घड़ी पर मोर बोले

  1. Rachna ke aadhar par Vakya Bhed, रचना के आधार पर वाक्य भेद
  2. घड़ी शब्द के अर्थ
  3. मोर
  4. 300+ हिंदी पहेलियों का संग्रह
  5. रामायण चौपाई हिंदी अर्थ सहित


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Rachna ke aadhar par Vakya Bhed, रचना के आधार पर वाक्य भेद

Attention Class 9 and 10 Superstars: Signup for CBSE News, Videos & notes! Rachna ke Aadhar Par Vakya Bhed Class 10 | Vakya Roopantar Rachna ke aadhar par Vakya Bhed (रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण) - इस लेख में हम रचना के आधार पर वाक्य वाक्य भेद के बारे में जानेंगे। इससे पहले लेख में हम रचना के आधार पर वाक्य के कितने भेदहोते हैं ये पढ़ चुके हैं। रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण के लिए इस लेख में भी हम संक्षिप्त रूप में रचना के आधार पर वाक्य के भेदों को जानेंगे और फिर हर भेद के आधार पर वाक्यों को किस तरह एक वाक्य से दूसरे वाक्य में बदला जाता है ये जानेंगे । रचना के आधार पर वाक्य भेद दूसरे शब्दों में - जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं। इसमें एक 'उद्देश्य' और एक 'विधेय' रहते हैं। जैसे- बिजली चमकती है। पानी बरसा। इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य अर्थात कर्ता और विधेय अर्थात क्रिया है। अतः ये साधारण या सरल वाक्य हैं। मिश्रित वाक्य जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है। सरल शब्दों में - जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे 'मिश्रित वाक्य' कहते हैं। दूसरे शब्दों में - जिन वाक्यों में एक प्रधान (मुख्य) उपवाक्य हो और अन्य आश्रित (गौण) उपवाक्य हों तथा जो आपस में कि, जो, क्योंकि, जितना, उतना, जैसा, वैसा, जब, तब, जहाँ, वहाँ, जिधर, उधर, अगर/यदि, तो, यद्यपि, तथापि, आदि से मिश्रित (मिले-जुले) हों उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं। जब दो ऐसे वाक्य मिलें जिनमें एक मुख्य उपवाक्य तथा एक गौण अथवा आश्रि...

घड़ी शब्द के अर्थ

काल का एक प्राचीन मान जो दिन-रात का ३२ वाँ भाग और ६० पलों का होता है। आज-कल के हिसाब से यह २४ मिनट का होता है। पद-घड़ी घड़ी रह-रहकर थोड़ी देर पर। बार-बार। घड़ी पहर = थोड़ी-देर। उदा०-घड़ी पहर बिलबोरे भाई जरता है।-कबीर। मुहा०। घड़ी या घड़ियाँ गिनना = (क) बहुत उत्सुकतापूर्वक और समय पर ध्यान रखते हुए किसी बात की प्रतीक्षा करना। (ख) मरने के निकट होना। (किसी का) घड़ी सायत पर होना = ऐसी स्थिति में होना कि थोड़ी ही देर में प्राण निकल जायँगे। मरणासन्न अवस्था। संज्ञा, स्त्रीलिंग • काल का एक प्राचीन मान जो दिन-रात का ३२ वाँ भाग और ६० पलों का होता है। आज-कल के हिसाब से यह २४ मिनट का होता है। पद-घड़ी घड़ी रह-रहकर थोड़ी देर पर। बार-बार। घड़ी पहर = थोड़ी-देर। उदा०-घड़ी पहर बिलबोरे भाई जरता है।-कबीर। मुहा०। घड़ी या घड़ियाँ गिनना = (क) बहुत उत्सुकतापूर्वक और समय पर ध्यान रखते हुए किसी बात की प्रतीक्षा करना। (ख) मरने के निकट होना। (किसी का) घड़ी सायत पर होना = ऐसी स्थिति में होना कि थोड़ी ही देर में प्राण निकल जायँगे। मरणासन्न अवस्था। • किसी काम या बात के घटित होने का अवसर या समय। जैसे-जब इस काम की घड़ी आवेगी तब यह आप ही हो जायगा। मुहा०-घड़ी देना = ज्योतिषी का महुर्त या साअत बतलाना। • पल, समय बताने वाला यंत्र • मोगरी से बजाई जाने वाली बिरंजी थाली या पियालानुमा घंटा जिस के बीच में लंगर होता है जिसे हिला हिला कर आवाज़ पैदा करते हैं • कभी, किसी लम्हे, किसी वक़्त • समय; बेला; मुहूर्त • काल का वह प्राचीन मान जो दिन-रात का बत्तीसवाँ और साठ पलों का होता है, वर्तमान में इसे चौबीस मिनट का माना जाता है; घटी • किसी घटना या कार्य के घटित होने का अवसर • पानी का छोटा घड़ा। اسم، مؤنث • آدھ گھنٹے کے قریب، ک...

मोर

मोर Peafowl भारतीय मोर Chordata) Aves) Galliformes) (Phasianidae) (Pavoninae) (Pavonini) • • • • • मोर या मयूर (Peacock) "मोर" शब्द का प्रयोग आमतौर पर दोनों लिंगों मतलब नर और मादा दोनों पक्षियों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। तकनीकी रूप से केवल नर ही मोर होते हैं। मादा मोरनी हैं, और एक साथ, उन्हें मोर कहा जाता है अनुक्रम • 1 विवरण • 2 चित्र दीर्घा • 3 इन्हें भी देखें • 4 सन्दर्भ विवरण [ ] मोर ज़्यादातर खुले वनों में वन्यपक्षी की तरह रहते हैं। नीला मोर बरसात के मौसम में काली घटा छाने पर जब यह पक्षी पंख फैला कर नाचता है तो ऐसा लगता मानो इसने हीरों से जड़ी शाही पोशाक पहनी हुई हो; इसीलिए मोर को पक्षियों का राजा कहा जाता है। पक्षियों का राजा होने के कारण ही प्रकृति ने इसके सिर पर ताज जैसी कलंगी लगायी है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। हमारे पड़ोसी देश म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही है। ‘फैसियानिडाई’ परिवार के सदस्य मोर का वैज्ञानिक नाम ‘पावो क्रिस्टेटस’ है। अंग्रेजी भाषा में इसे ‘ब्ल्यू पीफॉउल’ अथवा ‘पीकॉक’ कहते हैं। संस्कृत भाषा में यह मयूर के नाम से जाना जाता है। मोर भारत तथा श्रीलंका में बहुतायत में पाया जाता है। मोर मूलतः वन्य पक्षी है, लेकिन भोजन की तलाश इसे कई बार मानव आबादी तक ले आती है। मोर प्रारम्भ से ही मनुष्य के आकर्षण का केन्द्र रहा है। अनेक धार्मिक कथाओं में मोर को उच्च कोटी का दर्जा दिया गया है। हिन्दू धर्म में मोर को मार कर खाना महापाप समझा जाता है। भगवान् श्रीकृष्ण के मुकुट में लगा मोर का पंख इस पक्षी के महत्त्व को दर्शाता है। महाकवि कालिदास ने महाकाव्य ‘मेघदूत’ में मोर को राष्ट्रीय प...

300+ हिंदी पहेलियों का संग्रह

300+ हिंदी पहेलियों का संग्रह (उत्तर सहित) | Hindi Paheliyan with Answers किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle, Riddle) कहते हैं, जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रामक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। अगर आप अपने दिमाग को मजबूत करना चाहते हैं, तो पहेलियाँ आपकी मदद कर सकती हैं। हम अपना दिमाग जितना पहेली सुलझाने में लगाते हैं, उससे हमारी दिमागी क्षमता उतनी ही बढ़ती है। पहेलियाँ, मानसिक सजगता एव निरीक्षण क्षमता के विकास का एक सहज व प्रभावशाली साधन है। हम पहेलियाँ बुझाकर क्या सीखते हैं? एक छोटी सी पहेली बुझाना भी हमें और हमारे बच्चों को कई तरीके से प्रभावित कर सकती है। पहेलियाँ बुझाने से निम्नलिखित फायदे होते हैं- 1. जब माता-पिता बच्चे के साथ मिलकर ऐसे दिमाग चलाने वाले खेल खेलते हैं, तो यह उनके बीच के रिश्ते को और मजबूत करता है। यह बच्चों को दूसरों के साथ बातचीत करने और सामाजिक बातों को समझने में भी मदद करता है। 2. पहेलियाँ बच्चों को कम उम्र में समस्याओं का समाधान ढूंढने और जटिल चीजों को समझने में मदद करती हैं, जो किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण कौशल हैं। 3. जब बच्चे पहेलियों में आए हुए शब्द समझ नहीं पाते, तो वे उनका अर्थ ढूंढने की कोशिश करते हैं और इस प्रकार ये बच्चों के शब्दों के ज्ञान को बढ़ाती हैं । 4. भाषा द्वारा किसी चीज को समझना स्कूली शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पहेलियाँ बुझाने की कला से बच्चे किसी संदर्भ से शब्दों या वाक्यांशों को समझ सकते हैं, और उसमें छुपे हुए अर्थ को पहचान सकते हैं । 1. अन्त कटे तो कदम रखें, मध्य कटे तो ‘डर’ बन जाऊं। खुद न चल सकूँ मगर, राही को मंजिल पर पहुंचा...

रामायण चौपाई हिंदी अर्थ सहित

बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥ सठ सुधरहिं सत्संगति पाई। पारस परस कुघात सुहाई॥ अर्थ :सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और राम जी की कृपा के बिना वह सत्संग नहीं मिलता, सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है। अर्थ :जब मां सीता का पता लगाने के लिए समुद्र को पार करके त्रिकूट पर्वत पर स्थित लंका में जाना था, तब जामवंत जी ने हनुमान जी से कहा- हे पवनसुत हनुमान जी जगत में ऐसा कौन सा कार्य है जिसे आप नहीं कर सकते, संसार का कठिन से कठिन कार्य भी आपके स्मरण मात्र से सरल हो जाता है। ऐसा कहते हुए जामवंत जी ने हनुमान जी को यह स्मरण कराया कि आपका जन्म प्रभु श्री राम के कार्य के लिए हुआ है, ऐसा सुनते ही पवनसुत हनुमान जी पर्वत के आकार के समान विशालकाय (पर्वतों के राजा सुमेरू पर्वत के समान) हो गए। अर्थ :भगवान ने संसार में कर्म को प्रधान कर रखा है जो व्यक्ति इस संसार में जैसा कर्म करता है वह इस धरती पर वैसा ही फल भोगता है। इसमें कोई हेरा-फेरी नहीं होती, यह बिल्कुल सीधा और सरल नियम है। यदि व्यक्ति सत्कर्म (अच्छे कर्म) करता है तो उसे शांति और समृद्धि प्राप्त होती है परंतु यदि व्यक्ति दुष्कर्म (बुरे कर्म) करता है तो वह इसी धरती पर उसका दंड भी भोगता है (अर्थात दुःख और विपत्तियों में पड़ता है)। इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति कर्महीन होता है अर्थात कोई कर्म नहीं करता, उसे विभिन्न प्रकार के पदार्थों से परिपूर्ण इस धरती पर भी कुछ प्राप्त नहीं होता। इस गंतव्य को तुलसीदास जी लिखते हैं: सकल पदारथ एहि जग माहीं। करमहीन नर पावत नाहीं। अर्थ :धैर्य, धर्म, मित्र और स्त्री- इन चारों की सही परख (परीक्षा) विपत्ति के समय...