाँकि, भारतीय सिनेमा के सबसे पहले प्रभावशाली व्यक्तित्व दादासाहेब फाल्के ने 1913 से 1918 तक 23 फिल्मों का निर्माण और संचालन किया, भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धि हॉलीवुड की तुलना में तेज नहीं थी। 1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माण करने वाली कंपनियां उभरकर समाने आई। 20 के दशक में महाभारत और रामायण पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्यों और एपिसोड के आधार पर फिल्मों का बोलबाला रहा, लेकिन भारतीय दर्शकों ने हॉलीवुड की फिल्मों, विशेष रूप से एक्शन फिल्मों का स्वागत किया। टॉकीज की शुरुआत अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित ध्वनि सहित पहली ‘आलम आरा’ फिल्म थी, जो कि सन् 1931 में बाम्बे में प्रदर्शित हुई। यह भारत की पहली ध्वनि फ...