ग़ालिब की शायरी हिंदी में motivation

  1. 80+ Mirza Ghalib Shayari in Hindi
  2. Mirza Ghalib Shayari
  3. मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी, Mirza Ghalib Shayari in Hindi, Mirza Ghalib Ki Shayari
  4. मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में: इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया...! पढ़ें गालिब की ये लाजवाब शायरियां
  5. मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ मशहूर शायरी ~ Mirza Ghalib Ki Shayari In Hindi
  6. ग़ालिब अगर शायर न होते तो उनके ख़त ही उन्हें अपने दौर का सबसे ज़हीन इंसान बना देते


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80+ Mirza Ghalib Shayari in Hindi

Mirza Ghalib Shayari in Hindi : दोस्तों जब नाम आता है शायरों का तो उनमे से मिर्जा गालिब का नाम भी एक मशहूर शायरों में से एक है जिनकी शायरी के चर्चे हर जगह होते हैं । दोस्तों मिर्जा गालिब 19वीं सदी में भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध उर्दू और फारसी कवि थे। इनका जन्म 27 दिसंबर सन 1797 में हुआ और 15 फरवरी सन 1869 में इनकी मृत्यु हो गयी थी । लेकिन आज भी लोग इनकी शायरी सुनना तथा पढना पसंद करते हैं । इसी लिए हम आज इस पोस्ट में Mirza Ghalib Shayari in Hindi लायें हैं । जो आपको बहुत पसंद आने वाले हैं । Ghalib Shayari हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो, हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था ! फिर उसी बेवफा पे मरते हैं, फिर वही जिंदगी हमारी है । मौत पे भी मुझे यकीन है, तुम पर भी ऐतबार है, देखना है पहले कौन आता है, हमें दोनों का इंतजार है ! हम को उन से वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है ! गुजर रहा हूँ यहाँ से भी गुजर जाउँगा, मैं वक्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा ! Mirza Ghalib Shayari in Hindi कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता, तुम ना होते ना सही ज़िक्र तुम्हारा होता ! जिंदगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते, कफन भी लेते है तो अपनी जिंदगी देकर ! लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में, और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते ! हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है, तुम्हीं कहो कि ये अंदाज-ए-गुफ़्तगू क्या है ! मैं नादान था जो वफा को तलाश करता रहा ग़ालिब, यह न सोचा की, एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी ! इसलिए कम करते हैं जिक्र तुम्हारा, कहीं तुम खास से आम ना हो जाओ ! इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘गालिब’ कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे ! वो आए घर में हमारे खुदा की कुदरत है, कभी हम उ...

Mirza Ghalib Shayari

Mirza Ghalib Shayari ki duniya mein wo naam hai, jo na sirf aaj bhi pasand aur padhey jaatey hain, balki aaj bhi Mirza Ghalib ka her sher, akdum sahi baithta hai, zindagi key her rang per. 27 दिसंबर 1797 ko, Aagra mein janmey Mirza Ghalib ka poora naam मिर्जा असद उल्लाह बैग का उर्फ ग़ालिब था. Mirza Ghalib, बहादुर शाह ज़फर के दरबारी शायर थे. मिर्ज़ा ग़ालिब ने जब शायरी कहना शुरू किया था, तो उनकी शायरी, फ़ारसी जुबान में हुआ करती थी. और इस लिए आम लोगों को उनकी शायरी भारी लगती थी. मिर्ज़ा ग़ालिब, ने इस बात को समझा और आसन हिंदी और उर्दू शब्दों का इस्तेमाल करते हुए शायरी शुरू की, और जल्दी ही, लोगो के चहेते शायर बन गए. मिर्ज़ा ग़ालिब ने ज़िन्दगी के हर रंग पे शायरी की है, और उनका हर शेर, बार बार सुनकर भी जी नहीं भरता. ग़ालिब की शायरी में, इश्क, दर्द, शराब, ख़ुदा, ज़िन्दगी, ख़ुशी, ग़म, जुदाई, का बेहतरीन इस्तेमाल दिखता है. Mirza Ghalib Shayari आज के इस पोस्ट में, मैं, आप सबके लिए Mirza Ghalib Shayari हिंदी और english दोनों फोंट्स में लाया हूँ. ये मिर्ज़ा ग़ालिब के कुछ प्रसिद्ध और सबसे बेहतरीन शेर हैं, जो आज भी पूरी दुनिया में बड़े एहतेराम से पढ़े और सुने जाते हैं. मुझे उम्मीद है, आपको मिर्ज़ा ग़ालिब के ये बेहतरीन शेर और शायरी collection बेहद पसंद आएगी. Mirza Ghalib Shayari In Hindi Mirza Ghalib Shayari Ranj se khoogar hua insaan to mit jaata hai ranj, Mushkilen mujh par padeen itanee ki aasaan ho gaeen शहरे वफा में धूप का साथी नहीं कोई सूरज सरों पर आया तो साये भी घट गए Shahare vapha mein dhoop ka saathee nahin koee Sooraj saron par aaya to saaye bhee ghat gae मिर्जा गालिब की दर्द भरी शायरी Ghalib Shayari...

मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी, Mirza Ghalib Shayari in Hindi, Mirza Ghalib Ki Shayari

मिर्जा गालिब उर्दू के महान लोकप्रिय शायरों में से एक थे. उर्दू शायरी के लिए इनकी पहचान विश्व स्तर पर हैं. आज भी शेर – ओ – शायरी की जब बात होती हैं. तब जुबान पर पहला नाम मिर्जा गालिब का ही आता हैं. 27 दिसम्बर 1797 को आगरा के एक सैनिक पृष्ठभूमि तुर्क परिवार में उनका जन्म हुआ था. इनका पूरा नाम “मिर्जा असद – उल्लाह बेग खां” हैं. गालिब साहब के बच्चपन में ही उनके पिता का देहांत हो गया था. गालिब साहेब को बच्चपन से ही कविता और शायरी लिखने का शौक था. जब वह 11 वर्ष के थे तभी से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था. मिर्जा गालिब जब मात्र 13 वर्ष के थे. तब उनकी शादी उमराव वेगम से कर दी गई. गालिब साहब काम के सिलसिले में कई जगह दिल्ली, जयपुर, लाहौर गए फिर वह आगरा में लौट आए. मिर्जा गालिब का निधन 15 फरवरी 1869 में हो गया. लेकिन आज भी वह लोगों के जुबान पर जिन्दा हैं. अब आइए कुछ Mirza Ghalib Shayari in Hindi को पढ़ते हैं. जो Shayari By Mirza Ghalib के द्वारा लिखी गई हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi आपको बहुत ही पसंद आएगी. इस Galib Ki Shayari in Hindi को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें. मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी, Mirza Ghalib Shayari in Hindi, Mirza Ghalib Ki Shayari (4) बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या, बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था। (5) यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं, अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो (6) हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है (7) इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’, कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे (8) तुम न आए तो क्या सहर न हुई हाँ मगर चैन से बसर न हुई ...

मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में: इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया...! पढ़ें गालिब की ये लाजवाब शायरियां

• • Lifestyle • मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में: इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया...! पढ़ें गालिब की ये लाजवाब शायरियां मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में: इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया...! पढ़ें गालिब की ये लाजवाब शायरियां मिर्जा गालिब की शायरी हिंदी में: मिर्जा गालिब की शायरियां बेहद ही प्रसिद्ध और अलग है. ऐसे में आप अपने दोस्तों को उनकी शायरियां सुनाना चाहते हैं तो यहां दी गई शायरियां आपके बेहद काम आ सकती हैं. मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में: मिर्ज़ा ग़ालिब शायरियां (mirza ghalib shayari in hindi) बेहद ही प्रसिद्ध और हटकर हैं. आज के समय मे हर कोई गालिब के नाम से वाकिफ है. मिर्ज़ा ग़ालिब अपनी शायरियों में फ़ारसी का बहुत प्रयोग करते हैं. ऐसे में मिर्जा की शायरियों के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मिर्जा गालिब (mirza ghalib sher) की लाजवाब शायरियां कौन-सी हैं. पढ़ते हैं आगे… Also Read: • • • मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी हिंदी में • हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले • हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है • इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के • इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं • हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है • रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है • मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले • व...

मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ मशहूर शायरी ~ Mirza Ghalib Ki Shayari In Hindi

उर्दू के मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब जिनकी शायरी ‘Mirza Ghalib Ki Shayari In Hindi’ का हर कोई दीवाना है। आज कुछ शायराना मूड हुआ तो सोचा क्यों न आपके साथ मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ पंक्तियों को गुनगुनाया जाये। मिर्ज़ा ग़ालिब की दिल छू लेने वाली कुछ मशहूर शायरी Mirza Ghalib Ki Shyari In Hindi • हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयाँ और। • हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है। • जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब ज़ख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में। • रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल, जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है। • इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा, लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं। • हुस्न ग़मज़े की कशाकश से छूटा मेरे बाद, बारे आराम से हैं एहले-जफ़ा मेरे बाद। • वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं, कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं। • हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ, जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा। • हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है। • चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत, बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला। • उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है। • हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है। • इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के। • ज़िन्दगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते, कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िन्दगी देकर। • दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई, दोनों को एक अदा में रजामंद कर गई, मारा ज़माने ने ‘ग़ालिब’ तुम को, वो वलवले क...

ग़ालिब अगर शायर न होते तो उनके ख़त ही उन्हें अपने दौर का सबसे ज़हीन इंसान बना देते

सौं उससे पेश-ए-आब-ए से बेदरी है (मैं झूठ बोलूं तो प्यासा मर जाऊं), शायरी को मैंने नहीं इख़्तियाया (अपनाया). शायरी ने मजबूर किया मैं उसे अपना फ़न क़रार दूं॥ यह शेर गालिब का नहीं है लेकिन ऐसा है मानो सिर्फ़ और सिर्फ़ उनके लिए ही बना हो. उन्हें याद करो तो उनके शेर, नज़्म, फ़ारसी पर पकड़ का उनका गुरूर, मज़ाकिया अंदाज़, बेलौस और उधारी की मारी हुई ज़िंदगी, आम से मोहब्बत, शराब से सोहबत, जुए की लत, डोमनी से इश्क़बाज़ी और न जाने क्या-क्या याद आ जाता है. शायरी के अलावा एक और बात जो उन्हें ‘ग़ालिब ‘बनाती है, वह है उनके ख़त. इतिहासकारों का मानना है कि अग़र ग़ालिब ने शायरी न भी की होती तो उनके ख़त उन्हें अपने दौर का सबसे ज़हीन इंसान बना देते. उन्हें ख़त लिखने का बेहद शौक़ था. बक़ौल ग़ालिब – ‘सौ कोस से ब-ज़बान-ए-क़लम (कलम के जरिये) बातें किया करो और हिज़्र (तन्हाई) में विसाल (मिलन) के मज़े लिया करो.’ सत्याग्रह पर मौजूद चुनी हुई सामग्री को विज्ञापनरहित अनुभव के साथ हमारी नई वेबसाइट - तो जनाब, आज उनकी शायरी का ही नहीं, अलबत्ता, उनके कुछ ख़तों का जिक्र भी करेंगे. यूं तो उन्होंने काफी अरसे तक ख़त लिखे पर जो दौर हमने लिया है, वह है ग़दर से चंद साल पेशतर (पहले), ग़दर का, और ग़दर से चंद साल गुजश्ता (बाद में). बात शुरू करने से पेशतर एक गुनाह की माफ़ी पहले ही मांग लेता हूं. इन ख़तों का हिंदी या हिंदवी या हिंदुस्तानी में टूटा-फूटा तर्जुमा ही कर पाया हूं. क्योंकि न तो मेरी उर्दू शानदार है और न ही मुझे फ़ारसी आती है. चंद तस्वीर-ए-बुतां चंद हसीनों के ख़ुतूत बाद मरने के मेरे घर से ये सामां निकला हसीनों को लिखे ख़तों का तो पता नहीं पर ज़हीनों को उन्होंने ख़ूब लिखा. उनके दोस्त जैसे मुंशी हरगोपाल ‘तफ़्ता’, नबी बख्श हक़ीर, चौधरी अब्दुल ग़फ़ूर ‘स...