हिंदी साहित्य का आधुनिक काल

  1. हिंदी पद्य साहित्य का इतिहास
  2. हिंदी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल)/दलित विमर्श
  3. हिंदी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल)
  4. आधुनिक काल की विशेषता
  5. आधुनिक काल के साहित्य की पृष्ठभूमि
  6. हिन्दी साहित्य का इतिहास
  7. हिन्दी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल )/आधुनिक काल


Download: हिंदी साहित्य का आधुनिक काल
Size: 50.60 MB

हिंदी पद्य साहित्य का इतिहास

By: RF Competition Copy Share (151) हिंदी पद्य साहित्य का इतिहास– आधुनिक काल Nov 07, 2021 04:11PM 3713 माना जाता है कि आधुनिक हिंदी कविता का आरंभ संवत् 1900 से हुआ था। इस अवधि के दौरान हिंदी कविता एवं साहित्य का चहुँमुखी विकास हुआ। यह काल हिंदी के इतिहास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इस अवधि में हिंदी साहित्य की कई प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हुईं। इसके साथ ही धर्म, दर्शन, कला और साहित्य सभी के प्रति नवीन दृष्टिकोण का आविर्भाव हुआ। आधुनिक हिंदी इतिहास के विकासक्रम को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है– 1. भारतेंदु युग 2. द्विवेदी युग 3. छायावादी युग 4. प्रगतिवादी युग 5. प्रयोगवादी युग 6. नई कविता हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए। सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर' भारतेंदु युग भारतेंदु युग को आधुनिक हिंदी साहित्य का प्रवेश द्वार माना जाता है। इस युग की अवधि का सन् 1850 से 1900 तक है। इस युग के नेतृत्वकर्ता भारतेंदु हरिश्चंद्र हैं। हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए। कबीर संगति साधु की– कबीर दास द्विवेदी युग यह युग कविता में खड़ी बोली के प्रतिष्ठित होने का युग है। इस युग की अवधि सन् 1900 से 1920 तक है। इस युग के नेतृत्वकर्ता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हैं। इन्होंने 'सरस्वती' पत्रिका का संपादन किया था। हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए। भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर' छायावादी युग छायावादी युग को डॉक्टर नरेंद्र ने परिभाषित किया है। उन्होंने "स्थूल के प्रति सूक्ष्म के विद्रोह" को छायावाद कहा है। इस युग की अवधि सन् 1920 से 1936 तक है। इस युग के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद हैं। उन्हें 'नाटक सम्राट' के नाम से जाना जाता है। हिन्दी के इ...

हिंदी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल)/दलित विमर्श

दलित विमर्श जाति आधारित अस्मिता मूलक विमर्श है। इसके केंद्र में दलित जाति के अंतर्गत शामिल मनुष्यों के अनुभवों, कष्टों और संघर्षों को स्वर देने की संगठित कोशिश की गई है। यह एक भारतीय विमर्श है क्योंकि जाति भारतीय समाज की बुनियादी संरचनाओं में से एक है। इस विमर्श ने भारत की अधिकांश भाषाओं में दलित साहित्य को जन्म दिया है। हिंदी में दलित साहित्य के विकास की दृष्टि से बीसवीं सदी के अंतिम दो दशक बहुत महत्वपूर्ण हैं। सामग्री • १ परिवेश • १.१ दलित साहित्य की अवधारणा • १.२ दलित शब्द से अभिप्राय • २ दलित आंदोलन और वैचारिक आधार • ३ दलित आत्मकथाएं • ४ दलित कहानियाँ • ५ दलित कविताएं • ६ दलित चिंतक • ६.१ महात्मा ज्योतिराव फुले • ६.२ स्वामी अछूतानन्द 'हरिहर' • ६.३ डॉ. भीमराव अम्बेडकर • ७ प्रमुख हिंदी दलित साहित्यकार • ७.१ बिहारी लाल हरित • ७.२ ओमप्रकाश वाल्मीकि • ७.३ मोहनदास नैमिशराय • ७.४ असंगघोष • ८ विवादित मुद्दे • ९ संदर्भ परिवेश [ ] भारतीय समाज आदिकाल से ही वर्ण व्यवस्था द्वारा नियंत्रित रहा है । जो वर्ण व्यवस्था प्रारंभ में कर्म पर आधारित थी कालान्तर में जाति में परिवर्तित हो गई । वर्ण ने जाति का रूप कैसे धारण कर लिया? यही विचारणीय प्रश्न है । वर्ण व्यवस्था में गुण व कर्म के आधार पर वर्ण परिवर्तन का प्रावधान था किन्तु जाति के बंधन ने उसे एक ही वर्ण या वर्ग में रहने पर मजबूर कर दिया । अब जन्म से ही व्यक्ति जाति से पहचाना जाने लगा । उसके व्यवसाय का भी जाति से जोड़ दिया गया । अब जाति व्यक्ति से हमेशा के लिए चिपक गई और उसी जाति के आधार पर उसे सवर्ण या शूद्र , उच्च या निम्न माना जाने लगा । शूद्रों को अस्पृश्य और अछूत माना जाने लगा और इतना ही नहीं उन्हें वेदों के अध्ययन , पठन - पाठन , ...

हिंदी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल)

साहित्य के इतिहास का अध्ययन के क्रम में यह दूसरा पत्र है। इससे पूर्व के पत्र में रीतिकाल तक के हिंदी साहित्य का परिचय दिया जा चुका है। इसमें हिंदी साहित्य के आधुनिक काल में विकास के विभिन्न पड़ावों का परिचय दिया जाएगा। इस पाठ्यक्रम का मूल ढांचा दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम के अनुरूप है। सामग्री • 1 कक्षाएं • 2 पाठ्यक्रम • 3 अंतर्जाल पर उपलब्ध सहायक पुस्तकें • 4 अन्य विकि प्रकल्पों पर उपलब्ध सहायक सामग्री • 5 सहायक मल्टीमीडिया • 6 अन्य सहायक पुस्तकें कक्षाएं [ | ] • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पाठ्यक्रम [ | ] • इकाई- 1 • मध्यकालीन बोध तथा आधुनिक बोध (संक्रमण की परिस्थितियाँ नवजागरण और भारतेंदु) • नवजागरण की परिस्थितियाँ और भारतेंदु युग • महावीरप्रसादद्विवेदी: हिंदी पत्रकारिता और खड़ी बोली आंदोलन • स्वाधीनता आंदोलन और नवजागरण कालीन-चेतना का उत्कर्ष • इकाई- 2. नाटक निबंध और आलोचना • कथा-साहित्य • नाटक • निबंध और अन्य गद्य विधाएँ • आलोचना • इकाई-3 छायावाद और उत्तर छायावाद परिवेश और प्रवृत्तियाँ • छायावाद और उत्तर छायावाद:परिवेश और प्रवृत्तियाँ • प्रगतिवाद:परिवेश और प्रवृत्तियाँ • प्रयोगवाद:परिवेश और प्रवृत्तियाँ • नयीकविता:परिवेश और प्रवृत्तियाँ • इकाई-४ • साठोत्तरी कविता, नवगीत, नवें दशक की कविता, समकालीन कविता • समकालीन कथा साहित्य: उपन्यास और कहानी • आलोचना और अन्य गद्य-रूप • अस्मिता विमर्श – दलित स्त्री अंतर्जाल पर उपलब्ध सहायक पुस्तकें [ | ] • • अन्य विकि प्रकल्पों पर उपलब्ध सहायक सामग्री [ | ] • • • • सहायक मल्टीमीडिया [ | ] • • • अन्य सहायक पुस्तकें [ | ] • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ – नामवर सिंह • भारतेन्दु और हिंदी नवजागरण...

आधुनिक काल की विशेषता

आधुनिक काल की विशेषता आधुनिक काल की प्रवृत्तियाँ aadhunik kaal ki visheshta aadhunik kaal ki pravritti आधुनिक काल की पृष्ठभूमि आधुनिक काल की परिस्थितियाँ आधुनिक काल की कविता आधुनिक काल की प्रवृत्तियाँ pdf आधुनिक काल का नामकरण आधुनिक हिंदी काव्य आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास aadhunik kaal ki visheshta aadhunik kaal ki pravritti adhunik yug ki visheshta adhunik kal ke kavi adhunik kal ki rajnitik paristhiti adhunik kaal ki visheshtayen adhunik kal ka vibhajan hindi sahitya ka adhunik kal adhunik kaal ki prabhatiya aadhunik hindi sahitya ka itihas आधुनिक काल की विशेषता आधुनिक काल की प्रवृत्तियाँ aadhunik kaal ki visheshta aadhunik kaal ki pravritti - आधुनिक रीतिकाल के बाद का काल है .सन १८५७ से लेकर अब तक आधुनिक काल कहलाता है .सन १८५७ में एक ऐसी घटना घटी कि सारा देश हिल और सिहर गया और उसका परिणाम अति दूरगामी सिद्ध हुआ - यह थी प्रथम भारतीय स्वंतंत्र संग्राम की घटना .इसके बाद भारत में एक नयी चेतना जागी और रीतिकाल के विलासितापूर्ण मादक प्रभाव से मुक्त होकर वह नवयुग की अंगडाई लेने लगा - और सन १८५७ ई. में आधुनिक काल का जन्म हुआ .इस समय भारतेंदु हरिश्चंद्र जो आधुनिक गद्य के निर्माता और जनक कहे जाते हैं ,७ वर्ष के थे और कविता करने लगे .इस काल में धर्म ,साहित्य ,कला तथा दर्शन के क्षेत्र में नए दृष्टिकोण का सूत्रपात हुआ .यह आधुनिक काल विभिन्न राजनितिक ,सामाजिक ,धार्मिक और सांस्कृतिक परिश्तितियों के संपर्क और सम्नाय्व्य का परिणाम है .इस काल की साहित्यिक प्रवृतियाँ तथा विशेषताओं में काफी विविधता है .इसमें भारतेंदु युग से लेकर नयी कविता तक का काल समाविष्ट है ,किन्तु इतने दीर्घकाल में अन...

आधुनिक काल के साहित्य की पृष्ठभूमि

आधुनिक हिन्दी साहित्य का आरंभ उन्नीसवीं सदी के मध्य से माना जाता है। यह काल भारतीय इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1857 की असफल क्रांति के बाद भारत में अंग्रेज़ी सत्ता पूरी तरह स्थापित हो चुकी थी। अंग्रेज़ी सत्ता की स्थापना और विस्तार के साथ एक नये तरह का भारत भी बन रहा था। सामंती भारत समाप्त हो रहा था तो औपनिवेशिक दासता के साथ पूंजीवादी समाज का भी निर्माण हो रहा था। अंग्रेज़ों ने जिस आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की उसने भारत के नये बुद्धिजीवी वर्ग को अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में सोचने को प्रेरित किया। आधुनिक हिन्दी साहित्य का संबंध इन्हीं नये परिवर्तनों से है। आप इस इकाई में इस बारे में अध्ययन करेंगे। इस इकाई को पढ़ने के बाद आप : • हिन्दी साहित्य के संदर्भ में आधुनिक काल की पृष्ठभूमि जान सकेंगे; • हिन्दी भाषा और गद्य के उदय से परिचित हो सकेंगे; आधुनिक काल के विविध समाज सुधार आंदोलनों की चर्चा कर सकेंगे; • स्त्री स्वातंत्र्य के अंतर्गत चल रहे अभियानों को समझ सकेंगे; • देशभक्ति और राष्ट्रवाद के विकास की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे; और • नवजागरण और आधुनिकता का स्वरूप जान सकेंगे। इससे पहले के तीन वंडों में आपने क्रमश: आदिकाल, भक्तिकाल और रीतिकाल के साहित्येतिहास के बारे में अध्ययन किया । इस चौथे खंड से आप आधुनिक हिन्दी साहित्य के इतिहास का अध्ययन आरंभ कर रहे हैं। आधुनिक साहित्य से संबंधित यह पहली इकाई है। इसी खंड में आगे आप तीन इकाइयाँ और पढ़ेंगे जिनमें क्रमश: . भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग और छायावाद का अध्ययन करेंगे। इकाइयों के इस विभाजन को ध्यान में रखें तो कह सकते हैं कि इस इकाई में हमें आधुनिक साहित्य की उस पृष्ठभूमि को समझना है जिसने इस काल के सहित्य के निर्माण की ...

हिन्दी साहित्य का इतिहास

हिन्दी,बोलियां,हिन्दी साहित्य का इतिहास,आदिकाल,भक्तिकाल,रीतिकाल,आधुनिक काल हिंदी कथा साहित्य,कविता हिंदी के प्रमुख कवि व रचनाएँ देवनागरी लिपि,हिंदी व्याकरण,मानक हिन्दी, नवीनतम शोध ,हिंदी साहित्य और नवजागरण,हिंदी साहित्य और स्वतंत्रता संघर्ष,मार्क्सवाद और हिंदी साहित्य,हिंदी अलंकार,पुरस्कार,हिंदी आलोचना,हिंदी आत्मकथा,हिंदी उपन्यास ,हिंदी के साहित्यकार,हिंदी साहित्य भाषा विज्ञान,हिंदी में रस, यूपीएससी,नेट,हिंदी रचना,हिंदी रचनाएँ,साहित्य विमर्श,हिंदी शिक्षण विधियाँ' नामकरण एवं समय सीमा- मिश्रबन्धु अपनी पुस्तक मिश्रबन्धु विनोद में हिन्दी साहित्य इतिहास के इस चतुर्थ काल खंड को वर्तमान काल नाम से अभिहित करते हुए इसका समय 1926वि. निर्धारित करते हैं।आचार्य रामचन्द्र शुक्ल अपनी पुस्तक हिंदी साहित्य का इतिहास में गद्य की प्रमुखता के कारण इसे गद्य काल व समय 1900वि. से1980वि.(1843ई.-1923ई.)स्वीकार किया है।डॉ. रामकुमार वर्मा,डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त,आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी इसे आधुनिक काल कहना ज्यादा उचित मानते है यह काल खण्ड धार्मिक दृष्टि से संक्रमण काल रहा।भारत का प्राचीन हिन्दू धर्म ईसाई धर्म व समाज सुधारकों के सम्पर्क में आकर एक नया कलेवर धारण कर रहा था।साथ ही साथ सहमति व असहमति दोनों बढ़ रही थी।पुरानी धार्मिक रूढ़ियाँ ध्वस्त हो रही थी।लेकिन अंग्रेजी शासकों की फुट डालो राज करो कि नीति के कारण हिन्दू-मुस्लिम मतावलंबियों में आपस में अविश्वास पैदा हो गया। फलस्वरूप भारत दो टुकड़ों में बंट गया। फिर भी लोगों में धर्म को लेकर एक नई सोच विकसित हुई । राजनैतिक रूप से भारत अंग्रजों का गुलाम था।देशी राजाओं की आपसी फूट का लाभ उठाकर ईस्ट इंडिया कम्पनी लगभग सम्पूर्ण भारत पर अपना आधिपत्य स्थापित कर...

हिन्दी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल )/आधुनिक काल

सामग्री • १ आधुनिकता की अवधारणा • २ आधुनिकता के भौतिक आधार • ३ साहित्य में आधुनिकता के मूल सरोकार • ४ सन्दर्भ आधुनिकता की अवधारणा [ ] हिन्दी साहित्य में आधुनिकता का उदय कब हुआॽ इस सवाल के जवाब इससे जुड़ा हुआ है कि हमारी आधुनिकता सम्बन्धी समझदारी क्या है ॽ आधुनिकता के मायने हमारे लिए क्या हैंॽ आधुनिकता के बारे में आमजनों की प्रचलित समझदारी कुछ ऐसी रही है कि आधुनिकता का अर्थ मध्यकालीनता से मुक्ति है। मध्ययुगीनता से मुक्ति का तात्पर्य मोटे तौर पर श्रध्दा, आस्था और विश्वास की जगह क्रमशः तर्क, विवेक और विचार की स्थापना है। चूँकि आधुनिकता का उपयोग एक बड़े कालखण्ड का वर्णन करने के लिए होता है। अतः आधुनिकता को उसके कालगत सन्दर्भ में ही देखना चाहिए। आधुनिकता के जिस रूप की प्रचलित अर्थों में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में चर्चा होती है, वह वस्तुतः एक यूरोपीय अवधारणा है। हिन्दी में प्रयुक्त होने वाली आधुनिकता का अंग्रेजी पर्याय 'माडर्निटी' है। हिन्दी साहित्य में आधुनिकता के उदय पर बात करने से पूर्व यह सदैव ध्यान रखना चाहिए कि आधुनिकता कोरी साहित्यिक अवधारणा नहीं है, यह अन्य ज्ञानानुशासनों से होती हुई साहित्य में आई है और उसका एक अनिवार्य कालगत सन्दर्भ रहा है। हिन्दी साहित्य में आधुनिकता का उदय भारतेन्दु-युग से माना जाता है। सवाल उठता है, क्योंॽ क्या भारतेन्दु-युग से पहले हिन्दी साहित्य के इतिहास कें आधुनिकता की झलक नहीं दिखती? यदि नहीं तो उसके क्या कारण रहेॽ भारतेन्दु युग में ऐसा क्या होता है, जिससे हिन्दी साहित्य में आधुनिकता का उदय माना जाने लगता हैॽ इसका मुख्य कारण भारतेन्दु युग की रचनाओं की अन्तर्वस्तु पारम्परिकता और भाषा आधुनिकता है। भारतेन्दु-मण्डल के रचनाओं की इस चेतना का गहरा ...