हाथी का चित्र

  1. हाथियों की बुद्धिमत्ता
  2. एशियाई हाथी
  3. भरहुत
  4. Here children are liking elephant paintings
  5. मेवाड़ की चित्रकला


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हाथियों की बुद्धिमत्ता

मानव, पायलट व्हेल और हाथी का दिमाग पैमाने पर (1)-प्रमस्तिष्क (सेरीब्रम) (1 क)-टेम्पोरल लोब और (2)-सेरिबैलम (अनुमस्तिष्क) हाथी दुनिया की सबसे बुद्धिमान प्रजातियों में से एक हैं। 5 किलोग्राम से अधिक वज़न का हाथी का मस्तिष्क (दिमाग) किसी भी स्थलीय जानवर की तुलना में बड़ा होता है। हालांकि सबसे बड़े आकार की व्हेल के शरीर का वज़न एक प्रारूपिक हाथी कई प्रकार के व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, इनमें दुःख, सीखना, मातृत्व, अनुकरण (मिमिक्री या नक़ल करना), इन व्यवहारों में आत्म जागरूकता, स्मृति और संभवतया अनुक्रम • 1 मस्तिष्क की संरचना • 1.1 प्रमस्तिष्क का वल्कुट (सेरेब्रल कॉर्टेक्स) • 1.2 मस्तिष्क की अन्य विशेषताएं • 1.3 एक व्यस्क के मस्तिष्क के आकार के सापेक्ष जन्म के समय मस्तिष्क का आकार • 1.4 स्पिंडल न्यूरोन (तर्कु के आकार की तंत्रिका कोशिकाएं) • 2 हाथियों का समाज • 3 हाथियों में परोपकारिता • 4 अपनी चिकित्सा • 5 मृत्यु के अनुष्ठान • 6 खेल • 7 नकल (मिमिक्री) • 8 उपकरणों का उपयोग • 9 कला • 10 समस्या को सुलझाने की क्षमता • 11 आत्म-जागरूकता • 11.1 आत्म जागरूकता और मारना • 12 इन्हें भी देखें • 13 सन्दर्भ • 14 बाहरी कड़ियाँ मस्तिष्क की संरचना [ ] प्रमस्तिष्क का वल्कुट (सेरेब्रल कॉर्टेक्स) [ ] हाथी (एशियाई और अफ्रीकी दोनों) में एक बहुत बड़ी और अत्यधिक वलनी नियोकॉर्टेक्स होती है, यही विशेषता मनुष्य, वानर और हाथी का मस्तिष्क अधिक जटिल गायरल प्रतिरूप को दर्शाता है तथा इसमें मनुष्य, प्राइमेट्स या मांसाहारी जानवरों की तुलना में अधिक और असंख्य वलन होते हैं, लेकिन यह केटाशियन से कम जटिल होता है। :71 किसी समस्या का समाधान करने की क्षमता के सन्दर्भ में हाथी को डोल्फिन के समतुल्य माना जाता है, मस्तिष्...

एशियाई हाथी

एशियाई हाथी ऍलिफ़स प्रजाति की एकमात्र जीवित जाति है जो ऍलिफ़स मॅक्सिमस मॅक्सिमस ऍलिफ़स मॅक्सिमस इन्डिकस) ऍलिफ़स मॅक्सिमस सुमात्रेनस सन् १९८६ ई. से एशियाई हाथी दीर्घायु होते हैं; सबसे लम्बी आयु ८६ वर्ष की दर्ज की गई है। [ सदियों से इस जानवर को अभिलक्षण [ ] एशियाई हाथी अपने अफ़्रीकी रिश्तेदारों से आकार में छोटे होते हैं, इनका सर इनके शरीर का सबसे ऊँचा हिस्सा होता है। इनकी पीठ या तो उभरी होती है या समतल। इनके कान भी अफ़्रीकी हाथी की तुलना में छोटे होते हैं। इनके २० जोड़ी पसलियाँ तथा पूँछ में ३४ हड्डियाँ होती हैं। इनके पैरों में नाख़ून अधिक होते हैं - पाँच अगले पैरों में तथा चार पिछले पैरों में। आकार [ ] बड़े सन्दर्भ [ ] • ↑ Wilson, DonE.; Reeder, DeeAnnM., संपा॰ (2005). "Proboscidea". Mammal Species of the World (3rd संस्करण). Baltimore: Johns Hopkins University Press, 2vols. (2142pp.). पृ॰90. 978-0-8018-8221-0. • ↑ Choudhury, A., Lahiri Choudhury, D.K., Desai, A., Duckworth, J.W., Easa, P.S., Johnsingh, A.J.T., Fernando, P., Hedges, S., Gunawardena, M., Kurt, F., Karanth, U., Lister, A., Menon, V., Riddle, H., Rübel, A. & Wikramanayake, E. (2008). Elephas maximus. 2008 • ↑ Shoshani, J, Eisenberg, J. F. (1982). "Elephas maximus". Mammalian Species. 182: 1–8. सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list ( • ↑ Sukumar, R. (2003). The Living Elephants: Evolutionary Ecology, Behavior, and Conservation. Oxford University Press, Oxford, UK. • Afrikaans • العربية • مصرى • অসমীয়া • Авар • Kotava • Azərbaycanca • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • বাংলা • Brezhoneg • C...

भरहुत

भरहुत (मध्य प्रदेश) मानचित्र दिखाएँ मध्य प्रदेश 24°26′49″N 80°50′46″E / 24.446891°N 80.846041°E / 24.446891; 80.846041 24°26′49″N 80°50′46″E / 24.446891°N 80.846041°E / 24.446891; 80.846041 भरहुत भरहुत के लाल पहाड़ के ऊपरी चोटी से भरहुत का स्तूप अपने समय के समाज का दर्पण कहा जा सकता है। वर्तमान में भरहुत उजड़ चुका है। चित्रावली [ ] •

Here children are liking elephant paintings

कोटा. दीपावली के मौके पर स्टेशन क्षेत्र की नॉर्थ एक्स टाउनशिप में घरों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। यहां बच्चों और महिलाओं ने घरों में और घरों के बाहर सुंदर चित्रकारी की है और कई तरह की रंगोली बनाई है। इनमें से एक हाथी का चित्र हर किसी को लुभा रहा है। पिछले दो दिनों से लगातार लोग इस चित्र को देखने के लिए आर रहे हैं। खासतौर से टाउनशिप के बच्चों को ये चित्र आकर्षित कर रहा है। यह चित्र यहां रहने वाली डॉक्टर अपराजिता शर्मा ने बताया है। वे चिकित्सक होने के साथ एक चित्रकार भी हैं और कक्षा छह से ही इस तरह के चित्र बनाती आ रही हैं। कई बच्चों ने डॉक्टर अपराजिता से इस तरह के चित्र बनाना का प्रशिक्षण देने का अनुरोध किया है। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि इस तरह के चित्र पुरातन भारतीय सांस्कृतिक की परंपराओं का सजीव चित्रण करते हैं। चित्रों का अवलोकन करने आए हरिशंकर नुवाध ने बताया कि बच्चों से जब सुना कि कॉलोनी में हाथी का बहुत सुंदर और बड़ा चित्र उकेरा गया है तो देखे बिना नहीं रहा गया। यहां आने पर देखा तो वाकई चित्र सबका ध्यान खींचने वाला है। इसके अलावा कोरोना से बचने का संदेश देने वाली रंगोली और चित्र भी कई घरों में बना गए।

मेवाड़ की चित्रकला

विवरण राज्य ज़िला संबंधित लेख अन्य जानकारी मेवाड़ की चित्रांकन कला में विभिन्न मानवीय आभिव्यक्तियाँ बड़ी स्वाभाविकता से उकेरी गई हैं। इसमें जीवन के सभी मेवाड़ की चित्रकला काफ़ी लम्बे समय से ही लोगों का ध्यान आकर्षित करती रही है। यहाँ चित्रांकन की अपनी एक विशिष्ट परंपरा है, जिसे यहाँ के चित्रकार पीढ़ियों से अपनाते रहे हैं। 'चितारे' विकास क्रम विकास के इस सतत् प्रवाह में विष्णुधर्मोत्तर पुराण, समरांगण सूत्रधार एवं चित्र लक्षण जैसे अन्य ग्रंथों में वर्णित चित्रकर्म के सिद्धांत का भी पालन किया गया है। परंपरागत कला सिद्धांतों के अनुरूप ही शास्त्रीय विवेचन में आये आदर्शवाद एवं यथार्थवाद का निर्वाह हुआ है। प्रारंभिक स्वरूपों का उल्लेख आठवीं सदी में हरिभद्रसूरि द्वारा रचित 'समराइच्चिकहा' एवं 'कुवलयमालाकहा' जैसे प्राकृत ग्रंथों से प्राप्त कला संदर्भों में मिलता है। इन ग्रंथों में विभिन्न प्रकार के रंग-तुलिका एवं चित्रफलकों का तत्कालीन साहित्यिक संदर्भों के अनुकूल उल्लेख चित्रण परंपरा मेवाड़ में प्रारंभिक इन्हें भी देखें: शब्दयुक्त योजनाएँ चित्रांकन के कई तकनीकी आधार पीढ़ी दर पीढ़ी प्रचलित रहे, जिन्हें यहाँ के चित्रकारों ने स्थानीय शब्दावलियों में अपने अनुभव द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाया। इन शब्दावलियों ने चित्र की चित्रोतम विशेषताओं से लेकर चित्र की भावात्मक अभिव्यक्ति तक के सभी तथ्यपूर्ण विचारों एवं गुणों को बाँधा है। परंपरागत चित्र शैलियों में चित्रण कार्य स्थानीय शब्दावलियों, मुहावरों, उक्तियों, • शास्त्रोक्त उक्तियाँ एवं श्लोक, जो प्राचीन ग्रंथों से प्राप्त हैं। • मौलिक मुहावरे युक्त योजनाएँ, जो अनुभव से विकसित हुए हैं। उक्ति परंपरा अभी तक ऐतिहासिक तथ्यों एवं स्थान...