Jain dharm ke 5 siddhant kaun se the

  1. जैन धर्म का इतिहास, नियम, उपदेश और सिद्धांत
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जैन धर्म का इतिहास, नियम, उपदेश और सिद्धांत

जैन धर्म – 24 तीर्थंकर जैन धर्म और बौद्ध धर्म में बड़ी समानता है. किन्तु अब यह साबित हो चुका है कि बौद्ध धर्म की तुलना में जैन धर्म अधिक प्राचीन है. जैनों का मानना है कि हमारे 24 तीर्थंकर हो चुके हैं जिनके द्वारा जैन धर्म की उत्पत्ति और विकास हुआ. क्या आपको पता है कि जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर का नाम क्या है? यदि आप परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर रहे हो तो आपको इसका जवाब मालूम होगा. उनका नाम है – पार्श्वनाथ. उनका जन्म ईसा के पूर्व 8वीं शताब्दी में हुआ. पार्श्वनाथ एक क्षत्रिय थे. उनके मुख्य सिद्धांत थे – सदैव सच बोलना, अहिंसा, चोरी न करना और धन का त्याग कर देना. 24 तीर्थंकर के नाम और उनके चिन्ह 1. श्री ऋषभनाथ- बैल 2. श्री अजितनाथ- हाथी 3. श्री संभवनाथ- अश्व (घोड़ा) 4. श्री अभिनंदननाथ- बंदर 5. श्री सुमतिनाथ- चकवा 6. श्री पद्मप्रभ- कमल 7. श्री सुपार्श्वनाथ- साथिया (स्वस्तिक) 8. श्री चन्द्रप्रभ- चन्द्रमा 9. श्री पुष्पदंत- मगर 10. श्री शीतलनाथ- कल्पवृक्ष 11. श्री श्रेयांसनाथ- गैंडा 12. श्री वासुपूज्य- भैंसा 13. श्री विमलनाथ- शूकर 14. श्री अनंतनाथ- सेही 15. श्री धर्मनाथ- वज्रदंड, 16. श्री शांतिनाथ- मृग (हिरण) 17. श्री कुंथुनाथ- बकरा 18. श्री अरहनाथ- मछली 19. श्री मल्लिनाथ- कलश 20. श्री मुनिस्रुव्रतनाथ- कच्छप (कछुआ) 21. श्री नमिनाथ- नीलकमल 22. श्री नेमिनाथ- शंख 23. श्री पार्श्वनाथ- सर्प 24. श्री महावीर- सिंह महावीर स्वामी परन्तु जैन धर्म के मूलप्रवर्त्तक के विषय में यदि बात की जाए तो महावीर स्वामी का नाम सामने आता है. इनका जन्म 540 ई.पू. के आस-पास हुआ था. इनके बचपन का नाम वर्धमान था. वह लिच्छवी वंश के थे. वैशाली (जो आज बिहार के हाजीपुर जिले में है) में उनका साम्राज्य था. गौतम बुद्ध ...

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⇒ जैन धर्म क्या है ? • जैन दार्शनिक परम्परा वैदिक परम्परा के ही समकालीन एक आंदोलन माना जाता है। • भद्रबाहु के कल्पसूत्र से जैन धर्म के प्रारंभिक इतिहास की जानकारी मिलती है। • जैन शब्द ’जिन’ शब्द से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ ’विजेता’ होता है। संसार की मोह-माया व इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करना ही जैन धर्म (Jain Dharm) का एकमात्र उद्देश्य है। • जिन– जिसने इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ली, उसे जिन कहते है। • जिन के अनुयायी जैन कहलाते है। • इन जिनो को जैन धर्म में तीर्थंकर कहते है। • तीर्थंकर का अर्थ – तीर्थंकर ’तीर्थ’ शब्द से बना है। तीर्थ का अर्थ –‘ घाट’। • तीर्थंकार का अर्थ – संसार सागर को पार करने के लिए ‘ घाटो का निर्माता’। • जैन धर्म में 24 तीर्थंकर माने जाते है। जैन धर्म के प्रमुख तीर्थंकर जैन धर्म का प्रथम तीर्थंकर – ऋषभदेव/आदिनाथ • जैन अनुश्रुतियों और धार्मिक साहित्य के अनुसार जैनियों का प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवको माना गया है। • ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में इक्ष्वाकु वंश में माना जाता है। • ऋषभदेव का उल्लेख – ऋग्वेद, यजुर्वेद, विष्णुपुराण एवं भगवत पुराण में भी मिलता है। ऋग्वेद में दो जैन तीर्थकरों- ऋषभदेव एवं अरिष्टनेमी का उल्लेख मिलता है। • इन्हें इतिहास में आदिनाथ के नाम से जाना जाता है राजस्थान में केसरियानाथ भी कहते हैं। • जैन ग्रन्थों में इन्हें ‘मानव सभ्यता का जनक’ कहा जाता है। भागवत पुराण में ’नारायण का अवतार’ कहा जाता है। • इन्हें निर्वाण कैलाश पर्वत पर प्राप्त हुआ। • ऋषभदेव के 100 पुत्रों में से दो प्रसिद्ध हुए – भरत और बाहुबलि। • भरत चक्रवर्ती शासक और बाहुबलि तपस्वी के रूप में प्रसिद्ध हुए। • बाहुबलि (गोमतेश्वर) की मूर्ति कर्नाटक के श्रवणबेलगोला ...

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