जाता

  1. जाना
  2. वर्ण विचार, परिभाषा, भेद और उदाहरण
  3. प्रत्यय
  4. संस्कृत शब्दकोश
  5. Patra Lekhan in Hindi
  6. Fefde Kamjor Hone Ke Karan Weak Lungs Causes Factors For Lung Disease


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जाना

Undeclined Stem jā Infinitive जाना jānā Oblique Infinitive jāne Conjunctive jākar, jāke Progressive jāte-jāte Participles dir m s m p obl m s f s f p Infinitive जाना jānā jāne jānī jānī̃ Habitual jātā jāte jātī jātī̃ Perfective 3 gayā, jāyā 3 1, 2,3 gae 1, jāye 2,3 1, 2,3 gaī 1, jāyī 2,3 1, 2,3 gaī̃ 1, jāyī̃ 2,3 Prospective Agentive jānevālā jānevāle jānevālī jānevālī̃ Adjectival Perfective gayā huā 1 gae hue 1 1 gaī huī 1 1 gaī huī̃ 1 Habitual jātā huā jāte hue jātī huī jātī huī̃ 1The participles ( gaye ), ( gayī ) and ( gayī̃ ) can also be spelled without the y: ( gae ), ( gaī ) and ( gaī̃ ). 2The participles ( jāye ), ( jāyī ) and ( jāyī̃ ) can also be spelled without the y: ( jāe ), ( jāī ) and ( jāī̃ ). 3Only with the copula जाना ( jānā ) and (in the habitual aspect only) with the auxiliary verb ( karnā ). Non-Aspectual Singular Plural 1 st 2 nd 3 rd 2 nd 1 st 3 rd, 2 nd Indicative PERF m gayā 1 gae 1 f 1 gaī 1 1 gaī̃ 1 FUT m jāūṅgā 4 jāyegā 4 jāoge 4 jāyeṅge 4 f jāūṅgī 4 jāyegī 4 jāogī 4 jāyeṅgī 4 Subjunctive FUT m f jāū̃ 2 jāye 2 jāo 2 jāyẽ 2 Contrafactual PST m jātā jāte f jātī jātī̃ Imperative PRS m f jā jāo 3 jāiye 3 FUT m f jāiyo जाना jānā 3 jāiyegā 3 Habitual Aspect Indicative PRS m jātā hū̃ jātā hai jāte ho jāte ha͠i f jātī hū̃ jātī hai jātī ho jātī ha͠i PST m jātā thā jāte the f jātī thī jātī thī̃ Presumptive PRS PST m jātā hūṅgā jātā hogā jāte hoge jāte hoṅge f jātī hūṅgī jātī hogī jātī hogī jātī hoṅgī Subjunctive PRS m jātā hū̃ jātā ho jāte ho jāte hõ f jāt...

वर्ण विचार, परिभाषा, भेद और उदाहरण

बोर्ड परीक्षा में हाई स्कोर करें: हमारे SuccessCDs कक्षा 10 हिंदी कोर्स के साथ! Click here Varn Vichar in Hindi Grammar, Types of Varn Vichar, Varn Vichar Examples – वर्ण विचार की परिभाषा, वर्ण विचार के भेद और उदाहरण Varn Vichar in Hindi Grammar : वर्ण विचार - इस लेख में हम वर्ण विचार की परिभाष, वर्ण विचार कितने प्रसार के होते हैं तथा उनका उचरण के आधार पर कितना भागो में भाटा गया है को विस्तार - पूर्वक जानेंगे | • • • • • Top परिभाषा : बोलते समय हम जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं वही ध्वनियाँ वर्ण या अक्षर कहलाती हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते। इसका एक उदाहरण देखते हैं - राम पत्र लिखता है। इस वाक्य के खंड किए जा सकते हैं। इसमें चार शब्द प्रयुक्त हैं- “राम” “पत्र” “लिखता” तथा “है”। इन ध्वनियों को और अलग-अलग करके देखिए : राम - र् + आ + म् + अ पत्र - प् + अ + त् + र् + अ लिखता - ल् + इ + ख् + अ + त् + आ है - ह् + ऐ प्रत्येक शब्द के ध्वनि के अनुसार टुकड़े किए गए हैं। इन ध्वनियों तथा वर्णों के और टुकड़े नहीं किए जा सकते। अतः भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई “ध्वनि” तथा इसके लिखित रूप को ‘वर्ण’ कहते हैं; जैसे- क् न् ज् ल् स् आदि। दूसरे शब्दों में “मौखिक ध्वनियों” को व्यक्त करने वाले चिह्न “वर्ण” कहलाते हैं। लिखित भाषा में प्रयुक्त किए जाने वाले वर्ण प्रत्येक भाषा में अलग-अलग होते हैं। हिंदी भाषा में इन वर्णों की कुल संख्या चवालीस (44) है। कहीं - कहीं इन वर्णों की संख्या अड़तालीस (48) भी बताई जाती है। वर्णमाला - वर्णों की माला यानी वर्णमाला। वर्णों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी ...

प्रत्यय

प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Pratyay in Hindi हिंदी व्याकरण में सामान्य रूप से कई सारे ऐसे भेद होते हैं जिनके बारे में हमें जानना अच्छा लगता है और हम निश्चित रूप से ही उनके बारे में जानते हैं। हिंदी व्याकरण के कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम ऊपरी रूप से जानते हैं लेकिन उनकी गहराई को समझ नहीं पाते| प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Pratyay in Hindi ऐसे में कभी-कभी अधूरा ज्ञान हमारे लिए खतरनाक हो जाता है और जिस वजह से हमें कई प्रकार की दिक्कत हो सकती है| ऐसे में आज हम आपको हिंदी व्याकरण के मुख्य प्रत्यय के बारे में जानकारी देंगे जो निश्चित रूप से ही आपके और हमारे काम आएंगे और समय रहते हम इनका उपयोग भी कर सकेंगे| प्रत्यय क्या है? मुख्य रूप से प्रत्यय का इस्तेमाल एक नए शब्द के रूप में भी किया जाता है, जहां पर प्रत्यय उन शब्दों के रूप में जाने जाते हैं, जो किसी दूसरे शब्द के अंत में जुड़ने से बनते हैं। जब भी कोई नया शब्द बनता है, तो अंत में एक परिवर्तन नजर आता है और जिस में “प्रति’’ का मतलब साथ में और ‘’अय’’ का मतलब चलने वाला होता है| ऐसे में ही निश्चित रूप से ही हमें इन दोनों के संगम से एक नया शब्द मिलता है, जो हम कई बार उपयोग करते आए हैं और ऐसे में हम आपको इसके बारे में भी विस्तृत जानकारी देने वाले हैं| प्रत्यय के भेद जब भी हम प्रत्यय के बारे में पढ़ते हैं, तो उनके भेद के बारे में सही तरीके से जानकारी हासिल नहीं कर पाते हैं| ऐसे में हम आपको बताने वाले हैं कि प्रत्यय के मुख्य रूप से तीन भेद होते हैं- • संस्कृत प्रत्यय • हिंदी प्रत्यय • विदेशी भाषा प्रत्यय इन सब के बारे में हम आपको जानकारी एक-एक करके देते जाएंगे ताकि आपको किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो, इन प्रत्यय को ...

संस्कृत शब्दकोश

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 संस्कृत कोशों की टीकाएँ और उनका महत्त्व • 3 प्राचीन भारतीय कोशों एवं आधुनिक पाश्चात्य कोशों में अन्तर • 4 इन्हें भी देखें • 5 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] • (१) जहाँ तक संस्कृत कोशों का संबंध है, शब्दप्रकृति के अनुसार उसके तीन प्रकारह कहे जा सकते हैं - • शब्दकोश, • लौकिक शब्दकोश, और • उभयात्मक शब्दकोश • (२) वैदिक निघंटुओं की शब्द-संग्रह-पद्धति क्या थी, इसका ठीक ठीक निर्धारण नहीं होता। पर उपलब्ध नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात चारों प्रकार के शब्दों का संग्रह रहा होगा। परंतु उनका संबंध मुख्य और विरल शब्दों से रहता था और कदाचित् • (३) • (४) नामतंत्रात्मक कोशों की भी दो विधाएँ होती थीं— एक समानार्थक शब्दसूचीकोश (जिसे आज • (५) 'अमरसिंह' के कोशग्रंथ में 'नामतंत्र' और 'लिंगतंत्र' दोनों का समन्वय होने के बाद जहाँ एक ओर कोश उभयनिर्देशक होने लगे वहाँ कुछ कोश 'अमरकोश' के अनुकरण पर ऐसे भी बने जिनमें समानार्थक पर्यायों और अनेकार्थक शब्दों —दोनों विधाओं की अवतारण एकत्र की गई। फिर भी कुछ कोश (अभिधान चिंतामणि और कल्पद्रु आदि) केवल पर्यायवाची भी बने, और कुछ कोश— विश्वप्रकाश, • (६) अमरकोश' की पद्धति पर कुछ कोशों में शब्दों का वर्गीकारण, स्वर्ग, द्योः, दिक्, काल आदि विषयसंबद्ध पदार्थों के आधार पर कांडों, वर्गों, अध्यायों आदि में हुआ और आगे चलकर कुछ में वर्णानुक्रम शब्दयोजना का भी आधार लिया गया। इनमें कभी सप्रमाण शब्दसंकलन भी हुआ। • (७) अनेकार्थकोशों में विशेष रूप से वर्णाक्रमानुसारी शब्दसंकलन-पद्धति स्वीकृत हुई। उसमें भी अंत्यक्षर (अर्थात् अतिम स्वरांत व्यंजन) के आधार पर शब्दसंकलन का क्रम अपनाया गया और थोड़े बहुत कोशों में आदिवर्णानुसारी शब्द-क्रम-योजना भी अपनाई गई। अत्यवर्णान...

Patra Lekhan in Hindi

• ICSE Solutions • ICSE Solutions for Class 10 • ICSE Solutions for Class 9 • ICSE Solutions for Class 8 • ICSE Solutions for Class 7 • ICSE Solutions for Class 6 • Selina Solutions • ML Aggarwal Solutions • ISC & ICSE Papers • ICSE Previous Year Question Papers Class 10 • ISC Previous Year Question Papers • ICSE Specimen Paper 2021-2022 Class 10 Solved • ICSE Specimen Papers 2020 for Class 9 • ISC Specimen Papers 2020 for Class 12 • ISC Specimen Papers 2020 for Class 11 • ICSE Time Table 2020 Class 10 • ISC Time Table 2020 Class 12 • Maths • Merit Batch Learn पत्र-लेखन – Letter-Writing in Hindi पत्र-व्यवहार ऐसा साधन है जो दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संगम भूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ लेखक जेम्स हाडल का कथन सत्य ही है कि “जिस प्रकार कुंजियाँ मंजूषाओं के पत्र लेखन एक कला है जो दो व्यक्तियों के विचारों को साहित्यिक तकनीक में समेट कर प्रस्तुत करती है। पत्र मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल, सहज, लोकप्रिय तथा सशक्त माध्यम से करता है। पत्र के प्रकार पत्र व्यक्ति के सुख-दुःख का सजीव संवाहक होने के साथ यह पत्र-लेखक के व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब भी होता है। निजी जीवन से लेकर व्यापार को बढ़ाने अथवा कार्यालय/संस्थानों में परस्पर सम्पर्क का साधन पत्र ही है। पत्र की इन सभी उपयोगिताओं को देखते हुए पत्रों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है जो निम्नलिखित हैं- • अनौपचारिक पत्र • औपचारिक पत्र पत्र की विशेषताएँ पत्र लेखन एक कला है। पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं- • भाषा की संक्षिप्तता पत्र लेखन में अपने भावों...

Fefde Kamjor Hone Ke Karan Weak Lungs Causes Factors For Lung Disease

Lung problems: आजकल की लाइफस्टाइल में फेफड़े खराब होना काफी आम हो गया है साथ ही फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों की संख्या भी बढ़ रही है. हमारी कुछ आदतों की वजह से लंग्स डिजीज का खतरा बढ़ जाता है. इसमें सिर्फ धूम्रपान करना ही शामिल नहीं है बल्कि कई और भी कारक हैं जो फेफड़ों को कमजोर बना देते हैं. आज हम आपको उन कारणों के बारे में बता रहे हैं जो किसी के फेफड़ों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं और जल्द फेफड़ों को कमजोर बनाकर बीमारी को जन्म दे सकते हैं. फेफड़ों को खराब करने वाले कारक | what factors can affect your lung यह भी पढ़ें • फेफड़ों में जमा गंदगी को साफ करने के लिए रामबाण हैं ये 5 तरीके, Lungs Detox के साथ स्ट्रॉन्ग भी बनेंगे • धूम्रपान करने वालों की तुलना में ई-सिगरेट यूजर्स के फेफड़ों को होता है ज्यादा नुकसान : अध्ययन • पॉल्यूशन पहुंचा रहा है आपके फेफड़ों को नुकसान! फेफड़ों को डीटॉक्स और हेल्दी बनाने के रामबाण उपाय... लाइफस्टाइल फैक्टर खराब पोषण और लाइफस्टाइल फेफड़ों सहित पूरे शरीर को कमजोर कर सकती है और उन्हें लंग इंफेक्शन के लिए सेंसिटिव बना सकती है. प्रदूषण वायु प्रदूषण, कारखानों से आने वाला धुंआ सांस की तकलीफ, पुरानी खांसी और निगलने में कठिनाई जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है. धूम्रपान धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है. तम्बाकू का सेवन लंग फंक्शनिंग को रिस्ट्रिक्ट करता है और फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकता है. Tips To Boost Fertility: प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए करें ये 7 काम, आज ही छोड़ दें ये आदतें...