हनुमानजी का जन्म स्थान

  1. क्या आप जानते हैं हनुमान जी का कहां है जन्म स्‍थान, जानिए रहस्य
  2. हनुमान जी का जन्म स्थान कहां पर है?
  3. Hanuman Birth Place : वो पर्वत जहां हनुमान पैदा हुए, शिला में दिखता है उनका चेहरा
  4. यह है हनुमान जी का जन्म स्थान। इस गुफा में हुआ था इनका जन्म, जानिए कहा स्थित है ये गुफा
  5. यही तो हैं हनुमान जी का जन्म स्थान जहां हुआ हनुमान का जन्म
  6. हनुमान जयंती
  7. हनुमान


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क्या आप जानते हैं हनुमान जी का कहां है जन्म स्‍थान, जानिए रहस्य

New Delhi: बजरंगबली कलयुग के देव कहे जाते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि वो आज भी जीवित हैं। लेकिन हनुमान जी के जीवन को लेकर बहुत सारी रहस्य है, जो कम ही लोगों को पता है। ऐसे में उनके जन्म को लेकर भी कई मान्यताएं है। यहां हमने उन्ही सभी बातों को संकलित कर उनके जन्म के रहस्य को समझने की कोशिश की है। पहला जन्म स्थान हनुमानजी की माता का नाम अंजना है, जो अपने पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं। हनुमानजी के पिता का नाम केसरी है, जो वानर जाति के थे। माता-पिता के कारण हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन कहा जाता है। केसरीजी को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे वानरों की कपि नाम की जाति से थे। केसरीजी दूसरा जन्म स्थान गुजरात के डांग जिले के आदिवासियों की मान्यता अनुसार डांग जिले के अंजना पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। तीसरा जन्म स्थान कुछ लोग मानते हैं कि हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के उग्रवाद प्रभावित क्षे‍त्र गुमला जिला मुख्‍यालय से 20 किलोमीटर दूर आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था। अंत में आखिर कहां जन्म लिया ? ‘पंपासरोवर’ अथवा ‘पंपासर’ होस्पेट तालुका, मैसूर का एक पौराणिक स्थान है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर टीम बेबाक ABOUT USबेबाक न्यूज निष्पक्ष और निर्भिक वेब पोर्टल है। डिजिटल मीडिया पर सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला यह पोर्टल अपनी खबरों और विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है। हम किसी भी दल, संगठन या समुदाय का ना तो समर्थन करते हैं और ना ही विरोध। जो खबर दिखानी चाहिए उसे हम आपके सामने रखते हैं। हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ खबरों को दुनिया के सामने बेबाकी क...

हनुमान जी का जन्म स्थान कहां पर है?

हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन हुआ था। ज्योतिषीयों की गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे वर्तमान में झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफ़ा में हुआ था। हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थी।

Hanuman Birth Place : वो पर्वत जहां हनुमान पैदा हुए, शिला में दिखता है उनका चेहरा

किष्किंधा की चर्चा काफी विस्तार से बाल्मीकी रामायण में की गई है यहीं भारत राम की मुलाकात दंडकारण्य में हनुमान से हुई प्राचीन भारत में ये सुग्रीव और बाली जैसे ताकतवर वानरों की नगरी थी भगवान हनुमान का जन्म कर्नाटक के किष्किंधा में एक पर्वत पर हुआ था. इस पर्वत की एक शिला दूर से देखने पर उनके चेहरे जैसी आकृति बनाती है. यहां जाने वाला हर शख्स इसे देखकर चमत्कार ही समझता है. इस पर्वत पर ऊपर चढ़ने पर एक मंदिर है. जहां हनुमानजी का जन्म बताया जाता है. यहां हमेशा अखंड कीर्तन चलता रहता है, ये पूरा इलाका बहुत सुंदर है. इसी इलाके में भगवान राम ने सीताहरण के बाद कुछ समय गुजारा था. ये वो जगह भी है जहां वानरों की राजधानी हुआ करती थी. इसे हम दण्डकारण्य भी कहते हैं. मनोरम स्थान. इस पर्वत जहां हनुमानजी का जन्म हुआ, उसको अंजनी पर्वत के नाम से जानते हैं. ये वो जगह भी है, जहां दक्षिण भारत की पवित्र नदी तुंगभद्रा यानि पम्पा पहाड़ियों के बीच बल खाते हुए पूरे इलाके को खूबसूरत नजारे में बदल देती है. यहां अलौकिक पहाड़ियां हैं. दूर तक फैले हुए धान के खेत. केले के बाग और जिधर देखो उधर नारियल के पेड़ों का झुंड. यहां आने पर हवा मोहक अंदाज में आपके कानों में अलग सा संगीत घोलती है. इसे किष्किंधा कहते हैं. जो कर्नाटक के बेल्लारी जिले में है. जिसके पड़ोस में एक और दर्शनीय स्थल हम्पी है, जो महान प्रतापी राजा श्रीकृष्णदेवराय की राजधानी थी. खूबसूरत किष्किंधा किष्किंधा के पूरे रास्ते में आपको पहाड़ियां दिखती हैं. हरे-भरे खेत और नारियल से लदे-फदे वृक्ष. इस इलाके की ग्रेफाइट चट्टानें भी ऐसी विशेष हैं कि पूरे देश में उनकी मांग है. सबसे पहले रामायण में हुई किष्किंधा की चर्चा किष्किंधा की चर्चा काफी विस्तार से बाल्मी...

यह है हनुमान जी का जन्म स्थान। इस गुफा में हुआ था इनका जन्म, जानिए कहा स्थित है ये गुफा

हनुमानजी का जन्म – हनुमान जी, भगवान राम के परम भक्त थे, उन्हे संकट मोचन भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी के स्मरण मात्र से सारे शोक, रोग और डर दूर भाग जाते हैं।हनुमान जी की आराधना तो आप सभी करते होंगे, हनुमान जी के मां सीता की खोज में श्री राम की मदद की, सुग्रीव को राजगद्दी दिलवाने में सहायता की। ये हनुमानजी का जन्म और ज़िदंगी से जुड़े कुछ ऐसे वृतान्त हैं जिनके बारे में आप सभी ने सुना होगा, लेकिन उनके जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें भी हैं जिनसे आप सभी अनजान होंगे जैसे कि आप नहीं जानते होंगे कि हनुमान जी का जन्म कहां हुआ थातो चलिए आपको बताते हैं कि रामभक्त हनुमानजी का जन्म कहां हुआ था ? हनुमानजी का जन्म – हनुमान जी के जन्म स्थान को लेकर ज्यादा चर्चा नहीं की जाती है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी का जन्म झारखंड में स्थित एक गुफा में हुआ था। यह स्थान गुमला जिले से करीब 21 किमी की दूरी पर स्थित है, इसका नाम आंजन धाम है। हनुमान जी का जन्म स्थान ये ही है इस बारे में कईं प्रमाण भी दिये जाते हैं जैसे कि इसी जगह के पास स्थित पालकोट प्रखंड में सुग्रीव व बाली के वानर राज्य ‘किश्किंधा’ के होने की बात कही जाती है। माता अंजनी का निवास स्थान होने के कारण गुमला जिले का एक नाम आंजनेय भी है। ये स्थान धार्मिक मान्यताओं को अपने आप में समेटे हुए हैं, यहां पहाड़ों के बीच एक ऐसी गुफा है जिसका संबंध रामायण काल से माना जाता है। साथ ही ये भी कहा जाता है कि यहां माता अंजना शिव की पूजा करने आती थी इसलिए यहां 360 शिवलिंग विराजमान हैं। यहां पर माता अंजना का मंदिर भी बना हुआ है और मंदिर के नीचे एक गुफा भी है। यहां जो भी भक्त दर्शन करते आते हैं वो अंजनी माता के दर्शन करने के बाद इस सर्प गुफा...

यही तो हैं हनुमान जी का जन्म स्थान जहां हुआ हनुमान का जन्म

हनुमान जी का जन्म स्थान पवन पुत्र हनुमान जी के भक्तों की भारत में कोई कमी नहीं है । प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी के भक्त पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का उच्चारण करके वह हनुमान जी की पूजा करते हैं तथा अपने कष्टों का संहार करने की प्रार्थना करते हैं । हनुमान जी भगवान शिव के रूद्र अवतार माने जाते हैं हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था इसलिए वह अन्य ने भी कहलाए जाते हैं उनके पिता का नाम केसरी था जिसकी वजह से उन्हें केसरी नंदन भी बुलाया जाता है । यदि आप हनुमानजी के भक्त हैं तो आप अवश्य जानते होंगे कि उनका जन्म कहां हुआ था यदि आप नहीं जानते तो आइए हम आपको बताते हैं कि हनुमानजी भारतवर्ष में पैदा हुए थे । मान्यताओं के अनुसार शिव के रूद्र अवतार हनुमान जी का जन्म भारतवर्ष में हुआ था परंतु निश्चित स्थान के बारे में किसी को ज्ञात नहीं है हनुमान जी के जन्म स्थान के बारे में तरह - तरह की मान्यताएं प्रचलित है । हनुमान जी का भारत में जन्म स्थान 1. गुमला जिला झारखंड - कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि हनुमान जी का जन्म अंजनी गांव में एक गुफा में हुआ था जो कि गुमला जिला से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि झारखंड राज्य में पड़ता है । इसलिए इस जा का नाम अंजनी धाम है । इस जिले में पाला कोर्ट ब्लॉक में बाली और सुग्रीव के नाम के भी जिले हैं यह माना जाता है कि इसी जगह पर शबरी का आश्रम था इस जगह पर स्थित पर्वतों में एक गुफा भी है जो की रामायण काल से संबंधित है । यह भी माना जाता है की माता अंजनी यहां रहकर भगवान शिव की प्रतिदिन पूजा किया करती थी इसी वजह से यहां 360 शिवलिंग स्थापित हैं । यहां पर विभिन्न तालाब भी स्थित हैं जहां माता अंजनी स्नान किया करती...

हनुमान जयंती

अनुक्रम • 1 कार्यक्रम • 2 गुरु • 3 हनुमान का नामकरण • 4 इन्हें भी देखें • 5 सन्दर्भ कार्यक्रम [ ] हनुमान जयन्ती को लोग हनुमान मन्दिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और ऊर्जा के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। यतः यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे अतः इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चाँदी का वर्क चढ़ाने की परम्परा गुरु [ ] भगवान् हनुमान के गुरु इनकी माता, भगवान् शंकर, भगवान् सूर्य और ऋषि मातंग थे। हनुमान का नामकरण [ ] इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अतिरिक्त ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अञ्जनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शङ्कर सुवन आदि। इन्हें भी देखें [ ] • • • • • सन्दर्भ [ ]

हनुमान

अनुक्रम • 1 हनुमान के द्वारा सूर्य को फल समझना • 2 हनुमान का नामकरण • 3 हनुमान जी का रुप • 4 ग्रंथों • 4.1 हिन्दू धर्म • 4.1.1 रामायण • 4.1.2 महाभारत • 4.1.3 अन्य साहित्य • 4.1.4 हनुमान चालीसा • 4.1.5 देवी अथवा शक्ति के साथ संबंध • 4.2 बुद्ध धर्म • 4.3 जैन धर्म • 4.4 सिख धर्म • 4.5 दक्षिण पूर्व एशियाई ग्रंथ • 5 बारह नाम , उनके अर्थ और उनका महत्व • 6 बाहरी कड़ियाँ • 7 सन्दर्भ हनुमान के द्वारा सूर्य को फल समझना [ ] इनके जन्म के पश्चात् एक दिन इनकी माता फल लाने के लिये इन्हें आश्रम में छोड़कर चली गईं। जब शिशु हनुमान को भूख लगी तो वे उगते हुये राहु की यह बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े। राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे। राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्रायुध से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई। हनुमान की यह दशा देखकर हनुमान का नामकरण [ ] इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी ( हनुमान जी का रुप [ ] हिँदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, हनुमान जी को वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ पुरुष के रूप में दिखाया जाता है। इनका शरीर अत्यंत मांसल एवं बलशाली है। उनके कंधे पर ग्रंथों [ ] हिन्दू धर्म [ ] रामायण [ ] श्री रामचरितमानस का पांचवा काण्ड, सुंदरकांड, हनुमान जी पर केंद्रित है। असुरराज रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था, जिसके बाद 14 साल के वनवास के आखिरी साल में हनुमान राम से मिलते हैं। अपने भाई लक्ष्मण के साथ, राम अपनी पत्नी सीता को खोज रहे हैं। यह और संबंधित राम कथाएं हनुमान के बारे में सबसे व्यापक कहानियां हैं। रामायण के कई संस्करण भारत के भीतर मौजूद हैं। ये हनुमान, राम, सीता, लक...