गेय मुक्तक काव्य की परिभाषा

  1. श्रव्य काव्य की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
  2. काव्य के भेद
  3. kavya kise kahate hain
  4. MP Board Class
  5. मुक्तक काव्य


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श्रव्य काव्य की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

इस पेज पर आप श्रव्य काव्य की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए। पिछले पेज पर हमने चलिए आज हम श्रव्य काव्य की समस्त जानाकारी को पढ़ते और समझते हैं। श्रव्य काव्य किसे कहते हैं जिस काव्य का आनंद सुनकर लिया जाता हैं वह श्रव्यकाव्य कहलाता हैं। इसका आनंद रंगमंच पर देखकर नही लिया जा सकता इसीलिए इसे श्रव्य काव्य या सुनने योग्य काव्य भी कहा जाता हैं। श्रव्य काव्य के प्रकार श्रव्य काव्य के भी दो प्रकार होते हैं। • प्रबन्ध काव्य • मुक्तक काव्य 1. प्रबंध काव्य प्रबंध काव्य वह है जिसमें कोई कथा सूत्र होता है। प्रबंध काव्य में जीवन का विस्तार पूर्वक चित्रण किया जाता है। इसमें समाज के हर अंग का चित्रण किया जाता है। प्रकृति चित्रण भी इसकी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। सभी रसों का निरूपण इसमें किया जाता है। जैसे रामचरितमानस। प्रबंध काव्य के मुख्य दो प्रकार माने जाते हैं। • महाकाव्य तथा • खंडकाव्य। 2. मुक्तक काव्य मुक्तक काव्य प्रबंध काव्य से बिल्कुल उल्टा होता है। इसमें जीवन का विस्तार पूर्वक वर्णन नहीं बल्कि झलकियां प्रस्तुत की जाती है। इसमें विस्तार कथा सूत्र नहीं होता। इसका प्रत्येक छंद अपने आप में पूरा होता है। आगे पीछे कोई संबंध ना होने से यह मुक्त या स्वतंत्र माने जाते हैं। मुक्त होने के कारण इन्हें मुक्तक कहते हैं। मुक्तक गीत के रूप में भी पाए जाते हैं। मुक्तक काव्य के दो प्रकार माने जाते हैं। • गीतिकाव्य तथा • गज़ल मुक्तक और प्रबंध काव्य में अंतर मुक्तक और प्रबंध काव्य में निम्नलिखित अंतर होते हैं। मुक्तक और प्रबंध काव्य मुक्तक और प्रबंध काव्य प्रबंध काव्य में जीवन का बड़े पैमाने पर विस्तार पूर्वक चित्रण किया जाता है। मुक्तक काव्य में जीवन का विस्तार पूर्वक चित्र नह...

काव्य के भेद

Install - vidyarthi sanskrit dictionary app काव्य के भेद- श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक, नाटक, एकांकी || kavy ke prakar • BY:RF Temre • 687 • 0 • Copy • Share काव्य किसे कहते हैं? “रमणीयार्थं प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्" अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द को काव्य कहते हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार– "जो उक्ति हृदय में कोई भाव जाग्रत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या दृश्य की मार्मिक भावना में लीन कर दे, उसे काव्य कहते हैं।" काव्य के भेद– काव्य के भेद निम्नलिखित हैं- (1) श्रव्य काव्य (2) दृश्य काव्य (1) श्रव्य काव्य– जिस रचना का रसास्वादन सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'श्रव्य काव्य' कहते हैं। जैसे– गोस्वामी तुलसीदास रचित 'रामचरित मानस'। (2) दृश्य काव्य– जिस रचना का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'दृश्य काव्य' कहते हैं। जैसे – जयशंकर प्रसाद लिखित 'स्कंदगुप्त' नाटक। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। 1. भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है? 2. राज भाषा क्या होती है, राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है? 3. छंद किसे कहते हैं? मात्रिक - छप्पय एवं वार्णिक छंद - कवित्त, सवैया 4. काव्य गुण - ओज-गुण, प्रसाद-गुण, माधुर्य-गुण 5. अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष 6. रस के अंग – स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव 7. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण श्रव्य काव्य के भेद– श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं – (i) प्रबंध काव्य। (ii) मुक्तक काव्य। (i) प्रबंध काव्य – प्रबंध काव्य के छंद एक कथा के धागे में माला की तरह गुँथे ह...

kavya kise kahate hain

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • काव्य का स्वरुप हेलो दोस्तों हमारे इस blog में आपका स्वागत है | आज की इस पोस्ट में हम जानेगे की काव्य किसे कहते है ? ( kavya kise kahate hain ) और यह कितने प्रकार के होते है तथा काव्य के कितने गुण होते है | महाकाव्य तथा खंडकाव्य किसे कहते है और इनमे क्या अंतर होता है तो चलिए शुरू करते है काव्य किसे कहते है ? ( Poetry in hindi ) समस्त भाव प्रधान साहित्य को काव्य कहते हैं । अर्थात जो उदित ह्रदय में कोई भाव जागृत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या तथ्य की मार्मिक भाषा में लीन कर दे वह काव्य है | काव्य की परिभाषा आचार्य विश्वनाथ के अनुसार– रसात्मक वाक्यम काव्यम अर्थात रसपूर्ण वाक्य ही काव्य है। अर्थात काव्य ह्रदय को आनंदित करता है | काव्य के लक्षण • काव्य अंतर स्पर्शी या यथार्थ होता है। • कब अभी व्यंजक तथा आनंददायक होता है। काव्य के गुण काव्य के तीन प्रमुख गुण होते है – • माधुर्य • ओज • प्रसाद माधुर्य गुण की परिभाषा मधुरता के भाव को माधुर्य कहते है | जिस काव्य को सुनने से मन आनंदमय हो जाये तथा कानो में मधुरता का आभास हो, उसे माधुर्य गुण की संज्ञा दी जाती है | यह गुण मुख्य रूप से श्रृगार, शांत एवं करुण रस में पाया जाता है | माधुर्य गुण का उदाहरण – कंकन – किंकन नुपुर धुनी सुनि | कहत लखन सन राम ह्रदय गुनि | प्रसाद गुण की की परिभाषा प्रसाद का अर्थ है – निर्मलता या प्रसन्नता | अर्थात जिस काव्य को पढ़ते या सुनते समय ह्रदय पर छा जाये अर्थात ह्रदय में वह बात लिप्त हो जाये और मन खिल जाए उसे प्रसाद गुण कहते है | प्रसाद गुण का उदाहरण – तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर प्रभु मेरा जीवन हो सुन्दर | ओज गुण की परि...

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मुक्तक काव्य

मुक्तक में प्रबंध के समान रस की धारा नहीं रहती, जिसमें कथा-प्रसंग की परिस्थिति में अपने को भूला हुआ पाठक मग्न हो जाता है और हृदय में एक स्थायी प्रभाव ग्रहण करता है. इसमें तो रस के ऐसे छींटे पड़ते हैं, जिनमें हृदय-कलिका थोड़ी देर के लिए खिल उठती है. यदि प्रबंध एक विस्तृत वनस्थली है, तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है. इसी से यह समाजों के लिए अधिक उपयुक्त होता है. इसमें उत्तरोत्तर दृश्यों द्वारा संगठित पूर्ण जीवन या उसके किसी पूर्ण अंग का प्रदर्शन नहीं होता, बल्कि एक रमणीय खण्ड-दृश्य इस प्रकार सहसा सामने ला दिया जाता है कि पाठक या श्रोता कुछ क्षणों के लिए मंत्रमुग्ध सा हो जाता है. इसके लिए कवि को मनोरम वस्तुओं और व्यापारों का एक छोटा स्तवक कल्पित करके उन्हें अत्यंत संक्षिप्त और सशक्त भाषा में प्रदर्शित करना पड़ता है.