Jhansi ki rani ke bare mein

  1. JHANSI KI RANI POEM IN HINDI
  2. झाँसी की रानी
  3. झांसी की रानी के बारे में बताएँ? » Jhansi Ki Rani Ke Bare Mein Batayen
  4. NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10
  5. राणी लक्ष्मीबाई यांची माहिती


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JHANSI KI RANI POEM IN HINDI

Jhansi ki Rani (झाँसी की रानी) poem by Poet Subhadra Kumari Chauhan is one of her most famous Hindi poems. She was born on 16.08.1904 and died on 15.02.1948 due to car accident. She was famous for Hindi poems composed primarily in Veer Ras (one of the nine ras in Hindi poetry). Jhansi ki Rani Poem is emotionally charged description of the life of the queen of Jhansi (during British period) and her participation in the 1857 revolution. Poem Jhansi ki Rani along with other poems like Veeron ka kaisa ho Basant, Rakhi ki chunauti along with Vida openly talk about freedom movement written by Subhadra Kumari Chauhan. These poems by Subhadra Kumari Chauhan have inspired great numbers of Indian youths to participate in the Indian freedom movement. ABOUT QUEEN OF JHANSI : Queen of Jhansi was born on 19.11.1835. Her life is a story of unparallel valor, guts and dignity. She was only 18 years old when her husband Gangadhar Rao, the king of Jhansi died. The British ruler refused to accept the adopted child of kingdom of Jhansi as the legal heir to the throne of Jhansi. The British ordered her to leave the Fort and take a pension of Rs. 60000 per annum. Queen of Jhansi, Jhansi ki Rani refused this. She decided to fight for her right. Jhansi ki Rani raised a volunteer army consisting of men and women. In March 1858 English army laid siege to the Fort of Jhansi and took over Jhansi after fighting for two weeks. Jhansi ki Rani escaped in guise of a man with a few of her supporters, riding...

झाँसी की रानी

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आयी फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की क़ीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी, चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ कानपूर के नाना की मुँहबोली बहन 'छबीली' थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी, वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद ज़बानी थीं। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना ख़ूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार, महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह हुआ रानी बन आयी लक्ष्मीबाई झाँसी में, राजमहल में बजी बधाई ख़ुशियाँ छायीं झाँसी में, सुभट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आयी झाँसी में, चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छायी, किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लायी, तीर चलानेवाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भायीं, रानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आयी, निःसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने स...

झांसी की रानी के बारे में बताएँ? » Jhansi Ki Rani Ke Bare Mein Batayen

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपका प्रश्न झांसी की रानी के बारे में बताया तो आपको बता दें कि झांसी की रानी का नाम लक्ष्मीबाई था और उनका जन्म वाराणसी में हुआ था उनके पिता का नाम और पता और माता का नाम भागीरथी शास्त्री था और उनकी बचपन का नाम मणिकर्णिका तांबे था बाद में उनकी मां की मृत्यु शुरू में ही हो गई थी तो उनके पिता पेशवा बाजीराव क्या नौकरी करते थे वहीं पर उन्हें लेकर चले गए वहां उन्हें मनु और छबीली नाम से पुकारने लगे उनका विवाह आगे चलकर झांसी के महाराज गंगाधर राव से हुआ था और वहीं पर उन्हें लक्ष्मीबाई नाम दिया गया आगे चलके गंगाधर राव की मृत्यु हो गई उसके पश्चात वह झांसी की महारानी बन गए और अंग्रेजों उनकी कोई अपने संतान नहीं थी और अंग्रेजों के हड़प नीति के खिलाफ उन्होंने आवाज बुलंद की और बाद में अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए 18 सो 58 में और उनकी इसी वीरता के लिए उन्हें इतिहास में याद किया जाता है जाना जाता है aapka prashna jhansi ki rani ke bare me bataya toh aapko bata de ki jhansi ki rani ka naam lakshmibai tha aur unka janam varanasi me hua tha unke pita ka naam aur pata aur mata ka naam bhagirathi shastri tha aur unki bachpan ka naam manikarnika tambe tha baad me unki maa ki mrityu shuru me hi ho gayi thi toh unke pita peshwa bajirao kya naukri karte the wahi par unhe lekar chale gaye wahan unhe manu aur chhabili naam se pukarane lage unka vivah aage chalkar jhansi ke maharaj gangadhar rav se hua tha aur wahi par unhe lakshmibai naam diya gaya aage chal ke gangadha...

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 झाँसी की रानी is part of Board CBSE Textbook NCERT Class Class 6 Subject Hindi Chapter Chapter 10 Chapter Name झाँसी की रानी Number of Questions Solved 24 Category NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 झाँसी की रानी पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास कविता से प्रश्न 1. ‘किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई (क) इस पंक्ति में किस घटना की ओर संकेत है? (ख) काली घटा घिरने की बात क्यों कही गयी है? उत्तर- (क) इस पंक्ति में रानी लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर राव की मृत्यु की ओर संकेत है। (ख) राजा जी की मृत्यु के उपरांत रानी झाँसी के ऊपर एक के बाद एक विपत्ति आने लगी। अंग्रेजों की नीति थी कि वे नि:संतान राजा की मृत्यु के बाद उस राज्य पर अपना अधिकार कर लेते थे। रानी के जीवन में दुख का अंधकार छा गया। इसलिए काली घटा घिरने की बात कही गई है। प्रश्न 2. कविता की दूसरी पंक्ति में भारत को ‘बूढ़ा’ कहकर और उसमें ‘नयी जवानी’ आने की बात कहकर सुभद्रा कुमारी चौहान क्या बताना चाहती हैं? उत्तर- कवयित्री ‘सुभद्रा कुमारी चौहान ने भारत को ‘बूढ़ा इसलिए कहा क्योंकि तब भारत की दशा बहुत शिथिल और जर्जर हो चुकी थी। भारत लंबे समय से अंग्रेजों की गुलामी से हर तरह से कमज़ोर हो रहा था। ‘नई जवानी’ आने की बात कहकर कवयित्री यह बताना चाहती थी कि अपनी खोई हुई आज़ादी को हासिल करने के लिए देश में नया जोश उत्पन्न हो गया था। अब उनमें आशा और उत्साह का नया संचार हो गया। संघर्ष करने की शक्ति आ गई और वे स्वतंत्रता पाने के लिए प्रयास करने लगे। प्रश्न 3. झाँसी की रानी के जीवन की कहानी अपने शब्दों में लिखो और यह भी बताओ कि उनका बचपन तुम्हारे बचपन से कैसे अलग था? उत्तर- रानी लक्ष्मीब...

राणी लक्ष्मीबाई यांची माहिती

१८५७ च्या पहिल्या भारतीय स्वातंत्र्य चळवळीची नायिका राणी लक्ष्मीबाई होत्या, ज्यांनी अगदी लहान वयातच ब्रिटीश साम्राज्याशी लढा दिला होता. त्यांच्या शौर्याने त्यांना ‘क्रांतिकारकांची स्फूर्तिदेवता’ म्हणून जनमानसात अढळ स्थान प्राप्त झाले आहे. ✍🏻 हे पण 🙏 वाचा 👉: राणी लक्ष्मीबाई यांच्या धाडसी कार्याने फक्त इतिहासच नाही रचला तर, सर्व स्त्रियांच्या मनात एक धाडसी उर्जा निर्माण केली. महाराणी लक्ष्मीबाई यांनी देशाच्या स्वातंत्र्यासाठी लढा दिला आणि त्यांच्या विजयाच्या गाथा इतिहासाच्या पानावर लिहिल्या गेल्या आहेत. झांसी या राज्याच्या स्वातंत्र्यासाठी राणी लक्ष्मीबाईंनी ब्रिटिश राज्याविरुद्ध लढा देण्याचे धाडस केले आणि नंतर त्यांना वीरगती प्राप्त झाली. लक्ष्मीबाईं यांच्या पराक्रमाचे किस्से आजही आठवतात. राणी लक्ष्मीबाई यांनी त्याग आणि धैर्याने केलेल्या कृतीतून केवळ भारत देशच नाही तर संपूर्ण जगातील महिलांचे नाव गर्वाने उच्च केले. झाशीची राणी लक्ष्मीबाई यांचे जीवन अमरत्व, देशप्रेम आणि बलिदानाची एक अनोखी गाथा आहे. Rani Lakshmibai (Rani of Jhansi) Short Biography in Marathi – राणी लक्ष्मीबाई यांची थोडक्यात माहिती संपूर्ण नाव (Full Name) लक्ष्मीबाई गंगाधरराव नेवाळकर टोपणनाव मनू जन्म (Born) १९ नोव्हेंबर १८३५ जन्मस्थान काशी, भारत मृत्यू १८ जून १८५८ मृत्युस्थान ग्वालियर, मध्य प्रदेश, ब्रिटिश भारत वडिलांचे नाव (Father) मोरोपंत तांबे आईचे नाव भागीरथीबाई तांबे पतीचे नाव (Husband) गंगाधरराव नेवाळकर अपत्ये: दामोदर चळवळ १८५७ चे स्वातंत्र्ययुद्ध भारतीय स्वातंत्र्यलढा धर्म हिंदू महान क्रांतिकारक राणी लक्ष्मीबाई जन्म, कौटुंबिक आणि प्रारंभिक जीवन – Rani Lakshmibai (Rani of Jhansi) Family राणी लक्ष्मीबाई या...