झांसी की रानी का चरित्र चित्रण

  1. ZEE Jankari: Queen of Jhansi, who did not give life to fate
  2. Rani Lakshmibai Punyatithi 2022 Messages: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, इन हिंदी Quotes, WhatApp Status, Photo SMS के जरिए करें उन्हें नमन
  3. झाँसी की रानी (उपन्यास)


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ZEE Jankari: Queen of Jhansi, who did not give life to fate

आज 19 नवंबर है . आज के दिन का भारत की दो महिलाओं के साथ गहरा रिश्ता है. एक... झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और दूसरी... भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी . आज इन दोनों का जन्मदिन है. हर साल 19 नवंबर को तमाम अखबार, और संचार के तमाम साधन आपको ये बता देते हैं कि आज भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती है.. लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता है कि आज ही के दिन झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था. झांसी की रानी को हमारे देश में स्कूलों के फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन तक सीमित कर दिया गया है. इसके अलावा उनका इस्तेमाल व्यंग्य के बाण छोड़ने के लिए होता है. जब भी कोई महिला बहादुरी से अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करती है, तो लोग ये कह देते हैं कि झांसी की रानी मत बनो. लेकिन रानी लक्ष्मीबाई की शख्सियत ऐसे कटाक्षों से बहुत ऊपर है. झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु को आज 160 वर्ष बीत चुके हैं . आपने सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता ज़रूर सुनी होगी... 'खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी' . अगर सुभद्रा कुमारी चौहान ने झांसी की रानी पर ये कविता नहीं लिखी होती तो शायद एक पूरी पीढ़ी झांसी की रानी को भूल चुकी होती. अगर आज आपको झांसी की रानी के बारे में जानना हो तो आपको इतिहास की किताबें खरीदकर खुद उन्हें पढ़ना होगा.. या फिर दोबारा स्कूल में दाखिला लेना पड़ेगा. हमारा सिस्टम खुद.. आपको झांसी की रानी की याद नहीं दिलाएगा. झांसी की रानी की वीरता और शौर्य को हमारे देश में वो स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था. जबकि 21वीं सदी में झांसी की रानी वाले तेवरों की बहुत ज़रूरत है. इसलिए आज हम इतिहास के आईने पर जमी धूल को साफ करेंगे और आपको झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के शौर्य के बार...

Rani Lakshmibai Punyatithi 2022 Messages: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, इन हिंदी Quotes, WhatApp Status, Photo SMS के जरिए करें उन्हें नमन

Rani Lakshmibai Punyatithi 2022 Messages: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि, इन हिंदी Quotes, WhatApp Status, Photo SMS के जरिए करें उन्हें नमन झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की नींव रखी थी. इस विद्रोह के चलते अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिल गई थी. आखिरी दम तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर लोग उनकी वीरता और शौर्यगाथा को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. ऐसे में आप भी इन मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टेटस, फोटो एसएमएस के जरिए उन्हें नमन कर सकते हैं. Rani Lakshmibai Punyatithi 202 2 Messages in Hindi: खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी...मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्योछावर करने वाली इतिहास की महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Queen of Jhansi Rani Lakshmibai) की आज यानी 18 जून 2022 को पुण्यतिथि (Rani Lakshmibai Punyatithi) मनाई जा रही है. आखिरी दम तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai) 17 जून 1858 को अपनी आखिरी जंग के लिए तैयार हुई थीं और अंग्रेजों से लड़ते हुए 18 जून को वीरगति प्राप्त की. रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु को लेकर अलग-अलग मत हैं. लॉर्ड केनिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें एक सैनिक ने पीछे से गोली मारी थी, तभी अपने घोड़े के मोड़ते हुए रानी लक्ष्मीबाई ने भी इस सैनिक पर हमला किया था, लेकिन वो उनके वार से बच गया और उसने अपनी तलवार से वध कर दिया था. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की नींव रखी थी. इस विद्रोह के चलते अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिल गई थी. आखिरी दम तक अंग्रेजों से लोहा ...

झाँसी की रानी (उपन्यास)

अनुक्रम • 1 मूल्यांकन • 2 इन्हें भी देखें • 3 सन्दर्भ • 4 स्रोत ग्रन्थ • 5 बाहरी कड़ियाँ मूल्यांकन [ ] उपन्यास के लेखक वृन्दावनलाल वर्मा उपन्यास की भूमिका में विस्तार से लिखते हैं कि उपन्यास की रचना दरअसल इस खोज से भी सम्बंधित थी कि रानी वास्तव में स्वराज के लिए लड़ीं अथवा केवल आपने शासन को बचाने के लिए, और लेखक का कथन है कि उन्हें जो भी लिखित दस्तावेज प्राप्त हो पाए वे काफ़ी अपर्याप्त थे, हालाँकि, कई लोगों से मिलकर साक्षात्कार द्वारा और उन्हें जो कहानियाँ सुनने को मिलीं उनसे लेखक को प्रगाढ़ विश्वास हो जाता है कि रानी ने अंग्रेजों से स्वराज के लिए युद्ध किया था। उपन्यास का प्रकाशन 1949 में और पुनर्प्रकाशन 1951 में हुआ। उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी रचना वर्मा ने उस काल में की जब हिंदी में ऐतिहासिक उपन्यासों की भारी कमी थी। ऐसे में उनके इस तरह के उपन्यासों की रचना से न केवल हिंदी साहित्य इस विधा में भी समृद्ध हुआ बल्कि परवर्ती अंग्रेज विद्वानों ने भी इन रचनाओं को मील का पत्थर घोषित किया। गढ़ कुंडार को अंग्रेजी लेखक झाँसी की रानी और मृगनयनी जैसे उपन्यासों की रचना करने वाले वर्मा अपने इन्ही ऐतिहासिक उपन्यासों के बदौलत "हिंदी के वाल्टर स्काट" कहलाये। झाँसी की रानी को हिंदी का सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास भी माना जाता है। इन्हें भी देखें [ ] • • • • • • • ↑ • ↑ • • • ↑ • • स्रोत ग्रन्थ [ ] • वृंदावनलाल वर्मा (2001). Lakshmi Bai, the Rani of Jhansi. Ocean Books. 978-81-87100-54-6. मूल से 24 अप्रैल 2017 को . अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017. • Sri Tilak (2013). Ganeshshankar Vidyarthi (Vol 1). Prabhat Prakashan. 978-93-5048-271-1. मूल से 24 अप्रैल 2017 को . अभिगमन तिथि 2...