इस्लामिया करीमिया कॉलेज

  1. Rahat Indori Death Anniversary: राहत इंदौरी इस सदी के सबसे बड़े शायर क्यों कहें जाते हैं? आइए जानते है राहत इंदौरी से जुड़ी कुछ बातें
  2. राहत इंदौरी
  3. मशहूर शायर और गीतकार के साथ प्रसिद्ध चित्रकार भी थे राहत इंदौरी
  4. जुने पलासिया इंदूर
  5. 12th बायो के बाद क्या करें जानिए कम्पलीट गाइड
  6. मशहूर शायर और गीतकार के साथ प्रसिद्ध चित्रकार भी थे राहत इंदौरी
  7. rahat indori profile and his best shayri and songs
  8. rahat indori full life story rahat indoro passed away


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Rahat Indori Death Anniversary: राहत इंदौरी इस सदी के सबसे बड़े शायर क्यों कहें जाते हैं? आइए जानते है राहत इंदौरी से जुड़ी कुछ बातें

Rahat Indori Death Anniversary:डॉ. राहत इंदौरी 21वीं सदी के सबसे महान और सबसे मकबूल शायरों में शुमार हैं, इनके लिखें शेर सड़क से लेकर संसद तक में पढ़ा जाता हैं। राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था। राहत बचपन से ही पढ़ने लिखने में बहुत शौकीन थे, राहत इंदौरी का असली नाम राहत कुरैशी था इनके पिता नाम रफतुल्लाह कुरैशीथा और इनकी मां का नाम मकबूल उन निशा बेगम था। राहत साहब ने 1973 में इस्लामिया करीमिया इंदौर से स्नातक की डिग्री हासिल की और उसके बाद 1975 में बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से ऊर्दू साहित्य से एम.ए किया उसके बाद इन्होंने ने मध्य प्रदेश के भोजमुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में PHD की डिग्री हासिल की। राहत इंदौरी फुटबॉल और हांकी टीम के कैप्टन भी थे। साहब ने अपना छाप छोड़ दिया हैं राहत इंदौरी ने जब मुशायरे में शिरकत करने लगे तो इन्हे पहचान बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा और इसके शेर को सुन कर हर कोई अपने मुशायरे में बुलाने लगा। राहत साहब ने अपने जीवन में इन देशों में कई बार मुशायरा पढ़ने गए थे जैसे, दुबई, अमेरिका, सऊदी अरब, अमीरात, पाकिस्तान , बांग्लादेश, नेपाल, कुवैत, बहरीन, मॉरिशस, कनाडा, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया, कतर, ब्रिटेन, इंग्लैंड जैसे देशों में राहत साहब कई बार अपने गजलें, नज्में और शेर पढ़ने गए थे। इन सभी देशों के लोग राहत साहब के आज भी बहुत बड़े फैन हैं। राहत इंदौरी को कई बड़े अवॉर्ड से नवाजा गया था। कोरोना होने की वजह से राहत साहब इस दुनियां को अलविदा कह दिया था 2020 में जब पूरा देश कोरोना जैसी बीमारी से जूझ रहा था लाखों लोग अपनी जान गवां दिया था इसी बीच राहत साहब को भी 10 अगस्त को कोरोना हो गया था और 11 अगस्त को इस दुनियां को अलविदा कह दि...

राहत इंदौरी

राहत इंदौरी जनम राहत कुरैशी ( 1950-01-01) जनवरी 1, 1950 (उमिर73) निधन 11 अगस्त 2020 ( 2020-08-11) (उमिर70) पेशा उर्दू शायर, गीतकार राष्ट्रियता नागरिकता शिक्षा बिधा जीवनसाथी सीमा रहत आ अंजुम रहबर संतान शिबली, फैसल, सतलज राहत क़ुरैशी (1 जनवरी 1950— 11 अगस्त 2020), जे आपन कलमनाँव राहत इंदौरी से जानल जाँय, एगो भारतीय शायर आ हिंदी फिल्मन के गीतकार रहन। प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा [ ] राहत क जनम 1 जनवरी 1950 के उर्दू मुख्य मुशायरा नामक उनकर थीसिस ह जेकरे खातिर उनके सम्मानित भी कयल गयल। प्रगति [ ] राहत इंदौरी अपने शुरुआती दिनन में इंद्रकुमार कॉलेज, निधन [ ] 10 अगस्त 2020 के उ कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक पावल गइनअ। फिर उनके रचना [ ] किताब संदर्भ. रूत दो कदर और साही मेरे बाद धूप बहुत है चांद पागल है मौज़ूद नाराज़ संदर्भ [ ] • मिश्रा, अम्ब्रीश. इंडिया टुडे (अंग्रेजी में) . Retrieved 2020-08-13. • बीबीसी हिंदी (हिंदी में). 2020-08-11 . Retrieved 2020-08-13. • www.bharatdarshan.co.nz. • . Retrieved 27 मार्च 2014. • द इकोनोमिक टाइम्स (अंग्रेजी में) . Retrieved 2020-08-13. • . Retrieved 31 जुलाई 2016. • दैनिक जागरण (हिंदी में) . Retrieved 2020-08-12. • दैनिक भास्कर (हिंदी में). 11 अगस्त 2020. • . Retrieved 11 अगस्त 2020. • तिवाड़ी, तरुण (11 अगस्त 2020). . Retrieved 11 अगस्त 2020. • . Retrieved 11 अगस्त 2020. • . Retrieved 16 अगस्त 2020. • जांगड़ा, विकास. ". Amar Ujala (हिंदी में) . Retrieved 16 अगस्त 2020. • PTI (8 मई 2019). National Herald (अंग्रेजी में) . Retrieved 16 अगस्त 2020. • The Pioneer (अंग्रेजी में). 19 जनवरी 2019 . Retrieved 16 अगस्त 2020. • IANS (16 नवंबर 2016). NDTVIndia (ह...

मशहूर शायर और गीतकार के साथ प्रसिद्ध चित्रकार भी थे राहत इंदौरी

मैं बच भी जाता तो इक रोज मरने वाला था’। शायर राहत इंदौरी आज हमारे बीच नहीं रहे, दुनिया भर में मशहूर शायर राहत इंदौरी का आज 11 अगस्त 2020 को 70 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और अपने लाखों चाहने वालों को आज अचानक वह अलविदा कह गए। देश के हर दिल अजीज मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब का पूरा नाम प्रारंभिक शिक्षा राहत साहब की इंदौर के नूतन स्कूल में हुई फिर इस्लामिया करीमिया कॉलेज राहत इंदौरी ने दो शादियां कीं उनकी पत्नियां अंजुम रहबर और सीमा राहत हैं तथा बेटों के नाम फैसल राहत, सतलज़ राहत और बेटी का नाम शिब्ली है। कविताओं और शायरियां लिखने का शौक रखने वाले राहत इंदौरी शुरूआती दौर में अपने दोस्तों को शायरियां लिखकर सुनाया करते थे। एक बार इंदौर के एक मुशायरे में बड़े-बड़े शायर आए थे, राहत इंदौरी भी इस मुशायरे में श्रोता के रूप में मौजूद थे, वहां वे एक बड़े शायर के पास डरते-डरते पहुंचे, उनसे ऑटोग्राफ मांगा और पूछा कि सर, मैं भी शायर बनना चाहता हूं, मुझे क्या करना होगा। उस बड़े शायर ने जवाब दिया कि पहले तो आप 5 हजार शेर याद कीजिए फिर शायर बनने की दिशा में आगे बढ़ना। राहत इंदौरी ने कहा- बस इतना ही, मुझे तो इससे भी ज्यादा शेर जब़ानी याद हैं। शायर ने कहा तो देर किस बात की शुरू हो जाइए। बस फिर क्या था राहत ने भी शायरी शुरू कर दी और शायरी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। राहत इंदौरी की शायरी की एक खास शैली थी। रोजा तो नहीं रखता मगर अफ्तारी समझता है, जैसे मशहूर शेर लिखने वाले राहत इंदौरी ने 19 वर्ष की उम्र में 1972 में, इंदौर में अपनी पहली कविता को सार्वजनिक रूप से पढ़ा, उसके बाद वे लगातार लगभग पांच दशक तक कवि सम्मेलनों में अपनी शायरी से अपने प्रशंसकों के बीच वाहवाही बटोरते रह...

जुने पलासिया इंदूर

मध्य प्रदेश हे देशातील सर्वात जुन्या राज्यांपैकी एक आहे. याला वैविध्यपूर्ण संस्कृती, समृद्ध वारसा आणि गौरवशाली इतिहास आहे. भोपाळ हे मध्य प्रदेशची राजधानी असले तरी इंदूर हे मध्य प्रदेशातील सर्वात मोठे शहर आहे. पलासिया हे एक लोकप्रिय ठिकाण आहे जे आग्रा-मुंबई मार्गावर धोरणात्मकदृष्ट्या स्थित आहे. जुना राष्ट्रीय महामार्ग 3, ज्याला AB रोड असेही म्हणतात, पलासिया शहराचे जुने पलासिया आणि नवीन पलासियामध्ये विभाजन करते. ओल्ड पलासिया हे मध्य प्रदेशातील सर्वात मोठे शहर - इंदूरमधील एक वेगाने वाढणारी टाउनशिप आहे. जुने पलासिया अलिकडच्या वर्षांत व्यावसायिक तसेच निवासी स्थावर मालमत्तेची भरभराट अनुभवत आहे. जुन्या पलासियाच्या मोक्याच्या स्थानाने त्याच्या विकासात मोठी भूमिका बजावली आहे. रेल्वे आणि हवाई कनेक्टिव्हिटीसह उत्तम रस्ते पायाभूत सुविधा या शहराच्या विकासाला चालना देत आहेत. या ब्लॉगमध्ये आम्ही रिअल इस्टेट परिस्थिती, आगामी प्रकल्प आणि जुन्या पलासियाच्या जवळपासच्या आकर्षणांवर एक नजर टाकू. तसेच वाचा: • अनेक रिअल इस्टेट विकासकांनी त्यांचे प्रकल्प ओल्ड पलासिया, इंदूर येथे सुरू केले आहेत. • हा परिसर उर्वरित शहराशी उत्तम कनेक्टिव्हिटी प्रदान करतो. • ओल्ड पलासिया हे 3 BHK निवासी मालमत्ता देते. • मालमत्तेसाठी पुनर्विक्रीचे पर्याय देखील उपलब्ध आहेत. • खजराना मेन रोड या लोकलच्या शेजारी आहे जो ईस्टर्न रिंग रोडला सहज कनेक्टिव्हिटी देतो. • इंदूर जंक्शन रेल्वे स्टेशन येथून सुमारे 4 किमी अंतरावर आहे. • इस्लामिया करीमिया कॉलेज, सेंट उमर आणि आदर्श शिशु विहार उच्च माध्यमिक शाळा, युरेका, मेडिकेअर आणि क्युरवेल रुग्णालये 2 किमीच्या परिघात आहेत. जुन्या पलासिया, इंदूरमधील मालमत्तेची किंमत श्रेणी ओल्ड पलासिया ...

12th बायो के बाद क्या करें जानिए कम्पलीट गाइड

मेडिकल की पढ़ाई छात्र देश की प्राइवेट और सरकारी यूनिवर्सिटीज से कर सकते हैं। मेडिकल की पढ़ाई छात्र सिर्फ भारत से नहीं बल्कि विदेश से भी कर सकते हैं। 12वीं बायो कर रहे या कर चुके छात्रों को अक्सर यह रहता है कि बायो लेके सिर्फ एमबीबीएस ही कर सकते हैं, जबकि ऐसे कई विकल्प हैं जिन्हें छात्र चुन सकते हैं। 12वीं बायो के बाद छात्र नर्सिंग, बी फार्मा, एमबीबीएस आदि कर सकते हैं। आइए इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं कि 12th बायो के बाद क्या करें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • 12th बायो के बाद क्या करें? बहुत सारे छात्रों के मन मे यह ख्याल आता है कि अगरउन्होंने बायोलॉजी ली है तो वह सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर ही बन सकते हैं। एमबीबीएस डॉक्टर बनने की यह सोच एक बहुत अच्छा सोच है। लेकिन बहुत सारे विद्यार्थी पैसे के अभाव मे या किसी दूसरे कारण से अपना यह सपना पुरा नही कर पाते हैं और उदास हो जाते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही है। क्योंकि आपके लिए बहुत सारे अच्छे कोर्स हैं जिसे आप चुन सकते हैं। नर्सिंग कोर्स नर्सिंग कोर्स में यह सिखाया जाता है कि मरीज के साथ कैसे पेश आना है? डॉक्टर की सहायता करना आदि।नर्स बनने के लिए आप बीएससी नर्सिंग कोर्स, जीएनएम, एएनएम कोर्स कर सकते हैं। शुरुआत में नर्स का वेतन 20 से ₹25000 होता है। अनुभव के साथ आपकी सैनर्सिंग कोर्सरी बढ़ती है। बी फार्मा (बैचलर ऑफ फार्मेसी) बी फार्मा कोर्स के अंतर्गत दवाइयों और औषधियों के बारे में जानकारी दी जाती है। इस कोर्स में विभिन्न प्रकार की बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों के बारे में बताया जाता है। इस कोर्स को करने के बाद आप खुद का मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं। इ...

मशहूर शायर और गीतकार के साथ प्रसिद्ध चित्रकार भी थे राहत इंदौरी

प्रारंभिक शिक्षा राहत साहब की इंदौर के नूतन स्कूल में हुई फिर इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से इन्होंने 1973 में स्नातक और 1975 में भोपाल के बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। ‘ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था मैं बच भी जाता तो इक रोज मरने वाला था’। शायर राहत इंदौरी आज हमारे बीच नहीं रहे, दुनिया भर में मशहूर शायर राहत इंदौरी का आज 11 अगस्त 2020 को 70 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और अपने लाखों चाहने वालों को आज अचानक वह अलविदा कह गए। देश के हर दिल अजीज मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब का पूरा नाम राहत उल्ला कुरैशी था, गीत-गजल और शायरी की दुनिया में उन्हे‘राहत इंदौरी’ के नाम से जाना गया। राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था, इनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी था जो एक कपड़ा मिल में कर्मचारी थे, इनकी माता का नाम मकबूल उन्निसा बेगम था। शेरो-शायरी में बेतहाशा शोहरत हासिल करने वाले राहत इंदौरी बचपन से ही चित्रकारी में भी रूचि रखते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से महज 10 साल की उम्र में राहत साहब ने एक साइन-चित्रकार के रूप में प्रोफेशनल कार्य किया और थोड़े ही समय में वे इंदौर के नामी साइनबोर्ड चित्रकार के रूप में जाने गए। साइनबोर्ड चित्रकारी के अलावा राहत इंदौरी ने पुस्तकों के कवर डिजाइन और बॉलीवुड फिल्मों के पोस्टर और बैनर भी बनाए। प्रारंभिक शिक्षा राहत साहब की इंदौर के नूतन स्कूल में हुई फिर इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से इन्होंने 1973 में स्नातक और 1975 में भोपाल के बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। पढ़ाई में उनकी योग्यता स...

rahat indori profile and his best shayri and songs

इंदौर: मशहूर शायर और उर्दू के हस्ताक्षर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. राहत की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद उन्हें अरबिंदो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने हॉस्पिटल में भर्ती होते वक्त कोरोना पॉजिटिव होने की खबर ट्वीट की थी. मुफ़लिसी में गुज़रा बचपन,बड़े हुए तो दिलों पर राज़ किया... राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था. उनका बचपन का नाम कामिल था जो बाद में राहतउल्ला कुरैशी हुआ लेकिन दुनिया में पहचान डॉ. राहत इंदौरी के नाम मिली. उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी जो कपड़ा मिल के कर्मचारी थे, उनकी माता का नाम मकबूल उन्निसा बेगम था. राहत दो बार शादी की. उनकी पत्नियों के नाम अंजुम रहबर (1988-1993), सीमा राहत है. उनके बेटों का नाम फ़ैसल राहत, सतलज़ राहत और उनकी बेटी का नाम शिब्ली इरफ़ान है. राहत की प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई. उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया. इसके बाद 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. राहत इंदौरी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं. उन्होने महज 19 वर्ष की उम्र में उन्होने शेर पेश करने शुरू कर दिये थे. देश- विदेश में उनकी शायरी के बहुत से मुरीद हैं. राहत इंदौरी ने सियासत और मोहब्बत दोनों पर बराबर हक़ और रवानगी के साथ शेर कहे. राहत मुशायरों में एक खास अंदाज़ में ग़म-ए-जाना (प्रेमिका के लिए) के शेर कहने के लिए जाने जाते हैं. उनका उर्दू में किया गया रिसर्च वर्क ...

rahat indori full life story rahat indoro passed away

नई दिल्ली: मशहूर शायर राहत इंदौरी का आज दिल का दौरा पड़ने से इंतेकाल हो गया है. मंगल की सुबह उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी थी कि उनकी रिपोर्ट कोरना पॉज़िटिव आई है. राहत इंदौरी अपने बेबाक अदांज़ और बेहतरीन शायरी के लिए पूरी दुनिया जाने जाते रहे हैं. वो हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी अदबी दुनिया के लिए एक मिसाल रहे हैं. राहत इंदौरी की मौत अदबी दुनिया के लिए कभी न भरने वाला ज़ख्म साबित होगा. तो आइए उनके यौमे विलादत पर उनकी ज़िंदगी के कुछ अहम पहलुओं पर नज़र डालते हैं. राहत इंदौरी की यौमे पैदाईश 1 जनवरी 1950 को हुई थी. उनका बचपन का नाम कामिल था जो बाद में राहतउल्ला कुरैशी हुआ लेकिन दुनिया में पहचान डॉ. राहत इंदौरी के नाम मिली. उनके वालिद का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी था जो एक कपड़ा मिल में काम करते थे और उनकी मां का नाम मकबूल-उन-निसा बेगम था. राहत इंदौरी अपने मां-बाप की चौथी औलाद थे. उनकी इब्तेदाई तालीम नूतन स्कूल इंदौर में हुई था. उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी ग्रेजुएट की पढ़ाई मुकम्मल की और 1975 में बरकतउल्लाह यूनिवर्सिटी भोपाल से उर्दू लिट्रेचर में एमए किया. उसके बाद 1985 में मध्य प्रदेश की मध्य प्रदेश भोज मुक्त यूनिवर्सिटी से उर्दू लिट्रेचर में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. राहत इंदौरी ने शुरुआती दौर में इंद्रकुमार कॉलेज, इंदौर में उर्दू लिट्रेचर पढ़ाना शुरू किया. फिर बीच में वो मुशायरों में मसरूफ हो गए और पूरे हिंदुस्तान समेत बौरूने मुल्क से दावत मिलनी शुरू हो गई. उनके पास बेमिसाल काबिलियत, सख्त लगन और लफ्ज़ों की जादूगरी थी. जिसकी बदौलत वे बहुत जल्दी व बहुत अच्छी तरह से अवाम के दरमियान मकबूल हो गए. वो इतने मकबूल हो गए कि उन्होंने कई फिल्मों के लिए गीत ...