गणेश जी का चित्र दिखाइए

  1. Complete introduction of Lord Ganesha : भगवान गणेश जी का संपूर्ण परिचय
  2. गणेश जयन्ती
  3. know the right direction to put ganesh idol to remove vastu dosh
  4. घर में गणेश जी की मूर्ति का वास्तु महत्व
  5. गणपति अथर्वशीर्ष गणपति जी का अद्भुत व चमत्कारी पाठ गणेश जी को प्रसन्न करने के उपाय (Ganpati atharvashirsha ganesh ji ka path in hindi)


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Complete introduction of Lord Ganesha : भगवान गणेश जी का संपूर्ण परिचय

गणेश जन्म : माता पार्वती द्वारा पुण्यक व्रत के फलस्वरूप गणेशजी का जन्म हुआ था। बाद के पुराणों में उनके जन्म के संबंध में कहा गया है माता ने अपनी सखी जया और विजया के कहने पर एक गण की उत्पति अपने मैल से की थी। जन्म समय माथुर ब्राह्मणों के इतिहास अनुसार अनुमानत: 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय हुआ था। पौराणिक मत के अनुसार सतुयग में हुआ था। गणेश जन्म स्थान : उत्तरकाशी जिले के डोडीताल को गणेशजी का जन्म स्थान माना जाता है। यहां पर माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर हैं जहां गणेशजी अपनी माता के साथ विराजमान हैं। डोडीताल, जोकि मूल रूप से बुग्‍याल के बीच में काफी लंबी-चौड़ी झील है, वहीं गणेश का जन्‍म हुआ था। यह भी कहा जाता है कि केलसू, जो मूल रूप से एक पट्टी है (पहाड़ों में गांवों के समूह को पट्टी के रूप में जाना जाता है) का मूल नाम कैलाशू है। इसे स्‍थानीय लोग शिव का कैलाश बताते हैं। केलसू क्षेत्र असी गंगा नदी घाटी के सात गांवों को मिलाकर बना है। गणेश भगवान को स्‍थानीय बोली में डोडी राजा कहा जाता हैं जो केदारखंड में गणेश के लिए प्रचलित नाम डुंडीसर का अपभ्रंश है। मान्यता अनुसार डोडीताल क्षेत्र मध्‍य कैलाश में आता था और डोडीताल गणेश की माता और शिव की पत्‍नी पार्वती का स्‍नान स्‍थल था। स्‍वामी चिद्मयानंद के गुरु रहे स्‍वामी तपोवन ने मुद्गल ऋषि की लिखी मुद्गल पुराण के हवाले से अपनी किताब हिमगिरी विहार में भी डोडीताल को गणेश का जन्‍मस्‍थल होने की बात लिखी है। वैसे कैलाश पर्वत तो यहां से सैंकड़ों मील दूर है परंतु स्थानीय लोग मानते हैं कि एक समय यहां माता पार्वती विहार पर थी तभी गणेशजी का जन्म हुआ था। गणेश के नाम : कहते हैं कि गणेशजी का मूल नाम विनायक ...

गणेश जयन्ती

गणेश जयंती गणेश अन्य नाम तिलो चौथ, सकट चौथिस, तिलकुंड चौथ अनुयायी प्रकार अनुष्ठान गणेश जी की पूजा तिथि माघ महीने में शुक्ल पक्ष चतुर्थी (जनवरी / फरवरी के दौरान चंद्रमा के उज्ज्वल आधे चक्र का चौथा दिन), आवृत्ति वार्षिक समान पर्व गणेश का जन्मदिन गणेश जयंती (शाब्दिक रूप से "गणेश का जन्मदिन", जिसे माघ शुक्ल चतुर्थी, तिलकुंड चतुर्थी और वरद चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है, यह एक हिंदू त्योहार है। इस दिन ज्ञान के देवता गणेश का जन्म दिवस मनाया जाता है। गणेश जयंती और गणेश चतुर्थी त्योहार के बीच का अंतर यह है कि बाद वाला त्योहार अधिक लोकप्रिय, और लगभग अखिल भारतीय स्तर पर अगस्त/सितंबर (भाद्रपद हिंदू माह) के महीने में मनाया जाता है। एक परंपरा के अनुसार, गणेश चतुर्थी को गणेश जी का जन्मदिन भी माना जाता है। पर्व [ ] इस त्योहार के दिन, गणेश की एक प्रतिमा, प्रतीकात्मक शंक्वाकार रूप में, हल्दी या सिंदूर पाउडर या गोबर से बनाई जाती है और पूजा की जाती है। बाद में त्योहार के चौथे दिन इसे पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। प्रसाद के रुप मे तिल (तिल के बीज) से बनी एक विशेष तैयारी गणेश जी को अर्पित की जाती है और फिर भक्तों को खाने के लिए प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। अनुष्ठान के दिन के समय पूजा के दौरान व्रत रखा जाता है और रात में दावत दी जाती है। इस दिन उपवास के अलावा, गणेश (जिन्हें "विनायक" भी कहा जाता है) की पूजा करने से पहले, भक्त अपने शरीर पर तिल (तिल) से बने पेस्ट को लगाने के बाद, तिल के बीज के पानी से स्नान करते हैं। इस दिन किया गया व्रत व्यक्ति के नाम और यश को बढ़ाने वाला बताया गया है। गणेश जयंती पर, भक्त महाराष्ट्र के पुणे जिले के मोरगाँव में मोरेश्वर मंदिर में बड़ी संख्या में आ...

know the right direction to put ganesh idol to remove vastu dosh

नई दिल्ली: हम में से बहुत से लोग घर बनवाते या रेनोवेट करवाते समय सजावट का तो पूरा ध्यान रखते हैं लेकिन वास्तु की अनदेखी कर देते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) की रचना सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी (Lord Brahma) ने की है और इसे मानव कल्याण के लिए ही बनाया गया है. ऐसे में वास्तु की अनदेखी करने पर घर के सदस्यों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. भगवान गणेश (Lord Ganesh) को यूं ही विघ्नहर्ता नहीं कहा जाता. वे सभी तरह के विघ्नों और समस्याओं को दूर कर देते हैं जिनमें वास्तु दोष ( Vastu Dosh) भी शामिल है. ऐसे में घर से जुड़े वास्तु दोष को दूर करने के लिए गणेश जी की प्रतिमा या चित्र को कहां और किस दिशा में लगाना चाहिए, इस बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें. - वास्तु शास्त्र के मुताबिक अगर आपके घर या ऑफिस में किसी तरह का वास्तु दोष हो तो उसे दूर करने के लिए आप किसी भी हिस्से में विघ्नहर्ता भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो लगा सकते हैं. ये भी पढ़ें- वास्तु टिप्स: पूजा पाठ की इन चीजों को जमीन पर रखना होता है अशुभ - प्रतिमा या तस्वीर लगाते वक्त केवल इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी का मुंह दक्षिण दिशा (South Direction) या नैऋत्य कोण में नहीं होना चाहिए वरना इसका विपरित प्रभाव भी हो सकता है. - आप चाहें तो घर में बैठे हुए और ऑफिस में खड़े गणेश जी का चित्र भी लगा सकते हैं. - घर के केंद्र में, ईशान कोण में और पूर्व दिशा में गणेश जी की मूर्ति या चित्र लगाना शुभ रहता है. सुख-शांति और समृद्धि के लिए सफेद रंग के विनायक की मूर्ति लगाना भी शुभ माना जाता है. ये भी पढ़ें- अगर बढ़ रहा है कर्ज तो ये वास्तु दोष हो सकते हैं जिम्मेदार - गणेश जी की मूर्ति या च...

घर में गणेश जी की मूर्ति का वास्तु महत्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है, जो हिंदुओं के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण देवता हैं। गणेश का प्रमुख वास्तु महत्व यह है कि उन्हें सभी बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में जाना जाता है। यदि आप गणेश वास्तु के नियमों के अनुसार घर में गणेश जी की मूर्ति रखते हैं, तो आपका घर प्रेम, आनंद, शांति और प्रचुरता से भर जाएगा। इसलिए अधिकांश हिंदू परिवारों की भगवान गणेश में आस्था है और आप अक्सर वास्तु विशेषज्ञों को लोगों को घर में गणेश की मूर्ति रखने की सलाह देते हुए पाएंगे। हालाँकि घर के लिए गणेश की मूर्ति के वास्तु महत्व के बारे में पता होना चाहिए। इसके अलावा भी कई गणेश वास्तु नियम हैं जिन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है। गणेश जी की मूर्ति की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है और अगर जीवन में कोई खास चीज मांगी जाए तो गणेश जी की मूर्ति बनाने में लगने वाली सामग्री का भी महत्व होता है। नीचे दिए गए ब्लॉग में, हम आपके साथ गणेश मूर्ति के महत्व को साझा करते हैं, महत्वपूर्ण गणेश वास्तु नियम जिनसे आपको अवगत होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, हम आपको यह भी बताते हैं कि किस प्रकार की मूर्ति क्या दर्शाती है। पढ़ते रहिये: भगवान गणेश के शरीर के विभिन्न अंगों का महत्व भगवान गणेश की अनूठी विशेषताएं हैं, जिनमें से प्रत्येक का जीवन में जबरदस्त महत्व है। घर में शांति और समृद्धि लाने के लिए भगवान में मौजूद इन गुणों को आत्मसात कर सकते हैं। गणेश के विभिन्न भागों के महत्व के बारे में पता करें, और शरीर का प्रत्येक भाग हमें क्या सिखाता है। • बड़ा सिर - बड़ा और सकारात्मक सोचें • बड़े कान/छोटा मुँह - बोलो कम और सुनो ज्यादा • छोटी आंखें- एकाग्रता बढ़ाएं • एक दांत - जीवन में अच्छी बातों को याद रखें और बुरी बातों को...

गणपति अथर्वशीर्ष गणपति जी का अद्भुत व चमत्कारी पाठ गणेश जी को प्रसन्न करने के उपाय (Ganpati atharvashirsha ganesh ji ka path in hindi)

इसमें गणेश जी में ब्रम्हा, विष्णु व महेश का वास मानकर उनसे समस्त कष्टों के निवारण हेतु विनय पूर्वक प्रार्थना की गई है। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से होने वाले लाभ, फायदे ? ( Ganpati Atharvashirsha ka path karne se hone wale labh or fayde in hindi)? • गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से सारे कठिनाई व संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही गणेश जी प्राणी में उपस्थित मूलाधार चक्र के स्वामी हैं। गणपति जी की आराधना व पूजन अर्चन करने से व्यक्ति के मूलाधार चक्र की ऊर्जा जागृत होती है। वह व्यक्ति मान सम्मान को प्राप्त करता है। गणपति अथर्वशीर्ष मे गणेश जी को प्रसन्न करने के उपाय ( Ganpati Atharvashirsha me ganesh jiko prasann karne k upay in hindi) • गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करते हुए जो व्यक्ति गणेश जी को दूर्वा अर्पित करते हैं,वे कुबेर के समान धनवान हो जाते हैं। • जो व्यक्ति गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करके 8 ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं,वह सूर्य के समान तेजस्वी हो जाते हैं। गणपति अथर्वशीर्ष की पूजन विधि ( Ganpati Atharvashirsha ki poojan vidhi in hindi) गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से पूर्व स्नान आदि से निवृत होकर एक लाल ऊन या कुशा के आसन पर पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके बैठ जाइये। इसके पश्चात गणेश जी का चित्र या मूर्ति को अपने सम्मुख रखकर चंदन, कुमकुम, अक्षत, व फूल अर्पित कर संकल्प लेकर मनोकामना बोलिये। प्रसाद में बेसन के लड्डू, फल, या मोदक का भोग लगाइए। आप गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ लगातार 21 दिन तक कीजिए। यदि आप इसे शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू करते हैं तो यह आपके लिए ज्यादा अच्छा होगा। आशा करती हूं कि गणपति अथर्वशीर्ष ( Ganapati Atharvashirsha) गणपति जी का अद्भुत व चमत्कारी पाठ से गणेश जी को प्...