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  1. क्रिया की परिभाषा, भेद उदाहरण Kriya in Hindi
  2. Google खाता
  3. विराम चिन्ह (परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और प्रयोग)
  4. Karak in Hindi
  5. शब्द (Shabd) (शब्द
  6. हिन्दी
  7. हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन
  8. हिंदी वर्णमाला
  9. हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन
  10. हिन्दी


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क्रिया की परिभाषा, भेद उदाहरण Kriya in Hindi

क्रिया की परिभाषा भेद उदाहरण (Kriya ki Paribhasha, Bhed Udaharan) किसी भी कार्य को करने या होने को क्रिया कहते हैं। संज्ञा या सर्वनाम द्वारा किया गया कार्य क्रिया कहलाता है। उदाहरण स्वरुप: राम‌ पढ़ता है, मोहन खाता है, सीता गाती है इत्यादि। क्रिया के मूल रूप को मुख्य धातु कहाँ जाता हैं। धातु से ही क्रिया शब्द का निर्माण होता हैं। Advertisement अकर्मक क्रिया की पहचान यह है कि यदि हम कर्ता से “क्या ” प्रश्न करें तो हमारा प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है। उपरोक्त वाक्यों में राम क्या खाता है और मोहन क्या गाता है, इसका उत्तर हमें नहीं मिलता । इसकी दूसरी पहचान है कि यदि हम कौन का प्रश्न करते हैं तो हमें उत्तर मिल जाता है, जैसे: कौन खाता है, कौन गाता है, तो इसका उत्तर हमें राम और मोहन के रूप में मिल जाता है। सकर्मक क्रिया : जिस वाक्य की बनावट कर्ता+ कर्म+ क्रिया के रूप में हो वह सकर्मक क्रिया का उदाहरण है, अर्थात कर्म के साथ जु़ड़ी हुईं क्रिया सकर्मक क्रिया कहलाती है। Advertisement उदाहरण स्वरुप:: सोहन क्रिकेट खेलता है, सीता स्कूल जाती है। सकर्मक क्रिया के दो भेद हैं: एक कर्मक क्रिया: जिस क्रिया में सिर्फ एक कर्म हो उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं।।, जैसे: कोयल गीत गाती है, राजेश गेंद से खेलता है।इन वाक्यों में हम देखते हैं कि कर्ता कर्म के साथ जुड़ा हुआ है लेकिन उसके कर्म की संख्या एक है, इसलिए एक कर्म होने के कारण इसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं। द्विकर्मक क्रिया : जिस क्रिया में कर्ता के साथ दो कर्म जुड़े हुए हों उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं जैसे: राम मैदान में गेंद से खेलता है। सीता साबुन से कपड़े धोती है। पहले वाक्य से हमें यह पता चलता है कि कर्ता के साथ दो कर्म जुड़े हुए हैं, मैदान औ...

Google खाता

Google के सभी उत्पाद और सेवाएं आपके लिए तैयार हैं अपने Google खाते में साइन इन करें और Google की उन सभी सेवाओं का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाएं जिनका आप इस्तेमाल करते हैं. आपका खाता कई कामों में आपकी मदद करता है. आप अपने खाते से, Google पर अपने अनुभव को मनमुताबिक बना सकते हैं और अपनी सबसे अहम जानकारी को कहीं से भी आसानी से ऐक्सेस कर सकते हैं. आपकी मदद करता है जब आपने साइन इन किया हुआ होता है, तब Google की वे सभी सेवाएं एक साथ काम करती हैं जिनका आप इस्तेमाल करते हैं. इससे, आपको Google Calendar और Google Maps के साथ अपने Gmail को सिंक करने जैसे रोज़ के काम करने में मदद मिलती है. साथ ही, आप अपने शेड्यूल के मुताबिक हमेशा सही समय पर काम पूरा कर पाते हैं. मदद के लिए तैयार जब आपने साइन इन किया हुआ होता है, तब Chrome से लेकर YouTube तक, Google की सभी सेवाएं आपके लिए बेहतर तरीके से काम करती हैं और आप कई कामों के लिए इनका इस्तेमाल कर पाते हैं. आप अपने खाते से किसी भी डिवाइस पर, कभी भी, उपयोगी सुविधाओं (जैसे कि अपने-आप जानकारी भरने की सुविधा और मनमुताबिक सुझाव पाने की सुविधा) को ऐक्सेस कर सकते हैं. • आपका समय बचाने के लिए Google, आपके पासवर्ड, पतों, और पैसे चुकाने के तरीकों की जानकारी को अपने-आप भर देता है. इसके लिए Google, आपके खाते में सेव की गई जानकारी इस्तेमाल करता है. • जब आप Google खाते में साइन इन करते हैं, तो Google की वे सभी सेवाएं एक साथ काम करती हैं जिनका आप इस्तेमाल करते हैं. इससे, आप इन सेवाओं का ज़्यादा फ़ायदा उठा पाते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपके Gmail के इनबॉक्स में फ़्लाइट की पुष्टि का ईमेल आता है, तो ईमेल में दी गई जानकारी को अपने-आप आपके Google Calendar और Google...

विराम चिन्ह (परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और प्रयोग)

विराम चिन्ह (परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और प्रयोग) | Viram Chinh in Hindi हिंदी व्याकरण में विराम चिन्हों से तात्पर्य है- ठहराव, रुकना, गति में मंदता अथवा विश्राम। वाक्यों को लिखते समय उनके ठहराव को दर्शाने के लिए हम कुछ विशेष चिन्हों का प्रयोग करते है, जिन्हें विराम चिन्हों (viram chinh in hindi) के नाम से जाना जाता है। विषय सूची • • • • • • • • • विराम चिन्ह किसे कहते हैं? (Viram Chinh Kise Kahate Hain) वाक्यों को लिखते अथवा बोलते समय जहां पर उन्हें विराम देने की आवश्यकता होती है, वहां हम रुक जाते है, लिखते समय वाक्यों को विराम देने के लिए जिस प्रकार के चिन्हों का प्रयोग करते है, उन्हें विराम चिन्ह (Viram Chinh) कहते है। विराम का अर्थ विराम का शाब्दिक अर्थ होता है, रुक जाना या ठहर जाना, जब हम वाक्यों को बोलते है तो समय समय पर हमे रुकने की आवश्यकता पड़ती है ताकि भाषा का स्पष्ट रूप सामने आ सके और बोला गया वाक्य और अधिक प्रभावशाली लगे इससे भाषा अर्थवान और पहले से भी अधिक भावपूर्ण लगने लग जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को हम विशेष चिन्हों के द्वारा व्यक्त करते है। भाषा में विराम चिन्ह का महत्व कोई भी व्यक्ति एक सांस में पूरे वाक्य को नहीं बोल सकता। जब दो व्यक्ति में किसी विषय को लेकर संवाद होता है तब उसमें अलग-अलग भाव होते हैं और उन भावों को व्यक्त करने के लिए व्यक्ति अपने उच्चारण में उतार-चढ़ाव लाता है। जैसे कि जहां पर रुकने की आवश्यकता होती है, वहां पर वह विराम लेता है। जहां पर कुछ उदाहरण बताना होता है, वहां पर थोड़ा-थोड़ा विराम लिया जाता है। ठीक उसी तरह जब शौक या हर्ष जैसे भाव को भी प्रकट करना होता है तो व्यक्ति अपने हाथों, आंखों और मुख से उस भाव को व्यक्त करता है। लेकिन लि...

Karak in Hindi

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शब्द (Shabd) (शब्द

Learn शब्द की परिभाषा एक या अधिक वर्षों से बनी हुई स्वतन्त्र एवं सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं। शब्दों की प्रकृति भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। इन्हीं भिन्न-भिन्न प्रकार की प्रकृति के भेद को समझने हेतु शब्द-भेद का अध्ययन आवश्यक है। प्रयोग के आधार पर शब्दों की भिन्न-भिन्न जातियाँ होती हैं, जिन्हें शब्द-भेद कहा जाता है। शब्द-भेद को मुख्यतः दो वर्गों में विभक्त किया जाता है, जिसे नीचे दी गई चित्र से स्पष्ट किया गया है। 1. स्रोत के आधार पर पुर्तगाली, अरबी, फारसी, अंग्रेज़ी आदि आगत (विदेशी) भाषा के शब्दों के अतिरिक्त अन्य शब्द जो हिन्दी भाषा में प्रचलित हैं। उन्हें स्रोत के आधार पर निम्न प्रकार से बाँटा गया है- (अ) तत्सम, तद्भव और अर्द्धतत्सम शब्द- • तत्सम शब्द ‘तत्सम’ शब्द ‘तत + सम’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- उसके समान अर्थात् संस्कृत के समान, जो शब्द संस्कृत भाषा से हिन्दी में आए हैं और ज्यों के त्यों प्रयुक्त हो रहे हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं; जैसे- “राजा, पुष्प, कवि, आज्ञा, अग्नि, वायु, वत्स, भ्राता इत्यादि।” तद्भव शब्द ‘तद्भव’ शब्द ‘तत् + भव’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है— उससे उत्पन्न या विकसित।’ अर्थात् वे शब्द जो संस्कृत से उत्पन्न या विकसित हुए हैं, तद्भव शब्द कहलाते हैं; जैसे-मोर, चार, बच्चा, फूल इत्यादि। अर्द्धतत्सम शब्द अर्द्धतत्सम शब्द उन संस्कृत शब्दों को कहते हैं, जो प्राकृत भाषा बोलने वालों के उच्चारण से बिगड़ते-बिगड़ते कुछ और ही रूप के हो गए हैं; जैसे-बच्छ, अग्याँ, मुँह, बंस इत्यादि। इन तीनों प्रकार के शब्दों (तत्सम, तद्भव और अर्द्धतत्सम) के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार से दिए गए हैं। इन उदाहरणों से तीनों शब्दों के भेद स्पष्ट हो जाएँगे विभिन्न परीक्षाओं में त...

हिन्दी

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में हिंदी के प्रथम भाषा स्व-रिपोर्ट किए गए वक्ताओं का वितरण। हिन्दी जिसके मानकीकृत रूप को मानक हिन्दी कहा जाता है, विश्व की एक प्रमुख एथनोलॉग के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' ( एथ्नोलॉग (2022, 25वां संस्करण) की रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में हिंदी को प्रथम और द्वितीय भाषा के रूप में बोलने वाले लोगों की संख्या के आधार पर हिंदी विश्व की की अनुक्रम • 1 नामोत्पत्ति • 2 भाषायी उत्पत्ति और इतिहास • 3 शैलियाँ • 3.1 हिन्दी एवं उर्दू • 3.2 मानकीकरण • 4 बोलियाँ • 5 लिपि • 6 शब्दावली • 7 हिन्दी स्वरविज्ञान • 7.1 स्वर • 7.2 व्यंजन • 7.3 विदेशी ध्वनियाँ • 8 व्याकरण • 9 जनसांख्यिकी • 10 भारत में उपयोग • 10.1 सम्पर्क भाषा • 10.2 राजभाषा • 10.3 राष्ट्रभाषा • 10.4 पूर्वोत्तर भारत में • 11 भारत के बाहर • 12 डिजिटिकरण और कम्प्यूटर क्रान्ति • 13 जनसंचार • 14 इन्हें भी देखें • 15 सन्दर्भ • 16 बाहरी कड़ियाँ नामोत्पत्ति इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (फरवरी 2021) स्रोत खोजें: · · · · हिन्दी शब्द का सम्बन्ध उर्दू लेखकों ने 19वीं सदी की सूचना तक अपनी भाषा को हिंदी या हिंदवी के रूप में संदर्भित करते रहे। प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने "हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत" शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी बल्कि 'स्' को 'ह्' की तर...

हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन

हिंदी दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है, और भारत में सबसे लोकप्रिय भाषाओं में से एक है। इसकी अपनी अनूठी वर्णमाला है जिसमें व्यंजन और स्वर दोनों शामिल हैं। क्या आप भ्रमित हैं कि हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर और व्यंजन मौजूद हैं? क्या आप इस आकर्षक भाषा के बारे में और जानना चाहते हैं? यह लेख हिंदी वर्णमाला में गहराई से देखेगा और स्वरों और व्यंजनों की संख्या के बारे में आपके प्रश्नों का उत्तर देगा। आप न केवल इन दो अक्षरों की मूल बातें समझेंगे, बल्कि आप उनके विभिन्न रूपों और उच्चारणों के बारे में भी कुछ जानकारी प्राप्त करेंगे। यदि आप सोच रहे हैं कि हिंदी में कितने स्वर और व्यंजन हैं, तो यह लेख आपके प्रश्न का उत्तर देने में मदद करेगा! दोस्तों आज के लेख आप हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन, हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या कितनी है? Varnmala me varno ki sankhya, वर्ण और वर्णमाला में क्या अंतर है के बारे में विस्तार से जानेंगे! Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • हिंदी वर्णमाला का परिचय हिंदी आमतौर पर दक्षिण एशिया और दुनिया के कई हिस्सों में बोली जाने वाली भाषा है। इसकी अपनी अनूठी वर्णमाला है जिसका उपयोग इसे लिखने के लिए किया जाता है। हिंदी वर्णमाला सीखना शुरू में डराने वाला हो सकता है, लेकिन एक बार जब आप इसके कुछ बुनियादी सिद्धांतों को समझ लेते हैं, तो यह आसान हो जाता है। हिंदी वर्णमाला में मूल रूप से 11 स्वर और 33 व्यंजन हैं जो मिलकर शब्द बनाते हैं। अक्षर बाएं से दाएं लिखे जाते हैं और एक पृष्ठ पर दो पंक्तियों में फैले होते हैं – एक पंक्ति स्वरों के लिए और एक पंक्ति व्यंजन के लिए। कुछ अक्षरों के एक से अधिक उच्चारण होते हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं ...

हिंदी वर्णमाला

वर्ण क्या हैं? हिंदी भाषा की सबसे छोटी लिखित इकाई वर्ण कहलाती है। या देवनागरी लिपि में भाषा की सबसे छोटी इकाई को ही वर्ण कहते हैं। दूसरे शब्दों में ‘स्वर एवं व्यंजन के सम्मिलित रूप को ही वर्ण कहा जाता है।’ हिंदी वर्णमाला कुल 52 वर्ण हैं। Hindi Varnamala हिंदी वर्णमाला में कुल कितने वर्ण होते हैं? हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं। इसमें पहले स्वर वर्ण तथा बाद में व्यंजन वर्ण की व्यवस्था है। विभिन्न प्रकार से हिन्दी वर्णमाला में वर्णों की संख्या इस प्रकार है- • कुल वर्ण – 52 (13 स्वर, 39 व्यंजन) • लेखन के आधार पर वर्ण – 52 (13 स्वर, 39 व्यंजन) • मानक वर्ण – 52 (13 स्वर, 39 व्यंजन) • मूल वर्ण – 44(11 स्वर, 33 व्यंजन) –“ अं, अः, ड़, ढ़, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र” को छोड़कर • उच्चारण के आधार पर कुल वर्ण – 47 (10 स्वर, 37 व्यंजन) –“ ऋ, अं, अः, ड़, ढ़” को छोड़कर स्वर वर्ण जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से या बिना रुकावट के या बिना अवरोध के किया जाये और जो व्यंजनों के उच्चारण में सहायक हों वे स्वर कहलाते है। स्वर संख्या में कुल 13 हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ अं, अः। स्वरों का वर्गीकरण 1. मात्रा / कालमान / उच्चारण के आधार पर स्वर के भेद या प्रकार इस आधार पर स्वर के तीन भेद होते हैं – १. ह्रस्व स्वर, २. दीर्घ स्वर, ३. प्लुत स्वर। मात्रा का अर्थ ‘उच्चारण करने में लगने वाले समय’ से होता है। ह्रस्व स्वर (Hrasva Swar) जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। इनमें मात्राओं की संख्या 1 होती है। ह्रस्व स्वर हिन्दी में चार हैं- अ, इ, उ, ऋ। ह्रस्व स्वर को छोटी स्वर या एकमात्रिक स्वर या लघु स्वर भी कहते हैं। दीर्घ स्वर (Deergh Swar) जिन स्वरों के...

हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन

हिंदी दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है, और भारत में सबसे लोकप्रिय भाषाओं में से एक है। इसकी अपनी अनूठी वर्णमाला है जिसमें व्यंजन और स्वर दोनों शामिल हैं। क्या आप भ्रमित हैं कि हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर और व्यंजन मौजूद हैं? क्या आप इस आकर्षक भाषा के बारे में और जानना चाहते हैं? यह लेख हिंदी वर्णमाला में गहराई से देखेगा और स्वरों और व्यंजनों की संख्या के बारे में आपके प्रश्नों का उत्तर देगा। आप न केवल इन दो अक्षरों की मूल बातें समझेंगे, बल्कि आप उनके विभिन्न रूपों और उच्चारणों के बारे में भी कुछ जानकारी प्राप्त करेंगे। यदि आप सोच रहे हैं कि हिंदी में कितने स्वर और व्यंजन हैं, तो यह लेख आपके प्रश्न का उत्तर देने में मदद करेगा! दोस्तों आज के लेख आप हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन, हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या कितनी है? Varnmala me varno ki sankhya, वर्ण और वर्णमाला में क्या अंतर है के बारे में विस्तार से जानेंगे! Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • हिंदी वर्णमाला का परिचय हिंदी आमतौर पर दक्षिण एशिया और दुनिया के कई हिस्सों में बोली जाने वाली भाषा है। इसकी अपनी अनूठी वर्णमाला है जिसका उपयोग इसे लिखने के लिए किया जाता है। हिंदी वर्णमाला सीखना शुरू में डराने वाला हो सकता है, लेकिन एक बार जब आप इसके कुछ बुनियादी सिद्धांतों को समझ लेते हैं, तो यह आसान हो जाता है। हिंदी वर्णमाला में मूल रूप से 11 स्वर और 33 व्यंजन हैं जो मिलकर शब्द बनाते हैं। अक्षर बाएं से दाएं लिखे जाते हैं और एक पृष्ठ पर दो पंक्तियों में फैले होते हैं – एक पंक्ति स्वरों के लिए और एक पंक्ति व्यंजन के लिए। कुछ अक्षरों के एक से अधिक उच्चारण होते हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं ...

हिन्दी

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में हिंदी के प्रथम भाषा स्व-रिपोर्ट किए गए वक्ताओं का वितरण। हिन्दी जिसके मानकीकृत रूप को मानक हिन्दी कहा जाता है, विश्व की एक प्रमुख एथनोलॉग के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' ( एथ्नोलॉग (2022, 25वां संस्करण) की रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में हिंदी को प्रथम और द्वितीय भाषा के रूप में बोलने वाले लोगों की संख्या के आधार पर हिंदी विश्व की की अनुक्रम • 1 नामोत्पत्ति • 2 भाषायी उत्पत्ति और इतिहास • 3 शैलियाँ • 3.1 हिन्दी एवं उर्दू • 3.2 मानकीकरण • 4 बोलियाँ • 5 लिपि • 6 शब्दावली • 7 हिन्दी स्वरविज्ञान • 7.1 स्वर • 7.2 व्यंजन • 7.3 विदेशी ध्वनियाँ • 8 व्याकरण • 9 जनसांख्यिकी • 10 भारत में उपयोग • 10.1 सम्पर्क भाषा • 10.2 राजभाषा • 10.3 राष्ट्रभाषा • 10.4 पूर्वोत्तर भारत में • 11 भारत के बाहर • 12 डिजिटिकरण और कम्प्यूटर क्रान्ति • 13 जनसंचार • 14 इन्हें भी देखें • 15 सन्दर्भ • 16 बाहरी कड़ियाँ नामोत्पत्ति इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (फरवरी 2021) स्रोत खोजें: · · · · हिन्दी शब्द का सम्बन्ध उर्दू लेखकों ने 19वीं सदी की सूचना तक अपनी भाषा को हिंदी या हिंदवी के रूप में संदर्भित करते रहे। प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने "हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत" शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी बल्कि 'स्' को 'ह्' की तर...