Kabir das ka jivan parichay

  1. कबीरदास का जीवन परिचय और काव्यगत विशेषताएँ
  2. कबीर दास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ
  3. कबीर का जीवन परिचय


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कबीरदास का जीवन परिचय और काव्यगत विशेषताएँ

स्मरणीय संकेत जन्म- सन्‌ 1398 ई० मृत्यु- सन्‌ 1518 ई० माता- कोई विधवा। गुरु- रामानन्द। पालन-पोषण- नीरू-नीमा जुलाहा दम्पति द्वारा। साहित्यिक विशेषता- ज्ञानाश्रयी निर्गुण भक्ति काव्य के प्रतिनिधि एवं प्रवर्तक कवि। भाषा -सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी। शैली - दोहा तथा पद शैली। रचनाएँ- बीजक (साखी, सबद, रमैनियाँ)॥। प्रश्न– कबीर दास का जीवन - परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर प्रकाश डालिए। जीवन परिचय–“कबीर कसौटी” के अनुसार - महात्मा कबीर का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा सं० 1455 (सन्‌ 1398 ई०) में हुआ था। “चौदह सौ पचपन साल गये, चन्द्रवार इक ठाठ भये। जेठ सुदी बरसायत को, पूरनमासी प्रकट भये॥ कबीर की मृत्यु के विषय में यह दोहा प्रसिद्ध है- “पन्द्रह सौ पिछहत्तरा, कियो मगहर को गौन। माघ सुदि एकादशी, मिल्यो पौन सौ पौन॥” इस दोहे के आधार पर कबीर की मृत्यु-तिथि सन्‌ 1518 ई० बैठती है और उनकी आयु लगभग 120 वर्ष जीने के बाद सिद्ध होती है। इन तिथियों को प्रमाणित करने के लिए यद्यपि और कोई प्रमाण नहीं है तथापि अब तक उपलब्ध सामग्री के आधार पर इनके ठीक होने की ही सम्भावना है। कबीर का जन्म कबीर के जन्म के विषय में मतभेद है। कुछ विद्वानों का कहना है कि कबीर को किसी विधवा ने जन्म दिया था। लहरतारा गाँव के निकट तालाब के किनारे पड़े इस बालक को नीरू और नीमा नामक जुलाहा द्म्पति ने उठाकर पालन-पोषण किया। कबीर पंथियों की धारणा के अनुसार अतिरमणीय समय में जबकि प्रकृति ने नभमंडल को मेघमाला से आच्छादित कर रखा था, सौदामिनी अपने प्रकाश से आकाश को प्रकाशित कर रही थी, पक्षी अपने कलरव से स्वागत गान कर रहे थे, ऐसे समय में लहरतारा तालाब में खिले हुए कमल-पुट में एक दिव्य पुरुष प्रकट हुआ जो 'कबीर' नाम से विख्यात हुआ। कबीरदास की शिक्ष...

कबीर दास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ

इस आर्टिकल में हम कबीर दास जी के जीवन परिचय को एकदम विस्तार से समझेंगे। यह जीवनी बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिये काफी उपयोगी साबित हो सकता हैं, क्योकी कबीर का जीवन परिचय Class 10 एवं 12 के हिन्दी के परीक्षा में लिखने को जरुर आता है। ऐसे में यदि आप भी उन्हीं छात्रों में से है जो बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहा है। तो आप इस लेख में दिये गए कबीर दास की जीवनी को पूरे ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े, क्योकी इससे आपको परीक्षा में काफी मदद मिल सकती है। हम इस लेख में कबीर दास के जीवन से सम्बंधित उन सभी महत्वपुर्ण प्रश्नों को देखेंगे, जो आपके बोर्ड की परीक्षा में पुछे जा सकते हैं। जिन महत्वपुर्ण प्रश्नो की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है- कबीर दास का जन्म कब और कहां हुआ था, कबीर दास का वास्तविक नाम क्या है, कबीर दास के माता पिता का नाम क्या था, कबीर दास की पत्नी का क्या नाम था, कबीर दास के कितने बच्चे थे, कबीर दास की साहित्यिक सेवाएँ, कबीर दास की प्रमुख कृतियाँ, कबीर दास का साहित्य में स्थान और कबीर दास की मृत्यु कब और कहां हुई थी आदि। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको यहा पर एकदम विस्तार से देखने को मिल जायेंगे, इसलिए आप इस लेख को पूरा अन्त तक अवश्य पढ़े। तो चलिए अब हम Kabir Das Ka Jeevan Parichay एकदम विस्तार से देखें। नाम संत कबीरदास अन्य नाम कबीर साहब, कबीरा, कबीर परमेश्वर जन्म वर्ष सन् 1398 (संवत् 1455 वि॰) जन्म स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश मृत्यु वर्ष सन् 1518 (संवत् 1575 वि॰) मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश पेशा कवि, दार्शनिक, गीतकार, जुलाहा काल भक्तिकाल शिक्षा निरक्षर माता का नाम नीमा पिता का नाम नीरु पत्नी का नाम लोई संतान 2 पुत्र का नाम कमाल पुत्री का ना...

कबीर का जीवन परिचय

poora nam any nam kabira janm san 1398 (lagabhag) janm bhoomi mrityu san 1518 (lagabhag) mrityu sthan palak mata-pita niru aur nima pati/patni loee santan kamal (putr), kamali (putri) karm bhoomi karm-kshetr samaj sudharak kavi mukhy rachanaean sakhi, sabad aur ramaini vishay samajik bhasha shiksha nirakshar nagarikata bharatiy inhean bhi dekhean sant janm • kabiradas ke janm ke sanbandh mean anek kianvadantiyaan haian. kabir panthiyoan ki manyata hai ki kabir ka janm kashi mean chaudah sau pachapan sal ge, chandravar ek thath the. jeth sudi barasayat ko pooranamasi tithi pragat bhe॥ ghan garajean damini damake booande barashean jhar lag ge. lahar talab mean kamal khile tahan kabir bhanu pragat bhe॥ janmasthan kabir ke janmasthan ke sanbandh mean tin mat haian: • magahar ke paksh mean yah tark diya jata hai ki kabir ne apani rachana mean vahaan ka ullekh kiya hai: "pahile darasan magahar payo puni kasi base aee arthath kashi mean rahane se pahale unhoanne magahar dekha. magahar ajakal • kabir ka adhikaansh jivan kashi mean vyatit hua. ve kashi ke julahe ke roop mean hi jane jate haian. kee bar kabirapanthiyoan ka bhi yahi vishvas hai ki kabir ka janm kashi mean hua. kiantu kisi praman ke abhav mean nishchayatmakata avashy bhang hoti hai. • bahut se log ajamagadh zile ke belahara gaanv ko kabir sahab ka janmasthan manate haian. ve kahate haian ki ‘belahara’ hi badalate-badalate mata-pita kabir ke mata- pita ke vishay mean bhi ek ray nishchit nahian hai. "nima' aur "niru' ki...

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