हरिवंश राय पोएम

  1. Harivansh Rai Bachchan Biography
  2. कोशिश करने वालों की हार नहीं होती: हरिवंश राय बच्चन सोहनलाल द्विवेदी:
  3. हरिवंश राय बच्चन की कविता "harivansh rai bachchan poem koshish karne walon ki"
  4. Harivansh Rai Bachchan
  5. डॉ. हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा: 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ' से 'दशद्वार से सोपान तक' का सफर
  6. 25+ harivansh rai bachchan poems in Hindi
  7. हरिवंश राय बच्चन की कवितायेँ


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Harivansh Rai Bachchan Biography

Harivansh Rai Bachchan Biography –दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम 20 वीं सदी में भारत के सर्वाधिक प्रशंसित हिंदी भाषी कवियों और लेखकों में से एक हरिवंश राय बच्चन (Harivanshrai Bachchan) के बारे में बात करेंगे. हरिवंश राय बच्चन को सदी का रचियता भी कहा जाता है. इसका कारण यह है कि उनकी शैली उनसे पहले के कवियों से अलग थी. खासकर हरिवंश राय बच्चन के द्वारा लिखी कविता ‘मधुशाला’ अत्यधिक लोकप्रिय हुई. हिंदी साहित्य में हरिवंश राय बच्चन के योगदान को देखते हुए उन्हें साहित्य अकादमी और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. दोस्तों हरिवंश राय बच्चन कौन थे? (Who was Harivansh Rai Bachchan?) यह तो हम जान ही चुके है. आगे इस आर्टिकल में हम हरिवंश राय बच्चन के परिवार (Harivansh Rai Bachchan’s family), हरिवंश राय बच्चन की कविताओं (Poems of Harivansh Rai Bachchan), हरिवंश राय बच्चन को मिले अवार्ड्स (Harivansh Rai Bachchan’s Awards) सहित अन्य चीजों के बारे में बात करेंगे. तो चलिए शुरू करते है हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय. हरिवंश राय बच्चन जीवनी (Harivansh Rai Bachchan Biography) दोस्तों हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद से सटे प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था. हरिवंश राय बच्चन का असली नाम (real name of harivansh rai bachchan) हरिवंश श्रीवास्तव था. लेकिन बचपन में उन्हें सभी बच्चन कहकर बुलाते थे, जिसका मतलब होता है संतान. बाद में हरिवंश राय ने अपने नाम से श्रीवास्तव हटाकर बच्चन जोड़ लिया. हरिवंश राय बच्चन का परिवार (Harivansh Rai Bachchan’s family) हरिवंश राय बच्चन के पिता (Harivansh Rai Bachchan’s father) का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव था. हरिवंश राय बच्चन की माता...

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती: हरिवंश राय बच्चन सोहनलाल द्विवेदी:

“लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती!” अगर कोई हम से इन पंक्तियों के रचियेता का नाम पूछे, तो हम कहेंगे, हरिवंश राय बच्चन। बहुत जगह यह कविता बच्चन जी के नाम से के साथ ही साझा की जाती है और कई मौकों पर अमिताभ बच्चन ने भी इसे पढ़ा है। ऐसे में, जाहिर है कि शायद ही कोई जानता हो कि यह कविता, हरिवंश राय बच्चन ने नहीं, बल्कि हिंदी साहित्य के एक और महान कवि, सोहन लाल द्विवेदी ने लिखी है। अमिताभ बच्चन ने भी अपनी एक 22 फरवरी 1906 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में बिंदकी तहसील के सिजौली नामक गाँव में जन्में सोहनलाल द्विवेदी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भी थे। आज़ादी के संघर्ष के दौरान उनकी ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के लिए उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी गयी। गाँधी जी के सिद्धांतों से प्रभावित सोहनलाल द्विवेदी की काव्य-शैली बहुत ही सरलता से दिल को छू जाने वाली थी। उनकी कविताएँ आम लोगों के लिए होती थीं। स्वतंत्रता सेनानियों के मन में जोश जगाने में हमेशा ही उनकी कविताएँ कामयाब रहीं। साल 1941 में देश प्रेम से भरपूर ‘भैरवी’, उनका पहला प्रकाशित काव्य-संग्रह था। इसके आलावा सोहनलाल द्विवेदी की कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं: ‘वासवदत्ता,’‘पूजागीत,’‘विषपान’ और ‘जय गांधी’ आदि। उन्होंने बच्चों के लिए भी कविताएँ और बाल गीत लिखे और इसी वजह से उन्हें ‘बाल साहित्य’ का सृजनकार भी कहा जाता है। हरिवंश राय ‘बच्चन’ ने एक बार “जहाँ तक मेरी स्मृति है, जिस कवि को राष्ट्रकवि के नाम से सर्वप्रथम अभिहित किया गया, वे सोहनलाल द्विवेदी थे। गाँधीजी पर केन्द्रित उनका गीत ‘युगावतार’ या उनकी चर्चित कृति ‘भैरवी’ की पंक्ति ‘वन्दना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो, हो जहाँ बलि शीश अगणित ए...

हरिवंश राय बच्चन की कविता "harivansh rai bachchan poem koshish karne walon ki"

वोह एक सुपरस्टार अमिताभ बच्चन जी के पिता है जिन्होंने बॉलीवुड में चारो ओर अपना जलवा फेलाया हुआ है,बैसे तोह उनकी हर एक कविता वह्तरीन है लेकिन आज हम उनकी एक बहुत ही प्रसिद्ध कविता आप सभी के साथ शेयर करने वाले हैं जो आपको जिन्दगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी तो चलिए पड़ते हैं उनकी इस बेहतरीन कविता को लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है जा जा कर खाली हाथ लौट कर आता है मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो जब तक ना सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती इन्हें भी पढिये- दोस्तों अगर आपको हमारी पोस्ट harivansh rai bachchan poem koshish karne walon ki पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें और हमारा Facebook पर लाइक करना ना भूलें और अगर आप हमारी पोस्ट को सीधे अपने ईमेल पर पाना चाहे तो इसे सबस्क्राइब करें और हमें कमेंट्स के जरिए बताएं कि हमारी पोस्ट आपको कैसी लगी.

Harivansh Rai Bachchan

Harivansh Rai Bachchan ( Srivastava; 27 November 1907 – 18 January 2003) was an Indian poet and writer of the Nayi Kavita literary movement (romantic upsurge) of early 20th century Personal life [ ] Bachchan was born at Bachchan married Shyama Bachchan in 1926. The latter died of tuberculosis in 1936. In 1941, he married Writing career [ ] Bachchan was fluent in several Works used in movies [ ] Bachchan's work has been used in movies and music. For example, couplets of his work "Agneepath" are used throughout the 1990 film Mitti ka tan, masti ka man, kshan-bhar jivan– mera parichay. (मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय) (A body of clay, a mind full of play, a life of a moment – that's me) List of works [ ] Poems • • • • • Madhubala (मधुबाला) (1936) • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Miscellaneous • Bachpan ke saath kshan bhar (बचपन के साथ क्षण भर) (1934) • Khaiyyam ki madhushala (खय्याम की मधुशाला) (1938) • Sopaan (सोपान) (1953) • Macbeth (मेकबेथ)(1957) • Jangeet (जनगीता) (1958) • Omar Khaiyyam ki rubaaiyan (उमर खय्याम की रुबाइयाँ) (1959) • Kaviyon ke saumya sant: Pant (कवियों के सौम्य संत: पंत) (1960) • Aaj ke lokpriya Hindi kavi: Sumitranandan Pant (आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत) (1960) • Aadhunik kavi: 7 (आधुनिक कवि: ७) (1961) • Nehru: Raajnaitik jeevanchitra (नेहरू: राजनैतिक जीवनचित्र) (1961) • Naye puraane jharokhe (नये पुराने झरोखे) (1962) • Abhinav sopaan (अभिनव सोपान) (1964) • Chausath roosi kavitaayein (चौसठ रूसी कव...

डॉ. हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा: 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ' से 'दशद्वार से सोपान तक' का सफर

साहित्य कोई शाब्दिक आडम्बर नहीं है, यह अन्तःकरण का उद्गार है। मूक मन की अनुभूतियों को अपने साहित्यिक क्षेत्र में अभिव्यक्त करने के लिए लेखक अपने अन्तःकरण में विद्यमान ज्योति को प्रज्ज्वलित कर चरम शिखर पर पहुँचाते हुए अपने सांसारिक स्वरूप को साहित्यिक आवरण पहनाकर लेखन में स्थान देता है। साहित्य में अभिव्यक्ति के विविध रूपों में मानव जीवन के सर्वाधिक निकट मानी जाने वाली विधा "आत्मकथा" है। आत्मकथा में रचनाकार अपने संपूर्ण जीवन के किसी अंश अथवा घटना का क्रमबद्ध वर्णन प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में कल्पनाप्रवणता और रागपरक वैयक्त्तिक अनुभूति का प्राधान्य होता है। हिन्दी साहित्य के देदीप्यमान आत्मकथाकार डॉ. हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा हिन्दी-साहित्य की एक कालजयी कृति है। उन्होंने अपने जीवन की तस्वीर को ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ‘, ‘नीड़ का निर्माण फिर‘, ‘बसेरे से दूर‘ एवं ‘दशद्वार से सोपान तक में‘ रूपान्तरित किया है। यह बहुप्रशंसित आत्मकथा एक महागाथा है जो उनके जीवन और साहित्य का वृत्तान्त ही नहीं कहती अपितु उत्तर छायावादी युग के साहित्यिक परिदृश्य को भी प्रस्तुत करती है। बच्चन का काल के अनुरूप तथा विभिन्न परिस्थितियों में रहते हुए अपने आपको सहृदयों के समक्ष प्रस्तुत करना और विभिन्न मानसिकताओं के दौर से गुज़रते हुए आत्मविवरण को प्रस्तुत किया गया है। बच्चन की बाल्यावस्था का अबोधपन, युवामन का आकर्षण, प्रेमानुभूति, स्त्री-पुरुष सम्बन्धों, पारिवारिक सम्बन्धों तथा स्वानुभूतियों से सम्बन्धित अनेक प्रसंगों का अत्यन्त स्वाभाविक चित्रण बड़ी सहजता और तन्मयता के साथ किया गया है। बच्चन द्वारा उम्र के विभिन्न पड़ावों में अलग-अलग रूपों मे सोचना जैसे - बालरूप, युवारूप और प्रौढ़ रूप एवं वृद्ध रूप इत्याद...

25+ harivansh rai bachchan poems in Hindi

नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना उसे ना अखरता है। आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती| डुबकियां सिंधु में गोताखोरलगाता है,जा जाकर खाली हाथ लौट कर आता है। मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में। मुट्ठी उसकी खाली हर बारनहीं होती, कोशिश करने वालों कीकभी हार नहीं होती। असफलता एक चुनौती है,इसे स्वीकार करो,क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। जब तक न सफल हो जाओ, नींद चैन को त्यागो तुम, यूं संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम। कुछ किए बिना ही जयजयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की, कभी हार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। तुम तूफान समझ पाओगे तुम तूफान समझ पाओगे? गीले बादल, पीले रजकण, सूखे पत्ते, रूखे तृण घण लेकर चलता करता हरहर । इसका गान समझ पाओगे? तुम तूफान समझ पाओगे? गंध-भरा यह मंद पवन था, लहराता इससे मधुवन था, सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे? तुम तूफान समझ पाओगे? तोड़-मरोड़ विटप-लतिकाएँ, नोच-खसोट कुसुम-कलिकाएँ, जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे! तुम तूफान समझ पाओगे? अँधेरे का दीपक है अँधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है? कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था, भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था, स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा, स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था, ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है? है अँधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है? बादलों के अश्रु से धोया गया नभ-नील नीलमका बनाया था गया मधु...

हरिवंश राय बच्चन की कवितायेँ

Comments हरिवंश राय बच्चन जी इस देश के जानेमाने कवियों में से एक कवि है इनका पूरा नाम हरिवंश राय श्रीवास्तव “बच्चन” है | इनका जन्म 27 नवम्बर 1907 में इलाहाबाद में हुआ था तथा उनकी मृत्यु 95 साल की उम्र में 18 जनवरी 2003 में मुंबई में हुई थी | इनकी रचना की वजह से इन्हे 1976 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था इसीलिए हम आपको हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखी गयी कुछ बेहतरीन कविताओं के बारे में बताते है जिन कविताओं को पढ़ कर आप इनके बारे में भी जान सकते है | Harivansh Rai Bachchan Poems for Class 8 – हरिवंश राय बच्चन पोयम्स इन हिंदी अगर आप हरिवंश राय बच्चन कविताकोश, आत्मपरिचय, होली, मधुबाला, दोस्ती, harivansh rai bachchan की कविता, हरिवंश राय बच्चन जी की कविता, हरिवंश राय बच्चन कविता agneepath, हरिवंश राय बच्चन के कविता, हरिवंश राय बच्चन कविता संग्रह, हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता, हरिवंश राय बच्चन की एक कविता के बारे में जानना चाहे तो यहाँ से जान सकते है : अकेलेपन का बल पहचान। शब्द कहाँ जो तुझको, टोके, हाथ कहाँ जो तुझको रोके, राह वही है, दिशा वही, तू करे जिधर प्रस्थान। अकेलेपन का बल पहचान। जब तू चाहे तब मुस्काए, जब चाहे तब अश्रु बहाए, राग वही है तू जिसमें गाना चाहे अपना गान। अकेलेपन का बल पहचान। तन-मन अपना, जीवन अपना, अपना ही जीवन का सपना, जहाँ और जब चाहे कर दे तू सब कुछ बलिदान। अकेलेपन का बल पहचान। हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता अब वे मेरे गान कहाँ हैं! टूट गई मरकत की प्याली, लुप्त हुई मदिरा की लाली, मेरा व्याकुल मन बहलानेवाले अब सामान कहाँ हैं! अब वे मेरे गान कहाँ हैं! जगती के नीरस मरुथल पर, हँसता था मैं जिनके बल पर, चिर वसंत-सेवित सपनों के मेरे वे उद्यान कहा हैं...