जैविक चिन्ह क्या है

  1. क्या है जैविक खेती, जैविक खेती से जुड़ी पूरी जानकारी
  2. जैविक प्रदूषण: यह क्या है, प्रकार और उदाहरण
  3. जैविक खाद बनाने की विधि क्या है? उपयोग के फायदे और नुकसान
  4. जैविक व अजैविक घटक क्या है
  5. जैविक खेती
  6. जैव विविधता
  7. जैविक प्रदूषण: यह क्या है, प्रकार और उदाहरण
  8. जैव विविधता
  9. क्या है जैविक खेती, जैविक खेती से जुड़ी पूरी जानकारी
  10. जैविक व अजैविक घटक क्या है


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क्या है जैविक खेती, जैविक खेती से जुड़ी पूरी जानकारी

भारत ने हरित क्रांति के तहत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नत किस्मों के प्रसार, रासायनिक उर्वरकों एवं पौध संरक्षण दवाओं के इस्तेमाल से फसलों के उत्पादन में उतरोत्तर बढ़ोत्तरी तो हुई परन्तु पर्यावरण ह्रास की कीमत पर। समय बीतने के साथ भूमि की उर्वराशक्ति में गिरावट के कारण फसलों की उत्पादकता में स्थिरता अथवा गिरावट के साथ-साथ खेती की बढ़ती लागत चिंता और चिंतन का विषय है। विज्ञान का उपयोग प्रकृति के साथ उचित तालमेल की बजाय उससे मुकाबला कर व्यवसायिक दृष्टिकोण से खेती की गई। आधुनिक कृषि के तहत रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग एवं जैविक खादों के नगण्य उपयोग की वजह से भूमि में मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमीं होने से न केवल फसलों की पैदावार में गिरावट आ रही है बल्कि विभिन्न कृषि उत्पादों की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। क्या है जैविक खेती – what is organic farming – जैविक खेती से जुड़ी पूरी जानकारी जैविक खेती क्यों जरूरी है – Why is organic farming important? सब्जी उत्पादन में यह समस्या गंभीर रूप धारण करती जा रही है क्योंकि इनमें फसलों की अपेक्षा रासायनिक उर्वरक तथा पौध संरक्षण और वृद्धि नियंत्रक रसायनों का बेसुमार इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप जल-वायु प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। जहरीले रसायन आधारित खेती से उत्पादित विभिन्न सब्जियों के सेवन से मनुष्यों एवं पशुओं में जानलेवा बीमारियाँ पनपने लगी है। इन विकट परिस्थितियों में जहरयुक्त रसायन आधारित खेती को त्याग कर जहरमुक्त जैविक खेती अपनाकर न केवल मृदा-स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सकता है बल्कि मनुष्य को स्वादिष्ट और जहर मुक्त सब्जी मुहैया कराकर देश की पोषण सुरक्षा भी सुनिश...

जैविक प्रदूषण: यह क्या है, प्रकार और उदाहरण

विषय - सूची • • • • • क्या आपने जैविक संदूषण के बारे में सुना है लेकिन सुनिश्चित नहीं हैं कि यह क्या है? इस अवधारणा को समझने के लिए, हमें पहले प्रदूषण की अवधारणा को समझना होगा: यह पर्यावरण में पदार्थों या सामग्रियों की शुरूआत को संदर्भित करता है जो रासायनिक, भौतिक या जैविक मूल के हो सकते हैं। इस ग्रीन इकोलॉजिस्ट लेख में हम जैविक उत्पत्ति के संदूषण के बारे में सब कुछ समझाने की कोशिश करेंगे, शायद सबसे अज्ञात। हालांकि निश्चित रूप से कभी-कभी आप समाचार सुनते हैं जैसे, उदाहरण के लिए, नए कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों में वृद्धि। बेहतर जानने के लिए निम्न पंक्तियों पर ध्यान दें जैविक संदूषण क्या है, इसके प्रकार और उदाहरण. जैविक संदूषण क्या है जैविक संदूषण यह एक निश्चित जीवन चक्र वाले जीवों के कारण होता है, जिसके दौरान, इस चक्र को पूरा करने के लिए, वे ऐसे वातावरण में रहते हैं जिसमें वे हवा, पानी, मिट्टी और भोजन की गुणवत्ता को कम करने में सक्षम होते हैं, जीवों के लिए बड़ा खतरासंक्रामक या परजीवी रोग पैदा करने में सक्षम होने के नाते। इसलिए, जैविक संदूषण तब होता है जब इस प्रकार का एक जीव उल्लेखित पर्यावरण को संक्रमित करता है, जो कई जीवित प्राणियों को नुकसान पहुंचाता है जो इन संसाधनों का उपयोग अपने जीवन चक्र के लिए करते हैं। इन के बीच जैविक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार जीव हम हाइलाइट करते हैं: • जीवाणु। • प्रोटोजोआ। • कवक। • कृमि. • विषाणु। • आर्थ्रोपोड। जैविक संदूषण के प्रकार अब जबकि हमारे पास जैविक संदूषण की अवधारणा कुछ हद तक स्पष्ट है, हम इस मुद्दे पर आगे बढ़ सकते हैं। अगला, हम विस्तार से बताते हैं जैविक प्रदूषण के प्रकार क्या चल रहा है: • पानी में जैविक प्रदूषण: पानी में कार्बनिक पदार्थ ...

जैविक खाद बनाने की विधि क्या है? उपयोग के फायदे और नुकसान

अगर आप नहीं जानते कि जैविक खाद बनाने की विधि क्या है और केंचुआ, गोबर और गीले कचरे से बने जैविक खाद के उपयोग से होने वाले फायदे तथा नुकसान क्या है? तो बने रहिए हमारे इस लेख में क्योंकि यहां हम इस सभी बिंदुओं की व्याख्या विस्तार से करने वाले हैं। जैविक खाद पूरी तरह से प्राकृतिक से प्राप्त होता है और इस खाद में कोई भी रासायनिक पदार्थ नहीं मिलाया जाता है। जैविक खाद का उपयोग कर हम मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ा सकते हैं। जैविक खाद के द्वारा की जाने वाली कृषि को जैविक कृषि भी कहते हैं। जैविक खाद मुख्यता पौधों और जानवरों के कचरे से बनाई जाती है। कचरा कहने का यह तात्पर्य है कि पौधे और जानवरों के द्वारा त्यागे गए ऐसे पदार्थ जो मनुष्य जीवन के लिए उपयोगी नहीं है उसी का इस्तेमाल करके हम जैविक खाद बना सकते हैं। यह भी पढ़ें: विषय सूची • • • • • • • • • • • जैविक खाद बनाने की घरेलू विधि यदि आप घर पर जैविक खाद बनाने की विधि के बारे में सोच रहे हैं तो हम आपको यहां पर कुछ विधि बताएंगे जिसके माध्यम से आप अपने घर पर जैविक खाद बना सकते हैं। आइए जानते हैं जैविक खाद बनाने की घरेलू विधि: 1. गीले कचरे से जैविक खाद बनाने की विधि • जैविक खाद बनाने की इस विधि में बड़े आकार के बर्तनों को ले। • सबसे पहले, अपनी रसोई घर के कचरे को सूखे और गीले कचरे में विभाजित करें। बचे हुए भोजन और फलों के छिलके गीले कचरे होते हैं और प्लास्टिक, कागज सूखा कचरा होता है। • दोनों कचरो को विभाजित कर लेने के बाद दोनों को अलग-अलग बाल्टी में डालें। • गीले कचरे की बाल्टी में भरे हुए कचरे को बड़े आकार के बर्तन में डालें और उसे सरने दे। • फिर सड़न प्रक्रिया के साथ आप चाहे तो उसमें गाय के गोबर आदि भी डाल सकते हैं। • बड़े आकार के बर्...

जैविक व अजैविक घटक क्या है

पारिस्थितिक तंत्र किसी स्थान विशेष पर उपस्थित विभिन्न जैविक तथा अजैविक कारकों से बनी ऐसी प्राकृतिक इकाई है जिसके विभिन्न कारक पारस्परिक क्रिया द्वारा एक स्थिर तंत्र का निर्माण करते हैं । ADVERTISEMENTS: इसमें जैविक तथा अजैविक कारकों के मध्य एक चक्रीय पक्ष द्वारा विभिन्न पदाथों का विनिमय होता है । पारिस्थितिक तंत्र विशाल तथा छोटा दोनों ही हो सकता है । ओडम के अनसुार ”पारिस्थितिक तत्र पारिस्थितिकी की एक आधारभूत इकाई है । जिसमें जैविक समुदाय तथा अजैविक पर्यावरण एक दूसरे को प्रभावित करते हुये पारस्परिक क्रियाओं द्वारा ऊर्जा तथा रासायनिक पदार्थो के निरन्तर प्रवाह से तत्र की कार्यात्मक गतिशीलता बनाये रखते है ।” पारिस्थितिक तंत्र की संरचना | पारिस्थितिक तत्र निम्नलिखित दो घटकों का बना होता है: (i) अजैविक घटक: अजैविक घटक ये ऐसे घटक हैं जिनमें जीवन नहीं होता है और इनके अन्तर्गत निम्नलिखित कारक आते हैं: 1. भौतिक कारक ADVERTISEMENTS: 2. रासायनिक कारक 1. भौतिक कारण: वे सभी भौतिक कारक जो किसी न किसी रूप में जैविक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं तथा भौतिक वातावरण का निर्माण करते है जैसे ताप, प्रकाश, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि । 2. रासायनिक कारक: ADVERTISEMENTS: ऐसे कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ जो पारिस्थितिक तत्र को पूर्ण करने में सहयोग प्रदान करते हैं । इनमें अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ सम्मिलित हैं । 3. अकार्बनिक पदार्थ: इसके अन्तर्गत जल तत्व, गैसें आती हैं । तत्वों में महापोषी तत्व जैसे कार्बन, हाइड्रोजन ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फासफोरस, सल्फर इत्यादि तथा सूक्ष्मपोषी तत्व में जिंक, मैंगनीज, कापर, बोरान इत्यादि है । गैसों में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन कार्बनडाय-आक्साइड तथा अमोनिया सम्मिलि...

जैविक खेती

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 जैविक खेती से होने वाले लाभ • 2.1 कृषकों की दृष्टि से लाभ • 2.2 मिट्टी की दृष्टि से • 2.3 पर्यावरण की दृष्टि से • 3 जैविक खेती हेतु प्रमुख जैविक खाद एवं दवाईयाँ • 3.1 जैविक खाद तैयार करने के कृषकों के अन्य अनुभव • 3.2 जैविक पद्धति द्वारा व्याधि नियंत्रण के कृषकों के अनुभव • 4 भारतीय जैविक कृषि संगठन • 5 इन्हें भी देखें • 6 सन्दर्भ परिचय [ ] संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग पारिस्थितिकी तंत्र (Ecology System -प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र) प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है। प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र (पारिस्थितिकी तंत्र) निरन्तर चलता रहा था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रंथों में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं अर्थात कृषि एवं गोपालन संयुक्त रूप से अत्याधिक लाभदायी था, जोकि प्राणी मात्र व वातावरण के लिए अत्यन्त उपयोगी था। परन्तु बदलते परिवेश में गोपालन धीरे-धीरे कम हो गया तथा कृषि में तरह-तरह की रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग हो...

जैव विविधता

जैववैविध्य या जैव विविधता जैववैविध्य पृथ्वी पर समान रूप से वितरित नहीं है; मानवोद्भव के बाद की अवधि में एक निरन्तर जैव वैविध्य में क्षति और अनुवांशिक वैविध्य के साथ-साथ होलोसीन विलुप्त होने का नाम दिया गया है, और इसे अक्सर षष्ठ सामूहिक विलुप्त होने के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। क्षति मुख्य रूप से मानव प्रभावों, विशेष रूप से आवास विनाश के कारण होती है। इसके विपरीत, जैववैविध्य मानव अनुक्रम • 1 व्युत्पत्ति • 2 परिभाषाएँ • 3 माप • 4 वितरण • 5 उदविकास • 6 लाभ • 6.1 कृषि • 6.2 विज्ञान और चिकित्सा • 6.3 औद्योगिक माल • 6.4 अन्य पारिस्थितिक सेवाएं • 6.5 मनोरंजन, सांस्कृतिक और सौंदर्य मूल्य • 7 हिन्द्रन्सस • 7.1 धन • 7.2 संरक्षण invertebrate और पौधों की प्रजातियों • 8 संख्या प्रजातियों में • 9 धमकियों • 9.1 विनाश निवास की • 9.2 विदेशी प्रजाति • 9.3 आनुवंशिक प्रदूषण • 9.4 संकरण और आनुवंशिकी • 10 प्रबंधन • 11 न्यायिक स्थिति • 12 आलोचना • 12.1 भोजन • 12.2 संस्थापक प्रभाव • 12.3 आकार पूर्वाग्रह • 13 इन्हें भी देखें • 14 अधिक पढ़ें • 15 बाहरी कड़ियाँ • 15.1 संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज • 16 सन्दर्भ व्युत्पत्ति [ ] जैविक विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वन्यजीवन वैज्ञानिक और संरक्षणवादी रेमंड एफ. डैसमैन द्वारा १९६८ ई. में ए डिफरेंट काइंड ऑफ कंट्री पुस्तक में किया गया था।.. परिभाषाएँ [ ] जैवविविधता प्रायः प्रजाति विविधता और प्रजाति समृद्धता जैसे पदों के स्थान पर प्रयुक्त होती है। जीवविज्ञानी अक्सर जैवविविधता को किसी क्षेत्र में गुणसूत्र, प्रजाति तथा पारिस्थिकि की समग्रता के रूप में परिभाषित करते हैं। माप [ ] जैव विविधता एक व्यापक अवधारणा है, तो उद्देश्य के उपायों का एक विभिन्न प्रकार ऑर्ड...

जैविक प्रदूषण: यह क्या है, प्रकार और उदाहरण

विषय - सूची • • • • • क्या आपने जैविक संदूषण के बारे में सुना है लेकिन सुनिश्चित नहीं हैं कि यह क्या है? इस अवधारणा को समझने के लिए, हमें पहले प्रदूषण की अवधारणा को समझना होगा: यह पर्यावरण में पदार्थों या सामग्रियों की शुरूआत को संदर्भित करता है जो रासायनिक, भौतिक या जैविक मूल के हो सकते हैं। इस ग्रीन इकोलॉजिस्ट लेख में हम जैविक उत्पत्ति के संदूषण के बारे में सब कुछ समझाने की कोशिश करेंगे, शायद सबसे अज्ञात। हालांकि निश्चित रूप से कभी-कभी आप समाचार सुनते हैं जैसे, उदाहरण के लिए, नए कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों में वृद्धि। बेहतर जानने के लिए निम्न पंक्तियों पर ध्यान दें जैविक संदूषण क्या है, इसके प्रकार और उदाहरण. जैविक संदूषण क्या है जैविक संदूषण यह एक निश्चित जीवन चक्र वाले जीवों के कारण होता है, जिसके दौरान, इस चक्र को पूरा करने के लिए, वे ऐसे वातावरण में रहते हैं जिसमें वे हवा, पानी, मिट्टी और भोजन की गुणवत्ता को कम करने में सक्षम होते हैं, जीवों के लिए बड़ा खतरासंक्रामक या परजीवी रोग पैदा करने में सक्षम होने के नाते। इसलिए, जैविक संदूषण तब होता है जब इस प्रकार का एक जीव उल्लेखित पर्यावरण को संक्रमित करता है, जो कई जीवित प्राणियों को नुकसान पहुंचाता है जो इन संसाधनों का उपयोग अपने जीवन चक्र के लिए करते हैं। इन के बीच जैविक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार जीव हम हाइलाइट करते हैं: • जीवाणु। • प्रोटोजोआ। • कवक। • कृमि. • विषाणु। • आर्थ्रोपोड। जैविक संदूषण के प्रकार अब जबकि हमारे पास जैविक संदूषण की अवधारणा कुछ हद तक स्पष्ट है, हम इस मुद्दे पर आगे बढ़ सकते हैं। अगला, हम विस्तार से बताते हैं जैविक प्रदूषण के प्रकार क्या चल रहा है: • पानी में जैविक प्रदूषण: पानी में कार्बनिक पदार्थ ...

जैव विविधता

जैववैविध्य या जैव विविधता जैववैविध्य पृथ्वी पर समान रूप से वितरित नहीं है; मानवोद्भव के बाद की अवधि में एक निरन्तर जैव वैविध्य में क्षति और अनुवांशिक वैविध्य के साथ-साथ होलोसीन विलुप्त होने का नाम दिया गया है, और इसे अक्सर षष्ठ सामूहिक विलुप्त होने के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। क्षति मुख्य रूप से मानव प्रभावों, विशेष रूप से आवास विनाश के कारण होती है। इसके विपरीत, जैववैविध्य मानव अनुक्रम • 1 व्युत्पत्ति • 2 परिभाषाएँ • 3 माप • 4 वितरण • 5 उदविकास • 6 लाभ • 6.1 कृषि • 6.2 विज्ञान और चिकित्सा • 6.3 औद्योगिक माल • 6.4 अन्य पारिस्थितिक सेवाएं • 6.5 मनोरंजन, सांस्कृतिक और सौंदर्य मूल्य • 7 हिन्द्रन्सस • 7.1 धन • 7.2 संरक्षण invertebrate और पौधों की प्रजातियों • 8 संख्या प्रजातियों में • 9 धमकियों • 9.1 विनाश निवास की • 9.2 विदेशी प्रजाति • 9.3 आनुवंशिक प्रदूषण • 9.4 संकरण और आनुवंशिकी • 10 प्रबंधन • 11 न्यायिक स्थिति • 12 आलोचना • 12.1 भोजन • 12.2 संस्थापक प्रभाव • 12.3 आकार पूर्वाग्रह • 13 इन्हें भी देखें • 14 अधिक पढ़ें • 15 बाहरी कड़ियाँ • 15.1 संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज • 16 सन्दर्भ व्युत्पत्ति [ ] जैविक विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वन्यजीवन वैज्ञानिक और संरक्षणवादी रेमंड एफ. डैसमैन द्वारा १९६८ ई. में ए डिफरेंट काइंड ऑफ कंट्री पुस्तक में किया गया था।.. परिभाषाएँ [ ] जैवविविधता प्रायः प्रजाति विविधता और प्रजाति समृद्धता जैसे पदों के स्थान पर प्रयुक्त होती है। जीवविज्ञानी अक्सर जैवविविधता को किसी क्षेत्र में गुणसूत्र, प्रजाति तथा पारिस्थिकि की समग्रता के रूप में परिभाषित करते हैं। माप [ ] जैव विविधता एक व्यापक अवधारणा है, तो उद्देश्य के उपायों का एक विभिन्न प्रकार ऑर्ड...

क्या है जैविक खेती, जैविक खेती से जुड़ी पूरी जानकारी

भारत ने हरित क्रांति के तहत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नत किस्मों के प्रसार, रासायनिक उर्वरकों एवं पौध संरक्षण दवाओं के इस्तेमाल से फसलों के उत्पादन में उतरोत्तर बढ़ोत्तरी तो हुई परन्तु पर्यावरण ह्रास की कीमत पर। समय बीतने के साथ भूमि की उर्वराशक्ति में गिरावट के कारण फसलों की उत्पादकता में स्थिरता अथवा गिरावट के साथ-साथ खेती की बढ़ती लागत चिंता और चिंतन का विषय है। विज्ञान का उपयोग प्रकृति के साथ उचित तालमेल की बजाय उससे मुकाबला कर व्यवसायिक दृष्टिकोण से खेती की गई। आधुनिक कृषि के तहत रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग एवं जैविक खादों के नगण्य उपयोग की वजह से भूमि में मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमीं होने से न केवल फसलों की पैदावार में गिरावट आ रही है बल्कि विभिन्न कृषि उत्पादों की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। क्या है जैविक खेती – what is organic farming – जैविक खेती से जुड़ी पूरी जानकारी जैविक खेती क्यों जरूरी है – Why is organic farming important? सब्जी उत्पादन में यह समस्या गंभीर रूप धारण करती जा रही है क्योंकि इनमें फसलों की अपेक्षा रासायनिक उर्वरक तथा पौध संरक्षण और वृद्धि नियंत्रक रसायनों का बेसुमार इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप जल-वायु प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। जहरीले रसायन आधारित खेती से उत्पादित विभिन्न सब्जियों के सेवन से मनुष्यों एवं पशुओं में जानलेवा बीमारियाँ पनपने लगी है। इन विकट परिस्थितियों में जहरयुक्त रसायन आधारित खेती को त्याग कर जहरमुक्त जैविक खेती अपनाकर न केवल मृदा-स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सकता है बल्कि मनुष्य को स्वादिष्ट और जहर मुक्त सब्जी मुहैया कराकर देश की पोषण सुरक्षा भी सुनिश...

जैविक व अजैविक घटक क्या है

पारिस्थितिक तंत्र किसी स्थान विशेष पर उपस्थित विभिन्न जैविक तथा अजैविक कारकों से बनी ऐसी प्राकृतिक इकाई है जिसके विभिन्न कारक पारस्परिक क्रिया द्वारा एक स्थिर तंत्र का निर्माण करते हैं । ADVERTISEMENTS: इसमें जैविक तथा अजैविक कारकों के मध्य एक चक्रीय पक्ष द्वारा विभिन्न पदाथों का विनिमय होता है । पारिस्थितिक तंत्र विशाल तथा छोटा दोनों ही हो सकता है । ओडम के अनसुार ”पारिस्थितिक तत्र पारिस्थितिकी की एक आधारभूत इकाई है । जिसमें जैविक समुदाय तथा अजैविक पर्यावरण एक दूसरे को प्रभावित करते हुये पारस्परिक क्रियाओं द्वारा ऊर्जा तथा रासायनिक पदार्थो के निरन्तर प्रवाह से तत्र की कार्यात्मक गतिशीलता बनाये रखते है ।” पारिस्थितिक तंत्र की संरचना | पारिस्थितिक तत्र निम्नलिखित दो घटकों का बना होता है: (i) अजैविक घटक: अजैविक घटक ये ऐसे घटक हैं जिनमें जीवन नहीं होता है और इनके अन्तर्गत निम्नलिखित कारक आते हैं: 1. भौतिक कारक ADVERTISEMENTS: 2. रासायनिक कारक 1. भौतिक कारण: वे सभी भौतिक कारक जो किसी न किसी रूप में जैविक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं तथा भौतिक वातावरण का निर्माण करते है जैसे ताप, प्रकाश, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि । 2. रासायनिक कारक: ADVERTISEMENTS: ऐसे कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ जो पारिस्थितिक तत्र को पूर्ण करने में सहयोग प्रदान करते हैं । इनमें अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ सम्मिलित हैं । 3. अकार्बनिक पदार्थ: इसके अन्तर्गत जल तत्व, गैसें आती हैं । तत्वों में महापोषी तत्व जैसे कार्बन, हाइड्रोजन ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फासफोरस, सल्फर इत्यादि तथा सूक्ष्मपोषी तत्व में जिंक, मैंगनीज, कापर, बोरान इत्यादि है । गैसों में ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन कार्बनडाय-आक्साइड तथा अमोनिया सम्मिलि...