इश्क की दास्तान आगमन

  1. दास्तान शब्द के अर्थ
  2. इश्क की सदियों से जारी कहानियों का दस्तावेज है 'हजार दास्तान
  3. दास्तान इश्क की
  4. इश्क़ पर ख़ूबसूरत शेर इश्क़ पर बेहतरीन शेर का संकलन
  5. दास्तान इश्क की
  6. इश्क़ पर ख़ूबसूरत शेर इश्क़ पर बेहतरीन शेर का संकलन
  7. दास्तान शब्द के अर्थ
  8. इश्क की सदियों से जारी कहानियों का दस्तावेज है 'हजार दास्तान


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दास्तान शब्द के अर्थ

रेख़्ता डिक्शनरी उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए रेख़्ता फ़ाउंडेशन की एक महत्त्वपूर्ण पहल है। रेख़्ता डिक्शनरी की टीम इस डिक्शनरी के उपयोग को और सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नरत है। कृपया रेख़्ता डिक्शनरी को संसार का सर्वश्रेष्ठ त्रिभाषी शब्दकोश बनाने के लिए हमें सहयोग कीजिए। दानकर्ता द्वारा दी गई योगदान-राशि भारतीय अधिनियम की धारा 80G के तहत कर-छूट के अधीन होगी।

इश्क की सदियों से जारी कहानियों का दस्तावेज है 'हजार दास्तान

मैनपुरी में 8 साल का बच्चा नानी को बता रहा पत्नी, पूर्वजन्म का किया जा रहा दावा Book Review: उर्दू भाषा और साहित्य को देवनागरी में प्रस्तुत करके इसे तमाम हिन्दुस्तानियों तक पहुंचाने वाले ‘रेख़्ता फाउंडेशन’ के प्रमुख संजीव सराफ़ का संकलन हज़ार दास्तान-ए-इश्क अब हिंदी में उपलब्ध है. यह किताब पहले ‘लॉन्ग लॉन्गिंग लॉस’ (Long Longing Loss) नाम से अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी. अब इसका हिंदी तर्जुमा बाजार में है. शेर-शायरी और ग़ज़लों से मोहब्बत करने वाले लोगों के लिए यह पुस्तक एक नायाब तोहफा है. सही मायनों में इस किताब में आपको इनके नाम के मुताबिक इश्क की हजार दास्तान पढ़ने को मिलेंगी. शेरो-शायरी की दुनिया में संजीव सराफ़ का यह एकदम अनूठा प्रयोग है. मोहब्बत शुरू होने से लेकर परवान चढ़ने तक इसके हज़ारों रूप समाने आते हैं. मोहब्बत के इन तमाम रूपों पर हमारे शायरों ने अपने-अपने समय में अपनी-अपनी तरह से पेश किया है. मोहब्बत के इन रूपों पर किताब की भूमिका में संजीव लिखते हैं- “मैं भी मोहब्बत की आग का ईंधन रहा हूं. मोहब्बत से जुड़े सारे हालात- चाहत, शादी, अलगाव और बेगानगी, मुझ पर भी गुजरे हैं, जिन्होंने मुझे खूब तोड़ा-फोड़ा है और इसीलिए मेरी तबीअत इश्किया शायरी के जज्बात और संवेदनात्मक कोमलता के अनुरूप हो गए है.” यहां ध्यान देने वाली बात है कि संजीव साफ-साफ लिखते हैं- “ मेरी तबीअत इश्किया शायरी के जज्बात और संवेदनात्मक कोमलता के अनुरूप हो गए है.” यानी जो इश्क-मोहब्बत की आग में तपा वह और अधिक संवेदनशील और कोमल हो गया. यही इश्क का असर है. प्रवासी साहित्य के माध्यम से पूरी दुनिया हिंदी बोल रही है, हम घर बैठे दुनिया घूम रहे हैं- राहुल देव किताब में संजीव सराफ़ ने इश्क की शायरी के कलेक्शन के...

दास्तान इश्क की

जब जब देखा अपनी आंखों में मुझे खुद से इश्क हुआ है रात की स्याही या दर्द का काजल जाने क्या है फैला हुआ? सांचे में ढला हुआ बदन मेरा अंग अंग में है विरह की पीड़ा शोक से सजा हुस्न मेरा इस हुस्न से जो इश्क हुआ मुझे खुद से इश्क हुआ । टूटी चूड़ियां कांच की कलाई मेरी सजाने लगी रंगने लगी हथेली मेरी जाने किसका नाम हिना लिख गई? सिसकियां मेरे टूटे मन की झंकार पाजेब की बन गई झंकार ये संगीत बना दर्द मेरा एक गीत बना इस दर्द से जो इश्क हुआ मुझे खुदसे इश्क हुआ । मसले हुए अरमान मेरे लहूलुहान है ख्वाब मेरे रंग लाल हुआ मेरी चुनर का श्रृंगार है यह नई दुल्हन का देखा जो मैंने आईना दुल्हन ये संदली , मन भा गई मैं खुद ही के इश्क में डूब गई। दास्तान हमारे इश्क की और क्या सुनाएं? अपनी कहे या दिल की सुनाए ? कहीं भी आए, कहीं भी जाए दहलीज दिल की न लांघी जाए ना ! बंदिशें ये दिल ने तो लगाई नहीं । ये तो इश्क है हमारा , जीने जो देता नहीं मरने की भी इजाजत है नहीं । तड़प बनी सुकून मेरा इस सुकून से जो इश्क हुआ मुझे खुद से इश्क हुआ । रचना - तुलिका दास #इश्क

इश्क़ पर ख़ूबसूरत शेर इश्क़ पर बेहतरीन शेर का संकलन

इश्क़ पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से इश्क़ में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें इश्क़ के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और इश्क़ करने वालों के बीच साझा कीजिए.

दास्तान इश्क की

जब जब देखा अपनी आंखों में मुझे खुद से इश्क हुआ है रात की स्याही या दर्द का काजल जाने क्या है फैला हुआ? सांचे में ढला हुआ बदन मेरा अंग अंग में है विरह की पीड़ा शोक से सजा हुस्न मेरा इस हुस्न से जो इश्क हुआ मुझे खुद से इश्क हुआ । टूटी चूड़ियां कांच की कलाई मेरी सजाने लगी रंगने लगी हथेली मेरी जाने किसका नाम हिना लिख गई? सिसकियां मेरे टूटे मन की झंकार पाजेब की बन गई झंकार ये संगीत बना दर्द मेरा एक गीत बना इस दर्द से जो इश्क हुआ मुझे खुदसे इश्क हुआ । मसले हुए अरमान मेरे लहूलुहान है ख्वाब मेरे रंग लाल हुआ मेरी चुनर का श्रृंगार है यह नई दुल्हन का देखा जो मैंने आईना दुल्हन ये संदली , मन भा गई मैं खुद ही के इश्क में डूब गई। दास्तान हमारे इश्क की और क्या सुनाएं? अपनी कहे या दिल की सुनाए ? कहीं भी आए, कहीं भी जाए दहलीज दिल की न लांघी जाए ना ! बंदिशें ये दिल ने तो लगाई नहीं । ये तो इश्क है हमारा , जीने जो देता नहीं मरने की भी इजाजत है नहीं । तड़प बनी सुकून मेरा इस सुकून से जो इश्क हुआ मुझे खुद से इश्क हुआ । रचना - तुलिका दास #इश्क

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इश्क़ पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से इश्क़ में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें इश्क़ के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और इश्क़ करने वालों के बीच साझा कीजिए.

दास्तान शब्द के अर्थ

रेख़्ता डिक्शनरी उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए रेख़्ता फ़ाउंडेशन की एक महत्त्वपूर्ण पहल है। रेख़्ता डिक्शनरी की टीम इस डिक्शनरी के उपयोग को और सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नरत है। कृपया रेख़्ता डिक्शनरी को संसार का सर्वश्रेष्ठ त्रिभाषी शब्दकोश बनाने के लिए हमें सहयोग कीजिए। दानकर्ता द्वारा दी गई योगदान-राशि भारतीय अधिनियम की धारा 80G के तहत कर-छूट के अधीन होगी।

इश्क की सदियों से जारी कहानियों का दस्तावेज है 'हजार दास्तान

मुजफ्फरनगर: देवर को दिल दिया और पति को मौत...रिश्ते की कत्ल की ये कहानी दहला देगी Book Review: उर्दू भाषा और साहित्य को देवनागरी में प्रस्तुत करके इसे तमाम हिन्दुस्तानियों तक पहुंचाने वाले ‘रेख़्ता फाउंडेशन’ के प्रमुख संजीव सराफ़ का संकलन हज़ार दास्तान-ए-इश्क अब हिंदी में उपलब्ध है. यह किताब पहले ‘लॉन्ग लॉन्गिंग लॉस’ (Long Longing Loss) नाम से अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी. अब इसका हिंदी तर्जुमा बाजार में है. शेर-शायरी और ग़ज़लों से मोहब्बत करने वाले लोगों के लिए यह पुस्तक एक नायाब तोहफा है. सही मायनों में इस किताब में आपको इनके नाम के मुताबिक इश्क की हजार दास्तान पढ़ने को मिलेंगी. शेरो-शायरी की दुनिया में संजीव सराफ़ का यह एकदम अनूठा प्रयोग है. मोहब्बत शुरू होने से लेकर परवान चढ़ने तक इसके हज़ारों रूप समाने आते हैं. मोहब्बत के इन तमाम रूपों पर हमारे शायरों ने अपने-अपने समय में अपनी-अपनी तरह से पेश किया है. मोहब्बत के इन रूपों पर किताब की भूमिका में संजीव लिखते हैं- “मैं भी मोहब्बत की आग का ईंधन रहा हूं. मोहब्बत से जुड़े सारे हालात- चाहत, शादी, अलगाव और बेगानगी, मुझ पर भी गुजरे हैं, जिन्होंने मुझे खूब तोड़ा-फोड़ा है और इसीलिए मेरी तबीअत इश्किया शायरी के जज्बात और संवेदनात्मक कोमलता के अनुरूप हो गए है.” यहां ध्यान देने वाली बात है कि संजीव साफ-साफ लिखते हैं- “ मेरी तबीअत इश्किया शायरी के जज्बात और संवेदनात्मक कोमलता के अनुरूप हो गए है.” यानी जो इश्क-मोहब्बत की आग में तपा वह और अधिक संवेदनशील और कोमल हो गया. यही इश्क का असर है. प्रवासी साहित्य के माध्यम से पूरी दुनिया हिंदी बोल रही है, हम घर बैठे दुनिया घूम रहे हैं- राहुल देव किताब में संजीव सराफ़ ने इश्क की शायरी के कलेक्शन ...