Jain dharm ke panch siddhant kaun the

  1. गौतम बुद्ध
  2. Jainendra Siddhant Kosh ( जैनेन्द्र सिद्धांत कोश ) Hindi PDF Download
  3. जैन धर्म क्या कहता है
  4. इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी
  5. धर्म के 10 लक्षण जो मनुष्य को उन्नत और महान बना देते हैं । Dharm Ke Lakshan – MyBapuji
  6. बौद्ध धर्म


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गौतम बुद्ध

अनुक्रम • 1 जीवन वृत्त • 1.1 शिक्षा एवं विवाह • 1.2 विरक्ति • 1.3 महाभिनिष्क्रमण • 1.4 ज्ञान की प्राप्ति • 1.5 धर्म-चक्र-प्रवर्तन • 1.6 महापरिनिर्वाण • 2 उपदेश • 3 बौद्ध धर्म एवं संघ • 4 गौतम बुद्ध - अन्य धर्मों की दृष्टि में • 4.1 हिन्दू धर्म में • 5 स्रोत ग्रन्थ • 6 इन्हें भी देखें • 7 सन्दर्भ • 8 बाहरी कड़ियाँ जीवन वृत्त बौद्ध धर्म की श्रेणी का हिस्सा · · बुनियादी मनोभाव अहम व्यक्ति क्षेत्रानुसार बौद्ध धर्म · · बौद्ध साम्प्रदाय · बौद्ध साहित्य · · · उनका जन्म 563 ईस्वी पूर्व के बीच बच्चा या तो एक महान राजा या एक महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेगा। शिक्षा एवं विवाह सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ को तो पढ़ा ही , राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता। सोलह वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का कन्या विरक्ति राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ के लिए भोग-विलास का भरपूर प्रबंध कर दिया। तीन ऋतुओं के लायक तीन सुंदर महल बनवा दिए। वहाँ पर नाच-गान और मनोरंजन की सारी सामग्री जुटा दी गई। दास-दासी उसकी सेवा में रख दिए गए। पर ये सब चीजें सिद्धार्थ को संसार में बाँधकर नहीं रख सकीं। वसंत ऋतु में एक दिन सिद्धार्थ बगीचे की सैर पर निकले। उन्हें सड़क पर एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया। उसके दाँत टूट गए थे, बाल पक गए थे, शरीर टेढ़ा हो गया था। हाथ में लाठी पकड़े धीरे-धीरे काँपता हुआ वह सड़क पर चल रहा था। दूसरी बार कुमार जब बगीचे की सैर को निकला, तो उसकी आँखों के आगे एक रोगी आ गया। उसकी साँस तेजी से चल रही थी। कंधे ढीले पड़ गए थे। बाँहें सूख गई थीं। पेट फूल गया था। चेहरा पीला पड़ गया था। दूसरे के सहारे वह बड़ी मुश्किल से चल पा ...

Jainendra Siddhant Kosh ( जैनेन्द्र सिद्धांत कोश ) Hindi PDF Download

Jainendra Siddhant kosh ke rachayita tatha sampadak Shri Jinendra Varni ka janm 14 May 1922 ko Panipat ke suprasiddh vidvan Sv. Shri Jaybhagwan‌ Shree Jain advocate ke ghar hua. Keval 18 varsh ki aayu me kshay rog se grast ho jane ke karan unka ek lungs nikal diya gya jiske karan aapka sharir sda ke liye kshin tatha rugn ho gya. 1949 tk unko dharm ke prti koi vishesh ruchi nhi th. August 1949 ke paryushan parv me apne pita Shree ka pravachan sunne se unka hraday akasmat‌ dharm ki or mud gya. Panipat ke suprasiddh vidvan‌ tatha shant-parinami sv. pa. Rupachand ji gargiy prerna se unhone shastr-svadhyay prarambh ki aur 1958 tk sakal Jain-vad‌may pd dala. Jo kuchh pdhte the uske skl aavashyak sandarbh rajistro me likhte jatai the, jisse aapke pas 4-5 rajistar ekatrit ho gye. Is Pustak ke kul 4 bhag hai jo ki niche diye gye hai. Is bhag ka kul size 16.88 MB hai aur kul pristho ki sankhya 256 hai. Niche diye hue link se is pustak ko aasani se download kr skte hai aur muft me pdh skte hai. Book Writer Jinendra Varni Book Language Hindi Book Size 34 MB Total Pages 528 Category Jainendra Siddhant kosh ke dusre bhag ka kul size 50 MB hai aur kul pristho ki sankhya 582 hai. Niche diye hue link se is pustak ko aasani se download kr skte hai aur muft me pdh skte hai. Book Writer Jinendra Varni Book Language Hindi Book Size 50 MB Total Pages 582 Category Unfortunately, is pustak ka tisra part server se delete ho chuka hai. Aap niche se 4th part download kr skte hai Jainendra Siddhant k...

जैन धर्म क्या कहता है

सभी Hindi Pdf Book यहाँ देखें सभी Audiobooks in Hindi यहाँ सुनें जैन धर्म क्या कहता है पुस्तक का कुछ अंश : जन धर्म में संसार को, जगत्‌ को अनादि-अनन्त माना जाता है। जनी मानते हैं कि इस जगत का बनाने वाला कोई नही । जैन दर्शन के अनुसार यह जगत जीव और अजीव इन दो द्रव्यो के मेल का नाम है। अजीव द्रव्य के पाँच भेद हैं पुदगल,धर्म, अधर्म, आकाश और काल । इस प्रकार ६ द्रव्य से यह संसार चलता है । इन द्रव्यों मे कभी घटती-बढती नहीं होती । सिद्धान्त- ग्रन्थों मे इन ६ द्रव्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है……. Jain Dharm Kya Kahata Hai PDF Pustak in Hindi Ka Kuch Ansh : Jain Dharm me Sansar kon, Jagat‌ kon Anadi-Anant mana jata hai. Jaini Manate hain ki is jagat ka banane vala koi Nahi . Jain Darshan ke Anusar yah Jagat‌ jeev aur Ajeev in do Dravyo ke mel ka Nam hai. Ajeev Dravy ke Panch Bhed hain Pudgal, Dharm, Adharm, Aakash aur kal . is prakar 6 dravy se yah Sansar Chalata hai . In Dravyon me kabhi ghatati-badhati Nahin hoti . Siddhant- Granthon me in 6 dravyon ka Vistar se Varnan kiya gaya hai………….. Short Passage of Jain Dharm Kya Kahata Hai Hindi PDF Book : In Jainism, the world, the world, is considered eternal. Jeannie believes that there is no one to make this world. According to Jain philosophy, it is the name of the combination of these two matter. The five distinctions of Ajiv Dravya are Pudgal, Dharma, Unrighteousness, Akash and Kaal. In this way, this world runs with 4 substances. There is never a change in these liquids. In theory, these elements are described in detail ……… 44...

इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी

• • • • • • • • इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी – History Of Islam Dharm in Hindi Islam Dharm /इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है जो अल्लाह की तरफ़ से अंतिम रसूल और नबी, पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब सल्ल. द्वारा इंसानों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय किताब (क़ुरआन) की शिक्षा पर स्थापित है। इस्लाम शब्द का अर्थ है – ‘अल्लाह को समर्पण’। इस प्रकार मुसलमान वह है, जिसने अपने आपको अल्लाह को समर्पित कर दिया, अर्थात इस्लाम धर्म के नियमों पर चलने लगा। इस्लाम धर्म का आधारभूत सिद्धांत अल्लाह को सर्वशक्तिमान, एकमात्र ईश्वर और जगत का पालक तथा हज़रत मुहम्मद (सल्ल।) को उनका संदेशवाहक या पैगम्बर मानना है। यही बात उनके ‘कलमे’ में दोहराई जाती है – ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहअर्थात ‘ अल्लाह एक है, उसके अलावा कोई दूसरा (दूसरी सत्ता) नहीं और मुहम्मद उसके रसूल या पैगम्बर।’ कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व मुसलमान यह क़लमा पढ़ते हैं। इस्लाम में अल्लाह को कुछ हद तक साकार माना गया है, जो इस दुनिया से काफ़ी दूर सातवें आसमान पर रहता है। वह अभाव (शून्य) में सिर्फ़ ‘कुन’ कहकर ही दुनिया रचता है। उसकी रचनाओं में आग से बने फ़रिश्ते और मिट्टी से बने मनुष्य सर्वश्रेष्ठ हैं। गुमराह फ़रिश्तों को ‘शैतान’ कहा जाता है। इस्लाम के अनुसार मनुष्य सिर्फ़ एक बार दुनिया में जन्म लेता है। मृत्यु के पश्चात पुनः वह ईश्वरीय निर्णय (क़यामत) के दिन जी उठता है और मनुष्य के रूप में किये गये अपने कर्मों के अनुसार ही ‘जन्नत’ (स्वर्ग) या ‘नरक’ पाता है। इस्लाम धर्म का उदय – Islam Dharm Story in Hindi इस्लाम का उदय कब हुआ, इस पर अलग-अलग अवधारणाएं हैं। कुछ लोग इसे सातवीं सदी में आरम्भ हुआ मानते हैं तो कुछ मानते हैं कि यह आदिकाल से चल ...

धर्म के 10 लक्षण जो मनुष्य को उन्नत और महान बना देते हैं । Dharm Ke Lakshan – MyBapuji

धर्म के १० लक्षण मनुष्य को उन्नत कर देते हैं । स्वायंभुव मनुजी ने मनुष्यों को बताया है कि तुम लोग मेरे मेरी संतान हो और पिता-पितामह की सम्पदा संतान में आती है, इसलिए कम-से-कम इन दस बातों का तुम ख्याल रखा करो : धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः । धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ।। (मनुस्मृति : ६.९२) ~धर्म के 10 लक्षण (१) धैर्य :पहली बात यह है कि यदि कभी तुम्हारे ऊपर कोई संकट आये, विपत्ति आये तो तुम घबराया न करो,किंतु तुम तो मेरे बेटे होकर भी जरा-सा संकट आया नहीं, विपत्ति आयी नहीं कि बेहद घबरा जाते हो । यह हमारे वंश के अनुरूप नहीं है । देखो, यह बात मनुजी ने यों ही नहीं कही । एक बार वे अपनी पत्नी शतरूपा के साथ सुनन्दा नदी के तट पर तपस्या कर रहे थे । उनको देखकर राक्षस लोग उनको खाने के लिए दौडे लेकिन वे बिल्कुल घबराये नहीं, अचल हो गये और ‘ईशावास्य उपनिषद्” के इस मंत्र का जप करने लगे – ‘ईशावास्यमिदं सर्वम् । भगवान ने देखा कि ये तो अपने धर्म का ठीक-ठीक पालन कर रहे हैं और राक्षस लोग इन्हें मार डालना चाहते हैं, तब वे सुदर्शन चक्रधारी भगवान आये और उन्होंने मनु-शतरूपा की रक्षा की । इसलिए हमारी जो घबराहट है, यह मानव-धर्म के विपरीत है । मनुष्य का जो पहला धर्म है, वह अपने धैर्य को कायम रखना है । किसी भी हालत में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए । जीवन में रात आती है, दिन आता है; रोग आता है, आरोग्य आता है; सुख आता है, दुःख आता है; हम जिससे मिलना चाहते हैं, कभी वह मिलता है और जिससे नहीं मिलना चाहते, कभी वह मिलता है । किसी भी अवस्था में घबडाना नहीं चाहिए । हमारे जीवन की जो गाडी है, वह बिल्कुल ठीक-ठीक चलनी चाहिए । यही धर्म है, इसीको ‘मनुस्मृति में ‘धृति के नाम से कहा गया है । धृत...

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म | बौद्ध धर्म का परिचय | बौद्ध धर्म का सामान्‍य ज्ञान हेलो दोस्‍तों , Study fundaaa द्वारा आप सभी को प्रतिदिन प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित जानकारीShare की जाती है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रत्‍येक Competitive Exams में बौद्ध धर्म से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. आज इस पोस्ट में हम आपके समक्ष जो जानकारीshare कर रहे हैं वह बौद्ध धर्म | बौद्ध धर्म का परिचय | बौद्ध धर्म का सामान्‍य ज्ञान की है. यह पोस्ट विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है बौद्ध धर्म की स्‍थापना (baudh dharm ki sthapna) वैदिक सभ्‍यता के उपरान्‍त भारत में हिन्‍दु धर्म से कई अन्‍य धर्मों की उत्‍पत्ति हुई , जिनमें से एक धर्म ‘ बौद्ध धर्म’ था। जिसकी स्‍थापना गौतम बुद्ध ने की थी, इस धर्म को आगे इनके अनुयायियों के द्वारा बढ़ाया गया, वैदिक काल से अलग हटकर इन्‍होंने अपनी भाषा‘ पाली’ को अपनाया। आज बौद्ध धर्म विश्‍व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म को मानने वाले ज्‍यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत जैसे कई देशों में रहते है। (baudh dharm ki sthapna kisne ki) फोटो - गौतम बुद्ध भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध , सिद्धार्थ और तथागत भी कहा जाता है।‍बुद्ध के पिता कपिलवस्तु के राजा' शुद्धोधन' थे और इनकी माता का नाम महारानी' महामाया देवी' था। बुद्ध की पत्नी का नाम ' यशोधरा' और पुत्र का नाम ' राहुल' था। वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने भारत के बिहार स्थित बोधगया में सत्य को जाना और इसी दिन वे483 ईसा पूर्व को80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में...