गोरेलाल की कॉमेडी

  1. लाल कवि


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लाल कवि

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 राज्य-सम्मान • 3 साहित्यिक-मूल्यांकन • 4 रचनाएँ • 5 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] गोरेलाल के पूर्वज पहले राजमंड्री राजमहेंद्रवरम् था जो इसका औपचारिक सरकारी नाम भी है, इनके पूर्वज काशीनाथ भट्ट की कन्या "पूर्णा" का विवाह यहीं महाप्रभु वल्लभाचार्य जी से हुआ था। काशीनाथ के पुत्र जगन्नाथ के क्रमश: गिट्टा, लंबुक, जोगिया, तिघरा, गिरधन और भरम नामक छह पुत्र हुए इसीलिये इनका वंश 'छभैय्या' कहलाया । गोरेलाल का जन्म संवत् 1715 वि. के आसपास इन्हीं गिट्टा के पुत्र नागनाथ की दसवीं पीढ़ी में हुआ था। "वृहलृकमौद्गल्यगोत्रे प्रथिततरयशा नानाथान्वयेभूत्"। बुंदेलाधीशपूज्य: कविकुलतिलको गौरिलालाख्यो भट्टः" के अनुसार दीक्षिणात्य विद्वान् कृष्णशास्त्री ने "वल्लभदिग्विजय" में लिखा है कि "मुद्गल गोत्रीय" नागनाथ के वंश में कवि-कुल-तिलक गोरेलाल हुए, जिन्हें बुंदेलखंड के अधीश्वर (छत्रसाल) बड़ी पूज्य दृष्टि से देखते थे। लाल को अपने एकमात्र आश्रयदाता महाराजा छत्रसाल से बढ़ाई, पठारा, अमानगंज, सगेरा तथा दग्धा नामक पाँच गाँव जागीर में मिले थे। आज उन गावों के नाम हो चुके हैं- बड़खेरा, पगरा, अमानगंज, सगरा (झगरा) , और दग्धा! गोरेलाल स्वयं अपने जागीरी ग्राम दग्धा में रहते थे और अब तक उनके वंशज वहीं रहते हैं। राज्य-सम्मान [ ] महाराजा छत्रसाल साहित्य के प्रेमी एवं संरक्षक थे । कई प्रसिद्ध कवि उनके दरबार में रहते थे । विख्यात कवि भूषण (जिन्होंने ‘छत्रसाल दशक’ लिखा है) की ही तरह गोरेलाल भी उन दरबारी कवियों में से एक थे। खुद गोरेलालजी को अपनी काव्य-प्रतिभा के चलते अपने आश्रयदाता महाराजा छत्रसाल (4 मई 1649–20 दिसम्बर 1731 ई. ) से बढ़ाई, पठारा, अमानगंज, सगेरा तथा दग्धा आदि नामक गाँव जागीर में मिले थे। यद...