गोस्वामी तुलसीदास का साहित्यिक जीवन परिचय लिखिए

  1. UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi काव्यांजलि Chapter 4 गोस्वामी तुलसीदास
  2. गोस्वामी तुलसीदास का जीवन एवं साहित्यिक परिचय
  3. गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय और रचनाएँ (Goswami Tulsidas)
  4. गोस्वामी तुलसीदास
  5. गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय
  6. गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय एवं रचनाएं
  7. तुलसीदासजी का जीवन परिचय –
  8. Tulsidas Biography in Hindi


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UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi काव्यांजलि Chapter 4 गोस्वामी तुलसीदास

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi काव्यांजलि Chapter 4 गोस्वामी तुलसीदास UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi काव्यांजलि Chapter 4 गोस्वामी तुलसीदास कवि-परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ प्रश्न: तुलसीदास का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए। या तुलसीदास जी की काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। या तुलसीदास का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों का नामोल्लेख कीजिए एवं साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। उत्तर: जीवन-परिचय – गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म संवत् 1589 वि० (सन् 1532) भाद्रपद, शुक्ल एकादशी को राजापुर (जिला बाँदा) के सरयूपारीण ब्राह्मण-कुल में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दूबे और माता का नाम हुलसी था। जन्म के थोड़े दिनों बाद ही इनकी माता का देहान्त हो गया और अभुक्त मूल नक्षत्र में उत्पन्न होने के कारण पिता ने भी इनको त्याग कर दिया। पिता द्वारा त्याग दिये जाने पर वे अनाथ के समान घूमने लगे। इन्होंने कवितावली में स्वयं लिखा है-“बारे तै ललात बिललात द्वार-द्वारे दीन, चाहते हो चारि फल चारि ही चनक को।” इसी दशा में इनकी भेंट रामानन्दीय सम्प्रदाय के साधु नरहरिदास से हुई, जिन्होंने इन्हें साथ लेकर विभिन्न तीर्थों का भ्रमण किया। तुलसीदास जी ने अपने इन्हीं गुरु का स्मरण इस पंक्ति में किया है- ‘बन्दी गुरुपद कंज कृपासिन्धु नर-रूप हरि।’ तीर्थाटन से लौटकर काशी में इन्होंने तत्कालीन विख्यात विद्वान् शेषसनातन जी से 15 वर्ष तक वेद, शास्त्र, दर्शन, पुराण आदि का गम्भीर अध्ययन किया। फिर अपने जन्म-स्थान के दीनबन्धु पाठक की पुत्री रत्नावली से विवाह किया। तुलसी अपनी सुन्दर पत्नी पर पूरी तरह आसक्त थे। पत्नी के ही एक व्यंग्य से आहत होकर ये घर-बार छोड़कर काशी में आये और संन्यासी हो...

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन एवं साहित्यिक परिचय

श्रावन शुक्ला सप्तमी, तुलसी धरयौ शरीर। इस दोहे अनुसार इस महाकवि का जन्म बांदा जिले के राजापुर नामक स्थान में सन् 1490 ई. में हुआ था। पिता का नाम पं. आत्माराम तथा माता का नाम हुलसी था। ये सरयूपारीण ब्राह्मण थे। जल श्रुति के अनुसार अभुक्त मूल वदात्र पैदा होने के कारण माता-पिता ने इन्हें त्याग दिया था। इधर से उधर भटकते हुए बालक तुलसी का बाबा नरहरिदास ने पालन-पोषण किया, गुरु मंत्र दिया तथा इन्हें संस्कृत का अध्ययन कराया। इसके पश्चात् ये काशी चल गए, वहां विधिवत शास्त्रों का अध्ययन किया और वहां से फिर राजापुर लौट आये। भगवान शंकर जी की प्रेरणा से रामशैल पर रहने वाले श्री अनन्तानन्द जी के प्रिय शिष्य श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) ने इस रामबोला के नाम से बहुचर्चित हो चुके इस बालक को ढूंढ निकाला और विधिवत उसका नाम तुलसीराम रखा। तदुपरान्त वे उसे अयोध्या (उत्तर प्रदेश) ले गये और वहाँ संवत्‌ 1561 माघ शुक्ल पञ्चमी (शुक्रवार) को उसका यज्ञोपवीत-संस्कार सम्पन्न कराया। संस्कार के समय भी बिना सिखाये ही बालक रामबोला ने गायत्री-मन्त्र का स्पष्ठ उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गये। इसके बाद नरहरि बाबा ने वैष्णवों के पाँच संस्कार करके बालक को राम-मंत्र की दीक्षा दी और अयोध्या में ही रहकर उसे विद्याध्ययन कराया। बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। वह एक ही बार में गुरु-मुख से जो सुन लेता, उसे वह कंठस्थ हो जाता। वहाँ से कुछ काल के बाद गुरु-शिष्य दोनों शूकरक्षेत्र (सोरों) पहुँचे। वहाँ नरहरि बाबा ने बालक को राम-कथा सुनायी किन्तु वह उसे भली-भाँति समझ न आयी। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी, गुरुवार, संवत 1583 को 29 वर्ष की आयु में राजापुर से थोडी ही दूर यमुना के उस पार स्थित एक गाँव की अति सुन्दरी भ...

गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय और रचनाएँ (Goswami Tulsidas)

गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय और रचनाएँ (Goswami Tulsidas) हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण भक्ति धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। तुलसी बहुमुखी प्रतिभा के धनी कवि थे। कवि तुलसीदास की प्रतिभा-किरणों से न केवल हिन्दू समाज और भारत, बल्कि समस्त संसार आलोकित हो रहा है। तुलसीदास जी भारतीय हिन्दी साहित्य के सर्वोच्च कवि थे, जिन्हे भक्तिकाल के रामभक्ति शाखा के महानतम कवियों में गिना जाता था। वे भगवान राम के अनन्य भक्त थे, जिन्हें अपनी पत्नी की धित्कारना के बाद वैराग्य हो गया और फिर उन्होंने भगवान राम की भक्ति में अपना शेष जीवन सर्मपित कर दिया और उनके उन्मुख हो गए । दुनिया के सार्वधिक लोकप्रिय एवं विद्धंत महाकवि तुलसीदास जी ने अपनी दूरदर्शी सोच, महान विचारों के माध्यम से हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र महाकाव्य रामचरितमानस एवं तमाम महान रचनाएं की और लोगों को एक आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित किया साथ ही उन्हें नई सोच और अनुभव के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने तुलसीदास जी को भारतीय जनता का प्रतिनिधि कवि कहा है। तुलसीदास जी का अलंकार विधान भी बड़ा मनोहर है। उन्होंने उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का प्रयोग अधिक से अधिक किया है। तुलसीदास जी को गौतम बुद्ध के बाद सबसे बड़ा लोकनायक माना जाता है। डॉ ग्रियर्सन ने इन्हें एशिया का सर्वोत्कृष्ट कवि कहा है गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिंदू कवि होने के साथ-साथ संत, सुधारक और दार्शनिक भी थे। जिन्होंने विभिन्न लोकप्रिय पुस्तकों की रचना की। उन्हें भगवान राम की भक्ति और महान महाकाव्य, रामचरितमानस के लेखक होने के लिए भी याद किया जाता है। उन्हें हमेशा वाल्मीकि (संस्कृत और...

गोस्वामी तुलसीदास

प्रश्न 1. गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख कीजिए। गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण भक्तिधारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। उनका रामकथा पर आधारित महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ एक विश्वविख्यात रचना है। जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श चरित्र के माध्यम से मानव को नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी गई है। उनके काव्य में भक्ति, ज्ञान एवं कर्म की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। तुलसी का काव्य लोकमंगल की भावना से ओतप्रोत है तथा उसमें समन्वय की विराट चेष्टा की गई है। हिन्दी काव्य में तुलसी सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तो उन्हें ऐसा महान कवि मानते हैं जो कवियों का मापदण्ड बन चुके हैं। जीवन परिचय तुलसीदास के जन्म संवत् तथा जन्म स्थान के सम्बन्ध में पर्याप्त विवाद है। उनके जीवन परिचय को जानने के लिए महात्मा रघुवरदास द्वारा रचित ‘तुलसी चरित’, शिवसिंह सरोज’ नामक हिन्दी साहित्य का इतिहास ग्रन्थ और प्रसिद्ध रामभक्त रामगुलाम द्विवेदी की मान्यताओं का ही आधार ग्रहण किया जाता रहा है। तुलसी के विषय में यह दोहा प्रचलित है- पन्द्रह सौ चौवन बिसे, कालिन्दी के तीर। श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धर्यो शरीर। इसके आधार पर तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 विक्रमी (अथात् 1498 ई.) में स्वीकार किया जाता है किन्तु यह इसलिए स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि तब उनकी आयु 126 वर्ष बैठती है, जो उचित नहीं लगती। अधिकांश विद्वान तुलसी का जन्म संवत् 1589 (अर्थात 1532 ई.) स्वीकार करते है जो अधिक तर्कसंगत भी है। यद्यपि इनके जन्मस्थान के विषय में विवाद है फिर भी प्रामाणिक रूप में इनका जन्म बांदा जिले के राजापर ग्राम में हआ था। इनके पिता का नाम आत्म...

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय – Biography of Goswami Tulsidas in Hindi कविकुल चूड़ामणि “कविता करके तुलसी न लसे, कविता लसी पा तुलसी की कला।” जीवन-परिचय (जीवनी)– कविकुल कमल दिवाकर सन्त शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन अन्धकारपूर्ण रहा। इनकी जन्मतिथि एवं जन्मस्थान के विषय में प्राय: विद्वानों में मतभेद हैं। डॉ० नगेन्द्र ने इनके जन्मस्थल के बारे में लिखा है— (अ) राजापुर (बाँदा), (ब) सोरों (एटा), (स) सूकर क्षेत्र (आजमगढ़)। तुलसीदास जी सरयूपारी ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम श्री आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। ऐसा कहा जाता है कि तुलसी जी का जन्म अभुक्तमूल नक्षत्र में होने से इनके माता-पिता ने इनका परित्याग कर दिया था, इस प्रकार इनका बचपन बड़े कष्टों में बीता। इनके बचपन का नाम रामबोला था। सौभाग्यवश इनकी भेंट बाबा नरहरिदास जी से हो गई। जिनके साथ आप तीर्थों में घूमते रहे और विद्याध्ययन भी करते रहे। इनकी कृपा से तुलसीदास जी वेद-वेदांग, दर्शन, इतिहास, पुराण आदि में निष्णात हो गए। तुलसीदास जी के जन्म के विषय में यह दोहा विशेष प्रचलित है- पन्द्रह सौ चौवन बिसै, कालिन्दी के तीर। श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धर्यो शरीर॥ ‘शिवसिंह सरोज’ ने आपका जन्म सम्वत् 1583 वि० (सन् 1526) तथा पं० रामगुलाम द्विवेदी द्वारा आपका जन्म सम्वत् 1589 वि० (1532 ई०) माना जाता है। अन्तः साक्ष्य के आधार पर इनका जन्म सम्वत् 1589 वि० (सन् 1532 ई०) युक्ति युक्त प्रतीत होता है। तुलसीदास जी का विवाह पं० दीनबन्धु पाठक की सुन्दर एवं विदुषी पुत्री रत्नावली के साथ हुआ था। आप उससे अत्यन्त प्रेम करते थे। वे किसी क्षण भी उससे दूर नहीं होना चाहते थे। इनकी अनुपस्थिति में एक दिन वह अपने मायके चली गईं। वे इस वियोग को ...

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय एवं रचनाएं

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय एवं रचनाएं || Biography of Tulsidas in Hindi (जीवनकाल : सन् 1532 1623 ईसवी) गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय एवं रचनाएं || Biography of Tulsidas in Hindi जीवन परिचय - राम भक्ति शाखा के कवियों में गोस्वामी तुलसीदास सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। इनका प्रमुख ग्रंथ 'श्रीरामचरितमानस' भारत में ही नहीं, वरन् संपूर्ण विश्व में विख्यात है। नाम गोस्वामी तुलसीदास पिता का नाम आत्माराम दुबे जन्म सन् 1532 ईसवी जन्म-स्थान राजापुर, जिला-बांदा (उत्तर प्रदेश) भाषा-शैली भाषा - बृज, अवधि शैली - दोहा-चौपाई गेयपद, लोकगीत। प्रमुख रचनाएं श्रीरामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली आदि। निधन सन् 1623 ईसवी साहित्य में स्थान राम भक्ति शाखा के कवियों में गोस्वामी तुलसीदास जी का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन से संबंधित प्रमाणित सामग्री अभी तक नहीं प्राप्त हो सकी है। डॉ नगेंद्र द्वारा लिखित 'हिंदी साहित्य का इतिहास' में इनके संदर्भ में जो प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं, वे इस प्रकार हैं- बेनीमाधव प्रणीत 'मूल गोसाईंचरित' तथा महात्मा रघुवरदास रचित 'तुलसीचरित' में तुलसीदास जी का जन्म संवत् 1554 वि० (सन् 1497 ई०) दिया गया है। बेनीमाधवदास की रचना में गोस्वामी जी की जन्म-तिथि श्रावण शुक्ल सप्तमी का भी उल्लेख है। इस संबंध में निम्नलिखित दोहा प्रसिद्ध है- पन्द्रह सौ चौवन बिसै, कालिंदी के तीर। श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धर्यो सरीर।। 👉 'शिवसिंह सरोज' में इनका जन्म संवत 1583 वि० (सन् 1526 ईसवी) बताया गया है। पंडित रामगुलाम द्विवेदी ने इनका जन्म संवत् 1589 वि० (सन् 1532 ईसवी) स्वीकार किया है। सर जॉर्ज ग्रियर्सन द्वारा भी इसी जन्म संवत् को मान्यता दी गई ...

तुलसीदासजी का जीवन परिचय –

तुलसीदासजी का जीवन परिचय तुलसीदासजी का जन्म तुलसीदासजी का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश (वर्तमान बाँदा ज़िला) के राजापुर नामक गाँव में हुआ था। तुलसीदासजी के माता का नाम हुलसी पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा था। दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से इनका विवाह हुआ था। अपनी पत्नी रत्नावली से अत्याधिक प्रेम के कारण तुलसी को रत्नावली की फटकार “लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ” सुननी पड़ी, जिससे इनका जीवन ही परिवर्तित हो गया। पत्नी के उपदेश से तुलसी के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया। इनके गुरु का नाम बाबा नरहरिदास थे, जिन्होंने इन्हें दीक्षा दी। इनका अधिकाँश जीवन चित्रकूट, काशी तथा अयोध्या में बीता। गोस्वामी तुलसीदास एक हिंदू संत कवि, दार्शनिक धर्म सुधारक थे। वह रामानंद की गुरु परंपरा में रामानंदी समुदाय के थे । तुलसीदास जन्म से एक ब्राह्मण थे, और उन्हें वाल्मीकि का अवतार माना जाता है, जिन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना की थी। वे अपनी मृत्यु तक वाराणसी में रहे। रचनाये – रामचरितमानस, विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली ये भक्तिकाल के एक सुप्रसिद्ध कवि थे जो प्रभु श्रीराम के बड़े भक्त है, इनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ रामचरितमानस है, इन्होंने विस्तार पूर्वक इस ग्रन्थ में श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया है | तुलसी के राम में शक्ति,शील और सौन्दर्य तीनो गुणों का अश्रुपूर्ण समावेश मिलता है इनकी रचनाये मुख्य रूप से अवधी भाषा में है ! तुलसीदास का कलापक्ष तुलसी दास जी ने अपने युग में प्रचलित सभी काव्य शैलियों का सफलता पूर्वक प्रयोग किया है। जैसे-दोहा, चौपाई, कविता सवैया, छप्पय आदि। अलंकार उनके काव्य में सुन्दर व स्वाभाविक रूप से प्रयुक्त हुए हैं । अवधी भाषा का सर्वोत्तम ग्रन्थ राम चरित मानस है। मुहावरों...

Tulsidas Biography in Hindi

जीवन परिचय वास्तविक नाम गोस्वामी तुलसीदास उपनाम रामबोला व्यवसाय कवि व्यक्तिगत जीवन जन्मतिथि 1511 ई० जन्मस्थान सोरों शूकरक्षेत्र, उत्तर प्रदेश (वर्तमान में कासगंज, एटा) कुछ विद्वानों के अनुसार जिला राजापुर, बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) मृत्यु तिथि 1623 ई० मृत्यु स्थल असीघाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश आयु (मृत्यु के समय) 112 वर्ष गुरु नरहरिदास राष्ट्रीयता भारतीय गृहनगर सोरों शूकरक्षेत्र, उत्तर प्रदेश (वर्तमान में कासगंज, एटा) कुछ विद्वानों के अनुसार जिला राजापुर, बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) धर्म हिन्दू जाति ब्राह्मण संप्रदाय वैष्णव साहित्यिक कार्य रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल उपाधि/सम्मान गोस्वामी, अभिनव वाल्मीकि परिवार पिता - आत्माराम शुक्ला दुबे माता - हुल्सी प्रेम संबन्ध एवं अन्य जानकारियां वैवाहिक स्थिति विवाहित पत्नी रत्नावली बच्चे बेटा - तारक (जन्म के कुछ वर्षों बाद मृत्यु) बेटी - कोई नहीं तुलसीदास से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ • अधिकांश विद्वानों के अनुसार तुलसीदास का जन्म राजापुर और सोरों शूकरक्षेत्र में माना जाता है। • तुलसीदास के पिता एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण थे और उनकी माता एक गृहणी थी। • विभिन्न विद्वानों के अनुसार जब गोस्वामी तुलसीदास का जन्म हुआ था, तब उनके मुख के दांत दिखाई देने लगे थे। • सर्वप्रथम उन्होंने अपने मुख से “राम” शब्द का उच्चारण किया, जिसके चलते उनके पिता ने तुलसीदास का नाम “रामबोला” रख दिया। • तुलसीदास का बचपन बहुत ही कष्टों में बीता, क्योंकि उनके जन्म के दो दिन बाद उनकी माता का देहांत हो गया था। तभी उनके पिता तुलसीदास को अशुभ समझने लगे और उसे एक चुनियाँ नामक महिला को दे देते हैं। ...