Jai maa kalratri in hindi

  1. Maa Kalratri Ki Aarti आज करें मां कालरात्रि के कवच और आरती का पाठ दूर होगा अकाल मृत्यु का भय
  2. Navratri 2020 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi: सप्तमी के दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की अर्चना, जानें पूजा विधि और आरती
  3. Jai Kalratri Maa Hindi


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Maa Kalratri Ki Aarti आज करें मां कालरात्रि के कवच और आरती का पाठ दूर होगा अकाल मृत्यु का भय

Maa Kalratri Ki Aarti: मां दुर्गा के रौद्र रूप काली, भद्रकाली, महाकाली का ही एक स्वरूप मां कालरात्रि हैं। मां कालरात्रि का पूजन नवरात्रि की सप्तमी तिथि को किया जाता है। काली मां को कलियुग में प्रत्यक्ष फल देने वाली देवी माना जाता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि के पूजन से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि काल पर भी विजय प्रदान करती हैं। मां कालरात्रि का विकराल रूप दैत्यों, भूत-प्रेत के नाश के लिए, जबकि वो भक्तों को शुभफल प्रदान करती हैं। इस कारण ही मां को शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि के पूजन में रातरानी के फूल और गुड़ जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी तरह के भय और दुख दूर करती हैं। ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥ रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी। वíजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि। तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥ मां कालरात्रि की आरती - कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली॥ दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥ पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥ खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥ कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥ सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥ रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥ ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥ उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली मां जिसे बचावे॥ तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय॥ डिस्क्लेमर ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर...

Navratri 2020 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi: सप्तमी के दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की अर्चना, जानें पूजा विधि और आरती

Kalratri Mantra Katha and Aarti: नवरात्र के सातवें दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की आराधना की जाती है। इस साल कालरात्रि माता की उपासना 23 अक्तूबर, शुक्रवार यानी आज की जा रही है। देवी दुर्गा का यह रूप क्रोधित हैं। लेकिन कालरात्रि माता अपने भक्तों के लिए कोमल हृदय रखती हैं। मान्यता है कि माता कालरात्रि अपने भक्तों की पुकार बहुत जल्दी सुनती हैं और उन्हें कष्टों से उबारती हैं। (Kalratri Mata Ki Puja Ka Shubh Muhurat) सुबह की पूजा का शुभ मुहूर्त – 23 अक्तूबर, शुक्रवार – सुबह 5 बजकर 11 मिनट से 6 बजकर 27 मिनट तक शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त – 23 अक्तूबर, शुक्रवार – शाम 5 बजकर 32 मिनट से 5 बजकर 56 मिनट तक ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे कालरात्रि माता की कथा (Kalratri Mata Ki Katha) प्राचीन कथा के अनुसार राक्षस शुम्भ-निशुम्भ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में अपना अत्याचार करना शुरू कर दिया तो देवतागण परेशान हो गए और भगवान शिव के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने देवी पार्वती से दैत्यों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा। भगवान शिव का आदेश प्राप्त करने के बाद देवी पार्वती ने मां दुर्गा का रूप धारण किया और शुम्भ-निशुम्भ का वध किया। लेकिन जैसे ही मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त की बूंदों से लाखों रक्तबीज उत्पन्न होने लगे। तब मां दुर्गा ने मां कालरात्रि के रूप में अवतार लिया। मां कालरात्रि ने इसके बाद रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया, जिससे रक्तबीज का रक्त जमीन पर नहीं गिरा और रक्तबीज पुर्नजीवित नहीं हो पाया। इस प्राचीन कथा में यह बताया गया है कि माता कालरात्रि की कृपा से धरती को र...

माँ

दुर्गा जी का सातवां स्वरूप कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहते हैं। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें ‘शुभंकारी’ भी कहते हैं। देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं | या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। Kaalratri mata – seventh day of Navratri माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं। माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है। माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम ‘शुभंकारी’ ...

Jai Kalratri Maa Hindi

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