हल्दीघाटी का युद्ध कब हुआ

  1. हल्दीघाटी का युद्ध (1576ई.)
  2. हल्दीघाटी का युद्ध
  3. General knowledge question of history important battles in indian history
  4. तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ था ?
  5. हल्दीघाटी का युद्ध
  6. General knowledge question of history important battles in indian history
  7. हल्दीघाटी का युद्ध (1576ई.)
  8. तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ था ?
  9. हल्दीघाटी का युद्ध (1576ई.)
  10. General knowledge question of history important battles in indian history


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हल्दीघाटी का युद्ध (1576ई.)

हल्दीघाटी का युद्ध– राव चंद्रसेन की शक्ति के अंतिम केन्द्र सिवाणा के दुर्ग को जीतने के बाद राणा प्रताप द्वारा खाली कराई गई भूमि और मुगल अधिकृत क्षेत्र के बीच संचार और यातायात की उचित व्यवस्था करने के लिये इतने समय तक माण्डलगढ में रुक गया था। अपने सरदारों की सलाह मानकर प्रताप ने गिर्वा की घाटियों में ही शत्रु से सामना करने का निश्चय किया और गोगुन्दा में आ डटा। जब प्रताप गोगुन्दा से आगे बढा तो विवश होकर मानसिंह माण्डलगढ से चलकर मोही गाँव होता हुआ उत्तर पूर्व की ओर से गोगुन्दा को जाने वाली हल्दीघाटी के उत्तरी छोर से लगभग 4-5 मील की दूरी पर स्थित खमनोर नामक गाँव के निकट पहुँचा और मोलेला नामक गाँव में अपना पङाव डाला। यह गाँव बनास नदी के दूसरे किनारे पर तथा गोगुन्दा से लगभग 6-7 मील दूर था। राणा प्रताप मानसिंह की गतिविधियों पर गिद्ध दृष्टि रखे हुए था। जब मानसिंह ने मोलेला गाँव में पङाव डाला तो प्रताप भी हल्दीघाटी से 8 मील पश्चिम में लोहसिंह (लोशिंग)नामक गाँव में अपना पङाव डाल दिया। कुम्भलगढ की पर्वत श्रृंखला इस स्थान पर सिकुङ कर दर्रे का रूप धारण कर लेती हैं। इस प्रकार, दोनों पक्ष की सेनाएँ 11-12 मील की दूरी पर पङाव डाले हुए थी। दोनों पक्षों की संख्या के बारे में विभिन्न आँकङें उपलब्ध होते हैं। ख्यातों के अनुसार मानसिंह के अधीन 80,000 सैनिक और प्रताप के पास 20,000 सैनिक थे। नैणसी के अनुसार मानसिंह के पास 40,000 और प्रताप के पास 9-10 हजार सैनिक थे। युद्ध में उपस्थित इतिहासकार बदायूँनी के अनुसार मानसिंह की सेना में पाँच हजार सैनिक और प्रताप की सेना में तीन हजार घुङसवार थे। इसलिए किसी सही संख्या पर पहुँचना कठिन काम है। हाँ, निश्चित है कि मुगलों के पास अच्छी किस्म की हल्की तोपें भी थ...

हल्दीघाटी का युद्ध

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून सन. 1576में मुगल साम्राज्य के राजा ‘अकबर’और राजपूतों के राजा ‘महाराणा प्रताप’के बीच हुआ। इस युद्ध में अकबर का सैन्यबल अधिक था और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप का युद्ध कौशल बहुत प्रवीण था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की पराजय होने के बाद भी इस युद्ध को निर्णायक युद्ध के रूप से नहीं देखा जाता, क्योंकि अकबर ने अपने अधिक सैन्यबल के साथ महाराणा की सेना को परास्त तो किया परन्तु उनके मान-सम्मान को झुखा नहीं सका। महाराणा ने अपने जीवन के अंत तक अकबर के साथ संधि नहीं की और अपनी कीर्ति और मान-सम्मान के लिए अंत तक उसके साथ युद्ध करते रहे। युद्ध अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए अकबर ने जब मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर आक्रमण करने की तैयारी करके उसको घेर लिया। तब उस वक्त मेवाड़ राज्य के आदिपति उदयसिंह राणा थे, जिन्होंने सन. 1541में मेवाड़ का राज्य संभाला। अकबर की सेना के द्वारा चितौड़ को चारों ओर से घेर लेने के बाद भी राणा उदयसिंह ने अकबर के आधीन होना स्वीकार नहीं किया और अकबर की सेना के साथ युद्ध करने से पीछे नहीं हटे। राणा उदयसिंह के इस निर्णय से अकबर ने जल्द ही आक्रमण करना शुरू कर दिए, जिसमें हजारों मेवाड़ीयों की मृत्यु हो गई। इतना रक्तपात देखकर उदयसिंह ने चित्तौड़गढ़ से हाथ पीछे कर लिए और चित्तौड़गढ़ को अपने “जयमल”और “पत्ता”जैसे वीरों के हाथों में समर्पित कर स्वयं अरावली के घने वन की ओर चले गए। वहाँ पर उदयसिंह ने अपनी नई राजधानी का निर्माण किया जिसका नाम उदयपुर हुआ। चित्तौड़गढ़ का विनाश होने के चार वर्ष उपरांत राणा उदयसिंह का स्वर्गवास हो गया। तब उनके बेटे महाराणा प्रताप ने अपने पिता की जिम्मेदारियों को संभाला और अपने पिता की तरह उन्होंने भी अकबर के साथ संधि करना स्वीक...

General knowledge question of history important battles in indian history

General Knowledge: प्रतियोगिता परीक्षा हो या बैंक और एसएससी की परीक्षा हो जनरल नॉलेज विषय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है. जनरल नॉलेज की जब बात करें तो इतिहास की प्रमुख घटनाओं का जिक्र जरूर होता है. किसी भी तरह की परीक्षा हो या इंटरव्यू इतिहास के प्रमुख घटनाओं जैसे युद्ध, इमारतों का निर्माण या राजाओं से जुड़ी कोई घटना पर प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं. किसी भी तरह की प्रतियोगिता परीक्षा या इंटरव्यू (Interview Questions) फेस करने से पहले इतिहास विषय पर पकड़ बना लेना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में यहां हम आपको कुछ ऐसे ऐतिहासिक युद्धों के बारे में बताएंगे जिन से जुड़े प्रश्न परीक्षाओं में जरूर पूछे जाते हैं. यह युद्ध किसके-किसके बीच में हुआ था और युद्ध का परिणाम क्या निकला था इसकी पूरी जानकारी नीचे हासिल कर सकते हैं. सवाल 1- झेलम का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- पोरस और सिकंदर के बीच, सन ईसा-पूर्व 326. सवाल 2- पेशावर का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- महमूद गजनवी और पंजाब के राजा जयपाल के बीच सन- 1001 ई. सवाल 3- तराइन का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच सन 1192 ई. सवाल 4- पानीपत की पहली लड़ाई कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 21 अप्रैल 1526 को हुआ था. सवाल- पानीपत की दूसरी लड़ाई का इतिहास क्या है? जवाब- पानीपत की दूसरी लड़ाई हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य और अकबर के बीच साल सवाल- 6. चौसा का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- हुमायूं और शेरशाह के बीच 26 जून, 1539 को हुआ था. सवाल- 7. हल्दीघाटी का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ था. इसमें राणा प्रताप की हर हुई था. ...

तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ था ?

तराइन का प्रथम युद्ध भारत पर कई बार आक्रमण करने वाले तुर्क मोहम्मद गोरी तथा अजमेर और दिल्ली के चौहान राजपूत शासक पृथ्वीराज तृतीय के बीच तराइन नामक स्थान पर 1191 ई. में हुआ। तराइन हरियाणा के करनाल जिले में स्थित है जो दिल्ली से 113 किलोमीटर की दूरी पर है। तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.) 1186 ई. में लाहौर की गद्दी पर कब्जा जमाने के बाद मोहम्मद गोरी ने भारत के आंतरिक हिस्सों में घुसने की योजना बनाई। उसने पंजाब पर पहले ही अधिकार कर लिया था। 1190 ई. तक संपूर्ण पंजाब पर उसका अधिकार हो चुका था। वह भटिंडा से अपना राजकाज भी चलाने लगा। दूसरी तरफ उस समय उत्तर भारत के राजपूत राजाओं में अजमेर और दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान अपने साम्राज्य विस्तार में लगे हुए थे। पृथ्वीराज यह बात भलीभांति जानते थे कि मोहम्मद गोरी को हराए बिना पंजाब में अपना साम्राज्य स्थापित करना असंभव है। अतः पृथ्वीराज ने एक विशाल सेना लेकर पंजाब की ओर कूच कर दिया। तेजी से आगे बढ़ते हुए पृथ्वीराज ने हांसी, सरस्वती और सरहिंद के किलों को अपने कब्जे में ले लिया। इसी बीच पृथ्वीराज को सूचना मिली कि अन्हिलवाड़ में विद्रोहियों ने उसके विरुद्ध बगावत कर दी हैं। अतः वहां से वह अन्हिलवाड़ की ओर चल पड़ा।उसके वहां से हटते ही गोरी ने सरहिंद के किले को पुनः अपने कब्जे में ले लिया। अन्हिलवाड़ में विद्रोह का दमन करने के बाद पृथ्वीराज ने गोरी से निर्णायक युद्ध करने का निश्चय किया। पृथ्वीराज आगे बढ़ा और थानेश्वर से 14 मील की दूरी पर सरहिंद किले के समीप तराइन नामक स्थान पर यह युद्ध लड़ा गया। तराइन के इस पहले युद्ध में पृथ्वीराज की सेना ने गौरी को बुरी तरह पराजित किया। मोहम्मद गौरी की सेना में खलबली मच गई और डर के मारे उसके सैनिक इधर-उध...

हल्दीघाटी का युद्ध

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून सन. 1576में मुगल साम्राज्य के राजा ‘अकबर’और राजपूतों के राजा ‘महाराणा प्रताप’के बीच हुआ। इस युद्ध में अकबर का सैन्यबल अधिक था और दूसरी तरफ महाराणा प्रताप का युद्ध कौशल बहुत प्रवीण था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की पराजय होने के बाद भी इस युद्ध को निर्णायक युद्ध के रूप से नहीं देखा जाता, क्योंकि अकबर ने अपने अधिक सैन्यबल के साथ महाराणा की सेना को परास्त तो किया परन्तु उनके मान-सम्मान को झुखा नहीं सका। महाराणा ने अपने जीवन के अंत तक अकबर के साथ संधि नहीं की और अपनी कीर्ति और मान-सम्मान के लिए अंत तक उसके साथ युद्ध करते रहे। युद्ध अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए अकबर ने जब मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर आक्रमण करने की तैयारी करके उसको घेर लिया। तब उस वक्त मेवाड़ राज्य के आदिपति उदयसिंह राणा थे, जिन्होंने सन. 1541में मेवाड़ का राज्य संभाला। अकबर की सेना के द्वारा चितौड़ को चारों ओर से घेर लेने के बाद भी राणा उदयसिंह ने अकबर के आधीन होना स्वीकार नहीं किया और अकबर की सेना के साथ युद्ध करने से पीछे नहीं हटे। राणा उदयसिंह के इस निर्णय से अकबर ने जल्द ही आक्रमण करना शुरू कर दिए, जिसमें हजारों मेवाड़ीयों की मृत्यु हो गई। इतना रक्तपात देखकर उदयसिंह ने चित्तौड़गढ़ से हाथ पीछे कर लिए और चित्तौड़गढ़ को अपने “जयमल”और “पत्ता”जैसे वीरों के हाथों में समर्पित कर स्वयं अरावली के घने वन की ओर चले गए। वहाँ पर उदयसिंह ने अपनी नई राजधानी का निर्माण किया जिसका नाम उदयपुर हुआ। चित्तौड़गढ़ का विनाश होने के चार वर्ष उपरांत राणा उदयसिंह का स्वर्गवास हो गया। तब उनके बेटे महाराणा प्रताप ने अपने पिता की जिम्मेदारियों को संभाला और अपने पिता की तरह उन्होंने भी अकबर के साथ संधि करना स्वीक...

General knowledge question of history important battles in indian history

General Knowledge: प्रतियोगिता परीक्षा हो या बैंक और एसएससी की परीक्षा हो जनरल नॉलेज विषय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है. जनरल नॉलेज की जब बात करें तो इतिहास की प्रमुख घटनाओं का जिक्र जरूर होता है. किसी भी तरह की परीक्षा हो या इंटरव्यू इतिहास के प्रमुख घटनाओं जैसे युद्ध, इमारतों का निर्माण या राजाओं से जुड़ी कोई घटना पर प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं. किसी भी तरह की प्रतियोगिता परीक्षा या इंटरव्यू (Interview Questions) फेस करने से पहले इतिहास विषय पर पकड़ बना लेना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में यहां हम आपको कुछ ऐसे ऐतिहासिक युद्धों के बारे में बताएंगे जिन से जुड़े प्रश्न परीक्षाओं में जरूर पूछे जाते हैं. यह युद्ध किसके-किसके बीच में हुआ था और युद्ध का परिणाम क्या निकला था इसकी पूरी जानकारी नीचे हासिल कर सकते हैं. सवाल 1- झेलम का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- पोरस और सिकंदर के बीच, सन ईसा-पूर्व 326. सवाल 2- पेशावर का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- महमूद गजनवी और पंजाब के राजा जयपाल के बीच सन- 1001 ई. सवाल 3- तराइन का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच सन 1192 ई. सवाल 4- पानीपत की पहली लड़ाई कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 21 अप्रैल 1526 को हुआ था. सवाल- पानीपत की दूसरी लड़ाई का इतिहास क्या है? जवाब- पानीपत की दूसरी लड़ाई हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य और अकबर के बीच साल सवाल- 6. चौसा का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- हुमायूं और शेरशाह के बीच 26 जून, 1539 को हुआ था. सवाल- 7. हल्दीघाटी का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ था. इसमें राणा प्रताप की हर हुई था. ...

हल्दीघाटी का युद्ध (1576ई.)

हल्दीघाटी का युद्ध– राव चंद्रसेन की शक्ति के अंतिम केन्द्र सिवाणा के दुर्ग को जीतने के बाद राणा प्रताप द्वारा खाली कराई गई भूमि और मुगल अधिकृत क्षेत्र के बीच संचार और यातायात की उचित व्यवस्था करने के लिये इतने समय तक माण्डलगढ में रुक गया था। अपने सरदारों की सलाह मानकर प्रताप ने गिर्वा की घाटियों में ही शत्रु से सामना करने का निश्चय किया और गोगुन्दा में आ डटा। जब प्रताप गोगुन्दा से आगे बढा तो विवश होकर मानसिंह माण्डलगढ से चलकर मोही गाँव होता हुआ उत्तर पूर्व की ओर से गोगुन्दा को जाने वाली हल्दीघाटी के उत्तरी छोर से लगभग 4-5 मील की दूरी पर स्थित खमनोर नामक गाँव के निकट पहुँचा और मोलेला नामक गाँव में अपना पङाव डाला। यह गाँव बनास नदी के दूसरे किनारे पर तथा गोगुन्दा से लगभग 6-7 मील दूर था। राणा प्रताप मानसिंह की गतिविधियों पर गिद्ध दृष्टि रखे हुए था। जब मानसिंह ने मोलेला गाँव में पङाव डाला तो प्रताप भी हल्दीघाटी से 8 मील पश्चिम में लोहसिंह (लोशिंग)नामक गाँव में अपना पङाव डाल दिया। कुम्भलगढ की पर्वत श्रृंखला इस स्थान पर सिकुङ कर दर्रे का रूप धारण कर लेती हैं। इस प्रकार, दोनों पक्ष की सेनाएँ 11-12 मील की दूरी पर पङाव डाले हुए थी। दोनों पक्षों की संख्या के बारे में विभिन्न आँकङें उपलब्ध होते हैं। ख्यातों के अनुसार मानसिंह के अधीन 80,000 सैनिक और प्रताप के पास 20,000 सैनिक थे। नैणसी के अनुसार मानसिंह के पास 40,000 और प्रताप के पास 9-10 हजार सैनिक थे। युद्ध में उपस्थित इतिहासकार बदायूँनी के अनुसार मानसिंह की सेना में पाँच हजार सैनिक और प्रताप की सेना में तीन हजार घुङसवार थे। इसलिए किसी सही संख्या पर पहुँचना कठिन काम है। हाँ, निश्चित है कि मुगलों के पास अच्छी किस्म की हल्की तोपें भी थ...

तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ था ?

तराइन का प्रथम युद्ध भारत पर कई बार आक्रमण करने वाले तुर्क मोहम्मद गोरी तथा अजमेर और दिल्ली के चौहान राजपूत शासक पृथ्वीराज तृतीय के बीच तराइन नामक स्थान पर 1191 ई. में हुआ। तराइन हरियाणा के करनाल जिले में स्थित है जो दिल्ली से 113 किलोमीटर की दूरी पर है। तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.) 1186 ई. में लाहौर की गद्दी पर कब्जा जमाने के बाद मोहम्मद गोरी ने भारत के आंतरिक हिस्सों में घुसने की योजना बनाई। उसने पंजाब पर पहले ही अधिकार कर लिया था। 1190 ई. तक संपूर्ण पंजाब पर उसका अधिकार हो चुका था। वह भटिंडा से अपना राजकाज भी चलाने लगा। दूसरी तरफ उस समय उत्तर भारत के राजपूत राजाओं में अजमेर और दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान अपने साम्राज्य विस्तार में लगे हुए थे। पृथ्वीराज यह बात भलीभांति जानते थे कि मोहम्मद गोरी को हराए बिना पंजाब में अपना साम्राज्य स्थापित करना असंभव है। अतः पृथ्वीराज ने एक विशाल सेना लेकर पंजाब की ओर कूच कर दिया। तेजी से आगे बढ़ते हुए पृथ्वीराज ने हांसी, सरस्वती और सरहिंद के किलों को अपने कब्जे में ले लिया। इसी बीच पृथ्वीराज को सूचना मिली कि अन्हिलवाड़ में विद्रोहियों ने उसके विरुद्ध बगावत कर दी हैं। अतः वहां से वह अन्हिलवाड़ की ओर चल पड़ा।उसके वहां से हटते ही गोरी ने सरहिंद के किले को पुनः अपने कब्जे में ले लिया। अन्हिलवाड़ में विद्रोह का दमन करने के बाद पृथ्वीराज ने गोरी से निर्णायक युद्ध करने का निश्चय किया। पृथ्वीराज आगे बढ़ा और थानेश्वर से 14 मील की दूरी पर सरहिंद किले के समीप तराइन नामक स्थान पर यह युद्ध लड़ा गया। तराइन के इस पहले युद्ध में पृथ्वीराज की सेना ने गौरी को बुरी तरह पराजित किया। मोहम्मद गौरी की सेना में खलबली मच गई और डर के मारे उसके सैनिक इधर-उध...

हल्दीघाटी का युद्ध (1576ई.)

हल्दीघाटी का युद्ध– राव चंद्रसेन की शक्ति के अंतिम केन्द्र सिवाणा के दुर्ग को जीतने के बाद राणा प्रताप द्वारा खाली कराई गई भूमि और मुगल अधिकृत क्षेत्र के बीच संचार और यातायात की उचित व्यवस्था करने के लिये इतने समय तक माण्डलगढ में रुक गया था। अपने सरदारों की सलाह मानकर प्रताप ने गिर्वा की घाटियों में ही शत्रु से सामना करने का निश्चय किया और गोगुन्दा में आ डटा। जब प्रताप गोगुन्दा से आगे बढा तो विवश होकर मानसिंह माण्डलगढ से चलकर मोही गाँव होता हुआ उत्तर पूर्व की ओर से गोगुन्दा को जाने वाली हल्दीघाटी के उत्तरी छोर से लगभग 4-5 मील की दूरी पर स्थित खमनोर नामक गाँव के निकट पहुँचा और मोलेला नामक गाँव में अपना पङाव डाला। यह गाँव बनास नदी के दूसरे किनारे पर तथा गोगुन्दा से लगभग 6-7 मील दूर था। राणा प्रताप मानसिंह की गतिविधियों पर गिद्ध दृष्टि रखे हुए था। जब मानसिंह ने मोलेला गाँव में पङाव डाला तो प्रताप भी हल्दीघाटी से 8 मील पश्चिम में लोहसिंह (लोशिंग)नामक गाँव में अपना पङाव डाल दिया। कुम्भलगढ की पर्वत श्रृंखला इस स्थान पर सिकुङ कर दर्रे का रूप धारण कर लेती हैं। इस प्रकार, दोनों पक्ष की सेनाएँ 11-12 मील की दूरी पर पङाव डाले हुए थी। दोनों पक्षों की संख्या के बारे में विभिन्न आँकङें उपलब्ध होते हैं। ख्यातों के अनुसार मानसिंह के अधीन 80,000 सैनिक और प्रताप के पास 20,000 सैनिक थे। नैणसी के अनुसार मानसिंह के पास 40,000 और प्रताप के पास 9-10 हजार सैनिक थे। युद्ध में उपस्थित इतिहासकार बदायूँनी के अनुसार मानसिंह की सेना में पाँच हजार सैनिक और प्रताप की सेना में तीन हजार घुङसवार थे। इसलिए किसी सही संख्या पर पहुँचना कठिन काम है। हाँ, निश्चित है कि मुगलों के पास अच्छी किस्म की हल्की तोपें भी थ...

General knowledge question of history important battles in indian history

General Knowledge: प्रतियोगिता परीक्षा हो या बैंक और एसएससी की परीक्षा हो जनरल नॉलेज विषय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है. जनरल नॉलेज की जब बात करें तो इतिहास की प्रमुख घटनाओं का जिक्र जरूर होता है. किसी भी तरह की परीक्षा हो या इंटरव्यू इतिहास के प्रमुख घटनाओं जैसे युद्ध, इमारतों का निर्माण या राजाओं से जुड़ी कोई घटना पर प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं. किसी भी तरह की प्रतियोगिता परीक्षा या इंटरव्यू (Interview Questions) फेस करने से पहले इतिहास विषय पर पकड़ बना लेना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में यहां हम आपको कुछ ऐसे ऐतिहासिक युद्धों के बारे में बताएंगे जिन से जुड़े प्रश्न परीक्षाओं में जरूर पूछे जाते हैं. यह युद्ध किसके-किसके बीच में हुआ था और युद्ध का परिणाम क्या निकला था इसकी पूरी जानकारी नीचे हासिल कर सकते हैं. सवाल 1- झेलम का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- पोरस और सिकंदर के बीच, सन ईसा-पूर्व 326. सवाल 2- पेशावर का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- महमूद गजनवी और पंजाब के राजा जयपाल के बीच सन- 1001 ई. सवाल 3- तराइन का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच सन 1192 ई. सवाल 4- पानीपत की पहली लड़ाई कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 21 अप्रैल 1526 को हुआ था. सवाल- पानीपत की दूसरी लड़ाई का इतिहास क्या है? जवाब- पानीपत की दूसरी लड़ाई हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य और अकबर के बीच साल सवाल- 6. चौसा का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- हुमायूं और शेरशाह के बीच 26 जून, 1539 को हुआ था. सवाल- 7. हल्दीघाटी का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था? जवाब- अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ था. इसमें राणा प्रताप की हर हुई था. ...