जैन धर्म के संस्थापक कौन थे

  1. भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक थे? फिर वह चौबीसवे तीर्थंकर कैसे हो सकते हैं?
  2. जैन धर्म के सिद्धांत
  3. Ancient History
  4. जैन धर्म के संस्थापक कौन थे
  5. [हिन्दी] जैन धर्म MCQ [Free Hindi PDF]


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भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक थे? फिर वह चौबीसवे तीर्थंकर कैसे हो सकते हैं?

जैन धर्म एक स्‍वतंत्र व भारत का प्रचीनतम धर्म है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है, कि यह हिन्‍दू धर्म का ही हिस्‍सा है और भगवान महावीर द्वारा इसकी स्‍थापना की गई । मगर यह बात पूर्णत: गलत है, महावीर स्‍वामी ने तो जैन धर्म का आधुनिक समय में प्रवर्तन किया था न की जैन धर्म की स्‍थापना । महावीर स्‍वामी जी जैन धर्म के चौबासवें तीर्थंकर थे और उनसे पहले 23 तीर्थंकर हो चुके थे, जिनके नाम क्रमश: इस प्रकार है- श्री ऋषभदेव जी, श्री अजितनाथ जी, श्री संभवनाथ, श्री अभिनंदननाथ जी, श्री सुमतिनाथ जी, श्री पद्मप्रभु जी, श्री सुपार्श्‍वनाथ जी, श्री चंद्रप्रभु जी, श्री पुष्‍पदंत जी, श्री शीतलनाथ जी, श्री श्रेयांशनाथ जी, श्री वासुपूज्‍य जी, श्री विमलनाथ जी, श्री अनंतनाथ जी, श्री धर्मनाथ जी, श्री शांतिनाथ जी, श्री कुंथूनाथ जी, श्री अरहनाथ जी, श्री मल्लिनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी, श्री नमीनाथ जी, श्री नेमिनाथ जी, श्री पार्श्‍वनाथ जी । इन सभी तीर्थंकरों ने समय-समय पर अवतरित होकर धर्म तीर्थ का प्रवर्तन किया। 3000-3500 ईसा पूर्व भी जैन धर्म के होने के ऐतिहासिक प्रमाण मिले है। सिंधु घाटी की सभ्‍यता की खोज ने जैन धर्म की प्राचीनता पर नया प्रकाश डाला है। यहॉ से मिले प्रमाण यह सुनिश्चित करते है, कि सिंधु घाटी के लोगों की जैन धर्म में आस्‍था थी। मोहनजोदडो एवं हडप्‍पा की खुदाई में मिली मोहरों पर नग्‍न मानव आकृतियां पाई गई है, तो वैदिक काल में भी जैन धर्म के स्‍पष्‍ट साक्ष्‍य मिलते है। ऋग्‍वेद में प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी से लेकर 22वें तीर्थंकर श्री अरिष्‍टनेमि जी तक का उल्‍लेख मौजूद है। यजुर्वेद में भी तीन तीर्थंकर श्री ऋषभदेव जी, श्री अजितनाथ जी एवं श्री अरिष्‍टनेमि का वर्णन मिलता है। इसके अलावा अथर्...

जैन धर्म के सिद्धांत

जैन धर्म jainism religion जैन धर्म की शुरुआत वैदिक काल में हुआ| जो राजस्थान, गुजरात, एवं महाराष्ट्र के लोगो का विश्वास है कि इस धर्म के अंतिम तीर्थकर महावीर थे| जो 24वे तीर्थकर थे| इससे भी पहले 23 गुरु रह चुके है| इन गुरुओ को ही तीर्थकर कहा जाता था| जैन धर्म के संस्थापक एवं प्रथम तीर्थकर ॠषभदेव थे, और जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे| जो लगभग 8वी शताब्दी बने थे और इन्होने ने ही जैन धर्म की नींव डाली| जो बनारस के राजा अश्वसेन के पुत्र थे| महावीर का जन्म महावीर का जन्म 566 – 567 ई॰पू बिहार के वैशाली कुण्डग्राम नामक स्थल पर हुआ था| इनका बचपन का नाम वर्दमान था तथा इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था| महावीर ने 30 साल की उम्र में ही पूर्ण ज्ञान की खोज में अपना गृह त्याग दिया| जो 12 साल ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे कठोर तपस्या के बाद पूर्ण ज्ञान(कैवल्य) प्राप्त हुआ था| इन्होने सुख और दुःख में विजय प्राप्त किये जो आगे चलकर महावीर या जिन के नाम से जाना जाने लगा| जैन धर्म के सिद्धांत महावीर के पाँच मूल सिधांत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रहाचर्य, तथा सम्पति न रखना आदि जैसे जैन धर्म के सिद्धांत थे| महावीर इन पाँचो में से अहिंसा, अपरिग्रह, एवं ब्रहाचर्य में अधिक जोर देते थे| उनका मानना था कि वाही व्यक्ति देवत्व को प्राप्त कर सकता है| जो इन तीन चीजो को सही तरीका से अम्ल करेगा| जैन धर्म और शिक्षा इस धर्म के लोगो का विश्वास है कि सभी पदार्थ में आत्मा विधमान है| इसलिए किसी भी जीव-जन्तु को कष्ट नहीं देना चाहिए| महावीर ने सिखाया है कि कर्म ही पुनर्जन्म का कारण है| जिससे विमुक्ति ही निर्वाण प्राप्ति का साधन है|जैन धर्म के त्रिरत्न सम्यक विश्वास, सम्यक ज्ञान, और सम्यक आचार वे साधन ह...

Ancient History

जैन धर्म - महावीर स्वामी जैन धर्म के संस्थापक कौन थे - ऋषभदेव U.P.P.C.S. (Mains) 2010 • जैन धर्म के मूल संस्थापक या प्रवर्तक प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव या आदिनाथ माने जाते है। • महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे जिन्होंने छठी शताब्दी ई.पू. के जैन आंदोलन का प्रवर्तन किया। महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था - कुण्डग्राम में B.P.S.C. (Pre) 1997/B.P.S.C. (Pre) 2005/B.P.S.C. (Pre) 2011 • महावीर स्वामी का जन्म कुण्डग्राम में (वैशाली के निकट) लगभग 599 ई.पू. अथवा 540 ई.पू. में हुआ था। • उनकी माता त्रिशला वैशाली के लिच्छवि गणराज्य के प्रमुख चेटक की बहन थी। • उनके पिता सिद्धार्थ ज्ञातृक क्षत्रियों के संघ के प्रधान थे। • उनके बड़े भाई नंदिवर्धन थे। • पत्नी - यशोदा • पुत्री - अणोज्या प्रियदर्शना • दामाद - जामालि (प्रथम शिष्य) • बचपन का नाम - वर्धमान • जाति - क्षत्रिय महावीर जैन की मृत्यु किस नगर में हुई - पावापुरी B.P.S.C. (Pre) 2001 • 527 ई.पू. के लगभग 72 वर्ष की 468 ई.पू. आयु में राजगृह के समीप स्थित पावापुरी नामक स्थान पर उन्होंने शरीर त्याग दिया। तीर्थंकर शब्द किससे संबंधित है - जैन U.P.P.C.S. (Mains) 1993 • जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए - • (1) ऋषभदेव या आदिनाथ • (2) अजितनाथ • (3) सम्भवनाथ • (4) अभिनन्दन नाथ • (5) सुमतिनाथ • (6) पदमप्रभु • (7) सुपार्श्वनाथ • (8) चन्द्रप्रभु • (9) सुविधिनाथ • (10) शीतल नाथ • (11) श्रेयांसनाथ • (12) वासुपूज्य नाथ • (13) विमलनाथ • (14) अनंतनाथ • (15) धर्मनाथ • (16) शान्तिनाथ • (17) कुंथुनाथ • (18) अरनाथ • (19) मल्लिनाथ • (20) मुनिसुव्रत • (21) नेमिनाथ • (22) अरिष्टनेमि • (23) पार्श्वनाथ • (24) महावीर स्वामी जैन तीर्थंकरों के अंतिम तीर्थंकर क...

जैन धर्म के संस्थापक कौन थे

सही उत्तर : ऋषभ देव व्याख्या : जैन धर्म के संस्थापक कौन थे इसे लेकर अलग - अलग विद्वानों के अलग - अलग मत है इसी कड़ी में सबसे ज्यादा यह माना जाता है की जैन धर्म के संस्थापक ऋषभ देव थे। और वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी थे। इसके अलावा जैन धर्म के मूल संस्थापक ऋषभ देव या आदिनाथ को माना जाता है। जैन धर्म के बारें में (About Jainism In Hindi) : दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म को "श्रमणों का धर्म" कहा जाता है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की जैन शब्द जिन शब्द से बना है। जिन बना है 'जि' धातु से जिसका अर्थ है जीतना। जिन अर्थात जीतने वाला। जिसने स्वयं को जीत लिया उसे जितेंद्रिय कहते हैं। जैन धर्म की शिक्षा व्यवस्था (Education System in Jainism) : जैसा की हम सब जानते है जैन धर्म की शिक्षाएँ (teachings of jainism) समानता, अहिंसा, आध्यात्मिक मुक्ति और आत्म-नियंत्रण के विचारों पर बल देती हैं। महावीर ने युगों को जो पढ़ाया है उसका आधुनिक जीवन में अभी भी महत्व है। जैन एक महत्वपूर्ण धार्मिक समुदाय हैं और जैन धर्म जनसंख्या को समृद्ध करने वाले पुण्य के विभिन्न सिद्धांतों पर प्रचार करता है। जैन धर्म में दिगम्बर & श्वेताम्बर का अर्थ : ये दोनों सम्प्रदाय है और दोनों संप्रदायों में मतभेद दार्शनिक सिद्धांतों से ज्यादा चरित्र को लेकर है। दिगंबर (jainism god) आचरण पालन में अधिक कठोर हैं जबकि श्वेतांबर कुछ उदार हैं। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की श्वेतांबर संप्रदाय के मुनि श्वेत वस्त्र पहनते हैं जबकि दिगंबर मुनि निर्वस्त्र रहकर साधना करते हैं। यह नियम केवल मुनियों पर लागू होता है। तीर्थकर किसे कहते है ? जैन धर्म (history of jainism) में तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्र...

[हिन्दी] जैन धर्म MCQ [Free Hindi PDF]

सही उत्तर उत्तरध्यान सूत्र है। Key Points • उत्तरध्यान सूत्र में महावीर की शिक्षाएँ शामिल हैं जो भिक्षुओं को पालन करने वाली आचार संहिता को निर्धारित करती हैं। • उत्तरध्यान सूत्र का जैन साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। • यह धार्मिक सिद्धांतों और प्रथाओं के बारे में प्रचार करता है और ऐसे सिद्धांतों और प्रथाओं पर स्थापित कई कहानियां, संवाद और उदाहरण बताता है। Additional Information • कलाकाचार्यकथा आचार्य कालका की कहानी बताती है, जो अपनी अपहृत बहन (एक जैन नन) को एक दुष्ट राजा से बचाने के मिशन पर है। • यह कालका के विभिन्न रोमांचकारी प्रसंगों और कारनामों का वर्णन करता है, जैसे कि वह अपनी लापता बहन का पता लगाने के लिए भूमि को खंगाल रहा है, अपनी जादुई शक्तियों का प्रदर्शन कर रहा है, अन्य राजाओं के साथ गठजोड़ कर रहा है, और अंत में, दुष्ट राजा से जूझ रहा है। • संग्रहिणी सूत्र बारहवीं शताब्दी में रचित एक ब्रह्माण्ड संबंधी पाठ है जिसमें ब्रह्मांड की संरचना और अंतरिक्ष के मानचित्रण के बारे में अवधारणाएं शामिल हैं। • पंच कल्प सूत्र भिक्षुओं और ननों को दैनिक संस्कारों और अनुष्ठानों की व्याख्या करता है। इस आगम के केवल बिखरे हुए अध्याय ही उपलब्ध हैं। • अनुयोगद्वार सूत्र उपदेश देने के तरीके के बारे में अधिकारों का वर्णन करता है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जैन धर्म प्रमुखता से आया, जब भगवान महावीर ने धर्म का प्रचार किया। कुल 24 तीर्थंकर थे, जिनमें से अंतिम भगवान महावीर थे। Additional Information • पहली जैन परिषद: • पहली जैन परिषद 300 ईसा पूर्व के आसपास पाटलिपुत्र में आयोजित की गई थी। • इसकी अध्यक्षता स्थूलभद्र ने की। • इस परिषद में जैन धर्म दो गुटों अर्थात श्वेतांबर और दिगंबर में विभाजित...