गुलामी

  1. राहुल सांकृत्यायन का प्रसिद्ध लेख दिमागी गुलामी
  2. pm modi says symbol of gulaami Kingsway is now history
  3. Ghulami (1985)
  4. ग़ुलाम वंश
  5. गुलामी पर इस्लाम के विचार
  6. गुलामी पर इस्लाम के विचार
  7. Ghulami (1985)
  8. राहुल सांकृत्यायन का प्रसिद्ध लेख दिमागी गुलामी
  9. pm modi says symbol of gulaami Kingsway is now history


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राहुल सांकृत्यायन का प्रसिद्ध लेख दिमागी गुलामी

दिमागी गुलामी राहुल सांकृत्यायन राहुल सांकृत्यायन सच्चे अर्थों में जनता के लेखक थे। वह आज जैसे कथित प्रगतिशील लेखकों सरीखे नहीं थे जो जनता के जीवन और संघर्षों से अलग–थलग अपने–अपने नेह–नीड़ों में बैठे कागज पर रोशनाई फिराया करते हैं। जनता के संघर्षों का मोर्चा हो या सामंतों–जमींदारों के शोषण–उत्पीड़न के खिलाफ किसानों की लड़ाई का मोर्चा, वह हमेशा अगली कतारों में रहे। अनेक बार जेल गये। यातनाएं झेलीं। जमींदारों के गुर्गों ने उनके ऊपर कातिलाना हमला भी किया, लेकिन आजादी, बराबरी और इंसानी स्वाभिमान के लिए न तो वह कभी संघर्ष से पीछे हटे और न ही उनकी कलम रुकी। दुनिया की छब्बीस भाषाओं के जानकार राहुल सांकृत्यायन की अद्भुत मेधा का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ज्ञान–विज्ञान की अनेक शाखाओं, साहित्य की अनेक विधाओं में उनको महारत हासिल थी। इतिहास, दर्शन, पुरातत्व, नृतत्वशास्त्र, साहित्य, भाषा–विज्ञान आदि विषयों पर उन्होंने अधिकारपूर्वक लेखनी चलायी। दिमागी गुलामी, तुम्हारी क्षय, भागो नहीं दुनिया को बदलो, दर्शन–दिग्दर्शन, मानव समाज, वैज्ञानिक भौतिकवाद, जय यौधेय, सिंह सेनापति, दिमागी गुलामी, साम्यवाद ही क्यों, बाईसवीं सदी आदि रचनाएं उनकी महान प्रतिभा का परिचय अपने आप करा देती हैं। राहुल जी देश की शोषित–उत्पीड़ित जनता को हर प्रकार की गुलामी से आजाद कराने के लिए कलम को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते थे। उनका मानना था कि “साहित्यकार जनता का जबर्दस्त साथी, साथ ही वह उसका अगुआ भी है। वह सिपाही भी है और सिपहसालार भी।” राहुल सांकृत्यायन के लिए गति जीवन का दूसरा नाम था और गतिरोध मृत्यु एवं जड़ता का। इसीलिए बनी–बनायी लीकों पर चलना उन्हें कभी गवारा नहीं हुआ। वह नयी राहों के खोजी थे। लेकिन घुमक्...

गुलामी

सभी Hindi Pdf Book यहाँ देखें सभी Audiobooks in Hindi यहाँ सुनें गुलामी का संछिप्त विवरण : शूद्रों से कई लोगों को (जातियों को) रास्ते पर थूकने की भी मनाही थी। इसलिए उन शूद्रों को ब्राह्मणों की बस्तियों से गुजरना पड़ा तो अपने साथ थूकने के लिए मिट्टी के किसी एक बरतन को रखना पड़ता था। समझ लो, उसकी थूक जमीन पर पड़ गई और उसको ब्राह्मण-पंडों ने देख लिया तो उस शूद्र के दिन भर गए। अब उसकी खैर नहीं। इस तरह ये लोग (शूद्रादि-अतिशूद्र जातियाँ) अनगिनत मुसीबतों को……. Gulami PDF Pustak Ka Sankshipt Vivaran : Shoodron se kayi logon ko (jatiyon ko) raste par thookane ki bhi manahi thi. Isliye un Shoodron ko brahmanon ki bastiyon se gujarana pada to apane sath thookane ke liye mittee ke kisi ek baratan ko rakhana padata tha. Samajh lo, uski thook jameen par pad gayi aur usako brahman-pandon ne dekh liya to us shoodra ke din bhar gaye. Ab uski khair nahin. Is tarah ye log (Shoodradi-Atishoodra jatiyan) anaginat musibaton ko……. Short Description of Gulami PDF Book : Many people (castes) were also forbidden to spit on the way from Shudras. Therefore those Shudras had to pass through the settlements of Brahmins, so they had to carry an earthen vessel to spit with them. Understand that when his spit fell on the ground and Brahmin-Pandas saw him, the days of that Shudra were filled. Now she is not well. In this way these people (Shudradi-Atisudra castes) are facing innumerable troubles……….. 44Books का एंड्रोइड एप डाउनलोड करें “जिसे इंसान से प्रेम है और इंसानियत की समझ है, उसे अपने आप में ही संतुष...

pm modi says symbol of gulaami Kingsway is now history

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज साफ़-साफ़ कह दिया कि राजपथ गुलामी का प्रतीक था और इसलिए उसे मिटा दिया गया है। जब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किए जाने की ख़बर आई थी तो इसके कयास भर लगाए जा रहे थे कि मोदी सरकार ने 'गुलामी का प्रतीक' मिटाने की प्रक्रिया में ही नाम को बदला होगा। लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी ने खुद यह साफ़ कर दिया। दिल्ली में इंडिया गेट पर 'कर्तव्य पथ' के उद्घाटन और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा के अनावरण के बाद कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा, 'आज, हमने अतीत को पीछे छोड़ दिया है और हम भविष्य के लिए एक नई तस्वीर खींच रहे हैं। गुलामी का प्रतीक, किंग्सवे यानी राजपथ, अब इतिहास है, हमेशा के लिए मिटा दिया गया है।' पीएम ने अपने संबोधन में कहा, 'आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है। मैं सभी देशवासियों को आज़ादी के इस अमृत काल में गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बधाई देता हूं।' उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी देश का हीरो बताया और कहा कि भारत अपने हीरो को भूल गया है। उन्होंने कहा, 'नेताजी की प्रतिमा उस स्थान पर है जहां किंग जॉर्ज की प्रतिमा कभी खड़ी थी, एक नए भारत की 'प्राण प्रतिष्ठा' की तरह है।' उन्होंने दावा किया कि यदि भारत आज़ादी के बाद नेताजी के दिखाए रास्ते पर चलता तो कहानी कुछ और होती। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि भारत सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे पर भी काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्तव्य पथ के रूप में देश को सांस्कृतिक आधारभूत संरचना का एक और उत्कृष्ट उदाहरण मिल रहा है। पीएम ने कहा, 'आप यहां भविष्य का भारत देखेंगे। यह आपको एक नई दृष्टि, नया विश्वास देगा...

Ghulami (1985)

In feudal Rajasthan, a bunch of peasants rise up against the exploitative landowners and the age-old system of caste-based oppression. In feudal Rajasthan, a bunch of peasants rise up against the exploitative landowners and the age-old system of caste-based oppression. In feudal Rajasthan, a bunch of peasants rise up against the exploitative landowners and the age-old system of caste-based oppression.

ग़ुलाम वंश

राजधानी भाषाएँ धार्मिक समूह शासन - १२०६–१२१० - १२८६–१२९० इतिहास - स्थापित 1206 - अंत 1292 Warning: Value specified for " गुलाम वंश ( سلسله غلامان‎) मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था। इस वंश का पहला शासक Gulam vans [ ] • • • • • • • • • • इसने दिल्ली की सत्ता पर करीब ८४ वर्षों तक राज किया तथा भारत में इस्लामी शासन की नींव डाली। इससे पूर्व किसी भी मुस्लिम शासक ने भारत में लंबे समय तक प्रभुत्व कायम नहीं किया था। इसी समय • 1206 में महमूद गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। इसी के साथ भारत में पहली बार गुलाम वंश की स्थापना हुई। • कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्य अभिषेक 12jun 1206 को हुआ। इसने अपनी राजधानी लाहौर को बनाया। • कुतुबुद्दीन ऐबक कुत्त्बी तुर्क था। कुतुबुद्दीन ऐबक महमूद गौरी का गुलाम व दामाद था। • कुतुबुद्दीन ऐबक को लाखबक्शा या हातिमताई की संज्ञा दी जाती थी। • कुतुबुद्दीन ऐबक ने यलदोज (गजनी) को दामाद, कुबाचा (मुलतान + सिंध) को बहनोई और इल्तुतमिश को अपना दामाद बनाया ताकि गौरी की मृत्यु के बाद सिंहासन का कोई और दावेदार ना बन सके। • इसने अपने गुरु कुतुबद्दीन बख्तियार काकी की याद में कुतुब मीनार की नींव रखी परंतु वह इसका निर्माण कार्य पूरा नही करवा सका। इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया। • दिल्ली में स्थित कवेट-उल-इस्लाम मस्जिद और अजमेर का ढाई दिन का झोंपडा का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही करवाया था। • Note:- कवेट-उल-इस्लाम मस्जिद भारत में निर्मित पहली मस्जिद थी। • 1210 में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर इसकी मृत्यु हुई तथा इसे लाहौर में दफनाया गया था। (RRB 2009) • इल्तुतमिश को गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक कहा जाता हैं। • कुतुबुद्दीन...

गुलामी पर इस्लाम के विचार

अनुक्रम • 1 ग़ुलाम शब्द • 2 कुरआन में ग़ुलाम संबंधित आयतें • 3 ग़ुलाम संबन्धित हदीस • 4 उल्लेखनीय ग़ुलाम जो आज़ाद हुए • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ ग़ुलाम शब्द [ ] प्रोफेसर ' निश्चय ही इसमें हर उस 'अब्द' के लिए निशानी है जो (अल्लाह की ओर) रूजू करने वाला है' (कुरआन 34:9) 'निश्चय ही वह एक कृतज्ञ अब्द (बन्दा) था' (कुरआन 17:3) अब्द का दूसरा अर्थ दास या हिन्दुस्तानी भाषा में गुलाम के हैं। जैसे कि कुरआन में है - 'ऐ ईमानवालो, मारे गए लोगों के बारे में किसास अनिवार्य ठहराया गया है। स्वतंत्र का बदला स्वतंत्र, अब्द ( गुलाम) का बदला अब्द (गुलाम), स्त्री का बदला स्त्री......' (कुरआन 2:178) क्या तुमने देखा नहीं उस व्यक्ति को जो एक बन्दे को रोकता है जब वह नमाज़ पढ़ता है (सूरा- 96, अल-अलक, आयतें -9, 10) यह संकेत इस्लाम विरोधियों के सरदार अबू-लहब की ओर है जो नबी को नमाज पढ़ने से रोका करता था। मुशरिक पुरुषों से अपनी स्त्रियों का विवाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। ईमानवाला एक अब्द एक मुशरिक पुरुष से अच्छा है चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा लगे (सूरा-2, अल-बकरा, आयत-221) कुरआन में ग़ुलाम संबंधित आयतें [ ] ऐ ईमान लानेवालो! मारे जानेवालों के विषय में हत्यादंड (क़िसास) तुमपर अनिवार्य किया गया, स्वतंत्र-स्वतंत्र बराबर है और ग़़ुलाम-ग़ुलाम बराबर है और औरत-औरत बराबर है। फिर यदि किसी को उसके भाई की ओर से कुछ छूट मिल जाए तो सामान्य रीति का पालन करना चाहिए; और भले तरीके से उसे अदा करना चाहिए। यह तुम्हारें रब की ओर से एक छूट और दयालुता है। फिर इसके बाद भो जो ज़्यादती करे तो उसके लिए दुखद यातना है (2:178) किसी ईमानवाले का यह काम नहीं कि वह किसी ईमानवाले का हत्या करे, भूल-चूक की बात और है। और यदि कोई क...

गुलामी पर इस्लाम के विचार

अनुक्रम • 1 ग़ुलाम शब्द • 2 कुरआन में ग़ुलाम संबंधित आयतें • 3 ग़ुलाम संबन्धित हदीस • 4 उल्लेखनीय ग़ुलाम जो आज़ाद हुए • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ ग़ुलाम शब्द [ ] प्रोफेसर ' निश्चय ही इसमें हर उस 'अब्द' के लिए निशानी है जो (अल्लाह की ओर) रूजू करने वाला है' (कुरआन 34:9) 'निश्चय ही वह एक कृतज्ञ अब्द (बन्दा) था' (कुरआन 17:3) अब्द का दूसरा अर्थ दास या हिन्दुस्तानी भाषा में गुलाम के हैं। जैसे कि कुरआन में है - 'ऐ ईमानवालो, मारे गए लोगों के बारे में किसास अनिवार्य ठहराया गया है। स्वतंत्र का बदला स्वतंत्र, अब्द ( गुलाम) का बदला अब्द (गुलाम), स्त्री का बदला स्त्री......' (कुरआन 2:178) क्या तुमने देखा नहीं उस व्यक्ति को जो एक बन्दे को रोकता है जब वह नमाज़ पढ़ता है (सूरा- 96, अल-अलक, आयतें -9, 10) यह संकेत इस्लाम विरोधियों के सरदार अबू-लहब की ओर है जो नबी को नमाज पढ़ने से रोका करता था। मुशरिक पुरुषों से अपनी स्त्रियों का विवाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। ईमानवाला एक अब्द एक मुशरिक पुरुष से अच्छा है चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा लगे (सूरा-2, अल-बकरा, आयत-221) कुरआन में ग़ुलाम संबंधित आयतें [ ] ऐ ईमान लानेवालो! मारे जानेवालों के विषय में हत्यादंड (क़िसास) तुमपर अनिवार्य किया गया, स्वतंत्र-स्वतंत्र बराबर है और ग़़ुलाम-ग़ुलाम बराबर है और औरत-औरत बराबर है। फिर यदि किसी को उसके भाई की ओर से कुछ छूट मिल जाए तो सामान्य रीति का पालन करना चाहिए; और भले तरीके से उसे अदा करना चाहिए। यह तुम्हारें रब की ओर से एक छूट और दयालुता है। फिर इसके बाद भो जो ज़्यादती करे तो उसके लिए दुखद यातना है (2:178) किसी ईमानवाले का यह काम नहीं कि वह किसी ईमानवाले का हत्या करे, भूल-चूक की बात और है। और यदि कोई क...

Ghulami (1985)

In feudal Rajasthan, a bunch of peasants rise up against the exploitative landowners and the age-old system of caste-based oppression. In feudal Rajasthan, a bunch of peasants rise up against the exploitative landowners and the age-old system of caste-based oppression. In feudal Rajasthan, a bunch of peasants rise up against the exploitative landowners and the age-old system of caste-based oppression.

राहुल सांकृत्यायन का प्रसिद्ध लेख दिमागी गुलामी

दिमागी गुलामी राहुल सांकृत्यायन राहुल सांकृत्यायन सच्चे अर्थों में जनता के लेखक थे। वह आज जैसे कथित प्रगतिशील लेखकों सरीखे नहीं थे जो जनता के जीवन और संघर्षों से अलग–थलग अपने–अपने नेह–नीड़ों में बैठे कागज पर रोशनाई फिराया करते हैं। जनता के संघर्षों का मोर्चा हो या सामंतों–जमींदारों के शोषण–उत्पीड़न के खिलाफ किसानों की लड़ाई का मोर्चा, वह हमेशा अगली कतारों में रहे। अनेक बार जेल गये। यातनाएं झेलीं। जमींदारों के गुर्गों ने उनके ऊपर कातिलाना हमला भी किया, लेकिन आजादी, बराबरी और इंसानी स्वाभिमान के लिए न तो वह कभी संघर्ष से पीछे हटे और न ही उनकी कलम रुकी। दुनिया की छब्बीस भाषाओं के जानकार राहुल सांकृत्यायन की अद्भुत मेधा का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ज्ञान–विज्ञान की अनेक शाखाओं, साहित्य की अनेक विधाओं में उनको महारत हासिल थी। इतिहास, दर्शन, पुरातत्व, नृतत्वशास्त्र, साहित्य, भाषा–विज्ञान आदि विषयों पर उन्होंने अधिकारपूर्वक लेखनी चलायी। दिमागी गुलामी, तुम्हारी क्षय, भागो नहीं दुनिया को बदलो, दर्शन–दिग्दर्शन, मानव समाज, वैज्ञानिक भौतिकवाद, जय यौधेय, सिंह सेनापति, दिमागी गुलामी, साम्यवाद ही क्यों, बाईसवीं सदी आदि रचनाएं उनकी महान प्रतिभा का परिचय अपने आप करा देती हैं। राहुल जी देश की शोषित–उत्पीड़ित जनता को हर प्रकार की गुलामी से आजाद कराने के लिए कलम को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते थे। उनका मानना था कि “साहित्यकार जनता का जबर्दस्त साथी, साथ ही वह उसका अगुआ भी है। वह सिपाही भी है और सिपहसालार भी।” राहुल सांकृत्यायन के लिए गति जीवन का दूसरा नाम था और गतिरोध मृत्यु एवं जड़ता का। इसीलिए बनी–बनायी लीकों पर चलना उन्हें कभी गवारा नहीं हुआ। वह नयी राहों के खोजी थे। लेकिन घुमक्...

pm modi says symbol of gulaami Kingsway is now history

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज साफ़-साफ़ कह दिया कि राजपथ गुलामी का प्रतीक था और इसलिए उसे मिटा दिया गया है। जब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किए जाने की ख़बर आई थी तो इसके कयास भर लगाए जा रहे थे कि मोदी सरकार ने 'गुलामी का प्रतीक' मिटाने की प्रक्रिया में ही नाम को बदला होगा। लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी ने खुद यह साफ़ कर दिया। दिल्ली में इंडिया गेट पर 'कर्तव्य पथ' के उद्घाटन और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा के अनावरण के बाद कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा, 'आज, हमने अतीत को पीछे छोड़ दिया है और हम भविष्य के लिए एक नई तस्वीर खींच रहे हैं। गुलामी का प्रतीक, किंग्सवे यानी राजपथ, अब इतिहास है, हमेशा के लिए मिटा दिया गया है।' पीएम ने अपने संबोधन में कहा, 'आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है। मैं सभी देशवासियों को आज़ादी के इस अमृत काल में गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बधाई देता हूं।' उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी देश का हीरो बताया और कहा कि भारत अपने हीरो को भूल गया है। उन्होंने कहा, 'नेताजी की प्रतिमा उस स्थान पर है जहां किंग जॉर्ज की प्रतिमा कभी खड़ी थी, एक नए भारत की 'प्राण प्रतिष्ठा' की तरह है।' उन्होंने दावा किया कि यदि भारत आज़ादी के बाद नेताजी के दिखाए रास्ते पर चलता तो कहानी कुछ और होती। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि भारत सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे पर भी काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्तव्य पथ के रूप में देश को सांस्कृतिक आधारभूत संरचना का एक और उत्कृष्ट उदाहरण मिल रहा है। पीएम ने कहा, 'आप यहां भविष्य का भारत देखेंगे। यह आपको एक नई दृष्टि, नया विश्वास देगा...