गंगासागर की कहानी

  1. मोक्ष का महासागर गंगासागर
  2. गंगासागर की पूरी कहानी जानिए
  3. सारे तीर्थ बार
  4. सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार क्यों कहा गया ?


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मोक्ष का महासागर गंगासागर

14 जनवरी गंगासागर पुण्य स्नान पर विशेष जगदीश यादव अंग्रेजों ने भी इस देश को साधु-संतों का देश कहा है। भारत की धरती ही एक मात्र जगह है जहां आस्था सिर चढ़कर बोलती है। यहां डुबते सूर्य को भी अर्घ्य प्रदान किया जाता है। पश्चिम बंगाल की जिस पावन भूमि में गंगा व सागर का संगम होता है उसे गंगासागर कहते हैं। जिसे सागरद्वीप भी कहा जाता है। गंगासागर मेला देश में आयोजित होने वाले तमाम बड़े मेलों में से एक है। इसकी ख्याती यहां वर्ष में एक बार लगने वाले मेले के तौर पर कम बल्कि मोक्षनगरी के तौर पर ही है जहां दुनिया भर से श्रद्धालु एक डुबकी में मोक्ष की कामना लेकर आते हैं। भगवान विष्णु के अवतारों में एक कपिल मुनि का यहां आश्रम है जो अब भव्यता के साथ संस्कार-निर्माण की ओर है। लगभग तीन वर्ष से मंदिर के संस्कार का काम चल रहा था जो कि लगभग समापन की ओर ही है। यह मेला विक्रम संवत के अनुसार प्रतिवर्ष पौष माह के अन्तिम दिन लगता है। जिसे हम मकर संक्राति का दिन कहते हैं। बर्फ से धके हिमालय से आरम्भ होकर गंगा नदी धरती पर नीचे उतरती है और कलकल करती मां गंगा हरिद्वार से मैदानी स्थानों पर पहुँचती है। जो कि क्रमशा आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश के बनारस, प्रयाग से प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यहीं पवित्र पावनी गंगा सागर से मिल जाती है। इस जगह को गंगासागर यानी ‘सागर द्वीप’ कहा जाता है। यह क्षेत्र दक्षिण चौबीस परगना जिले में है और यहां जिला प्रशासन के द्वारा गंगा सागर मेले का आयेजन किया जाता है। प्रतिवर्ष इस मेले में लगभग दस लाख श्रद्धालु पुण्यस्नान के लिये आते हैं।वैसे जिले के डीएम पी.बी सलीम और कपिलमुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी ने हमे बताया कि इस वर्ष मकर संक्राति पर कम से...

गंगासागर की पूरी कहानी जानिए

पहले गंगासागर के धार्मिक स्थान तक पहुंचने का एक मात्र साधन फेरीवाले थे जो अपनी नाव से लोगों को समुद्र में सागर द्वीप तक ले जाते थे। पहले श्री गंगासागर धाम की यात्रा इतना कठिन थी की फेरी वाले भी मना कर देते थे यहां जाने के लिए। लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है। अब सरकारी जलयान के द्वारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। एक जलयान में 1500 यात्री तक बैठ सकते हैं। एक बार महाराज सगर ने अश्वमेध यज्ञ शुरू किया। यज्ञ के घोड़ों को छोड़ दिया गया। महाराज सगर के पुत्र घोड़ों के पीछे चलने लगे, लेकिन जैसा कि हर बार होता है, देवलोक के राजा इंद्र को अपना इंद्रलोक का सिंहासन जाने का डर सताने लगा, क्योंकि इंद्र या देवलोक का राजा उसे ही बनाया जाता है जो ज्यादा पुण्य कर्म करता है। देवराज इंद्र ने एक चाल चली, महाराज सगर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़ों को चुरा कर पाताल लोक ले गए। वहां पर कपिल मुनि ध्यानावस्था में थे, वहीं पर ले जाकर घोड़ों को बांध दिया। जब सगर के पुत्र घोड़ों को ढूंढते-ढूंढते पाताल लोक पहुंचे तो वहां पर घोड़ों को बंधा हुआ देखकर उनको लगा कि यह तपस्या में बैठा हुआ मुनि ही घोड़ों को यहां पर लाया है। वो उस मुनि को ध्यान से उठाने का प्रयास करने लगे और अपशब्द कहने लगे। ध्यान में बैठे हुए कपिल मुनि को सगर पुत्रों की बातों से क्रोध आ गया और उन्होंने अपनी क्रोधाग्नि से पूरे 6000 सगर पुत्रों को जलाकर राख कर दिया। फिर महाराज दिलीप के पुत्र हुए भागीरथ। महाराज भागीरथ ने ब्रह्मा जी की बहुत कठोर तपस्या करके गंगा को पृथ्वी पर लाने की प्रार्थना की। स्वर्ग से पृथ्वी पर आने पर गंगा के प्रभाव से धरती के टूटने का या कटने का डर था। अतः उसके वेग को रोकने के लिए भागीरथ ने फिर भगवान शिव की तपस्या की और उन्हें ...

सारे तीर्थ बार

Edited By Jyoti,Updated: 17 Feb, 2018 01:51 PM • • • • गंगासागर भारत के तीर्थों में एक महातीर्थ है। गंगाजी इसी स्थान पर आकर सागर में मिलती हैं। इसी स्थान पर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ था। यहां मकर संक्रान्ति पर बहुत बड़ा मेला लगता है जहां लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। गंगासागर भारत के तीर्थों में एक महातीर्थ है। गंगाजी इसी स्थान पर आकर सागर में मिलती हैं। इसी स्थान पर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ था। यहां मकर संक्रान्ति पर बहुत बड़ा मेला लगता है जहां लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। कहते हैं यहां संक्रान्ति पर स्नान करने पर सौ अश्वमेध यज्ञ और एक हजार गऊएं दान करने का फल मिलता है। भारत की नदियों में सबसे पवित्र गंगा नदी है जो गंगोत्री से निकल कर पश्चिम बंगाल में आकर सागर में मिलती है। गंगा का जहां सागर से मिलन होता है उस स्थान को ‘गंगासागर’ कहते हैं। इसे सागरद्वीप भी कहा जाता है। यह स्थान देश में आयोजित होने वाले तमाम बड़े मेलों में से एक गंगासागर मेला के लिए सदियों से विश्वविख्यात है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में इसकी चर्चा मोक्षधाम के तौर पर की गई है, जहां मकर संक्रान्ति के मौके पर दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु मोक्ष की कामना लेकर आते हैं और सागर-संगम में पुण्य की डुबकी लगाते हैं। पश्चिम बंगाल के दक्षिण चौबीस परगना जिले में स्थित इस तीर्थस्थल पर कपिल मुनि का मंदिर है, जिन्होंने भगवान राम के पूर्वज और इक्ष्वाकु वंश के राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार किया था। मान्यता है कि यहां मकर संक्रान्ति पर पुण्य-स्नान करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। मान्यता है कि गंगासागर की तीर्थयात्रा सैंकड़ों तीर्थयात्राओं के ...

सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार क्यों कहा गया ?

Table of Contents • • • • • सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार क्यों | Gangasagar Kahan hai ? गंगासागर वो स्थान है जहां गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में समुद्र से मिलती हैं। कहा जाता है कि सभी तीर्थों की यात्रा का फल तब तक नहीं मिलता जब तक आप गंगासागर नहीं जाते। मकर सक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान, दान का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार कहावत के पीछे 2 कारण बताये जाते हैं : – पहला कारण – गंगासागर को महातीर्थ कहा गया है क्योंकि माना गया है कि सारे तीर्थों का फल गंगासागर आने से मिल जाता है। ये वो स्थान है जहां पर गंगा नदी के स्पर्श से राजा सगर के 60,000 पुत्रों को मुक्ति मिली थी, इसीलिए कई श्रद्धालु लोग यहाँ आकर अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण व पिण्डदान करते है और पूर्वजों की मुक्ति की कामना करते हैं। इस कारण से लोग एक बार तो गंगासागर की यात्रा जरूर करना चाहते हैं, अतः कहा गया – सारे तीरथ बार बार गंगा सागर एक बार। पुराणों में भी गंगासागर में दान और स्नान को धार्मिक, आध्यात्मिक दृष्टि काफी से महत्वपूर्ण बताया गया है। दूसरा कारण –कोलकाता से गंगासागर जाने के लिए पहले 86 किलोमीटर दूर काकद्वीप जाना होता है, जहां हारवूड पॉइंट से 3.5 किमी स्टीमर, नाव के जरिए सागर द्वीप ( पुराने समय में ये यात्रा काफी दुष्कर और कठिन थी, कई दिन की यात्रा करने के बाद लोग गंगासागर पहुँच पाते थे इसीलिए लोग दोबारा जाने की सोचते भी नहीं थे। इसीलिए लोग कहने लगे सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार। Q: क्या एक दिन में गंगा सागर दर्शन करके आ सकते हैं? A: हाँ, एक दिन में दर्शन करके वापस कोलकाता आ सकते हैं। गंगासागर की कहानी क्या है | Gangasagar History in hindi : राजा सागर की 2 रानियाँ...