जलवायु परिवर्तन के कारणों एवं प्रभावों का वर्णन कीजिए

  1. जलवायु परिवर्तन/कारण
  2. जलवायु परिवर्तन: चुनौतियाँ और समाधान
  3. जलवायु परिवर्तन का असर जैवविविधता से लेकर समाज तक, नई आईपीसीसी रिपोर्ट में आया सामने


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जलवायु परिवर्तन/कारण

सामग्री • १ मनुष्यों के कारण • १.१ जंगलों की कटाई • १.२ कारखाने और अन्य प्रदूषण • २ प्राकृतिक कारण मनुष्यों के कारण [ ] जंगलों की कटाई [ ] मनुष्य जंगलों को काट कर उसके द्वारा कई तरह का लाभ उठाता है। इसके द्वारा मिले लकड़ी को इसके सामान बनाने, जला कर खाना बनाने, मकान बनाने आदि के काम में उपयोग करता है। जंगल के साफ हो जाने के बाद वह उस जगह पर कब्जा कर के उसे खेती के लिए उपयोग करने लगता है या उसमें मकान बना लेता है। वायु को शुद्ध रखने के लिए पेड़ पौधे अति आवश्यक है। इसके अलावा भी पेड़ पौधे बहुत काम आते हैं और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इन्हें बचाना अनिवार्य है। कारखाने और अन्य प्रदूषण [ ] कारखानों को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है, क्योंकि इसके आसपास रहने से साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वालों में वाहनों को लिया जाता है। यह सभी वायु प्रदूषण फैलाने में अपना योगदान देते हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे उदाहरण है, जो वायु प्रदूषण के कारक बनते हैं। वायु प्रदूषण से गर्मी बढ़ जाती है और गर्मी बढ़ने से जलवायु में भी परिवर्तन होने लगता है। आप सभी को पता ही होगा कि वायु अधिक दाब के क्षेत्र से कम दाब के क्षेत्र में जाती है। जहाँ अधिक गर्मी होती है, वहाँ का दाब कम होने लगता है और उसके आसपास के क्षेत्र का दाब उस क्षेत्र से अधिक हो जाने के कारण जिस क्षेत्र में अधिक गर्मी है वहाँ तेजी से हवा आने लगता है। कई बार यह तूफान का रूप में धारण कर लेता है। यदि आसपास के क्षेत्र में वर्षा का बादल हो तो वह भी हवा के साथ साथ तेजी से उस क्षेत्र में आने लगता है। इस तरह के बारिश में तेज हवा चलती है और ओले भी गिरने लगते हैं। प्राकृतिक कारण [ ] इनमें वे कारण है, जो प्र...

जलवायु परिवर्तन: चुनौतियाँ और समाधान

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में जलवायु परिवर्तन व उससे उपजी चुनौतियाँ और समाधान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। संदर्भ वर्ष 2100 तक भारत समेत अमेरिका, कनाडा, जापान, न्यूजीलैंड, रूस और ब्रिटेन जैसे सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएँ जलवायु परिवर्तन के असर से अछूती नहीं रहेंगी। कुछ समय पूर्व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की एक शोध टीम ने 174 देशों के वर्ष 1960 के बाद जलवायु संबंधी आँकड़ों का अध्ययन किया है। अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान की स्थिति में विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ मानव के अस्तित्व पर भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। इसके अतिरिक्त पिछली सदी से अब तक समुद्र के जल स्तर में भी लगभग 8 इंच की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीँ संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UN Office for Disaster Risk Reduction-UNDRR) के अनुसार, भारत को जलवायु परिवर्तन के कारण हुई प्राकृतिक आपदाओं से वर्ष 1998-2017 के बीच की समयावधि के दौरान लगभग 8,000 करोड़ डॉलर की आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा है। यदि पूरी दुनिया की बात की जाए तो इसी समयावधि में तकरीबन 3 लाख करोड़ डॉलर की क्षति हुई है। हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क के तत्वावधान में आयोजित COP-25 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये विभिन्न दिशा-निर्देश ज़ारी किये गए। इस आलेख में जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन के कारण, उससे उत्पन्न चुनौतियों पर विश्लेषण किया जाएगा। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न ...

जलवायु परिवर्तन का असर जैवविविधता से लेकर समाज तक, नई आईपीसीसी रिपोर्ट में आया सामने

• यूनाइटेड नेशन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज यानी आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से मानव जाति के साथ पृथ्वी का स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है। यह रिपोर्ट जलवायु, जैवविविधता और मानव समाज पर केंद्रित है। • रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पृथ्वी का तापमान बढ़ना (ग्लोबल वार्मिंग) इसी तरह जारी रहा तो मानसिक स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियां बढ़ेंगी। विशेषतौर पर बच्चों, किशोर और बुजुर्ग व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बढ़ती दिखेगी। • रिपोर्ट में क्लाइमेट जस्टिस (जलवायु न्याय), स्थानीय लोग के साथ-साथ स्थानीय ज्ञान को महत्व दिया गया है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इनके इस्तेमाल की सिफारिश की गयी है। साथ ही, रिपोर्ट में समाधान के उन तरीकों से बचने की सलाह भी दी गयी है जिससे फायदा कम और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान अधिक पहुंचेगा। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज या आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट बता रही है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से लोगों के स्वास्थ्य के साथ पृथ्वी की सेहत भी खराब हो रही है। रिपोर्ट में सामने आया है कि अगर समय रहते इसे ठीक नहीं किया गया तो पृथ्वी का भविष्य अनिश्चित है। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए एडॉप्टेशन और मिटिगेशन पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी गयी है। एडॉप्टेशन (अनुकूलन) के तहत जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से लड़ने के लिए हमें क्षमता विकसित करना होता है। वहीं मिटिगेशन (शमन) के तहत जलवायु परिवर्तन की रफ्तार को कम करने की कोशिश होती है। आईपीसीसी की रिपोर्ट का कहना है कि ऐसे प्रयासों के लिए अब काफी कम समय बचा है, यानी जो भी करना है, जल्दी ही करना होगा। रिपोर्ट में सामने आया है कि मौसम की अनिश्चितता की वजह से...