हड़प्पा शहर कहां स्थित था

  1. [Solved] हड़प्पा किस नदी के तट पर स्थित था?
  2. हड़प्पा सभ्यता की विशेषता
  3. सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता : HindiPrem.com
  4. Harappa Sabhyata in Hindi
  5. हड़प्पा सभ्यता के स्थल


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[Solved] हड़प्पा किस नदी के तट पर स्थित था?

सही उत्तर रावी है। Key Points • हड़प्पा, रावी नदी के तट पर स्थित था। • सिंधु घाटी सभ्यता की खोज सबसे पहले 1921 में पाकिस्तान में पश्चिम पंजाब प्रांत में स्थित हड़प्पा के आधुनिक स्थल पर हुई थी। • शहर रावी नदी के तट पर स्थित है, जो सिंधु नदी की एक बाएँकिनारे की सहायक नदी है। • हड़प्पा सभ्यता को सिंधु नदी के तट पर और उसके आसपास स्थित होने के कारण सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है। • यह समकालीन पाकिस्तान, पश्चिमी भारत और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में लगभग 2,500 ईसा पूर्व में फला-फूला। • अतःविकल्प 4 सही है। Additional Information • सिंधु नदी: • सिंधु नदी भारतीय उपमहाद्वीप में भारत-गंगा के मैदान की मुख्य नदियों में से एक है। • यह भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर और पाकिस्तान से होकर अरब सागर तक बहती है। • मानसरोवर झील के आसपास तिब्बती पठारसे नदी काउद्गम होता है औरनदी भारत के लद्दाख क्षेत्र से गिलगित-बलूचिस्तानकी ओर बहती है। • फिर दक्षिण दिशा में बहती हुईबंदरगाह शहर कराची के पास अरब सागर में गिरजाती है। • लूनी नदी: • लूनी उत्तर-पश्चिम भारत में थार मरुस्थल में सबसे बड़ी नदी है। • यह अजमेर के पास अरावली श्रेणी की पुष्कर घाटीसे निकलतीहै। • यह थार मरुस्थलके दक्षिण-पूर्वी हिस्से से होकर गुजरती है। • यह 495 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद गुजरात में कच्छ के रण में दलदली भूमि में लुप्त हो जाती है। • यह सिंचाई जल के एक आवश्यक स्रोत के रूप में कार्य करती है। • लूनी एक प्रमुख पश्चिम-प्रवाह वाली नदी है, जो राजस्थान के अजमेर जिले में 772 मीटर की ऊँचाई पर, नागा पहाड़ियों की पश्चिमी ढलानों से निकलती है। • भोगवानदी : • भोगवानदी, भारत के गुजरात कीएक नदी है...

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता • हड़प्पा सभ्यता में नगर सुनियोजित थे। तथा नगरों में मकान जाल की तरह बताए गए थे। • हड़प्पा सभ्यता में सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी । तथा नगर को आयताकार वर्गों में विभक्त करती थी। • मोहनजोदड़ो में प्राप्त सबसे बड़ी सड़क की चौड़ाई 10 मीटर थी। • इस सभ्यता के अंतर्गत अधिकांश नगर दुर्ग पर बनाए गए थे। जहां पर संभवत शासक वर्ग के लोग रहते थे। • दूर के निचले वाले स्थान पर ईंटों के मकानों वाला शहर बसाया था जहां पर सामान्य लोग रहते थे। • हड़प्पा सभ्यता में प्रत्येक भवन में स्नानागार और घर से गंदे पानी को निकालने के लिए नालियों का प्रबंध किया गया था। • भवन निर्माण में पक्की तथा कच्ची दोनों प्रकार की ईंटों का प्रयोग किया गया था । • हड़प्पा संस्कृति के नागरिक भवन निर्माण के सजावट तथा बाहरी आवरण के विशेष प्रेमी नहीं थे। उनके भवनों में किसी भी विशेष अलंकरण नहीं दिखाई देता. ईंटों पर भी किसी तरह का अलंकरण प्राप्त नहीं होता था। • कालीबंगा की फर्ज एकमात्र अपवाद है जिसमें निर्माण में अलंकरण का प्रयोग किया गया था मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी 51.43 सेंटीमीटर * 26.27 सेंटीमीटर की थी • हड़प्पा सभ्यता के प्रकार तथा वृत्ताकार तथा अंडाकार थे। अधिकांश हुए .91 मीटर व्यास वाले थे। हड़प्पा सभ्यता की विशेषता सामान्यतः नगर दो भागों में विभाजित है दुर्ग क्षेत्र तथा निचला शहर। दुर्ग क्षेत्र में शासक वर्ग के लोग निवास करते थे तथा वहां कुछ महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण हुआ था, वही निचला नगर एक रीहाईसी इलाका था। नगर चेस बोर्ड के आकार का बना हुआ था । मुख्य सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी। सड़कों के किनारे मकान निर्मित थे जो 1 मंजिल से लेकर बहू मंजिल तक होते थे। हड़प्पा सभ्...

सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता : HindiPrem.com

‘सिंधु घाटी सभ्यता’ या ‘हड़प्पा सभ्यता’ (Indus valley Civilization) का नाम विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में आता है। सैंधव सभ्यता की खोज साल 1826 में पहली बार चार्ल्स मैसन ने हड़प्पा के टीलों का उल्लेख किया। साल 1853 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रथम डायरेक्टर कनिंघम को एक अंग्रेज ने हड़प्पा से प्राप्त एक वृषभ की आकृति वाली मोहर दी। इसी आधार पर कनिंघम ने इसी साल यहां पर उत्खनन शुरु किया और साल 1873 तक लगे रहे। परंतु वे इसके महत्व को न समझ सके और उनका अन्वेषण असफल रहा। साल 1921 में दयाराम साहनी की अध्यक्षता में यहाँ पुनः उत्खनन प्रारंभ हुआ। हड़प्पाई स्थल, उत्खनन वर्ष व उतखननकर्ता स्थल वर्ष खोजकर्ता उत्खननकर्ता प्राप्तियाँ हड़प्पा 1921 दयाराम साहनी दयाराम साहनी व माधोस्वरूप 16 ताम्र भट्टियाँ, तांबे की इक्कागाड़ी, प्रसाधन केस, अभिलेखयुक्त मोहरें, गधे की हड्डियाँ, एच.आर. समाधि इत्यादि मोहनजोदड़ो 1922 राखलदास बनर्जी राखलदास बनर्जी मलेरिया के साक्ष्य, मुहर पर सुमेरियन नावों का चित्र, चाँदी का प्राचीनतम साक्ष्य, शिलाजीत, अन्नागार, 20 खंभों वाला भवन, बहुमंजिला इमारतें, पुरोहित आवास, तांबे का हेयरपिन, कीलदार अभिलेख, 6 ईंट के भट्टे, कांसे की नर्तकी, पशुपति की मुहर, स्नानागार इत्यादि। सुतकांगेडोर 1927 व 1962 आर. एल. स्टाइन चन्हूदड़ो 1931 एन.जी. मजूमदार मैके मनके बनाने का कारखाना, सौंदर्य प्रसाधन जैसे लिपिस्टिक, काजल, पाउडर, वक्राकार ईंटें, स्याही दवात इत्यादि, झूकर-झाकर संस्कृति के अवशेष, मिट्टी की पकी हुई नालियों के साक्ष्य। कालीबंगा 1953 अमलानन्द घोष बी.बी.लाल, बी.के. थापर जुताई के साक्ष्य, लकड़ी की नाली, नक्काशीदार ईंटें, दुर्ग या किले का द्विभागीकरण, सात आयताकार यज्ञ विदिया...

Harappa Sabhyata in Hindi

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हड़प्पा सभ्यता के स्थल

अब तक लगभग हड़प्पा सभ्यता के लगभग 1400 स्थलों का पता लग चुका है। इनमें से कुछ प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं। हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल 1- हड़प्पा हड़प्पा पुरास्थल पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के माण्टगोमरी जिले में (आधुनिक शाहीवाल) रावी नदी के बायें तट पर स्थित है। इसके ध्वंशावशेषों के विषय में सबसे पहले जानकारी “चार्ल्स मेसन” ने दी थी। दूसरी बार इसका उल्लेख तब आया जब 1856 में करांची से लाहौर रेलवे लाइन बिछाते समय जॉन ब्रंटन और विलयम ब्रंटन ने यहाँ से प्राप्त ईंटों का उपयोग रोड़ों के रूप में किया। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जॉन मार्शल के निर्देश पर 1921 में दयाराम साहनी ने इस स्थल का उत्खनन कार्य करवाया। अतः हड़प्पा सभ्यता की खोज का श्रेय दयाराम साहनी को जाता है। हड़प्पा क्षेत्रफल की दृष्टि से सिन्धु सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा स्थल है। यहाँ से प्राप्त दो टीलों में पूर्वी टीले को नगर टीला तथा पश्चिमी टीले को दुर्ग टीले का नाम दिया गया। दुर्ग टीले के बाहर उत्तर दिशा में स्थित एक अन्य टीले से अन्नागार,अनाज कूटने के वृत्ताकार चबूतरे और श्रमिक आवास के साक्ष्य मिले हैं। अन्नागार रावी नदी के तट पर स्थित था तथा इसमें 12 कक्ष थे। प्रत्येक कक्ष का आकार 50×20 मीटर है। वृत्ताकार चबूतरों की संख्या 18 है तथा ये पक्की ईंटों से निर्मित हैं। सम्भवतः इनका उपयोग अनाज पीसने के लिए होता था। श्रमिक आवास के रूप में 15 मकान दो पंक्तियों में बनाये गये थे। श्रमिक आवास के नजदीक 16 भट्टियां और धातु बनाने की एक मूषा (Crucible) मिली है। सम्भवतः इन आवासों में ताम्रकार रहते थे। इसके अतिरिक्त यहाँ से एक बर्तन पर बना मछुआरे का चित्र, शंख का बना बैल, पीतल का बना इक्का आदि के साक्ष्य भी प्राप्त हु...