हनुमान अष्टक

  1. संकट मोचन हनुमान अष्टक अर्थ सहित, Hanuman Ashtak Lyrics In Hindi
  2. Hanuman Ashtak
  3. हनुमान अष्टक
  4. Sankat Mochan Hanuman Ashtak in Hindi
  5. हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित
  6. Sankat Mochan Hanuman Ashtak
  7. संकटमोचन हनुमान अष्टक SankatMochan
  8. संकट मोचन हनुमान अष्टक
  9. [Lyrics & PDF] संकटमोचन हनुमान अष्टक पाठ
  10. Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi and English. हनुमान अष्टक


Download: हनुमान अष्टक
Size: 75.54 MB

संकट मोचन हनुमान अष्टक अर्थ सहित, Hanuman Ashtak Lyrics In Hindi

संकट मोचन हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा पंद्रहवीं शताब्दी में की गयी थी। तुलसीदास जी श्रीराम व हनुमान के बहुत बड़े भक्त (Hanuman Ashtak Lyrics In Hindi) थे। उनके द्वारा ही रामचरितमानस, हनुमान चालीसा , बजरंग बाण सहित हनुमान अष्टक की रचना की गयी थी। इस लेख में सर्वप्रथम आपको संकटमोचन हनुमानाष्टक (Sankat Mochan Lyrics In Hindi) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात हनुमानाष्टक के प्रत्येक पद का सार, उसका अर्थ व भावार्थ समझाया जाएगा ताकि आप इसका संदेश पूर्ण रूप से जान सकें। आइए पढ़ें संकटमोचन हनुमानाष्टक। हनुमानाष्टक की सामान्य जानकारी (Hanuman Ashtak In Hindi) हनुमानाष्टक में कुल 8 पद हैं व अंत में एक दोहा आता है। प्रत्येक पद में 4-4 चौपाईयां आती हैं जिसमे से अंतिम चौपाई हर पद में समान है। प्रत्येक पद हनुमान जी के जीवन के अलग-अलग पहलुओं व उनकी वीरता का सीमित शब्दों में वर्णन करता है। संकटमोचन हनुमानाष्टक (Sankat Mochan Hanuman Ashtak) ।। पद ।। बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।। पद 1 ।। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिय कौन बिचार बिचारो। कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।। पद 2 ।। अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहौं हम सों जु, बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो। हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया सुधि प्राण उबारो। को नहिं जानत है जग में कपि...

Hanuman Ashtak

हनुमान अष्टक पाठ हिन्दी अनुवाद सहित Hanuman Ashtak हनुमान अष्टक पाठ (Hanuman Ashtak Path) अत्यंत लाभकारी है । प्रतिदिन हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) का पाठ करने से मनुष्य को सभी संकट, बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। जब हनुमान जी छोटे थे तब उनकी अपार शक्तियाँ खेल-खेल में ऋषि-मुनियों एवं समस्त जगत के लिए परेशानियाँ उत्पन्न कर देता था । इस समस्या से बचने के लिए उन्हे बचपन मे ही यह श्राप मिला था की वे अपनी समस्त शक्तियों को तब तक भूले रहेंगे जब तक की कोई उन्हे उनकी शक्तियों को याद न दिलाए। हनुमान अष्टक पाठ(Hanuman Ashtak) असीम शक्तियों के स्वामी हनुमान जी को उनकी शक्तियों की याद दिलाता है और मनुष्य उन्हे अपने कष्टों से मुक्ति दिलाने का निवेदन करता है । अतः हनुमान चालीसा की तरह हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) का पाठ भी अत्यंत गुणकारी एवं संकट से मुक्ति दिलाने वाला है । Sankat Mochan Hanuman Ashtak Path संकट मोचन हनुमान अष्टक पाठ बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तिनहुं लोक भयो अंधियारो । ताहि सो त्रास भयो जग मे, यह संकट काहु से जात न टारो॥ देवन आनि करी विनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो ॥१॥ बालि की त्रास कपीस बसै, गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन विचार बिचारो॥ कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो ॥२॥ अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो । जीवत ना बचिहौं हम सों जु, बिन सुध लाए इहां पगुधारो ॥ हेरि थके तट सिन्धु सबै तब, लाय सिया सुधि प्रान उबारो । को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो ॥३॥ रावन त्रास दई सिय को तब, राक्षसि ...

हनुमान अष्टक

Hanuman Ashtak Pdf Hanuman Ashtak Pdf for free by using directly downloading the link that is provided at the end of the article. Hanuman Ashtak Pdf Hanuman Ashtak Pdf But first, I will provide you with Hanuman Ashtak Pdf . So, guys that were Hanuman Ashtak Pdf, we hope you like this. please share this page with your friends and family who want to read Hanuman Ashtak Pdf. Below you can read the original Sri Hanuman Ashtak Pdf: Sankat Mochan Hanuman Ashtak | संकटमोचन हनुमान अष्टक हिन्दी अनुवाद सहित -बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों I ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो I देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I अर्थ – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया। इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता। -बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो I चौंकि महामुनि साप दियो तब , चाहिए कौन बिचार बिचारो I कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो I को अर्थ – बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ब्राह्मण का वेश बनाकर प्रभु श्रीराम का भेद जाना और सुग्रीव से उनकी मित्रता कराई। संसार म...

Sankat Mochan Hanuman Ashtak in Hindi

हनुमान जी की आराधना में हनुमान चालीसा , संकटमोचन हनुमान अष्टक/Sankat Mochan Hanuman Ashtak के पाठ का बड़ा महत्व है | संकटमोचन हनुमान अष्टक के नियमित पाठ से भक्त पर आये घोर से घोर संकट भी दूर होने लगते है |बचपन में हनुमान जी बहुत ही शरारती थे | शुरू से असीमित शक्तियों के स्वामी हनुमान जी, देवताओं और ऋषि-मुनियों को अपनी क्रीडाओं द्वारा परेशान भी करते है जिस कारण उन्हें बचपन में ही श्राप मिला था वे कि वे अपनी शक्तियों को भूल जायेंगे व दूसरों द्वारा याद दिलाने पर ही उन्हें अपनी शक्तियों का आभास होगा | संकटमोचन हनुमान अष्टक के पाठ द्वारा भक्त उन्हें उनकी शक्तियों का स्मरण कराते है व उनसे अपने सभी संकट दूर करने का आग्रह करते है | हनुमान जी की आराधना के समय हनुमान जी से अपने संकटों को दूर करने के लिए बार-बार आग्रह करना चाहिए | सिद्ध यंत्र व सिद्ध लॉकेट अब पाए ऑनलाइन, visit करें : अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीश यह बैन उचारो जीवत ना बचिहौ हम सो जु , बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो हेरी थके तट सिन्धु सबै तब , लाए सिया-सुधि प्राण उबारो,- को – ३ रावण त्रास दई सिय को तब , राक्षसि सो कही सोक निवारो ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाए महा रजनीचर मारो चाहत सीय असोक सों आगिसु , दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो, -को – ४ बान लग्यो उर लछिमन के तब , प्राण तजे सुत रावन मारो लै गृह बैद्य सुषेन समेत , तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो आनि संजीवन हाथ दई तब , लछिमन के तुम प्रान उबारो, – को – ५ रावन युद्ध अजान कियो तब , नाग कि फांस सबै सिर डारो श्री रघुनाथ समेत सबै दल , मोह भयो यह संकट भारो आनि खगेस तबै हनुमान जु , बंधन काटि सुत्रास निवारो,- को – ६ बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो देवहिं पूजि भली विधि सों...

हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित

संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ बजरंगबली के भक्तों में अत्यंत लोकप्रिय होने के साथ साथ उतना ही प्रभावशाली भी है। हनुमान जी भगवान माता अंजनी के प्रार्थना करने पर ऋषि ने कहा कि मेरा शाप तो विफल नहीं हो सकता पर जब भी बजरंगबली को कोई उनकी शक्तियों की याद दिलाएगा, तो वे अपने वास्तविक स्वरूप और शक्ति के साथ कठिन से कठिन कार्य को भी सिद्ध कर देंगे। संकटमोचन हनुमान अष्टक ( Sankat Mochan Hanuman Ashtak ) में हनुमान जी के ही किये हुए कार्यों का वर्णन है जिसे सुनकर वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं। Hanuman Ashtak In Hindi || संकटमोचन हनुमान अष्टक || बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो | ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो || देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो | को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो || 1 || अर्थ – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया। इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो | चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो || कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो | को० – 2 || अर्थ – बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ...

Sankat Mochan Hanuman Ashtak

Sankat Mochan Hanuman Ashtak Hindi/Sanskrit Lyrics बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों I ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो I देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो I चौंकि महामुनि साप दियो तब , चाहिए कौन बिचार बिचारो I कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो I को अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो I जीवत ना बचिहौ हम सो जु , बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I हेरी थके तट सिन्धु सबे तब , लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I को रावण त्रास दई सिय को सब , राक्षसी सों कही सोक निवारो I ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाए महा रजनीचर मरो I चाहत सीय असोक सों आगि सु , दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I को बान लाग्यो उर लछिमन के तब , प्राण तजे सूत रावन मारो I लै गृह बैद्य सुषेन समेत , तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I आनि सजीवन हाथ दिए तब , लछिमन के तुम प्रान उबारो I को रावन जुध अजान कियो तब , नाग कि फाँस सबै सिर डारो I श्रीरघुनाथ समेत सबै दल , मोह भयो यह संकट भारो I आनि खगेस तबै हनुमान जु , बंधन काटि सुत्रास निवारो I को बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो I देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि , देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I जाये सहाए भयो तब ही , अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को काज किये बड़ देवन के तुम , बीर महाप्रभु देखि बिचारो I कौन सो संकट मोर गरीब को , जो तुमसे नहिं जात है टारो I बेगि हरो हनुमान महाप्रभु , जो कछु संकट होए हमारो I को दोहा लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II Sankat Mochan H...

संकटमोचन हनुमान अष्टक SankatMochan

संकट मोचन हनुमान अष्टक – Hanuman Ashtak or “ Sankat Mochan Hanuman Ashtak” (संकट मोचन हनुमान अष्टक) was written by Tulsi Das ji, who was a great devotee of Lord Hanuman. It is believed that Sankat Mochan Hanuman removes all the obstacles from your life if you really chant this Mantra or Bhajan daily with full devotion. It is even more beneficial if you chant it on daily basis and not just for few days. Generally people read it after Hanuman Chalisa. It is called Hanuman “ Ashtak”– because it has 8 verses and Ashtak means eight. Its last line – “Begi Haro Hanuman MahaPrabhu Jo kachhu sankat hoe hamaro”means Oh lord Hanuman, Please remove all obstacle from our lives. बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों I ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो I देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I को – १ बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि , जात महाप्रभु पंथ निहारो I चौंकि महामुनि साप दियो तब , चाहिए कौन बिचार बिचारो I कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो I को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I को – २ अंगद के संग लेन गए सिय , खोज कपीस यह बैन उचारो I जीवत ना बचिहौ हम सो जु , बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I हेरी थके तट सिन्धु सबे तब , लाए सिया– सुधि प्राण उबारो I को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I को – ३ रावण त्रास दई सिय को सब , राक्षसी सों कही सोक निवारो I ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाए महा रजनीचर मरो I चाहत सीय असोक सों आगि सु , दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I को ...

संकट मोचन हनुमान अष्टक

लेख सारिणी • • • संकट मोचन हनुमान अष्टक | Sankat Mochan Hanuman Ashtak मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए, क्यों की हनुमान अष्टक के फायदे बहुत है, हनुमान अष्टक का पाठ करने से व्यक्ति भय मुक्त होता है और शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। यहाँ हम आपको हनुमान अष्टक लिरिक्स दे रहे है जिससे आप भी आसानी से हनुमान अष्टक पाठ कर सकते है – हनुमान अष्टक | Hanuman Ashtak बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो।। देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो।। 1।। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो | चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो।। हेरी थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया-सुधि प्राण उबारो । को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।। 3।। रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ।। चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो | को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।।4।। बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो । लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।। आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो । को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।। 5।। रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर डारो । श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ।। आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो । को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो ।। 6।। बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो । देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिल...

[Lyrics & PDF] संकटमोचन हनुमान अष्टक पाठ

• पोस्ट के अंत में अष्टक को पीडीऍफ़ फॉरमेट (Hanuman Ashtak PDF Format Downlaod) में डाउनलोड करने का डायरेक्ट लिंक प्रदान किया है | जिससे आप अष्टक का पाठ बिना इन्टरनेट के भी कर सकते है | • PDF के साथ साथ अष्टक का फोटो भी दिया है है उसको भी आप डाउनलोड कर सकते है |(Image and Lyrics ) Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi ॥ हनुमान अष्टक ॥ बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो। कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो। हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो। चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो। लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो। आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो। श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो। आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन का...

Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi and English. हनुमान अष्टक

हनुमान अष्टक लिरिक्स हिंदी में (Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi) गोस्वामी तुलसीदास कृत संकटमोचन हनुमानाष्टक बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥ देवन आन करि बिनती तब, छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ॥ बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो चौंकि महा मुनि शाप दिया तब, चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥ के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ॥ अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥ हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सियासुधि प्राण उबारो को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ॥ रावन त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सों कहि शोक निवारो ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ॥ चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ॥ बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥ आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्राण उबारो को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ॥ रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ॥ आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ ॥ बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पाताल सिधारो देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि, देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥ जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत सँहारो को नहि...