हिरोशिमा में परमाणु बम गिरा था

  1. क्यों 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में ही गिराए गए थे परमाणु बम?
  2. Atomic Bombings Of Hiroshima Survivors Warn World Leaders About Using Nuclear Bombs Story Of A Girl Sadae Kasaoka
  3. Hiroshima Day
  4. हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी
  5. अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु हमले का फैसला क्यों और कैसे किया?
  6. G7 Meeting: परमाणु हमले में पूरी तरह तबाह हो गया था हिरोशिमा, आज 78 साल बाद शान से खड़ा
  7. कभी परमाणु हमलों से तबाह हुए शहर में आज पहुंचेंगे PM मोदी, जानिए


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क्यों 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में ही गिराए गए थे परमाणु बम?

साल 1945 में मानवीय युद्ध की सबसे बड़ी त्रासदी हुई थी. 6 अगस्त के दिन तब अमेरिका ने जापान (Japan) के शहर हिरोशिमा (Hiroshima) पर पहला परमाणु बम (Atomic Bomb) गिराया था. इसका नतीजा यह हुआ कि इसमें लाखों लोग एक ही झटके मारे गए थे और उससे भी ज्यादा उस बम के कारण हुए विकिरणों से बाद में मरे. इस घटना को 75 साल हो चुके हैं, जो अपने साथ कई सवाल छोड़ गई थी जिसमें एक यह भी था क्या इस युद्ध के अंतिम दौर में परमाणु बम का उपयोग वाकई जरूरी था. एशिया में युद्ध का खात्मा इस बम के बाद ही एशिया में द्वितीय युद्ध का खात्मा औपचारिकता रह गई थी जबकि इससे तीन महीने पहले ही यूरोप में यह युद्ध खत्म हो चुका था और उसके एक महीने पहले से ही जापानी सेनाओं ने कई जगहों से पीछे हटना शुरू कर दिया था. फिर भी जापान के खिलाफ यह एक निर्णायक कदम माना जाता है. परमाणु बम गिराने की इस घटना इतिहास की भीषणतम त्रासिदियों में से एक बन कर रह गई थी. क्या हुआ था 6 अगस्त को 6 अगस्त 1945 को ही हिरोशिमा में सुबह 8.15 के समय अमेरिका के बी29 बॉम्बर एनोला गे ने लिटिल बॉय नाम का परमाणु गिराया था जिसमें 20 हजार टन के टीएनटी से भी ज्यादा बल था. इस समय शहर के बहुत सारे लोग काम पर जा रहे थे और बच्चे भी स्कूल पहुंच चुके थे. एक अमेरिकी सर्वे के मुताबिक यह बम शहर के केंद्र के ही पास गिराया गया था जिससे 80 हजार लोग मारे गए थे और इतने ही घायल हुए थे. तीन दिन बाद एक और बम इसके तीन दिन बाद ही एक और परमाणु बम जिससे फैट मैन कहा जाता है नागासाकी के ऊपर सुबह 11 बजे गिराया जिसमें 40 हजार लोग मारे गए. सर्वे के मुताबिक नागासाकी में नुकसान बहुत कम हुआ क्योंकि यह बम एक घाटी में गिरा और उसी वजह से उसका असर ज्यादा नहीं फैला. इसका असल केवल 1.8 वर्ग ...

Atomic Bombings Of Hiroshima Survivors Warn World Leaders About Using Nuclear Bombs Story Of A Girl Sadae Kasaoka

Survivor of Hiroshima Bombing: 12 साल की वो लड़की जिसने देखी हिरोशिमा पर अमेरिकी परमाणु हमले की तबाही, पढ़ें आंखों देखी कहानी Japan Hiroshima: अमेरिका ने जब जापान पर पहला परमाणु बम गिराया था तो सदाई कसौका अपनी दादी के साथ घर में अकेली थी. वो कहती है- धमाके से आग का बड़ा गोला निकला और मेरी पूरी फैमिली उस विस्फोट में मारी गई. Hiroshima Survivors Alive Today: दुनिया में पहली बार जब जापानी शहरों पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराए थे, तो चंद मिनटों में हजारों लोग मारे गए थे. परमाणु बम (Atom Bomb) के विस्‍फोट से वहां मशरूम के शेप में एक बड़ा आग का गोला उठा और आस-पास का तापमान 3000 से 4000 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. विस्फोट से वहां इतनी तेज हवा चली कि 10 सेकेंड में ही ये ब्लास्ट पूरे हिरोशिमा में फैल गया. लोग धू-धूकर जल रहे थे, कई लोग तो जहां थे वहीं भाप बन गए. अगस्त 1945 की यह घटना जापान के इतिहास में सबसे विनाशकारी साबित हुई. एक ही शहर हिरोशिमा में कम से कम 70,000 लोग मारे गए. जो लोग जीवित (Hiroshima Survivors) बचे, वो आज भी उस हमले के बारे में सोचकर सिहर उठते हैं. सदाई कसौका (Sadae Kasaoka) नाम की एक लड़की जो उस समय 12 साल की थी, अब वह 90 की हो चुकी हैं, लेकिन जब भी परमाणु बम के हमले के बारे में सोचती है तो भयावह हालात बयां करने लगती है. '43 सेकेंड हवा में रहने के बाद फटा था पहला परमाणु बम' सदाई कसौका ने कहा, "परमाणु बम का विस्‍फोट एक चमकीले नारंगी प्रकाश की तरह लग रहा था, वह ऐसा था जैसे साल का पहला सूर्योदय हो रहा हो." सदाई ने बताया कि वो द्वितीय विश्व युद्ध का अंतिम दौर था, 6 अगस्त, 1945 को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सुबह सवा 8 बजे हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिरा दिया...

Hiroshima Day

नई दिल्ली: हर साल 6 अगस्त को समूची दुनिया में ‘हिरोशिमा दिवस’ (Hiroshima Day) मनाया जाता है। यह दिवस 1945 को परमाणु बम हमले की वजह से जान गंवाने वालों की याद में मनाया जाता है। 6 अगस्त का दिन मानव इतिहास में दर्ज़ सबसे काले पन्नों में से एक है। इस दिन मानवता को शर्मसार करने वाली एक ऐसी त्रासदी हुई थी, जिसने न केवल लाखों लोगों की जान गई, बल्कि इस बेरहम परमाणु धमाके के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए तीव्र विकिरण और ऊष्मा के संपर्क (nuclear radiation) में आने के कारण आने वाले कितने ही वक्त तक वहां की मिट्टी की प्रकृति और स्वरुप भी अपनी दयनीय विकृत अवस्था को ढोती रही। जानकारों के मुताबिक, 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया। इससे न सिर्फ़ जापान दहल गया, बल्कि सारी दुनिया थर्रा उठी। और, 3 दिन बाद फिर नागासाकी पर भी बम गिराया गया। लाखों लोग एक ही झटके मारे गए। उससे भी बम के कारण हुए विकिरण से मारे जाते रहे। ये हादसा 77 साल पहले हुआ था। लेकिन ये ऐसी घटना है जो भुलाए नहीं भुलती। इस बम के बाद ही एशिया में द्वितीय युद्ध का खात्मा औपचारिकता रह गई। जापानी सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया। करीब एक हफ्ते बाद ही जापान ने मित्र देशों के गठबंधन के सामने आत्मसमर्पण भी कर दिया। क्या हुआ था 6 अगस्त को 6 अगस्त 1945 को ही हिरोशिमा में सुबह 8.15 के समय अमेरिका के बी29 बॉम्बर एनोला गे ने ‘लिटिल बॉय’ (Little Boy) नाम का परमाणु बम गिराया था, जिसमें 20 हजार टन के टीएनटी से भी ज्यादा बल था। इस समय शहर के बहुत सारे लोग काम पर जा रहे थे। बच्चे भी स्कूल पहुंच चुके थे। एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, यह बम शहर के केंद्र के ही पास गिराया गया था, जिससे 80 हजार लोग मारे गए। इतन...

हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला बायीं तरफ़ तिथि अगस्त 6 और अगस्त 9, 1945 स्थान परिणाम मित्र राष्ट्रों की विजय योद्धा सेनानायक मृत्यु एवं हानि 20 अमेरिकी, डच, ब्रिटिश हिरोशिमा: • 20,000+ सैनिक मारे गए। • 70,000–146,000 आम नागरिक मारे गए। नागासाकी: • 39,000–80,000 मारे गए कुल: 129,000–246,000+ मारे गए। हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी बाहरीकड़ियाँ • Aragonés • العربية • مصرى • Asturianu • Azərbaycanca • تۆرکجه • Башҡортса • Basa Bali • Български • বাংলা • Brezhoneg • Bosanski • Català • Нохчийн • کوردی • Čeština • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Gaeilge • Galego • Avañe'ẽ • ગુજરાતી • עברית • Hrvatski • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Íslenska • Italiano • 日本語 • ქართული • Қазақша • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Lietuvių • Latviešu • Македонски • मराठी • Bahasa Melayu • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Occitan • ਪੰਜਾਬੀ • Polski • پښتو • Português • Română • Русский • Русиньскый • ᱥᱟᱱᱛᱟᱲᱤ • Sicilianu • Srpskohrvatski / српскохрватски • සිංහල • Simple English • Slovenščina • Shqip • Српски / srpski • Svenska • Kiswahili • தமிழ் • తెలుగు • Тоҷикӣ • ไทย • Türkçe • Українська • اردو • Oʻzbekcha / ўзбекча • Tiếng Việt • 吴语 • 中文 • 粵語

अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु हमले का फैसला क्यों और कैसे किया?

अमेरिका दुनिया का इकलौता देश है, जिसने मानव इतिहास में सबसे बड़ा नरसंहार करने वाले परमाणु बमों का इस्तेमाल किया है. 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था, जिसमें 80 हज़ार लोग मौके पर ही मारे गए थे और अगले कुछ समय में रेडिएशन से 80 हज़ार लोग और. इस हमले से उपजे रेडिएशन से घातक रोगों के शिकार लोगों की मौत भी जोड़ी जाए तो हिरोशिमा पर परमाणु हमले से करीब 2 लाख लोग मारे गए थे. पढ़ें : जानिए कश्मीर की खूबसूरत घाटी में कितने का है एक प्लॉट हिरोशिमा के तीन दिन बाद 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम से हमला किया गया था और जापान पूरी तरह तबाह हो गया था. साथ ही, मानव युद्ध इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी भी जन्म ले चुकी थी. इस हमले पर बाद में, कई बार अमेरिका भी पछतावा ज़ाहिर कर चुका और दुनिया के तमाम देश हमेशा इसकी आलोचना करते रहे. जानिए कि दूसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने आखिर क्यों और कैसे जापान पर इस भीषण हमले का फैसला किया था. एक समिति बनाई गई थी अमेरिकी वैज्ञानिक जुलाई 1945 में परमाणु बम का सफल परीक्षण कर चुके थे, जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी जर्मनी समर्पण कर चुका था. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन के सामने उसके बाद जापान की चुनौती बनी हुई थी. ऐसे में, ट्रूमैन ने युद्ध सचिव हेनरी स्टिमसन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर यह तय करने को कहा था कि जापान पर परमाणु बम से हमला किए जाने के बारे में विचार किया जाए. ज़रूरी जानकारियों, सूचनाओं और दिलचस्प सवालों के जवाब देती और खबरों के लिए क्लिक करें हैरी ट्रूमैन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी में पदस्थ सैम रशे के हवाले से सीएनएन ने एक रिपोर्ट में छापा था कि उस वक्त परमाणु हमला करने के पक्ष में समिति...

G7 Meeting: परमाणु हमले में पूरी तरह तबाह हो गया था हिरोशिमा, आज 78 साल बाद शान से खड़ा

जापान के हिरोशिमा शहर में G-7 देशों की बैठक हो रही, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। करीब 78 साल पहले ये शहर पूरी तरह से तबाह हो गया था, लेकिन यहां के लोगों ने फिर से इसे मजबूती से खड़ा किया। आज ये शहर दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कर रहा। आइए जानते हैं इसका इतिहास- इस बम का नाम 'लिटिल बाय' था, जिसमें 64 किलो यूरेनियम था। इसकी क्षमता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इससे 1 लाख 30 हजार लोगों की जान गई। इसमें 80 हजार लोग बम गिरने के 5 सेकेंड बाद ही मर गए थे। जिस इलाके में ये बम गिरा था, वहां पर 10 लाख डिग्री सेल्सियस की गर्मी थी। क्यों गिराया था बम? द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हमला किया था। जिसमें उसके 8 जंगी जहाज तबाह हो गए। साथ ही 2400 से ज्यादा अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई। इस हमले का बदला लेने के लिए अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला किया था। इस हमले के बाद जापान ने बिना किसी शर्त के समर्पण कर दिया और वहीं पर द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हुआ। अब कैसा है हिरोशिमा का हाल? जापान ने सरेंडर तो कर दिया, लेकिन वहां के लोगों ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने पूरी ताकत के साथ हिरोशिमा को फिर से बसाया और अब 78 साल बाद वो जापान के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है। हिरोशिमा में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बना है, जहां से कई देशों की सीधी उड़ानें हैं। इसके अलावा वहां पर व्यवस्थित ट्रेन नेटवर्क है। वहां पर कई बड़े स्कूल और यूनिवर्सिटीज भी हैं, जहां दुनियाभर से लोग पढ़ने जाते हैं। यहां पर हिरोशिमा मेमोरियल और म्यूजियम भी बना है, जो आज भी लोगों को उस हमले की याद दिलाता है।

कभी परमाणु हमलों से तबाह हुए शहर में आज पहुंचेंगे PM मोदी, जानिए

पीएम नरेंद्र मोदी छह दिन की विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं. वह सबसे पहले जापान के हिरोशिमा शहर जाएंगे. नरेंद्र मोदी ने यात्रा पर रवाना होने से पहले ट्वीट किया- मैं जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए हिरोशिमा जा रहा हूं." हिरोशिमा वह शहर है, जिसे अमेरिका ने 1945 में परमाणु बम गिराकर तबाह कर दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं. इन देशों में एक जापान भी है. पीएम रात में ही हिरोशिमा पहुंच जाएंगे. वह यहां जी-7 शिखर सम्‍मेलन में शामिल होंगे. आज भी हिरोशिमा का नाम सुनते ही एक तस्वीर सामने आ जाती है... आसमान की ओर उठता विशाल धुएं-आग का गुबार और तबाह शहर. अब 78 साल बाद पीएम नरेंद्र मोदी इस शहर में जा रहे हैं. जापान पहुंचने के बाद पीएम मोदी शनिवार को सबसे पहले क्वाड सम्मेलन में शामिल होंगे. इसके बाद परमाणु बम के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने हिरोशिमा स्मारक जाएंगे. इसके अलावा महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. इसके बाद कोरिया, वियतनाम और अन्य देशों के नेताओं, राष्ट्राध्यक्षों के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता होगी. इसके बाद रात में वह जापान के पीएम फुमियो किशिदा के साथ बैठक करेंगे फिर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाएंगे. आइए जानते हैं परमाणु बम का दंश झेलने वाला हिरोशिमा अब किस हाल में है, वह कैसा दिखता है लेकिन उससे पहले यह जानते हैं कि हिरोशिमा पर अमेरिका ने कैसी तबाही मचाई थी. लिटिल बॉय 3.5 मीटर लंबा, 4.3 टन वजन वाला नीले-सफेद रंग का था. इसे बेहद की गुप्त तरीके से मैनहटन प्रोजेक्ट के तहत न्यू मैक्सिको के लॉस अलामोस की लैब्स में बनाया गया था. इस बम की शक्ति 12500 टन टीएनटी के बराबर थी...