हरिवंश राय बच्चन की कविताएं

  1. हरिवंश राय बच्चन की कवितायेँ
  2. [PDF] हरिवंश राय बच्चन की सभी कविताएं
  3. हरिवंश राय बच्चन के काव्य संग्रह और उनकी चुनिंदा पंक्तियां
  4. हरिवंश राय बच्चन की ये हैं श्रेष्ठ 5 छोटी कविताएं...
  5. Harivansh Rai Bachchan Poems In Hindi
  6. [27+ प्रसिद्ध] हरिवंश राय बच्चन की कविताएं


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हरिवंश राय बच्चन की कवितायेँ

Comments हरिवंश राय बच्चन जी इस देश के जानेमाने कवियों में से एक कवि है इनका पूरा नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव “बच्चन” है | इनका जन्म 27 नवम्बर 1907 में इलाहाबाद में हुआ था तथा उनकी मृत्यु 95 साल की उम्र में 18 जनवरी 2003 में मुंबई में हुई थी | इनकी रचना की वजह से इन्हे 1976 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था इसीलिए हम आपको हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखी गयी कुछ बेहतरीन कविताओं के बारे में बताते है जिन कविताओं को पढ़ कर आप इनके बारे में भी जान सकते है | Harivansh Rai Bachchan Poems for Class 8 – हरिवंश राय बच्चन पोयम्स इन हिंदी अगर आप हरिवंश राय बच्चन कविताकोश, आत्मपरिचय, होली, मधुबाला, दोस्ती, harivansh rai bachchan की कविता, हरिवंश राय बच्चन जी की कविता, हरिवंश राय बच्चन कविता agneepath, हरिवंश राय बच्चन के कविता, हरिवंश राय बच्चन कविता संग्रह, हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता, हरिवंश राय बच्चन की एक कविता के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है : अकेलेपन का बल पहचान। शब्द कहाँ जो तुझको, टोके, हाथ कहाँ जो तुझको रोके, राह वही है, दिशा वही, तू करे जिधर प्रस्थान। अकेलेपन का बल पहचान। जब तू चाहे तब मुस्काए, जब चाहे तब अश्रु बहाए, राग वही है तू जिसमें गाना चाहे अपना गान। अकेलेपन का बल पहचान। तन-मन अपना, जीवन अपना, अपना ही जीवन का सपना, जहाँ और जब चाहे कर दे तू सब कुछ बलिदान। अकेलेपन का बल पहचान। हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता अब वे मेरे गान कहाँ हैं! टूट गई मरकत की प्याली, लुप्त हुई मदिरा की लाली, मेरा व्याकुल मन बहलानेवाले अब सामान कहाँ हैं! अब वे मेरे गान कहाँ हैं! जगती के नीरस मरुथल पर, हँसता था मैं जिनके बल पर, चिर वसंत-सेवित सपनों के मेरे वे उद्यान कहा हैं...

[PDF] हरिवंश राय बच्चन की सभी कविताएं

हरिवंश राय बच्चन की कविताएं आज फिर से आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । है कहां वह आग जो मुझको जलाए, है कहां वह ज्वाल पास मेरे आए, रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ: आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी, नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी. आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओः आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । मैं तपोमय ज्योती की, पर प्यास मुझको. है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको, स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ: आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । कल तिमिर को भेद में आगे बदूंगा, कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा, किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । आज तुम मेरे लिए हो। प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो । मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब मैं समय के शाप से डरता नहीं अब आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो प्राण कह दो. आज तुम मेरे लिए हो । रात मेरी रात का श्रृंगार मेरा. आज आधे विश्व से अभिसार मेरा. तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो प्राण, कह दो. आज तुम मेरे लिए हो। वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या. वह सुधा के स्वाद से जाए छला क्या, जो तुम्हारे होठ का मधु-विष पिए हो प्राण कह दो. आज तुम मेरे लिए हो । मृत-सजीवन था तुम्हारा तो परस ही. पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी. मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो प्राण कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।

हरिवंश राय बच्चन के काव्य संग्रह और उनकी चुनिंदा पंक्तियां

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हरिवंश राय बच्चन की ये हैं श्रेष्ठ 5 छोटी कविताएं...

दीन जीवन के दुलारे खो गये जो स्वप्न सारे, ला सकोगे क्या उन्हें फिर खोज हृदय समीप? ओ गगन के जगमगाते दीप! यदि न मेरे स्वप्न पाते, क्यों नहीं तुम खोज लाते वह घड़ी चिर शान्ति दे जो पहुँच प्राण समीप? ओ गगन के जगमगाते दीप! यदि न वह भी मिल रही है, है कठिन पाना-सही है, नींद को ही क्यों न लाते खींच पलक समीप? ओ गगन के जगमगाते दीप! कभी न मेरे मन को भाया, जब दुख मेरे ऊपर आया, मेरा दुख अपने ऊपर ले कोई मुझे बचाए! मैंने गाकर दुख अपनाए! कभी न मेरे मन को भाया, जब-जब मुझको गया रुलाया, कोई मेरी अश्रु धार में अपने अश्रु मिलाए! मैंने गाकर दुख अपनाए! पर न दबा यह इच्छा पाता, मृत्यु-सेज पर कोई आता, कहता सिर पर हाथ फिराता- ’ज्ञात मुझे है, दुख जीवन में तुमने बहुत उठाये! मैंने गाकर दुख अपनाए! व्यर्थ उसे है ज्ञान सिखाना, व्यर्थ उसे दर्शन समझाना, उसके दुख से दुखी नहीं हो तो बस दूर रहो! दुखी-मन से कुछ भी न कहो! उसके नयनों का जल खारा, है गंगा की निर्मल धारा, पावन कर देगी तन-मन को क्षण भर साथ बहो! दुखी-मन से कुछ भी न कहो! देन बड़ी सबसे यह विधि की, है समता इससे किस निधि की? दुखी दुखी को कहो, भूल कर उसे न दीन कहो? दुखी-मन से कुछ भी न कहो! जग में अँधियारा छाया था, मैं ज्वाला लेकर आया था मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका! मैं जीवन में कुछ न कर सका! अपनी ही आग बुझा लेता, तो जी को धैर्य बँधा देता, मधु का सागर लहराता था, लघु प्याला भी मैं भर न सका! मैं जीवन में कुछ न कर सका! बीता अवसर क्या आएगा, मन जीवन भर पछताएगा, मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका! मैं जीवन में कुछ न कर सका! पूर्ण कर विश्वास जिसपर, हाथ मैं जिसका पकड़कर, था चला, जब शत्रु बन बैठा हृदय का गीत, मैंने मान ली तब हार! विश्व न...

Harivansh Rai Bachchan Poems In Hindi

Harivansh Rai Bachchan Poems In Hindi – Hello दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारी बेबसाईट Gkdailyupdate.in पर आज की इस Post में हम आपके लिए लेकर आए हैं महान हरिवंश राय बच्चन जी की प्रसिद्ध कविताएं हरिवंश राय बच्चन जी हिंदी साहित्य के एक महान लेखक और कवि रहे हैं और उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताये इस पोस्ट में दी गई है इसलिए हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर देखें। Harivansh Rai Bachchan Poems In Hindi 1. पथ की पहचान – ( हरिवंश राय बच्चन ) पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी, हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानी, अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या, पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी, यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है, खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले। पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। है अनिश्चित किस जगह पर सरित, गिरि, गह्वर मिलेंगे, है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर मिलेंगे, किस जगह यात्रा ख़तम हो जाएगी, यह भी अनिश्चित, है अनिश्चित कब सुमन, कब कंटकों के शर मिलेंगे कौन सहसा छूट जाएँगे, मिलेंगे कौन सहसा, आ पड़े कुछ भी, रुकेगा तू न, ऐसी आन कर ले। पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दे हृदय में, देखते सब हैं इन्हें अपनी उमर, अपने समय में, और तू कर यत्न भी तो, मिल नहीं सकती सफलता, ये उदय होते लिए कुछ ध्येय नयनों के निलय में, किन्तु जग के पंथ पर यदि, स्वप्न दो तो सत्य दो सौ, स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले। पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। स्वप्न आता स्वर्ग का, दृग-कोरकों में दीप्ति आती, पंख लग जाते पगों को, ललकती उन्मुक्त छाती, रास्ते का एक काँटा,...

[27+ प्रसिद्ध] हरिवंश राय बच्चन की कविताएं

अग्निपथ कविता वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छाँह भी, माँग मत, माँग मत, माँग मत, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है, अश्रु श्वेत रक्त से, लथपथ लथपथ लथपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। हरिवंश राय बच्चन की कविताएं Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढ़ती है चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है मन का विश्वास रगों में साहस भरता है चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है मिलते ना सहज ही मोती गहरे पानी मे बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। असफलता एक चुनौती हैं स्वीकार करो क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। हरिवंश राय बच्चन की कविताएं Positive Harivansh Rai Bachchan Poems जो बीत गई सो बात गई जीवन में एक सितारा था माना वह बेहद प्यारा था वह डूब गया तो डूब गया अंबर के आंगन को देखो कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है जो बीत गई सो बात गई जीवन में वह था एक कुसुम थे उस पर नित्य निछावर...