Jammu kashmir ka samvidhan kab bana

  1. संविधान दिवस: आखिर कैसे बना था हमारे देश का संविधान, जानिए कब से कब तक चला काम
  2. Jammu and Kashmir Legislative Assembly
  3. [Hindi] सम्पूर्ण भारत का जून 17, 2023 का मौसम पूर्वानुमान / Weather Forecast for India for June 17, 2023
  4. भारत का संविधान
  5. 1932 से अब तक कश्मीर की पूरी कहानी
  6. Jammu and Kashmir (union territory)
  7. संविधान दिवस: आखिर कैसे बना था हमारे देश का संविधान, जानिए कब से कब तक चला काम
  8. [Hindi] सम्पूर्ण भारत का जून 17, 2023 का मौसम पूर्वानुमान / Weather Forecast for India for June 17, 2023
  9. Jammu and Kashmir Legislative Assembly
  10. 1932 से अब तक कश्मीर की पूरी कहानी


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संविधान दिवस: आखिर कैसे बना था हमारे देश का संविधान, जानिए कब से कब तक चला काम

आज संविधान दिवस है. भारत के संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है, जो करीब 3 साल में बनकर तैयार हुआ. भारत के संविधान की खास बात ये है कि इसमें हर वर्ग, हर धर्म का ध्यान रखा गया है और काफी कुछ ध्यान में रखकर इसे बनाया गया है. संविधान दिवस के मौके पर ही जानते हैं कि आखिर संविधान बनाने का काम किस तरह से शुरू हुआ और किन चरणों से गुजरते हुए इसका निर्माण किया गया. 20वीं सदी तक आते आते भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन कई दशक पुराना हो चुका था. स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान राष्ट्रवादियों ने इस बात पर काफी विचार किया था कि स्वतंत्र भारत किस तरह का होना चाहिए. ब्रिटिश शासन के अंतर्गत उन्हें दिन नियमों को मानना पड़ता था वो उन्होंने खुद नहीं बनाए थे. औपनिवेशिक राज्य के लंबे अत्याचारी शासन ने भारतीयों के सामने इतना जरूर स्पष्ट कर दिया था कि स्वतंत्र भारत को एक लोकतांत्रिक देश होना चाहिए. उसमें प्रत्येक नागरिक को समान माना जाएगा और सभी को सरकार में हिस्सेदारी का अधिकार होगा. इसके बाद यह तय करना था कि भारत में लोकतांत्रिक सरकार का गठन कैसे किया जाए और उसके कामकाज के नियम क्या हों. आजादी के पहले की गई थी संविधान की मांग वैसे तो साल 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संविधान सभा के गठन की मांगी को पहली बार अपनी अधिकृत नीति में शामिल किया. केवल भारतीयों को लेकर बनने वाली एक स्वंतत्र संविधान सभी की यह मांग दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान और तेज हो गई. बता दें कि संविधान सभा के सदस्य 1935 में स्थापित प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष विधि से चुने गए. फिर साल 1946 के दिसंबर महीने में एक संविधान सभा का गठन किया गया. इसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई और फिर 14 अगस्त 1947 ...

Jammu and Kashmir Legislative Assembly

Next election Website .neva .gov .in The Jammu and Kashmir Legislative Assembly also known as the Jammu and Kashmir Vidhan Sabha is the legislature of Indian union territory of The Legislative Assembly of Jammu and Kashmir was dissolved by the Governor on 21 November 2018. Prior to 2019, the History [ ] Praja Sabha [ ] The first legislature of the Praja Sabha, was established by the government of the ex-officio members. The In 1939, the Muslim Conference party renamed itself to Post-accession [ ] After the accession of the In 1957, a new constitution was adopted by the constituent assembly, which established a Revocation of Article 370 and reorganisation of state [ ] In 2019, In March 2019, a three-member Delimitation Commission was formed, chaired by retired Justice Composition [ ] The Legislative Assembly was initially composed of 100 members, later increased to 111 by the then Tenure and functions [ ] Members of the Legislative Assembly were elected for a six-year term up to 2019 and five-year term thereafter. The seats are filled by Membership by party [ ] The assembly is currently dissolved. Office bearers [ ] Source: • Speaker: Vacant • Vacant • Leader of Opposition : Vacant • Secretary: Manoj Kumar Pandit Members of Legislative Assembly [ ] The assembly is currently dissolved. Attack on the State Assembly Complex [ ] See also [ ] • • • • References [ ] • The Hindu. 21 November 2018. . Retrieved 28 February 2022. • . Retrieved 29 August 2010. [ permanent dead link] •...

[Hindi] सम्पूर्ण भारत का जून 17, 2023 का मौसम पूर्वानुमान / Weather Forecast for India for June 17, 2023

देश भर में मौसम प्रणाली: चक्रवात बिपारजॉय ने 15 जून की शाम को एक बहुत ही गंभीर चक्रवात के रूप में उत्तरी गुजरात पर दस्तक दी। अब यह उत्तर पश्चिम गुजरात और पाकिस्तान के दक्षिण सिंध के आसपास के हिस्सों पर एक चक्रवात के रूप में देखा जा रहा है। यह आज 16 जून की शाम तक डिप्रेशन के रूप में दक्षिण राजस्थान के ऊपर उत्तर पूर्व दिशा में आगे बढ़ेगा। इसका असर 18 जून की सुबह तक गुजरात तट पर महसूस किया जाएगा। सौराष्ट्र और कच्छ तट पर हवाओं की गति 25 से 30 किलोमीटर होगी। खंभात की खाड़ी और महाराष्ट्र तट से उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर हवा की गति 23 से 27 Kts हो सकती है। 18 जून की सुबह तक हवा की लहरें भी ऊंची रहेंगी। हवा की गति कम होने लगेगी और 18 जून की सुबह से लहरों की ऊंचाई भी कम हो जाएगी। एक ट्रफ उत्तर पूर्वी बिहार से पूर्वी झारखंड होते हुए गंगीय पश्चिम बंगाल तक जा रही है। पिछले 24 घंटों के दौरान देश भर में हुई मौसमी हलचल पिछले 24 घंटों के दौरान, सौराष्ट्र और कच्छ, उत्तर पूर्व भारत और सिक्किम में मध्यम से भारी बारिश हुई। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर भारी बारिश हुई। गुजरात क्षेत्र, केरल, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और ओडिशा के उत्तरी तट पर एक या दो मध्यम बारिश के साथ हल्की बारिश हुई। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी पंजाब, राजस्थान, कोंकण और गाओ, तटीय कर्नाटक और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गंगीय पश्चिम बंगाल में एक या दो स्थानों पर हल्की बारिश हुई। अगले 24 घंटों के दौरान मौसम की संभावित गतिविधि अगले 24 घंटों के दौरान, पूर्वोत्तर भारत, गुजरात के कच्छ क्षेत्र और दक्षिण राजस्थान में मध्यम से भारी बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर बहुत ...

भारत का संविधान

दोस्तों यहां पर आपको भारत के संविधान के बारे में India constitution online read, bhart ka samvidhan note, essay, all Articles, list of all acts, meaning, India constitution pdf download दिया हुवा हैं। Constitution Of India In Hindi Constitution Of India In Hindi / भारत के हर एक नागरिक का ये कर्त्तव्य है की वो अपने देश की संविधान (Constitution Of India) को भली-भाँति जाने और समझे। भारत संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्‍वतंत्र प्रभुसत्ता सम्‍पन्‍न समाजवादी लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य है। यह गणराज्‍य भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ। भारत का संविधान (Indian Constitution in Hindi) विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। संविधान देश का सबसे बड़ा कानून होता है। हालाँकि आजादी के बाद से समय-समय पर वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार सविधान में कई संशोधन भी किए गए। अभी तक 117 संशोधन किये गए हैं। आखिरी संशोधन 10 दिसंबर 2019 को किया गया था। संविधान का संशोधन तीन प्रकार से किया जाता हैं। • संसद के सामान्य बहुमत से संशोधन • संसद के विशेष बहुमत से संशोधन • संसद के विशेष बहुमत और राज्यों की सहमति से संशोधन हमारी राई हैं की आप भारत का नागरिक होने के नाते अपने अधिकारों को ठीक से जाने। आइए आज हम आपको भारत का सविधान उपलब्ध करा रहे हैं आप इसे ऑनलाइन भी पढ़ सकते है या फिर डाउनलोड भी कर सकते हैं। भारतीय संविधान के तथ्य – Indian Constitution Facts in Hindi भारतीय संविधान के तथ्य 9 दिसंबर, 1946 संविधान सभा की पहली बैठक 11 दिसंबर 1946 विधानसभा ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को इसका स्थायी अध्यक्ष चुना। 22 जुलाई 1947 संविधान ...

1932 से अब तक कश्मीर की पूरी कहानी

कश्मीर देश के लिए एक दुखती रग रहा और आज भी बना हुआ है? कौन इसके लिए, किस हद तक जिम्मेदार है? किसने, किस हद तक इस मसले पर क्या- क्या कोशिशें कीं? सरदार पटेल के सचिव वीशंकर की किताब ‘सरदार पटेल का चुना हुआ पत्र व्यवहार’ के आधार पर... नेहरू जी के भावुकतापूर्ण अविवेक से नाराज़ थे सरदार पटेल महाराजा हरिसिंह के शासनकाल में जम्मू- कश्मीर का प्रशासन ठीक था। पहले पॉलिटिकल डिपार्टमेंट द्वारा चुने गए अधिकारियों के मातहत और बाद में गोपाल स्वामी अय्यंगार, महाराज सिंह और बीएन राव जैसे सुयोग्य भारतीय प्रशासकों के कारण। हालांकि, महाराजा खुद भी कार्यक्षम और परिश्रमशील शासक थे, परंतु उनके चरित्र में अनिर्णय अथवा असमंजस का भारी दोष था। 1932 में शेख अब्दुल्ला ने जो लोकप्रिय आंदोलन चलाया, उसके कारण शासन को उदार बनाने का पहला कदम उठाया गया। शुरुआत में यह कौमी आंदोलन था, जो मुसलमानों के हित की लड़ाई लड़ने के लिए खड़ा किया गया था।1939 में आंदोलन का कौमी स्वरूप खत्म कर दिया गया और पहले कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नाम से पहचाने जाने वाली उनकी संस्था अब नेशनल कांन्फ्रेंस हो गई। आगे चलकर इसे देसी राज्य प्रजा परिषद से जोड़ दिया गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस महाराजा हरिसिंह के खिलाफ आंदोलन चलाती रही और 1946 में कांग्रेस आंदोलन से प्रेरणा लेकर शेख अब्दुल्ला ने \'महाराजा कश्मीर छोड़ो\' आंदोलन छेड़ दिया। शेख गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें तीन साल की सजा हुई। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वयं एक कश्मीरी थे और राज्य के प्रति उनका रवैया निहायत भावुकतापूर्ण था। वे जून 1946 में अपने गिरफ्तार मित्रों (खासकर शेख अब्दुल्ला) को प्रोत्साहित करना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक आंदोलन के भय से राज्य सरकार ने नेहरूजी के प्रवेश पर रोक लगा द...

Jammu and Kashmir (union territory)

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संविधान दिवस: आखिर कैसे बना था हमारे देश का संविधान, जानिए कब से कब तक चला काम

आज संविधान दिवस है. भारत के संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है, जो करीब 3 साल में बनकर तैयार हुआ. भारत के संविधान की खास बात ये है कि इसमें हर वर्ग, हर धर्म का ध्यान रखा गया है और काफी कुछ ध्यान में रखकर इसे बनाया गया है. संविधान दिवस के मौके पर ही जानते हैं कि आखिर संविधान बनाने का काम किस तरह से शुरू हुआ और किन चरणों से गुजरते हुए इसका निर्माण किया गया. 20वीं सदी तक आते आते भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन कई दशक पुराना हो चुका था. स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान राष्ट्रवादियों ने इस बात पर काफी विचार किया था कि स्वतंत्र भारत किस तरह का होना चाहिए. ब्रिटिश शासन के अंतर्गत उन्हें दिन नियमों को मानना पड़ता था वो उन्होंने खुद नहीं बनाए थे. औपनिवेशिक राज्य के लंबे अत्याचारी शासन ने भारतीयों के सामने इतना जरूर स्पष्ट कर दिया था कि स्वतंत्र भारत को एक लोकतांत्रिक देश होना चाहिए. उसमें प्रत्येक नागरिक को समान माना जाएगा और सभी को सरकार में हिस्सेदारी का अधिकार होगा. इसके बाद यह तय करना था कि भारत में लोकतांत्रिक सरकार का गठन कैसे किया जाए और उसके कामकाज के नियम क्या हों. आजादी के पहले की गई थी संविधान की मांग वैसे तो साल 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संविधान सभा के गठन की मांगी को पहली बार अपनी अधिकृत नीति में शामिल किया. केवल भारतीयों को लेकर बनने वाली एक स्वंतत्र संविधान सभी की यह मांग दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान और तेज हो गई. बता दें कि संविधान सभा के सदस्य 1935 में स्थापित प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष विधि से चुने गए. फिर साल 1946 के दिसंबर महीने में एक संविधान सभा का गठन किया गया. इसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई और फिर 14 अगस्त 1947 ...

[Hindi] सम्पूर्ण भारत का जून 17, 2023 का मौसम पूर्वानुमान / Weather Forecast for India for June 17, 2023

देश भर में मौसम प्रणाली: चक्रवात बिपारजॉय ने 15 जून की शाम को एक बहुत ही गंभीर चक्रवात के रूप में उत्तरी गुजरात पर दस्तक दी। अब यह उत्तर पश्चिम गुजरात और पाकिस्तान के दक्षिण सिंध के आसपास के हिस्सों पर एक चक्रवात के रूप में देखा जा रहा है। यह आज 16 जून की शाम तक डिप्रेशन के रूप में दक्षिण राजस्थान के ऊपर उत्तर पूर्व दिशा में आगे बढ़ेगा। इसका असर 18 जून की सुबह तक गुजरात तट पर महसूस किया जाएगा। सौराष्ट्र और कच्छ तट पर हवाओं की गति 25 से 30 किलोमीटर होगी। खंभात की खाड़ी और महाराष्ट्र तट से उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर हवा की गति 23 से 27 Kts हो सकती है। 18 जून की सुबह तक हवा की लहरें भी ऊंची रहेंगी। हवा की गति कम होने लगेगी और 18 जून की सुबह से लहरों की ऊंचाई भी कम हो जाएगी। एक ट्रफ उत्तर पूर्वी बिहार से पूर्वी झारखंड होते हुए गंगीय पश्चिम बंगाल तक जा रही है। पिछले 24 घंटों के दौरान देश भर में हुई मौसमी हलचल पिछले 24 घंटों के दौरान, सौराष्ट्र और कच्छ, उत्तर पूर्व भारत और सिक्किम में मध्यम से भारी बारिश हुई। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर भारी बारिश हुई। गुजरात क्षेत्र, केरल, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और ओडिशा के उत्तरी तट पर एक या दो मध्यम बारिश के साथ हल्की बारिश हुई। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी पंजाब, राजस्थान, कोंकण और गाओ, तटीय कर्नाटक और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गंगीय पश्चिम बंगाल में एक या दो स्थानों पर हल्की बारिश हुई। अगले 24 घंटों के दौरान मौसम की संभावित गतिविधि अगले 24 घंटों के दौरान, पूर्वोत्तर भारत, गुजरात के कच्छ क्षेत्र और दक्षिण राजस्थान में मध्यम से भारी बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर बहुत ...

Jammu and Kashmir Legislative Assembly

Next election Website .neva .gov .in The Jammu and Kashmir Legislative Assembly also known as the Jammu and Kashmir Vidhan Sabha is the legislature of Indian union territory of The Legislative Assembly of Jammu and Kashmir was dissolved by the Governor on 21 November 2018. Prior to 2019, the History [ ] Praja Sabha [ ] The first legislature of the Praja Sabha, was established by the government of the ex-officio members. The In 1939, the Muslim Conference party renamed itself to Post-accession [ ] After the accession of the In 1957, a new constitution was adopted by the constituent assembly, which established a Revocation of Article 370 and reorganisation of state [ ] In 2019, In March 2019, a three-member Delimitation Commission was formed, chaired by retired Justice Composition [ ] The Legislative Assembly was initially composed of 100 members, later increased to 111 by the then Tenure and functions [ ] Members of the Legislative Assembly were elected for a six-year term up to 2019 and five-year term thereafter. The seats are filled by Membership by party [ ] The assembly is currently dissolved. Office bearers [ ] Source: • Speaker: Vacant • Vacant • Leader of Opposition : Vacant • Secretary: Manoj Kumar Pandit Members of Legislative Assembly [ ] The assembly is currently dissolved. Attack on the State Assembly Complex [ ] See also [ ] • • • • References [ ] • The Hindu. 21 November 2018. . Retrieved 28 February 2022. • . Retrieved 29 August 2010. [ permanent dead link] •...

1932 से अब तक कश्मीर की पूरी कहानी

कश्मीर देश के लिए एक दुखती रग रहा और आज भी बना हुआ है? कौन इसके लिए, किस हद तक जिम्मेदार है? किसने, किस हद तक इस मसले पर क्या- क्या कोशिशें कीं? सरदार पटेल के सचिव वीशंकर की किताब ‘सरदार पटेल का चुना हुआ पत्र व्यवहार’ के आधार पर... नेहरू जी के भावुकतापूर्ण अविवेक से नाराज़ थे सरदार पटेल महाराजा हरिसिंह के शासनकाल में जम्मू- कश्मीर का प्रशासन ठीक था। पहले पॉलिटिकल डिपार्टमेंट द्वारा चुने गए अधिकारियों के मातहत और बाद में गोपाल स्वामी अय्यंगार, महाराज सिंह और बीएन राव जैसे सुयोग्य भारतीय प्रशासकों के कारण। हालांकि, महाराजा खुद भी कार्यक्षम और परिश्रमशील शासक थे, परंतु उनके चरित्र में अनिर्णय अथवा असमंजस का भारी दोष था। 1932 में शेख अब्दुल्ला ने जो लोकप्रिय आंदोलन चलाया, उसके कारण शासन को उदार बनाने का पहला कदम उठाया गया। शुरुआत में यह कौमी आंदोलन था, जो मुसलमानों के हित की लड़ाई लड़ने के लिए खड़ा किया गया था।1939 में आंदोलन का कौमी स्वरूप खत्म कर दिया गया और पहले कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नाम से पहचाने जाने वाली उनकी संस्था अब नेशनल कांन्फ्रेंस हो गई। आगे चलकर इसे देसी राज्य प्रजा परिषद से जोड़ दिया गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस महाराजा हरिसिंह के खिलाफ आंदोलन चलाती रही और 1946 में कांग्रेस आंदोलन से प्रेरणा लेकर शेख अब्दुल्ला ने \'महाराजा कश्मीर छोड़ो\' आंदोलन छेड़ दिया। शेख गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें तीन साल की सजा हुई। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वयं एक कश्मीरी थे और राज्य के प्रति उनका रवैया निहायत भावुकतापूर्ण था। वे जून 1946 में अपने गिरफ्तार मित्रों (खासकर शेख अब्दुल्ला) को प्रोत्साहित करना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक आंदोलन के भय से राज्य सरकार ने नेहरूजी के प्रवेश पर रोक लगा द...