कालरात्रि मंत्र

  1. Chaitra Navratri 2022 maa kaalratri puja vidhi mantra aarti upay
  2. माँ कालरात्रि के ध्यान और उपासना मंत्र, स्त्रोत और कवच पाठ
  3. Mata Kalratri Mantra: माता कालरात्रि के ये 7 मंत्र, बड़ी से बड़ी विपदा का भी करते हैं अंत
  4. seventh day of navratri: देवी कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र और उपाय
  5. नवदुर्गा


Download: कालरात्रि मंत्र
Size: 28.38 MB

Chaitra Navratri 2022 maa kaalratri puja vidhi mantra aarti upay

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है. माता के इस स्वरूप को भयंकर माना जाता है. इनका रंग काला है और ये तीन आखों वाली हैं. मां कालरात्रि हमेशा अपने भक्तों का कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, आरती शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए उपाय. चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन सफेद या लाल वस्त्र पहनकर मां कालरात्रि की पूजा करें. मां कालरात्रि के सामने घी दीपक जलाकर उन्हें लाल फूल अर्पित करें. इसके साथ ही माता को गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें और संभव हो तो दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करें. मां कालरात्रि मंत्र (Maa Kalratri Mantra) एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी वामपादोल्लसल्लोहलताकंन्टकभूषणा वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मां कालरात्रि की आरती (Maa Kalratri Ki Aarti) कालरात्रि जय-जय-महाकाली, काल के मुंह से बचाने वाली दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा, महाचंडी तेरा अवतारा पृथ्वी और आकाश पे सारा, महाकाली है तेरा पसारा खड्ग खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा सभी देवता सब नर-नारी, गावें स्तुति सभी तुम्हारी रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ना कोई चिंता रहे बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी उस पर कभी कष्ट ना आए, महाकाली मां जिसे बचाए तू भी भक्त प्रेम से कह, कालरात्रि मां तेरी जय खास उपाय नवरात्रि के सातवें दिन विशेष उपाय करने से शत्रुओं के छुटकारा मिल सकत...

माँ कालरात्रि के ध्यान और उपासना मंत्र, स्त्रोत और कवच पाठ

लेख सारिणी • • • • • • • • माँ कालरात्रि के मंत्र, स्त्रोत और कवच पाठ Mp3 Download नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा (Kalratri Mantra & Strotam Japa) इनके शरीर का रंग काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में नरमुंड की माला है। त्रिनेत्री हैं। इनका वाहन गर्दभ (गधा) है। मां कालरात्रि दैहिक, दैविक और भौतिक तापों को दूर करती हैं। मंगल ही मंगल करती हैं। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी कहा जाता है। कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने असुर रक्तबीज का वध करने के लिए कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इनकी उपासना से प्राणी सर्वथा भय मुक्त हो जाता है। भगवान शंकर ने एक बार देवी को काली कह दिया, कहा जाता है, तभी से इनका एक नाम काली भी पड़ गया। दानव, भूत, प्रेत, पिशाच आदि इनके नाम लेने मात्र से भाग जाते हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप काला है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम शुभकारी भी है। माँ कालरात्रि का उपासना मंत्र एकवेणी जपाकर्णपुरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यशरीरिणी॥ माँ कालरात्रि का ध्यान करालवदनां घोरांमुक्तकेशीं चतुर्भुताम्। कालरात्रिंकरालिंका दिव्यांविद्युत्माला विभूषिताम्॥ दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघो‌र्ध्वकराम्बुजाम्। अभयंवरदांचैवदक्षिणोध्र्वाघ:पाणिकाम्॥ महामेघप्रभांश्यामांतथा चैपगर्दभारूढां। घोरदंष्टाकारालास्यांपीनोन्नतपयोधराम्॥ सुख प्रसन्न वदनास्मेरानसरोरूहाम्। एवं संचियन्तयेत्कालरात्रिंसर्वकामसमृद्धिधदाम्॥ माँ कालरात्रि का स्तोत्र हीं कालरात्रि श्रींकराली चक्लींकल्याणी कलावती। कालमाताकलिदर्पध्नीकमदींशकृपन्विता॥ कामबीजजपान्दाकमबीजस्वरूपिणी। कुमतिघन्कुलीनार्तिनशिनीकुल कामिनी॥ क्लींहीं श्रींमंत्रवर्ण...

Mata Kalratri Mantra: माता कालरात्रि के ये 7 मंत्र, बड़ी से बड़ी विपदा का भी करते हैं अंत

नवरात्रि की सप्तमी तिथि को माता का कालरात्रि रूप का पूजन किया जाता है। इनका रूप अन्य रूपों से अत्यंत भयानक है, लेकिन माता अत्यंत दयालु-कृपालु हैं। ऐसे लोग जो किसी कृत्या प्रहार से पीड़ित हो एवं उन पर किसी अन्य तंत्र-मंत्र का प्रयोग हुआ हो, वे इनकी साधना कर समस्त कृत्याओं तथा शत्रुओं से निवृत्ति पा सकते हैं। Mangal puja Amalner : भूमि पुत्र मंगल देव का अमलनेर में बहुत ही जागृत मंदिर है। यहां पर मंगल देव के साथ ही पंचमुखी हनुमान और भू माता विराजमान हैं। यहां पर हजारों की संख्‍या में लोग मंगल दोष की शांति के लिए आते हैं। इसी के साथ ही जिन लोगों को भूमि से संबंधित कोई समस्या है वे लोग भी यहां पर मंगल देव की पूजा और अभिषेक करने के लिए आते हैं। Lal kitab for money : लाला किताब के उपाय अचूक होते हैं। यह विद्या ज्योतिष से अलग मानी जाती है। हालांकि दोनों ही विद्या में कोई खास अंतर नहीं है। यदि आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं या कर्ज चढ़ गया है तो आपको लाल किताब के अचूक उपाय करना चाहिए। हालांकि यदि ये उपाय आप किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर करेंगे तो ज्यादा ठीक रहेगा। Naukri 2023 : आजकल अच्‍छी नौकरी मिलना मुश्‍किल है। देश में लाखों बेरोजगार लोग होंगे जो नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं। हालांकि उन शहरों में नौकरी ज्यादा होती है जहां पर आबादी ज्यादा है और जहां पर कारोबारी कार्य ज्यादा होता है। इसीलिए कई लोगों को नौकरी की तलाश में अपना शहर छोड़कर जाना पड़ता है। ऐसे शहरों में जाकर भी उन्हें ढंग की नौकरी नहीं मिल रही हैं तो उन्हें करना चाहिए कौनसा वार। Mithun sankranti 2023 : 15 जून 2023 की शाम को 06:07 बजे सूर्यदेव मिथुन राशि में गोचर करने लगेंगे। यदि आपकी कुंडली में सूर्य तुला में होक...

seventh day of navratri: देवी कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र और उपाय

कालरात्रि देवी दुर्गा की सातवीं अभिव्यक्ति है। नवरात्रि के सातवें दिन उनकी इस रूप में पूजा की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन भक्त उनकी पूजा करते हैं। कालरात्रि देवी शक्ति का सबसे उग्र रूप है। देवी कालरात्रि का रंग अत्यंत काला है। उनके लंबे बाल हैं जो खुले रहते हैं और उसकी खोपड़ियों का हार बिजली की तरह चमकता है। देवी की तीन आंखें हैं और जब वे सांस लेती हैं तो उनके नथुने से आग की लपटें निकलती हैं। राहु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए माता कालरात्रि की उपासना करना चाहिए। वहीं नवरात्रि के सातवें दिन राहु से पीड़ित व्यक्तियों को राहु शांति पूजा जरूर करवाना चाहिए। आप इस महापूजा के लिए यहां संपर्क कर सकते हैं। नवरात्रि के दौरान कहा जाता है कि देवी का कालरात्रि रूप सभी राक्षस और दुष्टों को नष्ट करने वाला है। उसके चार हाथ हैं। दो बाएं हाथ में एक मशाल और एक क्लीवर है जबकि दाहिने दो हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं। वह गधे पर बैठी है। उन्हें शुभमकारी भी कहा जाता है क्योंकि वह हमेशा अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं। जानिए क्या है माता के नाम का विशेष अर्थ- कालरात्रि का अर्थ देवी कालरात्रि, जिन्हें मां काली के नाम से भी जाना जाता है, देवी दुर्गा का सातवां अवतार हैं। यहां काल का अर्थ है समय व मृत्यु से है और कालरात्रि का संपूर्ण अर्थ काल की मृत्यु है। मां कालरात्रि अज्ञान का नाश करती हैं और अंधकार में प्रकाश लाती हैं। खैर, यह रूप अंधेरे पक्ष को भी दर्शाता है। देवी दुर्गा का कालरात्रि स्वरूप एक ऐसा रूप है जो डर पैदा करता है और उनमें सभी चीजों को नष्ट करने करने की क्षमता रखता है। शास्त्रों के अनुसार देवी कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है। देवी कालरात्रि का यह भयावह रूप पापियों का नाश कर...

नवदुर्गा

माँ कालरात्रि – माँ दुर्गा का सातवां रूप एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त-शरीरिणी। वामपादोल्ल-सल्लोह-लता-कण्टक-भूषणा, वर्धन-मूर्ध-ध्वजा कृष्णा कालरात्रि-र्भयङ्करी॥ माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की उपासना का दिन होता है। माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसलिए देविका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है। माँ कालरात्रि का स्वरुप कालरात्रि देवीके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं (निकलती रहती हैं) । ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है। माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है। माँ कालरात्रि देवी का रूप देखने में अत्यंत भयानक है, किन्तु माता का यह शक्ति रूप साधक को सदैव शुभ फल देता हैं। इसिलिए माँ के इस रूप को ‘शुभंकारी’ भी कहते है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। माँ कालरात्रि की उपासना इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। सहस्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित...