काली साड़ी लगी है कमर में छिप जाए

  1. Yashpal ki kahaniya
  2. दूधवाले ने मेरे दूध को दबा दबाकर अपने तबेले में चोदा
  3. विसंगति भरे जीवन में जीने की शर्त का एहसास है मंटो की कहानी 'काली सलवार'
  4. मुहावरे (Muhavare)


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Yashpal ki kahaniya

Yashpal ki kahaniya Image Source- wikipedia यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 कोपंजाब में,फ़ीरोज़पुर छावनी में एक साधारण खत्री परिवार में हुआ था। उनकी माँ श्रीमती प्रेमदेवी वहाँ अनाथालय के एक स्कूल में अध्यापिका थीं। यशपाल के पिता हीरालाल एक साधारण कारोबारी व्यक्ति थे। उनका पैतृक गाँव रंघाड़ था, जहाँ कभी उनके पूर्वज हमीरपुर से आकर बस गए थे। पिता की एक छोटी-सी दुकान थी और लोग उन्हें‘लाला’ कहते-पुकारते थे। बीच-बीच में वे घोड़े पर सामान लादकर फेरी के लिए आस-पास के गाँवों में भी जाते थे। अपने व्यवसाय से जो थोड़ा-बहुत पैसा उन्होंने इकट्ठा किया था उसे वे, बिना किसी पुख़्ता लिखा-पढ़ी के, हथ उधारू तौर पर सूद पर उठाया करते थे। अपने परिवार के प्रति उनका ध्यान नहीं था। इसीलिए यशपाल की माँ अपने दो बेटों—यशपाल और धर्मपाल—को लेकर फ़िरोज़पुर छावनी मेंआर्य समाज के एक स्कूल में पढ़ाते हुए अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के बारे में कुछ अधिक ही सजग थीं। यशपाल के विकास में ग़रीबी के प्रति तीखी घृणा आर्य समाज और स्वाधीनता आंदोलन के प्रति उपजे आकर्षण के मूल में उनकी माँ और इस परिवेश की एक निर्णायक भूमिका रही है। यशपाल के रचनात्मक विकास में उनके बचपन में भोगी गई ग़रीबी की एक विशिष्ट भूमिका थी। 1.अखबार में नाम Yashpal ki kahaniya जून का महीना था, दोपहर का समय और धूप कड़ी थी। ड्रिल-मास्टर साहब ड्रिल करा रहे थे। मास्टर साहब ने लड़कों को एक लाइन में खड़े होकर डबलमार्च करने का आर्डर दिया। लड़कों की लाइन ने मैदान का एक चक्कर पूरा कर दूसरा आरम्भ किया था कि अनन्तराम गिर पड़ा। मास्टर साहब ने पुकारा, ‘हाल्ट!’ लड़के लाइन से बिखर गये। मास्टर साहब और दो लड़कों ने मिलकर अनन्त को उठाया और बरामदे में ले गये। मास्टर सा...

दूधवाले ने मेरे दूध को दबा दबाकर अपने तबेले में चोदा

Desi Kahani : हाय फ्रेंड्स, आप लोगो का नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम में स्वागत है। मैं रोज ही इसकी सेक्सी स्टोरीज पढ़ती हूँ और आनन्द लेती हूँ। आप लोगो को भी यहाँ की सेक्सी और रसीली स्टोरीज पढने को बोलूंगी। आज फर्स्ट टाइम आप लोगो को अपनी कामुक स्टोरी सुना रही हूँ। कई दिन से मैं लिखने की सोच रही थी। अगर मेरे से कोई गलती हो तो माफ़ कर देना। मेरा नाम पल्लवी सिंह है। मैं चंडीगढ़ की रहने वाली हूँ। शादी शुदा औरत हूँ और काफी खूबसूरत हूँ। मेरे एक लड़की है जिसका नाम संजना है। मेरे पति काफी रंगीन और खुशमिजाज आदमी है और मुझे हर तरह से खुश रखते है। रात होने पर मेरी नये नये पोज में चुदाई करते है और उनका लंड भी 11” है। काफी मोटा लंड है मेरे पति का। इसके बावजूद अगर मुझे नये लंड से चुदने का मौका मिल जाता है तो चुदवा लेती हूँ। दोस्तों मेरी जवानी ही ऐसी है की मैं क्या करूं। मैं जितना सेक्स करती हूँ, जितना चुदवाती हूँ उतनी मेरी कामवासना बढती चली जाती है। अभी कुछ दिन पहले दूधवाले से चुदवा लिया है मैंने। पूरी स्टोरी आपको सुना रही हूँ। मेरी स्टोरी सुनकर सभी लड़के के लंड खड़े हो जाएँगे और सभी चूतवालियों की चूत गीली हो जाएगी मुझे विश्वास है। मेरा दूधवाला छोटू पिछले 4 सालो से मेरे घर दूध दे रहा था। अब तो मेरी उससे अच्छी जानपहचान हो गयी थी। वैसे तो छोटू रोज ही मेरे घर पर सुबह के 8 बजे दूध का डब्बा लेकर दूध देने आ जाता था। पर उस दिन वो नही आया। मेरे किचन में दूध खत्म हो गया और पति के लिए चाय भी बनानी जरूरी थी। इसलिए मैं ही उसके तबेले पर चली गयी और दूध का डिब्बा भी ले गयी। उस दिन मैंने जो कुछ देखा उसे देखकर मैं दंग रह गयी। उसके तबेले में अनेक गाय, भैस थी पर अंदर ढेर सारी घास रखी पड़ी हुई थी। छोटू अभी छोकरा ही था और...

विसंगति भरे जीवन में जीने की शर्त का एहसास है मंटो की कहानी 'काली सलवार'

सआदत हसन मंटो उर्दू के सर्वाधिक महत्वूर्ण, चर्चित और विवादास्पद लेखक हैं. उनके लिखे पर जितनी चर्चाएं उठी हैं, उतनी अन्य किसी लेखक को लेकर नहीं. उनकी खासियत थी, कि उन्होंने सिर्फ नये-नये विषयों पर ही नहीं लिखा बल्कि नये अंदाज़ेबयां और नज़रिये से भी लिखा और इसी एक बात ने उन्हें अपने समय का ही नहीं, बल्कि आज के समय का भी एक बड़ा कहानीकार बना दिया. मंटो के किस्सागो रूप की चर्चा अक्सर की जाती है. ये सही है कि किस्सागोई उन्हें खूब आती थी, लेकिन वे उसके गुलाम कभी नहीं बने. उर्दू की किस्सागोई की परंपरा से अलग उन्होंने किस्सागोई की नयी परंपरा का सूत्रपात किया. मंटों ने अपनी कहानियों में कथा-प्रसंगों को उतना ही खींचा, जितना की स्थिति के पीछे हरकतों को पकड़ने के लिए या चरित्र के भीतर की दुनिया को उजागर करने के लिए ज़रूरी है. इस बात में बिल्कुल संदेह नहीं कि मंटो ने अपने समय के अन्य लेखकों की तरह अपनी कहानियों के पात्रों और स्थितियों का विवेवचन-निरूपण करने के लिए मनोविज्ञान से लाभ उठाया. मंटो की कहानी-कला के दौर के बाद उनकी रचना-प्रक्रिया में ज़बरदस्त बदलाव आया, जिसका एक सिरा औरत-मर्द के संबंधों और वेश्याओं के चित्रण से जुड़ा हुआ है, तो दूसरा बंटवारे की त्रासदी से. “ख़ुदाबख़्श आदमी मेहनती था. सारा दिन हाथ पर हाथ धर कर बैठना पसंद नहीं करता था, इसलिए उसने एक फ़ोटोग्राफ़र से दोस्ती की जो रेलवे स्टेशन के बाहर मिनट कैमरे से फ़ोटो खींचा करता था. उससे उसने फ़ोटो खींचना सीख लिया. फिर सुल्ताना से साठ रुपय लेकर कैमरा भी ख़रीद लिया. ख़ुदाबख़्श ने अपना काम शुरू कर दिया. काम चल निकला और दोनों अंबाला छावनी में ही रहने लगे. छावनी में खुदाबख्श के ज़रिए गोरे सुल्ताना के ग्राहक बन गए और उसकी आमदनी पहले से दो...

मुहावरे (Muhavare)

Muhavare (Idioms) (मुहावरे) मुहावरा: सामान्य अर्थ का बोध न कराकर विशेष अथवा विलक्षण अर्थ का बोध कराने वाले पदबन्ध को मुहावरा कहते हैँ। इन्हे वाग्धारा भी कहते हैँ। Muhavare के अक्सर वाक्य प्रयोग और अर्थ विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। लगभग सभी बोर्ड्स के हिंदी व्याकरण के पेपर में मुहावरे के वाक्य प्रयोग पूछे जाते हैं। अन्य शब्दों में मुहावरे का अर्थ मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है, जो रचना मेँ अपना विशेष अर्थ प्रकट करता है। रचना मेँ भावगत सौन्दर्य की दृष्टि से मुहावरोँ का विशेष महत्त्व है। लाभ मुहावरे के प्रयोग से भाषा सरस, रोचक एवं प्रभावपूर्ण बन जाती है। इनके मूल रूप मेँ कभी परिवर्तन नहीँ होता अर्थात् इनमेँ से किसी भी मुहावरा अपूर्ण वाक्य होता है। वाक्य प्रयोग करते समय यह प्रमुख मुहावरे व उनका अर्थ: मुहावरा मुहावरे का अर्थ अंग–अंग खिल उठना प्रसन्न हो जाना। अंग छूना कसम खाना। अंग–अंग टूटना सारे बदन में दर्द होना। अंग–अंग ढीला होना बहुत थक जाना। अंग–अंग मुसकाना बहुत प्रसन्न होना। अंग–अंग फूले न समाना बहुत आनंदित होना। अंगड़ाना अंगड़ाई लेना, जबरन पहन लेना। अंकुश रखना नियंत्रण रखना। अंग लगाना लिपटाना। अंगारा होना क्रोध मेँ लाल हो जाना। अंगारा उगलना जली–कटी सुनाना। अंगारोँ पर पैर रखना जोखिम मोल लेना। अँगूठे पर मारना परवाह न करना। अँगूठा दिखाना निराश करना या तिरस्कारपूर्वक मना करना। अंगूर खट्टे होना प्राप्त न होने पर उस वस्तु को रद्दी बताना। अंजर–पंजर ढीला होना अंग–अंग ढीला होना। अंडा फूट जाना भेद खुल जाना। अंधा बनाना ठगना। अँधे की लकड़ी/लाठी एकमात्र सहारा। अंधे को चिराग दिखाना मूर्ख को उपदेश देना। अंधाधुंध बिना सोचे–विचारे। अंधानुकरण करना बिना विचारे अनुकरण करना। अंधेर खाता अव्यव...