ज्वाइंडिस क्या होता है

  1. पीलिया के लक्षण और घरेलू उपचार
  2. जानिए अनुस्वार क्या है और अनुनासिक शब्द कौन कौन से हैं
  3. International Albinism Awareness Day 2023: Symptoms And Causes Of Albinism
  4. यज्ञोपवीत
  5. शिलाजीत के 13 फायदे, उपयोग और नुकसान


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पीलिया के लक्षण और घरेलू उपचार

सामान्य बारिश की शुरुआत के साथ, पीलिया रोग (jaundice) अपने पांव पसारने लगता है। गर्मी और बरसात के दौरान और बाद में पीलिया के मरीज ज्यादा बढ़ जाते हैं। दूषित भोजन या पानी के सेवन पीलिया होने की आशंका रहती है। इसमें मरीज की त्वचा से लेकर आंखें, नाखून, पेशाब का रंग पीला हो जाता है। साथ ही लिवर कमजोर होकर ठीक से काम करना भी बंद कर देता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है। सही समय पर पीलिया का इलाज न करवाने की अनदेखी भारी पड़ सकती है। अगर आप पीलिया से पीड़ित हैं तो इन उपायों को आजमा कर जल्द सामान्य हो सकते हैं। तो आइए पीलिया के लक्षण (piliya ke lakshan), कारण, इलाज के साथ यह भी जानते हैं कि पीलिया में क्या खाना चाहिए और इसमें क्या-क्या सावधानी बरतनी होती है। Table of Contents • • • • • • • पीलिया क्या होता है – Jaundice Kya Hota Hai वायरल हैपेटाइटिस या ज्वाइंडिस को लोग आम बोल चाल की भाषा में पीलिया कहते हैं। क्योंकि इस दौरान स्किन का कलर सामान्य से हटकर पीले रंग जैसा दिखने लगता है। यह रोग बहुत ही सूक्ष्‍म विषाणु (वाइरस) से होता है। शुरू में जब रोग के लक्षण (piliya ke lakshan in hindi) दिखाई भी नहीं पड़ते हैं, लेकिन जैसे-जैसे ये बढ़ता जाता है रोगी की आंखे व नाखून पीले दिखाई देने लगते हैं। पीलिया को संस्कृत में ‘कामला’ कहा जाता है। कामला शब्द का अर्थ एक ऐसी बीमारी है जो सभी इच्छाओं को नष्ट कर देती है। साइंस की भाषा में कहें तो रक्तरस में पित्तरंजक नामक एक रंग होता है, जिसके ज्यादा हो जाने से त्वचा और श्लेष्मिक कला में पीला रंग आ जाता है। इस दशा को ही पीलिया (Jaundice) कहते हैं। पीलिया क्यों होता है – Piliya Kyu Hota Hai बहुत से लो...

जानिए अनुस्वार क्या है और अनुनासिक शब्द कौन कौन से हैं

This Blog Includes: • • • • • • • • • • • अनुस्वार की परिभाषा अनुस्वार का अर्थ होता है, स्वर के बाद आने वाला। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो स्वर के बाद आने वाला व्यंजन अनुस्वार कहलाता है। अनुस्वार की ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा के अनुसार अनुस्वार का प्रयोग चिन्ह बिंदु (ं)के रूप में अलग-अलग जगह पर प्रयोग किया जाता है। अन्य शब्दों में समझें तो अनुस्वारएक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इसको कभी-कभी ‘म’ अक्षर द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि। अनुस्वार के उदाहरण Anuswar in Hindi के उदाहरण इस प्रकार हैं: • पंख • गंदा • तिरंगा • अंदर • मंत्र • बांग्ला • चंदन • लंबे • पंजाब • भंडारा • पलंग • अंडा • पंडित • संजय • संगीता • संतरा • संतोष • संदेश • अंगूर • मंगल • मंजन • फिरंगी • मनोरंजन • नारंगी • घंटी अनुस्वार का प्रयोग अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म ये पंचाक्षर कहलाए जाते हैं) के जगह पर किया जाता है। • गङ्गा = गंगा • चञ्चल = चंचल • डण्डा = डंडा • गन्दा = गंदा • कम्पन = कंपन अब हम यह बात तो जान गए हैं कि अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म) के स्थान पर किया जाता है। • परन्तु ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं कि प्रत्येक पंचाक्षर के स्थान पर (ं) अनुस्वार का प्रयोग एक समान है। • ऐसे में हमें इस बात का कैसे पता चले कि कौन सा अनुस्वार (ं) किस पंचाक्षर का उच्चारण कर रहा है? यह भी पढ़ें : संपूर्ण हिंदी व्याकरण सीखें अनुस्वार को पंचाक्षर में बदलने का नियम Anuswar in Hindi के चिह्न के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण जिस वर्ग का होगा अनुस्वार का चिह्न उसी वर्ग के पंचम-वर्ण का स्थान लगे...

International Albinism Awareness Day 2023: Symptoms And Causes Of Albinism

International Albinism Awareness Day 2023 : आखिर क्यों कुछ लोग नजर आते हैं ज्यादा ही सफेद, इस बीमारी में आंखों को भी होता है खतरा एल्बिनिज्म या रंगहीनता एक तरह का जेनेटिक डिसऑर्डर यानी वंशानुगत बीमारी है. जिसमें पीड़ित व्यक्ति के शरीर में मेलानिन (Melanin) नामक तत्व का निर्माण कम या बिल्कुल नहीं होता है, जिससे पीड़ित की त्वचा का रंग सफेद नजर आने लगता है. International Albinism Awareness Day: हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग नजर आते हैं जिनकी त्वचा का रंग काफी सफेद या हल्के गुलाबी रंग का नजर आता है. कई बार उनके बालों और आंखों का रंग भी आम लोगों से कुछ अलग होता है. ऐसा एल्बिनिज्म (रंजकहीनता) नामक बीमारी के कारण हो सकता है. इस बीमारी को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं. अक्सर इस बीमारी से पीड़ित लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है. जबकि वैज्ञानिक रूप से यह संक्रामक नहीं जेनेटिक डिसआर्डर (Genetic disorder ) से जुड़ी बीमारी है. लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 13 जून को इंटरनेशनल एल्बिनिज्म अवेयरनेस डे (International Albinism Awareness Day) मनाया जाता है. एल्बिनिज्म या रंगहीनता एक तरह का जेनेटिक डिसऑर्डर यानी वंशानुगत बीमारी है. जिसमें पीड़ित व्यक्ति के शरीर में मेलानिन (Melanin) नामक तत्व का निर्माण कम या बिल्कुल नहीं होता है, जिससे पीड़ित की त्वचा का रंग सफेद नजरआने लगता है. यह भी पढ़ें • Albinism Awareness Day 2023: क्या होता है एल्बिनिज्म रोग, जानें इस बीमारी के लक्षण और इलाज • Albinism Awareness Day 2023: क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल एल्बिनिज्म अवेयरनेस डे, जानिए इसका महत्व और इस साल की थीम • International Albinism Awareness Day 2022: क्या है Albinism और क्यों मना...

यज्ञोपवीत

यज्ञोपवीत (संस्कृत संधि विच्छेद= यज्ञ+उपवीत) शब्द के दो अर्थ हैं- उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं। सूत से बना वह पवित्र धागा जिसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाएँ कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है। इसमें सात ग्रन्थियां लगायी जाती हैं। ब्राह्मणों के यज्ञोपवीत में ब्रह्मग्रंथि होती है। तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। तीन सूत्र हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं। अपवित्र होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है। बिना यज्ञोपवीत धारण किये अन्न जल गृहण नहीं किया जाता। यज्ञोपवीत धारण करने का मन्त्र: बाजसनेयीनाम्; यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्रं प्रतिमुंच शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ।। (पारस्कर गृह्यसूत्र, ऋग्वेद, २/२/११) छन्दोगानाम्: ॐ यज्ञो पवीतमसि यज्ञस्य त्वोपवीतेनोपनह्यामि।। यज्ञोपवीत उतारने का मंत्र: एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया। जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्।। जनेऊ: जनेऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ मन में आती है, वो है धागा, दूसरी चीज है ब्राह्मण। जनेऊ का संबंध क्या सिर्फ ब्राह्मण से है, ये जनेऊ पहनते क्यों हैं, क्या इसका कोई लाभ है, जनेऊ क्या, क्यों, कैसे आज आपका परिचय इससे ही करवाते हैं। जनेऊ को उपवीत, यज्ञसूत्र, व्रतबन्ध, बलबन्ध, मोनीबन्ध और ब्रह्मसूत्र के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के 24 संस्कारों (आप सभी को 16 संस्कार पता होंगे लेकिन वो प्रधान संस्कार हैं, 8 उप संस्का...

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शिलाजीत के 13 फायदे, उपयोग और नुकसान

शिलाजीत हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला एक खास खनिज पदार्थ है। माना जाता है कि यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है और कई शारीरिक समस्याओं से बचाव व उनके असर को कम करने में मदद कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि शिलाजीत के सेवन से मर्दानगी में सुधार हो सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम शिलाजीत के फायदे, शिलाजीत का प्रयोग और शिलाजीत खाने का तरीका बता रहे हैं। साथ ही शिलाजीत के नुकसान भी बताएंगे ताकि शिलाजीत के फायदे और नुकसान दोनों को समझते हुए शिलाजीत के लाभ उचित तरीके से हासिल किए जा सकें। इसके साथ ही आपको ध्यान रखना होगा कि किसी भी बीमारी का इलाज डॉक्टरी सलाह पर ही संभव है। शिलाजीत सिर्फ स्वस्थ रख सकता है या फिर समस्या में थोड़ी राहत दे सकता है। विषय सूची • • • • शिलाजीत क्‍या है? – What is Shilajit in Hindi शिलाजीत एक प्राकृतिक खनिज पदार्थ है। इसका निर्माण प्राकृतिक रूप से अपने आप ही होता है, लेकिन इसे बनने में हजारों साल लगते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यूफोरबिया, रायलियाना और ट्राइफोलिया रेपेंस जैसी पौधों की प्रजातियों के अपघटन (Decomposition) के बाद यह तैयार होता है। इस आधार पर शिलाजीत को प्रकृति का एक अनमोल उत्पाद भी माना जाता है बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए शिलाजीत को बेहतर विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात को शिलाजीत से संबंधित एक आयुर्वेदिक शोध में भी माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत के औषधीय गुणों में से एक इसका एंटीहाइपरटेंसिव (ब्लड प्रेशर कम करने वाला) प्रभाव भी है। इस प्रभाव के कारण शिलाजीत का सेवन बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है 4. कोलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक शिलाजीत के लाभ बढ़े हुए कोलेस्...