गलत मत कदम उठाओ सोचकर चलो

  1. गलत मत कदम बढ़ाओ, सोचकर चलो
  2. Stream episode Galat Mat Kadam Uthao by Jataayu podcast
  3. एस धम्‍मो सनंतनो
  4. Rekha Shinde
  5. *टाका येथे सह आयुक्त यांच्या उपस्थितीत यशवंत गुणगौरव सोहळा संपन्न*
  6. *टाका येथे सह आयुक्त यांच्या उपस्थितीत यशवंत गुणगौरव सोहळा संपन्न*
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गलत मत कदम बढ़ाओ, सोचकर चलो

हमारा सौभाग्य है कि हमारी सरकार चलाने वालों पर हम यह आरोप नहीं लगा सकते कि वे अगंभीरता से जल्दबाजी में फैसले करते हैं। वे सड़क पार करते वक्त पहली कक्षा में बताए मुताबिक पहले दाहिनी तरफ देखते हैं, फिर बाईं तरफ, फिर दाएं देखते हैं, फिर बाएं देखते हैं, फिर दाहिनी और बाईं तरफ देखते हैं और आखिरी बार दाहिनी तरफ देखकर सड़क पार करते हैं। यह बात और है कि इस बीच एक बस दाएं से चली आती है और उन्हें टक्कर मारकर चली जाती है। हमारे गृह मंत्री के घर के बाहर आग लग जाए, तो वह तुरंत पानी की बाल्टी लेकर नहीं दौड़ेंगे। वह सोचेंगे कि अगर आज मैं पानी की बाल्टी लेकर दौड़ा, तो कल असम में कहीं आग लगेगी, तो मुझसे यह उम्मीद की जाएगी कि मैं बाल्टी लेकर दौड़ूंगा। परसों महाराष्ट्र में आग लग सकती है, उसके अगले दिन माओवाद ग्रस्त बस्तर के जंगलों में आग लगेगी, तो मैं कहां-कहां दौड़ूंगा। फिर वे तय करते हैं कि पानी की बाल्टी लेकर दौड़ना अच्छा फैसला नहीं होगा? इस बीच हो सकता है कि उनके घर सहित दो-चार घर और जल जाएं। ऐसी ही दूर की सोच प्रधानमंत्री की भी है। वह सोचेंगे कि पहले देख लेते हैं कि आग कितनी दूर तक फैलती है। हो सकता है कि वह अपने आप ही बुझ जाए। दो दिन बाद भी आग जलती रही, तो वह सोचेंगे कि पानी डाला जाए, या फूंक मारी जाए। गंभीर विचार के बाद वह तय करेंगे कि पानी ही ठीक रहेगा। फिर यह विचार करेंगे कि कितना पानी डाला जाए, एक चम्मच काफी होगा, एक ग्लास डालना होगा या एक बाल्टी की जरूरत होगी। सलाह करने के बाद वह तय करेंगे कि कुछ भी किया जाए, कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि आग में सब कुछ जलकर राख हो चुका है। पर उन्हें बताया जाएगा कि बतौर पीएम उन्हें कुछ तो करना होगा। तब वह चम्मच भर पानी ले जाकर अंगारों पर डालेंगे और ...

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गलत मत कदम उठाओ सोच कर चलो, विचार कर चलो राह की मुसीबतों को पारकर चलो तुम पे ज़िम्मेदारियाँ है देश की पड़ी तुम न बदलो अपनी चाल अब घड़ी घड़ी तुम पे आनेवाली आस की नज़र गड़ी चिराग ले चलो, आग ले चलो मस्तियों में रंग भरे फाग ले चलो काल की तलवार से इन्सान कब डरा तुम प्रलय के बादलों को छेड़ दो जरा लाख मौत हो मगर मनुष्य कब डरा ज्योत जो जला, पंथ जो चला प्रेम का पला भला वो सूर्य कब ढला Singer: Manisha, Viraj, Bijal. Direction: Atul Genre • • • •

एस धम्‍मो सनंतनो

मुझे शास्त्र नहीं, अनुभव बनाओ—प्रवचन—पच्चपनवां पहला प्रश्न भगवान श्री , अर्थ तो कमाया, पर शुरूआत ही गलत हो गयी। कोई छह—सात साल का ही था जब कामवासना सक्रिय हो गयी। और दस से छत्तीस की उस तक इस कदर वीर्य स्‍खलितत किया कि कोई हिसाब नहीं! और यह भी बता दूं कि केवल सात महीने ही मां के गर्भ में रहकर मैं बाहर आ गया था। आपका स्वभाव कल से बेचैन है। जब वह वीर्य न बचा सका, तब प्रज्ञा कैसे पैदा हो? तभी तो मूड़ हूं और बिना जाने जानने का दावा करता हूं। संन्यास लेकर भी पलायन ही कर रहा हूं। क्रोध और अहंकार से बुरी तरह ग्रसित हूं। बस चमड़ी—मास ही बढ़ा है। स्वभाव खुद कर—करके हार गया, प्रभु! अब आप ही कछ करें। पहली बात, जो बीता सो बीता। जो हुआ उसे न तो अनहुआ किया जा सकता है, न करने की चेष्टा में व्यर्थ समय गंवाने की कोई जरूरत है। अतीत के लिए रोओ मत, भविष्य के लिए प्रार्थना करो। अतीत के लिए पछताओ मत, क्योंकि उस पछतावे में भी गंवाया गया समय फिर लौटकर नहीं आएगा। उतना समय तो गया। कुछ किया नहीं जा सकता। जो गया, गया। अब पछताओ मत। क्योंकि पछतावे में गया समय भी व्यर्थ जाएगा। व्यर्थ के कामों में समय जाता है, फिर व्यर्थ के कामों के पछतावे में समय जाता है। मूल तो गया ही गया, अब तुम व्यर्थ ब्याज भी गंवा रहे हो। तो पहली तो बात खयाल रखो, अतीत के लिए पछतावा नासमझी है। अतीत का अर्थ ही यह है कि जो अब हमारे हाथ के बाहर हुआ—तीर छूट चुका। अब उसे वापस तुम तरकस में न लौटा सकोगे। लेकिन चिंता का कोई कारण नहीं। यह चिंता भी उसी मन का जाल है जिसने अतीत को गंवाया। अब वही मन चिंतातुर होकर वर्तमान को गंवाएगा। तब किसी दिन भविष्य में, जब भविष्य वर्तमान बनेगा, तुम पछतावे के लिए पछताओगे। ऐसा चक्र है—दुष्ट—चक्र—जिसमें आदमी फंसता च...

Rekha Shinde

देशभक्ती गीत अनुक्रमणिका 1.मेरे देश की धरती 2. कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं 3.हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब 4.रंग रूप वेष भाषा चाहे अनेक हैं 5.जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा 6.हर देश मे तू 7.ऐ प्यारी भारत माॕ 8.सारे जहाँ से अच्छा 9. हिंद देश के निवासी 10. ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा 11. नया दौर 12. भूलकर हम भेद सारे देश बंधू एक होगे|| 13.हिंद देश की विशेषता 14. ऐ मेरे वतन के लोगों 15.नन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ 16.तेरी मिट्टी में 17.अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही १८. तिरंगा देशभक्ती गीत 19.मेरा मुल्क २०. सवारते चलो वतन २१. कँधो से मिलते है कंधे....... २२.शुर सैैनिकास देशभक्ति गीत २३.हिंद के बहादुरो... २४.आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की २५.चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है २६.एकता, स्वतंत्रता,समानता रहे २७. अनेकता मे एकता २८.ध्वज उंच तिरंगा डोले रे २९ उठो हिंद के वीर सपूतो 30.प्यारा रे प्यारा रे देश मेरा प्यारा ३१. गलत मत कदम उठाओ... ३२. ए वतन... ३३. ये मेरा वतन है... ३४.भारत हमको जान से प्यारा है| ३५.भारत हमको जान से प्यारा है ३६. ये मेरा वतन है ३७.नौ जवानो. ३८. वंदे मातरम् ३९.मनुष्य तू बडा महान है। ४०.सबसे ऊॅंची विजय पताका ४१.विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा ४२.दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल हिंदी देशभक्ती/समूह गीत 1.मेरे देश की धरती बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कमल मुस्काते हैं सुन के रहट की आवाज़ें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती ...

*टाका येथे सह आयुक्त यांच्या उपस्थितीत यशवंत गुणगौरव सोहळा संपन्न*

टाका ता. औसा जि. लातूर या ठिकाणी दीपावली स्नेहसंमेलनाच्या निमित्ताने विधायक विचार मंचाच्या वतीने विविध क्षेत्रातील यशवंतांचा प्रेरणादायी असा गुणगौरव सोहळा आयोजित करण्यात आला होता. दीप प्रज्वलनाने कार्यक्रमाची सुरुवात झाली. संगीत सूर्य केशवराव भोसले शाखा निलंगाचे अमरदीप पाटील यांनी 'गलत मत कदम उठाओ सोचकर चलो' या गीताने मान्यवरांचे स्वागत केले. आयएएस स्पर्धा परीक्षा उत्तीर्ण झालेल्या आणि आता सह आयुक्त म्हणून प्रशिक्षण घेत असलेल्या पूजा अशोकराव कदम यांनी कार्यक्रमाचे वैशिष्ट्यपूर्ण प्रस्ताविक केले. देशात साऱ्याच माणसाने गुण्यागोविंदांनी नांदले पाहिजे. हा देश अखंड, एकात्मिक व समृद्ध राष्ट्र म्हणून जगाच्या समोर आले पाहिजे. देशाला सुखी समृद्ध बनवण्याची आपल्या सर्वांचीच जबाबदारी आहे. छोट्या छोट्या कार्यक्रमातून आपण समाजाला चांगला संदेश दिला पाहिजे. सशक्त राष्ट्र निर्मितीसाठी आपण सदैव सज्ज असले पाहिजे अशा प्रकारची भूमिका मांडली. जगद्गुरु तुकोबाराय साहित्य परिषद मराठवाड्याचे कोषाध्यक्ष डीबी बरमदे यांनी जीवनातील शिक्षणाचे महत्त्व सांगून अनेक घटना प्रसंगाच्या माध्यमातून सर्वांनाच प्रेरित केले व भारावून टाकले. कदम परिवाराने लेकींना सन्मान देऊन स्वतःच्या पायावरती स्वाभिमानाने जीवन जगण्यासाठी उभे केले. खऱ्या अर्थाने लेकींना सन्मान देणारे हे कुटुंब सर्वांसाठीच आदर्श आहे. या कुटुंबाचा व गावचा हा आदर्श जगासमोर आला पाहिजे अशा भावना व्यक्त केल्या. लातूर येथील पर्यावरण प्रेमी व वृक्षमित्र सुपर्ण जगताप यांनी वृक्षाचे महत्व सांगून येणाऱ्या काळामध्ये वृक्षारोपण किती महत्त्वाचे आहे, त्याशिवाय आम्ही तुम्ही आणि हे पर्यावरण निरोगी व निरामय असू शकत नाही, याबद्दल आपले विचार लोकांसमोर ठेवले. या गावातल्...

*टाका येथे सह आयुक्त यांच्या उपस्थितीत यशवंत गुणगौरव सोहळा संपन्न*

टाका ता. औसा जि. लातूर या ठिकाणी दीपावली स्नेहसंमेलनाच्या निमित्ताने विधायक विचार मंचाच्या वतीने विविध क्षेत्रातील यशवंतांचा प्रेरणादायी असा गुणगौरव सोहळा आयोजित करण्यात आला होता. दीप प्रज्वलनाने कार्यक्रमाची सुरुवात झाली. संगीत सूर्य केशवराव भोसले शाखा निलंगाचे अमरदीप पाटील यांनी 'गलत मत कदम उठाओ सोचकर चलो' या गीताने मान्यवरांचे स्वागत केले. आयएएस स्पर्धा परीक्षा उत्तीर्ण झालेल्या आणि आता सह आयुक्त म्हणून प्रशिक्षण घेत असलेल्या पूजा अशोकराव कदम यांनी कार्यक्रमाचे वैशिष्ट्यपूर्ण प्रस्ताविक केले. देशात साऱ्याच माणसाने गुण्यागोविंदांनी नांदले पाहिजे. हा देश अखंड, एकात्मिक व समृद्ध राष्ट्र म्हणून जगाच्या समोर आले पाहिजे. देशाला सुखी समृद्ध बनवण्याची आपल्या सर्वांचीच जबाबदारी आहे. छोट्या छोट्या कार्यक्रमातून आपण समाजाला चांगला संदेश दिला पाहिजे. सशक्त राष्ट्र निर्मितीसाठी आपण सदैव सज्ज असले पाहिजे अशा प्रकारची भूमिका मांडली. जगद्गुरु तुकोबाराय साहित्य परिषद मराठवाड्याचे कोषाध्यक्ष डीबी बरमदे यांनी जीवनातील शिक्षणाचे महत्त्व सांगून अनेक घटना प्रसंगाच्या माध्यमातून सर्वांनाच प्रेरित केले व भारावून टाकले. कदम परिवाराने लेकींना सन्मान देऊन स्वतःच्या पायावरती स्वाभिमानाने जीवन जगण्यासाठी उभे केले. खऱ्या अर्थाने लेकींना सन्मान देणारे हे कुटुंब सर्वांसाठीच आदर्श आहे. या कुटुंबाचा व गावचा हा आदर्श जगासमोर आला पाहिजे अशा भावना व्यक्त केल्या. लातूर येथील पर्यावरण प्रेमी व वृक्षमित्र सुपर्ण जगताप यांनी वृक्षाचे महत्व सांगून येणाऱ्या काळामध्ये वृक्षारोपण किती महत्त्वाचे आहे, त्याशिवाय आम्ही तुम्ही आणि हे पर्यावरण निरोगी व निरामय असू शकत नाही, याबद्दल आपले विचार लोकांसमोर ठेवले. या गावातल्...

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गलत मत कदम उठाओ सोच कर चलो, विचार कर चलो राह की मुसीबतों को पारकर चलो तुम पे ज़िम्मेदारियाँ है देश की पड़ी तुम न बदलो अपनी चाल अब घड़ी घड़ी तुम पे आनेवाली आस की नज़र गड़ी चिराग ले चलो, आग ले चलो मस्तियों में रंग भरे फाग ले चलो काल की तलवार से इन्सान कब डरा तुम प्रलय के बादलों को छेड़ दो जरा लाख मौत हो मगर मनुष्य कब डरा ज्योत जो जला, पंथ जो चला प्रेम का पला भला वो सूर्य कब ढला Singer: Manisha, Viraj, Bijal. Direction: Atul Genre • • • •

गलत मत कदम बढ़ाओ, सोचकर चलो

हमारा सौभाग्य है कि हमारी सरकार चलाने वालों पर हम यह आरोप नहीं लगा सकते कि वे अगंभीरता से जल्दबाजी में फैसले करते हैं। वे सड़क पार करते वक्त पहली कक्षा में बताए मुताबिक पहले दाहिनी तरफ देखते हैं, फिर बाईं तरफ, फिर दाएं देखते हैं, फिर बाएं देखते हैं, फिर दाहिनी और बाईं तरफ देखते हैं और आखिरी बार दाहिनी तरफ देखकर सड़क पार करते हैं। यह बात और है कि इस बीच एक बस दाएं से चली आती है और उन्हें टक्कर मारकर चली जाती है। हमारे गृह मंत्री के घर के बाहर आग लग जाए, तो वह तुरंत पानी की बाल्टी लेकर नहीं दौड़ेंगे। वह सोचेंगे कि अगर आज मैं पानी की बाल्टी लेकर दौड़ा, तो कल असम में कहीं आग लगेगी, तो मुझसे यह उम्मीद की जाएगी कि मैं बाल्टी लेकर दौड़ूंगा। परसों महाराष्ट्र में आग लग सकती है, उसके अगले दिन माओवाद ग्रस्त बस्तर के जंगलों में आग लगेगी, तो मैं कहां-कहां दौड़ूंगा। फिर वे तय करते हैं कि पानी की बाल्टी लेकर दौड़ना अच्छा फैसला नहीं होगा? इस बीच हो सकता है कि उनके घर सहित दो-चार घर और जल जाएं। ऐसी ही दूर की सोच प्रधानमंत्री की भी है। वह सोचेंगे कि पहले देख लेते हैं कि आग कितनी दूर तक फैलती है। हो सकता है कि वह अपने आप ही बुझ जाए। दो दिन बाद भी आग जलती रही, तो वह सोचेंगे कि पानी डाला जाए, या फूंक मारी जाए। गंभीर विचार के बाद वह तय करेंगे कि पानी ही ठीक रहेगा। फिर यह विचार करेंगे कि कितना पानी डाला जाए, एक चम्मच काफी होगा, एक ग्लास डालना होगा या एक बाल्टी की जरूरत होगी। सलाह करने के बाद वह तय करेंगे कि कुछ भी किया जाए, कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि आग में सब कुछ जलकर राख हो चुका है। पर उन्हें बताया जाएगा कि बतौर पीएम उन्हें कुछ तो करना होगा। तब वह चम्मच भर पानी ले जाकर अंगारों पर डालेंगे और ...

एस धम्‍मो सनंतनो

मुझे शास्त्र नहीं, अनुभव बनाओ—प्रवचन—पच्चपनवां पहला प्रश्न भगवान श्री , अर्थ तो कमाया, पर शुरूआत ही गलत हो गयी। कोई छह—सात साल का ही था जब कामवासना सक्रिय हो गयी। और दस से छत्तीस की उस तक इस कदर वीर्य स्‍खलितत किया कि कोई हिसाब नहीं! और यह भी बता दूं कि केवल सात महीने ही मां के गर्भ में रहकर मैं बाहर आ गया था। आपका स्वभाव कल से बेचैन है। जब वह वीर्य न बचा सका, तब प्रज्ञा कैसे पैदा हो? तभी तो मूड़ हूं और बिना जाने जानने का दावा करता हूं। संन्यास लेकर भी पलायन ही कर रहा हूं। क्रोध और अहंकार से बुरी तरह ग्रसित हूं। बस चमड़ी—मास ही बढ़ा है। स्वभाव खुद कर—करके हार गया, प्रभु! अब आप ही कछ करें। पहली बात, जो बीता सो बीता। जो हुआ उसे न तो अनहुआ किया जा सकता है, न करने की चेष्टा में व्यर्थ समय गंवाने की कोई जरूरत है। अतीत के लिए रोओ मत, भविष्य के लिए प्रार्थना करो। अतीत के लिए पछताओ मत, क्योंकि उस पछतावे में भी गंवाया गया समय फिर लौटकर नहीं आएगा। उतना समय तो गया। कुछ किया नहीं जा सकता। जो गया, गया। अब पछताओ मत। क्योंकि पछतावे में गया समय भी व्यर्थ जाएगा। व्यर्थ के कामों में समय जाता है, फिर व्यर्थ के कामों के पछतावे में समय जाता है। मूल तो गया ही गया, अब तुम व्यर्थ ब्याज भी गंवा रहे हो। तो पहली तो बात खयाल रखो, अतीत के लिए पछतावा नासमझी है। अतीत का अर्थ ही यह है कि जो अब हमारे हाथ के बाहर हुआ—तीर छूट चुका। अब उसे वापस तुम तरकस में न लौटा सकोगे। लेकिन चिंता का कोई कारण नहीं। यह चिंता भी उसी मन का जाल है जिसने अतीत को गंवाया। अब वही मन चिंतातुर होकर वर्तमान को गंवाएगा। तब किसी दिन भविष्य में, जब भविष्य वर्तमान बनेगा, तुम पछतावे के लिए पछताओगे। ऐसा चक्र है—दुष्ट—चक्र—जिसमें आदमी फंसता च...

Rekha Shinde

देशभक्ती गीत अनुक्रमणिका 1.मेरे देश की धरती 2. कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं 3.हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब 4.रंग रूप वेष भाषा चाहे अनेक हैं 5.जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा 6.हर देश मे तू 7.ऐ प्यारी भारत माॕ 8.सारे जहाँ से अच्छा 9. हिंद देश के निवासी 10. ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा 11. नया दौर 12. भूलकर हम भेद सारे देश बंधू एक होगे|| 13.हिंद देश की विशेषता 14. ऐ मेरे वतन के लोगों 15.नन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ 16.तेरी मिट्टी में 17.अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही १८. तिरंगा देशभक्ती गीत 19.मेरा मुल्क २०. सवारते चलो वतन २१. कँधो से मिलते है कंधे....... २२.शुर सैैनिकास देशभक्ति गीत २३.हिंद के बहादुरो... २४.आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की २५.चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है २६.एकता, स्वतंत्रता,समानता रहे २७. अनेकता मे एकता २८.ध्वज उंच तिरंगा डोले रे २९ उठो हिंद के वीर सपूतो 30.प्यारा रे प्यारा रे देश मेरा प्यारा ३१. गलत मत कदम उठाओ... ३२. ए वतन... ३३. ये मेरा वतन है... ३४.भारत हमको जान से प्यारा है| ३५.भारत हमको जान से प्यारा है ३६. ये मेरा वतन है ३७.नौ जवानो. ३८. वंदे मातरम् ३९.मनुष्य तू बडा महान है। ४०.सबसे ऊॅंची विजय पताका ४१.विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा ४२.दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल हिंदी देशभक्ती/समूह गीत 1.मेरे देश की धरती बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कमल मुस्काते हैं सुन के रहट की आवाज़ें यूँ लगे कहीं शहनाई बजे आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती ...