हनुमानाष्टक पाठ

  1. Sankat Mochan Hanuman Ashtak Path Lyrics
  2. हनुमान अष्टक
  3. क्या है हनुमान अष्टक पाठ की महिमा, फायदे औऱ पूजन विधि (Sankatmochan Hanuman Ashtak k fayde in hindi)
  4. मंगलवार को करें हनुमानाष्टक का पाठ, हर संकट दूर करेंगे संकटमोचन
  5. [Lyrics & PDF] संकटमोचन हनुमान अष्टक पाठ


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Sankat Mochan Hanuman Ashtak Path Lyrics

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हनुमान अष्टक

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क्या है हनुमान अष्टक पाठ की महिमा, फायदे औऱ पूजन विधि (Sankatmochan Hanuman Ashtak k fayde in hindi)

नमस्कार , दोस्तों कलयुग में कुछ जाग्रत देवता है जो आज भी धरती पर लोगों के संकटों को दूर करने के लिए उपस्थित हैं। उन्हीं में से एक है पवन पुत्र, रामदूत हनुमान जी। जी हां दोस्तों हनुमान जी कलयुग के समय भी लोगों की और धर्म की रक्षा के लिए इस धरती पर विराजित है। आज हम हनुमान जी को प्रसन्न करने वाले व सभी संकटो को दूर करने वाले एक बहुत ही अद्भुत व चमत्कारिक पाठ हनुमान अष्टक की महिमा के बारे में बात करेंगे। तो आइए जानते हैं हनुमान अष्टक की महिमा के बारे में और भी बहुत कुछ। हनुमान अष्टक का पाठ करने से पहले आपको यह जानना बहुत ही आवश्यक है कि हनुमान अष्टक क्या है? हनुमान अष्टक की रचना कैसे हुई? आदि। दोस्तों बचपन में हनुमान जी द्वारा जब सूर्य को निगल लिया गया था और इंद्र की प्रहार द्वारा जब हनुमान जी को क्षति पहुंचाई गई थी। तब सभी देवी देवताओं ने हनुमान जी से क्षमा प्रार्थना कर उन्हें अनेक वरदान दिए। चूकि हनुमान जी, जो बचपन से ही थोड़े नटखट व शरारती थे तब एक ऋषि जो की तपस्या में लीन थे हनुमान जी उन्हें परेशान करने लगे। तब उन ऋषि के द्वारा हनुमान जी को यह श्राप दिया गया कि तुम अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हो इसलिए तुम अपनी सारी शक्तियों को भूल जाओगे। इसके बाद हनुमान जी द्वारा क्षमा याचना करने पर ऋषि ने कहा कि जब कोई भी तुम्हें अपनी शक्तियों को याद दिलाएगा तो तुम्हें फिर से अपनी शक्तियों का स्मरण होगा और तुम उनका उपयोग भी कर पाओगें। इस प्रकार दोस्तों हनुमान अष्टक में हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया जाता है। जब हनुमान जी अंगद व जामवंत जी के साथ सीता जी की खोज करने गए थे तब जामवंत जी द्वारा भी हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया गया था। संकटमोचन हनुमान अष्टक की रचना किस...

मंगलवार को करें हनुमानाष्टक का पाठ, हर संकट दूर करेंगे संकटमोचन

मंगलवार के दिन हनुमानाष्टक पाठ से शत्रुओं पर होती है विजय प्राप्ति हनुमानाष्टक का पाठ करने से सभी संकटों से मुक्त होता है व्यक्ति हनुमानाष्टक का पाठ करने से भक्तों की पीड़ा हर लेते हैं संकट मोचन Hanuman Ashtak Path Benefits: भगवान हनुमान को संकट मोचन, प्रभु श्रीराम भक्त, पवन पुत्र, बजरंगबली जैसे कई नामों से जाना जाता है. शास्त्रों में भगवान हनुमान को महादेव का अंश माना गया है. जो भक्त सच्चे मन, श्रद्धा और निष्ठा से हनुमान जी की पूजा करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. नित्य हनुमान जी की पूजा-आराधना करने से व्यक्ति सभी कष्टों से दूर रहता है. मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित होता है और इस दिन उनकी विशेष पूजा-पाठ की जाती है लेकिन पूजा में यदि आप हनुमानाष्टक या हनुमान अष्टक का पाठ करते हैं तो इससे भगवान हनुमान की विशेष कृपा आप पर बनी रहती है. हनुमानाष्टक का पाठ करने वाला व्यक्ति हमेशा भय मुक्त रहता है और उसे शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. लेकिन हनुमान जी के हनुमानाष्टक का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं हनुमानाष्टक पाठ, इसके नियम और लाभ के बारे में. हनुमा नाष्टक पाठ के नियम वैसे तो आप कभी भी स्नानादि करने के बाद पवित्र मन से हनुमानाष्टक का पाठ कर सकते हैं. लेकिन मंगलवार के दिन पहले हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें. इसके बाद उनके समक्ष एक घी का दीपक जलाएं और एक तांबे के कलश में जल भरकर रखें. फिर ध्यान लगाकर हनुमानाष्टक का पाठ करें. यह भी पढ़ें: हनुमानाष्टक पाठ के लाभ हनुमानाष्टक का पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है. यदि आप किसी अज्ञात भय या शत्रु के डर से विचलित ...

[Lyrics & PDF] संकटमोचन हनुमान अष्टक पाठ

• पोस्ट के अंत में अष्टक को पीडीऍफ़ फॉरमेट (Hanuman Ashtak PDF Format Downlaod) में डाउनलोड करने का डायरेक्ट लिंक प्रदान किया है | जिससे आप अष्टक का पाठ बिना इन्टरनेट के भी कर सकते है | • PDF के साथ साथ अष्टक का फोटो भी दिया है है उसको भी आप डाउनलोड कर सकते है |(Image and Lyrics ) Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi ॥ हनुमान अष्टक ॥ बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो। कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो। हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो। चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो। लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो। आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो। रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो। श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो। आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन का...