जयपुर चित्र शैली का स्वर्णकाल

  1. राजस्थान की प्रमुख चित्रकला MCQ
  2. राजस्थान की चित्र शैलियां Question
  3. राजस्थान की चित्र शैलियां » MYUPSC
  4. राजस्थान की चित्रकला
  5. जयपुर शैली की पूरी जानकारी
  6. RBSE Class 12 Drawing Notes Chapter 2 राजस्थानी चित्र शैली
  7. चित्रकला एवं मूर्तिकला प्रश्नोत्तर
  8. प्रदेशभर के कलाकार कर रहे कैनवास पर चित्रण, वरिष्ठ कलाकारों ने किया प्रोत्साहित
  9. Rajasthan ki Chitrakala


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राजस्थान की प्रमुख चित्रकला MCQ

Q 1.) राजस्थान की फड़ चित्रकारी चित्रकला के किस स्कूल से जुड़ी है a) मेवाड़ b) मारवाड़ c) मालवीय d) मेवाती Answer :-a) मेवाड़ Q 2.) सीताराम बदनसिंह और नानकराम चित्रकार चित्रकला की किस शैली से सम्बद्ध थेे a) किशनगढ़ b) जयपुर c) अलवर d) नागर Answer :-a) किशनगढ़ Q 3.) राजस्थान में वह कौन सी चित्र शैली है जिसमें गणिकाओ का चित्रण किया गया है a) नागर शैली b) किशनगढ़ शैली c) अलवर शैली d) मारवाड़ शैली Answer :-c) अलवर शैली Q 4.) किस चित्र शैली में मतिराम रचित 19वीं शताब्दी की हिंदी साहित्य रचना रसराज का चित्रण हेतु विषय के रूप में प्रयोग किया जाता है a) मेवाड़ b) मारवाड़ c) मालवीय d) मेवाती Answer :-b) मारवाड़ Q 5.) मीनाकारी की कला राजस्थान के सर्वप्रथम किसके द्वारा लाई गई है a) मानसिंह द्वितीय b) मानसिंह प्रथम c) उमेद सिंह d) किशन सिंह Answer :-a) मानसिंह द्वितीय Q 6.) रागमाला का प्रसिद्ध चित्रकार डाकू राजपूताना की किस शैली से संबद्ध है a) किशनगढ़ b) बूंदी c) मेवाड़ d) बीकानेर Answer :-c) मेवाड़ Q 7.) बूंदी की चित्रकारी शैली किस महाराजा के काल में चरम पर थी a) उम्मेद सिंह b) मानसिंह c) जगत सिंह d) श्रीनाथ सिंह Answer :-a) उम्मेद सिंह Q 8.) राजस्थानी चित्रकला जिसमें पशु पक्षियों का श्रेष्ठ चित्रण हुआ है a) कोटा शैली b) बीकानेर शैली c) किशनगढ़ शैली d) बूंदी शैली Answer :-d) बूंदी शैली Q 9.) शैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध स्थल अलणीया किस जिले में स्थित है a) अलवर b) भरतपुर c) कोटा d) बूंदी Answer :-c) कोटा Q 10.) चित्रकला की किशनगढ़ शैली में मुख्यतः किस वृक्ष को चिन्हित किया गया है a) केले b) अनार c) संतरा d) सेव Answer :-a) केले Q 11.) चावंडा शैली की चित्रकला किसके शासनकाल में प्रारंभ...

राजस्थान की चित्र शैलियां Question

प्रश्न 111प्रसिद्ध चित्रकृति ‘ढोला मारू’ की शैली है - (अ)जोधपुर (ब)अजमेर (स)बीकानेर (द)किशनगढ़ उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 112‘दुगारी चित्रशैली’ का सम्बन्ध है - (अ)बीकानेर (ब)नाथद्वारा (स)जोधपुर (द)बूंदी उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 113मारवाड़ शैली में निर्मित ‘रागमाला चित्रवली’ 1623 ई. का चित्रांकल किसने किया - (अ)पुण्डरीक (ब)मीर बक्श (स)वीर जी (द)साहिब राम उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 114जयपुर चित्रकला शैली का स्वर्णकाल किस शासक के काल को माना जाता है - (अ)सवाई जयसिंह (ब)सवाई ईश्वरीसिंह (स)सवाई मानसिंह (द)सवाई प्रतापसिंह उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 115महा-मारू शैली का प्रचलन किसके शासनकाल में हुआ - (अ)गुर्जर-प्रतिहार (ब)मिहिर भोज (स)राजसिंह (द)राज भोज उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 116चावंड शैली की चित्रकला किसके शासन काल में प्रारम्भ हुई - (अ)सांगा (ब)प्रताप (स)अमरसिंह द्वितीय (द)राजसिंह उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 117निहालचन्द किस चित्र शैली का चित्रकार था - (अ)बुन्दी (ब)किशनगढ़ (स)जयपुर (द)मेवाड़ उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 118पशुपक्षियों को महत्व देने वाली चित्र शैली है - (अ)किशनगढ़ (ब)बुन्दी (स)जयपुर (द)मेवाड़ उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 119मेवाड़ चित्रकला शैली से संबंधित रचना है - (अ)बनी-ठनी (ब)विलावल रागिनी (स)ज्यातिष रत्नाकर (द)गीत गोविन्द उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 120‘निहालचंद’ किसके दरबारी चित्रकार थे - (अ)सावन्तसिंह (ब)किशनसिंह (स)बहादुरसिंह (द)राजसिंह उत्तर SHOW ANSWER page no.(12/24)

राजस्थान की चित्र शैलियां » MYUPSC

राजस्थान में प्राचीनतम चित्रण के अवशेष कोटा के आसपास चंबल नदी के किनारे की चट्टानों पर मुकन्दरा एवं दर्रा की पहाड़ीयों, आलनियां नदी के किनार की चट्टानों आदि स्थानों पर मिले हैं। राजस्थान में उपलब्ध सर्वाधिक प्राचिनतम चित्रित ग्रंथ जैसलमेर भंडार में 1060 ई. के ‘ओध निर्युक्ति वृत्ति’ एवं ‘दस वैकालिका सूत्र चूर्णी’ मिले हैं। राजस्थान की चित्रकला शैली पर गुजरात तथा कश्मीर की शैलियों का प्रभाव रहा है। राजस्थानी चित्र शैली विशुद्ध रूप से भारतीय है ऐसा मत विलियम लारेन्स ने प्रकट किया। राजस्थानी चित्रकला के विषय पशु-पक्षियों का चित्रण शिकारी दृश्य दरबार के दृश्य नारी सौन्दर्य धार्मिक ग्रन्थों का चित्रण आदि राजस्थानी चित्रकला शैलियों की मूल शैली मेवाड़ शैली है। सर्वप्रथम आनन्द कुमार स्वामी ने सन् 1916 ई. में अपनी पुस्तक “राजपुताना पेन्टिग्स” में राजस्थानी चित्रकला का वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रस्तुत किया। भौगौलिक आधार पर राजस्थानी चित्रकला शैली को चार भागों में बांटा गया है। जिन्हें स्कूलस कहा जाता है। 1.मेवाड़ स्कूल:- उदयपुर शैली, नाथद्वारा शैली, चावण्ड शैली, देवगढ़ शैली, शाहपुरा, शैली। 2.मारवाड़ स्कूल:- जोधपुर शैली, बीकानेर शैली जैसलमेर शैली, नागौर शैली, किशनगढ़ शैली। 3.ढुढाड़ स्कूल:- जयपुर शैली, आमेर शैली, उनियारा शैली, शेखावटी शैली, अलवर शैली। 4.हाडौती स्कूल:- कोटा शैली, बुंदी शैली, झालावाड़ शैली। शैलियों की पृष्ठभूमि का रंग हरा – जयपुर की अलवर शैली गुलाबी/श्वेत – किशनगढ शैली नीला – कोटा शैली सुनहरी – बूंदी शैली पीला – जोधपुर व बीकानेर शैली लाल – मेवाड़ शैली पशु तथा पक्षी हाथी व चकोर – मेवाड़ शैली चील/कौआ व ऊंठ – जोधपुर तथा बीकानेर शैली हिरण/शेर व बत्तख – कोटा तथा बूंदी शैली अश्व व ...

राजस्थान की चित्रकला

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जयपुर शैली की पूरी जानकारी

जयपुर को आमेर शैली विरासत में मिली। या यों कहना चाहिए कि आमेर शैली ही जयपुर शहर बसने के कारण नए रंगरूप में विकसित हुई तथा तभी से जयपुर शैली के नाम से जानी जाने लगी। महाराजा सवाई जयसिंह ने 1727 ई. में जयपुर शहर का निर्माण कराया तथा आमेर से हटाकर जयपुर को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने वेधशाला, चन्द्रमहल, जयनिवास बाग, तालकटोरा, सिसोदिया रानी का महल जैसी भव्य इमारतें बनाकर जयपुर को एक नवीन आयाम दिया। Table of Contents • • • • • • • • • • महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय जयपुर शैली | Maharaja Sawai Jai Singh II Jaipur Style (1700-1743 ई.) : सवाई जयसिंह का काल चित्रकला की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण रहा। उनके द्वारा जयपुर शहर के बसाने के बाद आमेर शैली में जो विकास परिवर्तन दृष्टिगोचर हुआ, उसके फलस्वरूप इसे जयपुर शैली कहा गया। मुगलों से पारिवारिक संबंधों की डेढ़ शताब्दी की लंबी अवधि के कारण जयपुर शैली पर मुगल प्रभाव एवं मुगल शैली की नफासत पूर्ण रूप से उभरकर सामने आयी। राजस्थान की अन्य चित्र शैलियों के समानान्तर जयपुर शैली को भी अपभ्रंश शैली विरासत में मिली। अपभ्रंश व मुगलिया प्रभाव से जयपुर में एक नूतन शैली का आविर्भाव हुआ। कालान्तर में यह चित्र शैली अपने-आप में एक अलग चित्र शैली बनकर उभरी जो ‘जयपुर शैली’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। • सवाई जयसिंह का दरबारी चितेरा मुहम्मदशाह था, जिसने कई ग्रंथ अति सुंदर तरीके से चित्रित किये। सवाई जयसिंह के दरबारी कवि शिवदास राय द्वारा 1737 ई. में ब्रजभाषा में तैयार करवाई गई सचित्र पाण्डुलिपि ‘सरस रस ग्रन्थ’ में कृष्ण विषयक 39 चित्र पूरे पृष्ठों पर अंकित हैं। हैं सवाई ईश्वरीसिंह जयपुर शैली | Sawai Ishwari Singh Jaipur Style (1743-1750 ई.) : महाराजा ईश्वरी सिं...

RBSE Class 12 Drawing Notes Chapter 2 राजस्थानी चित्र शैली

Rajasthan Board RBSE Class 12 Drawing Chapter 2 Notes राजस्थानी चित्र शैली → प्रारम्भिक परिचय-'राजस्थानी चित्र शैली' नामक शब्द ऐसी चित्र शैली से सम्बन्धित है जो कि विभिन्न रियासतों व ठिकानों में विकसित/समृद्ध हुई। ये रियासतें वर्तमान में राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के भागों से मिलकर बनी हैं। इसमें मेवाड़, बूंदी, कोटा, जयपुर, बीकानेर, किशनगढ़, जोधपुर (मारवाड़), मालवा, सिरोही और 16वीं व 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के मध्य के प्रमुख रियासतों को शामिल किया गया है। → आनन्द कुमारस्वामी द्वारा राजपूत शैली' शब्द का प्रयोग प्रसिद्ध विद्वान आनन्द कुमारस्वामी के द्वारा 1916 में 'राजपूत चित्र' नामक शब्द का प्रयोग किया गया था जो यह व्यक्त करता था कि अधिकांश शासक एवं संरक्षक जो इन राज्यों से थे वे सभी राजपूत थे। कुमारस्वामी ने विशेष रूप से इस शब्द का प्रयोग सर्वाधिक प्रसिद्ध मुगल चित्रकला शैली से राजस्थानी चित्र शैली को अलग श्रेणीबद्ध करने एवं दोनों में भिन्नता बताने के लिए किया था। इसलिए मालवा, जिसमें मध्य भारत की रियासतें शामिल थीं, और पहाड़ी शैली, जिसमें पहाड़ी या उत्तर-पश्चिम भारत के हिमालय क्षेत्र के पर्वतीय प्रदेश शामिल थे, भी राजपूत चित्र शैली की परिधि/सीमा में शामिल थे। कुमारस्वामी के लिए यह शब्दावली चित्रकला की स्वदेशी परम्परा, जो मुगलों के आगमन से पूर्व उस मुख्य भू-भाग में विद्यमान थी, का प्रतिनिधित्व करती है। आगे चलकर 'राजपूत शैली' शब्द अप्रचलित शब्द हो गया। इसके बजाय राजस्थानी या पहाड़ी जैसी विशेष श्रेणियों का प्रयोग किया जाने लगा। यद्यपि लघु दूरियों द्वारा अलग होने के बाद भी, इन रियासतों में उभरी एवं विकसित हुईं चित्रात्मक शैलियाँ व्यवहारगत प्रयोग के सन्दर्भ में काफी विविध थी...

चित्रकला एवं मूर्तिकला प्रश्नोत्तर

1. राजा रवि वर्मा कहाँ के महान चित्रकार थे? [A] बंगाल [B] बिहार [C] उत्तर प्रदेश [D] केरल उत्तर- केरल Explain:- राजा रवि वर्मा केरल के प्रसिद्ध चित्रकार थे | 2. किसने पेंटिंग की शुरुवात फिल्म के पोस्टरों से की थी? [A] सतीश गुजराल [B] पाब्लो पिकाणे [C] एम. एफ हुसैन [D] लियोनार्डो डा विन्ची उत्तर- एम. एफ हुसैन 3. प्रसिद्ध मीनाकारी 'थवा कला' का सम्बन्ध किससे है? [A] बीकानेर से [B] जयपुर से [C] बाँसवाड़ा से [D] प्रतापगढ से उत्तर- प्रतापगढ से 4. अमृता शेरगिल किस रूप से प्रसिद्ध हुई? [A] मूर्तिकार (sculptor) [B] चित्रकार (painter) [C] संगीतकार (singer) [D] नृत्यांगना (dancer ) उत्तर- चित्रकार 5. मुग़ल काल में 'मंसूर' एक महान ____ था? [A] चित्रकार [B] कवि [C] वास्तुकार (architect) [D] सूफी सन्त उत्तर- चित्रकार Explain:- उत्साद मंसूर को मंसूर के नाम से भी जाना जाता था | यह एक मुग़ल दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार थे | 6. किस मुग़ल शासक को चित्रकारो का सबसे बड़ा अभीभावक था? [A] अकबर [B] औरंगजेब [C] शाहजहाँ [D] जहाँगीर उत्तर- जहाँगीर Explain:- मुग़ल शासक जहाँगीर चित्रकारो से सबसे अधिक अभीभावक था | 7. महशूर पेटिंग 'हंस दमयंती' के चित्रकार कौन थे? [A] राजा रवि वर्मा [B] अमृता शेरगिल [C] रविन्द्रनाथ टैगोर [D] ए.इ. मेनन उत्तर- राजा रवि वर्मा Explain:- 'हंस दमयंती' चित्र में एक हंस और राजा दमयंती को दर्शाया गया था | 8. लोक चित्रकला की 'मधुबनी शैली' [A] राजस्थान [B] गुजरात [C] बंगाल [D] बिहार उत्तर- बिहार 9. प्रसिद्ध पेंटर 'राजा रवि वर्मा' किस रियासत से जुड़े थे? [A] मैसूर [B] त्रावणकोर [C] कुर्ग [D] कूच बिहार उत्तर- त्रावणकोर Explain:- त्रावणकोर भारत का पहले एक साम्राज्य था जहाँ से 'राजा रवि वर्मा' ...

प्रदेशभर के कलाकार कर रहे कैनवास पर चित्रण, वरिष्ठ कलाकारों ने किया प्रोत्साहित

राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय आर्ट कैंप के दूसरे दिन मंगलवार को राज्यभर के कलाकारों ने अपनी-अपनी कलाओं का बखूबी प्रदर्शन किया। राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास की अध्यक्षता में 'वैश्विक कला के विविध आयाम' विषय पर कला वार्ता आयोजित की गई। इसमें कलाविद् प्रोफेसर शब्बीर हसन काजी और वरिष्ठ कलाकार रविंद्र भारद्वाज मुख्य वक्ता रहे। दोनों वरिष्ठ कलाकारों ने विश्व की विभिन्न कलाओं के बारे में हो रहे कला प्रयोगों पर चर्चा की। कलाकारों ने विभिन्न विषयों पर कैनवास पर चित्र बनाए। मंगलवार को कलाकारों ने विभिन्न तरह की कलाओं को कैनवास पर साकार किया। इस आर्ट कैंप में राजस्थान के अलग अलग जिलों से आए 50 आर्टिस्ट्स ने मॉर्डन, कंटेम्पररी, आदिवासी, एक्रेलिक, वाटर कलर, ऑयल पेंट और मिक्स मीडिया आर्ट को कैनवास पर उतारा। मंदिर के पीछे महिलाएं स्वस्तिक बनती है उसे कोटा के आर्टिस्ट बृज सुंदर शर्मा ने पेंटिंग पर उकेरा। बूंदी से आए आर्टिस्ट राम प्रतिहार ने जीवन मन व उड़ान अपनी रचनाओं से बखूबी दर्शाया। सुरेंद्र सिंह ने विरासत के प्रति जागरूक करने प्रयास किया। मंगलवार को कलाकारों ने विभिन्न तरह की कलाओं को कैनवास पर साकार किया। उदयपुर के सूरज सोनी जो कि एजुकेशन डिपार्टमेंट में प्रोफेसर भी हैं, उन्होंने अपनी रचनाओं से बताया कि नेचुरल रिसोर्सेज लगातार खत्म करते जा रहे है, इन्हें हमें सहेजना होगा। टोंक के कलाकार महेश गुर्जर ने ग्रामीण महिलाओं की खूबसूरती और कृष्ण लीला पर चित्रों में दर्शाया। सीकर के आर्टिस्ट सतवीर सिंह भास्कर ने कालिदास के कुमार संभव पर आधारित कृतियां बनाई, वहीं टोंक के आर्टिस्ट उमेश साहू ने विविध मानसिक अवस्थाओं पर चित्र बनाए।...

Rajasthan ki Chitrakala

राजस्थानी चित्रकला का उद्भव अपभ्रंश शैली से लगभग 15वीं शताब्दी में हुआ था। राजपूत काल में भित्तिचित्र, पोथीचित्र कई लघु चित्र बनाने की परम्परा रही है। राजस्थान में आलनियां, दर्रा कोटा, बैराठ जयपुर तथा दर भरतपुर आदि स्थानों पर मानव द्वारा उकेरे गये चित्र प्रदेश की प्रारम्भिक चित्रण परम्परा को उद्घाटित करते है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • राजस्थानी चित्रकला का विकास- • राजस्थान की चित्रकला का प्रारम्भिक केन्द्र मेदपाट (मेवाड़) था। • तिब्बत इतिहासकार तारानाथ ने मारवाड़ में सातवीं सदीं में श्रीरंगधर नामक चित्रकार का उल्लेख किया है। • राजस्थान में चित्रकला के प्राचीनकाल उपलब्ध ग्रन्थ जैसलमेर संग्रहालय में 1060 ई. के ओध नियुक्ति वृति और दस वैकालिका सूत्र चूर्णि ग्रन्थ मिले हैं। • 1260 ई. में ताड़पत्र चित्रित राजस्थान का प्रथम ग्रन्थ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णी है जो आहाड़ उदयपुर में गुहिल वंशी शासक तेजसिंह के शासनकाल (1252-62 ई.) में कमलचन्द्र के द्वारा चित्रित हुआ था। • दूसरा प्राचीनतम् ग्रंथ सुपार्श्वनाथ चरितम है। जो देवकुल पाटक उदयपुर में सिसोदिया वंशी शासक महाराणा मोकल के शासनकाल (1397-1433 ई.) में हीराचन्द्र के द्वारा 1422-23 ई. में चित्रित हुआ था। • सत्रहवीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के प्रसार से राजपूतों के वैवाहिक सम्बन्धों के फलस्वरूप राजपुत चित्रकला पर मुगलों का प्रभाव बढ़ने लगा। कतिपय विद्धान 17वीं और 18वीं शताब्दीं के प्रारम्भिक काल को राजस्थानी चित्रकला का स्वर्णकाल मानते है। राजस्थानी चित्रकला का नामकरण- राजस्थानी चित्रकला का सबसे पहला वैज्ञानिक विभाजन आन्नद कुमार स्वामी ने 1916 ई. में राजपुत पेंटिग नामक पुस्तक में किया था। ...